शुक्रवार, 21 दिसंबर 2012

दामिनी का दर्द ...विजयंती की चीत्कार सेकुलर शैतानो का मानवा - धिक्कार


 दामिनी का दर्द ...विजयंती की चीत्कार 
सेकुलर शैतानो का मानवा - धिक्कार 
   
        एल  आर  गाँधी      

 दामिनी के छेहों दरिन्दे पकड़ लिए गए और देश का मिडिया लोगों के आक्रोश को पूरे देश में एक 'आन्दोलन'के रूप में आम लोगों की आवाज़ सत्ता में बैठे अंधे बहरे 'दलालों' तक बलात्कार पीड़ित महिलाओं के अंतर्नाद को पहुँचाने का महती कार्य कर रहा है .....सराहनीय प्रयास है।बलात्कार पीड़ित 23 वर्षीय दामिनी हस्पताल में जीवन- मृत्यु का संताप भोग रही है। 
मगर  6 वर्षीय-पहली कक्षा की छात्र  विजयन्ति  मेघवर की पीड़ा पर देश का यही सेकुलर मिडिया आपराधिक मौन धारण किये बैठा है। शायद इस लिए कि अभागी विजयंती पडोसी देश पाकिस्तान की एक हिन्दू अल्पसंख्यक है और हमारा सेकुलर मिडिया पाक में प्रताड़ित हिन्दू बच्चियों पर मुखर हो कर अपने सेकुलर मुखौटे को धुंधला करने का खतरा मोल नहीं ले सकता ..... 
6 वर्षीय विजयंती 3 दिसंबर को पाक के सिंध प्रदेश के गुलाम नबी शाह ,उमरकोट में , अपने घर के निकट खेल रही थी  ... एक जुआघर के डान ,हाशिम मागीर ने उसे अगवा किया और ' अपने गुर्गों के साथ उसका गैंग रेप कर गली में फेंक दिया . उमरकोट के हस्पताल में जब बच्ची को लेकर गए तो कोई डाक्टर नहीं था . फिर 60 किलोमीटर दूर मीरपुर ख़ास हस्पताल में दर्द से कराहती इस हिन्दू बच्ची को जब लेकर गए तो हस्पताल स्टाफ ने इसकी तीमारदारी पर कोई तवज्जो नहीं दी। हैदराबाद  के अस्पताल में भी अभागी बच्ची को कोई राहत  नहीं नसीब हो पायी . इस जघन्य घटना से घुलाम नबी शाह के बाशिंदे आक्रोश में आ गए और सड़कों पर आ गए . आखिर बुधवार को मानवाधिकार संस्था ने संज्ञान लिया और पीपीपी के नवाब्युसुफ़ तालपुर ने मामला संसद में उठाया ....फिर भी एक हिन्दू बच्ची को कोई न्याय मिलेगा ? ...पाक के मज़हबी अवाम और शरियत के अलमबरदार हुक्मरान से आशा करना बेकार है। 
पाक में हिन्दू महिलाओं की दशा पशुओं से भी बदतर है। हररोज़ असंख्य युवा हिन्दू कन्याओं को अगवा कर बलात्कार किया जाता है और फिर इस्लाम कबूल करवा कर किसी मुस्लिम युवक से निकाह के लिए मजबूर किया जाता है। ऐसे  ही एक हिन्दू लड़की 'रिंकल ' को अगवा कर जबरन इस्लाम कबूल करवा कर .निकाह किये जाने की घटना के बाद फरवरी 2012 में 200 हिन्दू पाक में अपना घर बार छोड़ कर भारत पलायन करने को मजबूर हो गए। 
पिछले 65 साल से पाक के हिन्दू ,  पाक के मज़हबी कटटर - पन्थिओ के ज़बर का शिकार हैं . मगर कोई भी मानव अधिकार  संगठन हिन्दुओं पर हो रहे  जुल्मोसितम के खिलाफ मुंह नहीं खोलता ...... अन्य  अल्पसंख्यकों पर भी इस्लामिक ज़बर होता है मगर उसके खिलाफ सारे विश्व में तीव्र प्रतिक्रिया होती   है। पिछले दिनों एक ईसाई  लड़की पर एक मौलवी ने ईश निंदा का इलज़ाम लगा कर फंसा दिया मगर पश्चिमी देशों के ईसाई समुदाय ने जोरदार विरोध दर्ज करवाया .... अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा के दखल के बाद पाक सरकार को ईसाई लड़की को आज़ाद करना पड़ा ..... पाक में आज  ईसाईयों  की आबादी 1.7 % है जबकि हिन्दुओ की महज़ 1.6% रह गई ... जब की 65 वर्ष पूर्व हिन्दुओं की आबादी 20% थी।  आज पाक की आबादी 18 करोड़ के करीब है ... 20% के अनुपात से हिन्दुओं की जनसँख्या कम से कम 3.5 करोड़ होनी चाहिए थी ... मगर महज़ 30 लाख के करीब ही हिन्दू बचे हैं पाक में ....बाकी सब जबरन मुसलमान बना  दिए गए या भगा दिए या फिर  क़त्ल कर दिए गए। विश्व  इतिहास में क्या ऐसा 'मानवाधिकार  उत्पीडन ' कहीं मिलेगा ?
विश्व के मानवाधिकार के  ध्वजारोही और भारत के 'सेकुलर शैतानो ' के पास है कोई उत्तर ...........?????

     
 

गुरुवार, 22 नवंबर 2012

अफज़ल की रस्सी पर झूले कसाब

अफज़ल की रस्सी पर झूले कसाब 
    एल आर गाँधी 

कसाब लटक गए और अफज़ल फिर से बच निकले . पांच बरस  पहले जो रस्सी अफज़ल के लिए बुनी गई थी .  ... पर कसाब को लटका दिया। अब अफज़ल के लिए नयी रस्सी  बुनने को  बिहार की बक्सर जेल के कैदियों को फिर से कहा जायगा . कसाब के लटकते ही अफज़ल को लटकाने की मांग फिर से होने लगी है। लटकाने वालों की फेहरिस्त में कसाब का नंबर 15 वा था मगर लाईन तोड़ कर लटका दिया  गया .पांचवे नंबर पर बैठे अफज़ल 'बैठे रह गए' ... बहुत बे इंसाफी है। यदि हमारे महानुभव् चिदम्बरम जी गृह मंत्री होते तो ऐसी अमानत में खयानत हरगिज़ नहीं होने देते . चिद्दी मियां जी ने तो साफ़ साफ़ कह दिया था की हम तो नंबर वार लटकायेंगे ... -लटकने लटकाने के भी कुछ कायदे कानून होते हैं . ऐसे कैसे लटकादें .... 
मगर शिंदे जी नए नए गृह मंत्री बने हैं  ... उन्हें क्या मालूम ... खैर अब फिर से नयी रस्सी के   लिए शिंदे जी वित्त मंत्रालय को अगली पञ्च वर्षीय योजना में बजट  प्रावधान के लिए चिद्दी मियां को लिखेंगे और असूल् परस्त चिदम्बरम जी गृह मंत्रालय से पहली रस्सी के दुरपयोग पर सफाई मांग लेंगे ...ऐसे ही सफाई लेने और देने में 2014 का सत्ता बदल हो जायगा और अल्लाह के फज़ल से अफज़ल मियां यूं ही बैठे रहेंगे  ....अगर कोई अनहोनी न हो गयी तो .......

बुधवार, 17 अक्तूबर 2012

केज़री बनाम राजभक्त

केज़री बनाम राजभक्त 
 एल आर गाँधी 

खुर्शीद मीयां  ने डेढ़ सौ साल पुरानी पार्टी की नाक ही कटवा कर रख दी ....राज माता को ऐसे नालायक को फ़ौरन से पेशतर 'ट्राइसिकल ' पर बिठा कर कानून मंत्रालय से विदा कर देना चाहिए। कितनी मेहनत से एक मुकाम हासिल किया गया था,,,,,,सब गुड गोबर कर दिया ....महज़ 71 लाख में नाक कटवा  बैठे और वह  भी 'आले 'की खातिर ...अरे जिन्हें सुनाई ही नहीं देता वे क्या सुनेंगे और क्या सुनायंगे-चले थे बधिरों को 'अज़ान ' सुनाने , रोज़े गले पढ गए .
कल तक जवाई राजा का बचाव कर रहे थे ....आज लोग   मियां जी का बचाव कर रहे है .....बेनी जी का इस्पाती बचाव देखिये .... खुर्शीद मीयां जैसे सीनियर मंत्री महज़ 71 लाख जैसी छोटी रकम नहीं 'हडपेंगे ' हाँ 71 करोड़ जैसी कोई रकम होती तो हम भी मान लेते ....लाखों करोड़ की उचाईयां छूने के बाद 'सिंह ' साहेब की काबिना का कोई इतना सीनियर मंत्री ...इतना गिर जाएगा और वह भी राज माता की ' नाक का बाल 'कोई ऐरा  ग़ैरा नत्थू -खैरा नहीं .
बेनी जी ने  जब से वीरभद्र जी की रुस्तगी के बाद इस्पात मंत्रालय सम्हाला है ... तब से हर मूसिबतज़दा मंत्री के पीछे 'इस्पात ' की तरहां खड़े नज़र आते हैं .. अब भद्रपुरुष जब हिमाचल में अपनी भूमि फिर से तलाशने में मशरूफ हैं तो किसी ने पुराने जखम कुरेदते हुए महज़ 2 करोड़ की घूंस का इलज़ाम उनके नाम चस्पा कर दिया  . बेनी जी फिर से अपने पूर्वर्ती मंत्री जी के पक्ष में 'इस्पात ' की भांति खड़े दिखाई दिए  ...फ़ौरन इसे किसी कर्मचारी की चालाकी करार दिया  .. सब वीरभद्र जैसे 'इमानदार ' शख्स के नाम पर कंपनी के पैसे डकारने का षड्यंत्र बताया  . बेचारे पहले ही बाईस बरस पुराने एक छोटे से दाग को धोने को केंद्र से राज्य में पटक दिए गए हैं ...किसी ने सच ही कहा है बड़े लोगों को छोटे -छोटे ज़ख्म गहराई तक टीसते हैं  . 
बेचारे हूडा साहेब तो अपनी राजभक्ति का निर्वहन मात्र कर रहे थे ...अब जवाई राजा  को अपने राज्य की ज़मीन का एक अदद टुकड़ा नजराना  क्या दे दिया ... लगे केजरी - खेमका जैसे ऐरे -गैरे हो हल्ला मचाने   
 ये क्या जाने राज भक्ति ...इतिहास गवाह है ..कैसे राज भक्त राज परिवार की खातिर अपनी जान तक न्योछावर कर  देते थे। यह तो एक ज़मीन का टुकड़ा मात्र है  फिर हूडा साहेब को हरियाणा की सरदारी भी तो राजमाता की ही देन  है।  एक तो बलात्कारियों ने नाक में  दम कर रखा है ऊपर से ये केज़री - खेमका .....

 राज भक्तों पर आई इस मुसीबत से राजमाता सकते में है .. राजकुमार और राजमाता ने मन बना लिया है
या तो सब बदल डालो या फिर चवन्नी को रुखसत कर खुद सम्हालो !

शुक्रवार, 28 सितंबर 2012

बर्बर मुल्क पाकिस्तान


बर्बर मुल्क पाकिस्तान 
एल.आर.गाँधी 

अमेरिका के थिंक टैंक ने पाकिस्तान को बर्बर मुल्कों की सूची में डालने की सिफारिश की है. मिडल ईस्ट मिडिया इंस्टीच्युट के तुफैल अहमद ने अपनी रपट में कहा है की पाकिस्तान में गैर इस्लामिक समूहों (काफिरों) को समाजिक व् मज़हबी भेदभाव का शिकार होना पड़ता है. उन्हें इस्लामिक गुटों की मज़हबी नफरत का सामना करना पड़ता है. सरकारी अधिकारिओं , वकीलों ,न्यायधीशों व् विधायकों से भी कोई उम्मीद नहीं , क्योंकि ये सभी इस बर्बरता को ,पाकिस्तान को पवित्र इस्लामिक मुल्क बनाने की पहल की नज़र से देखते हैं. रपट में तुफैल अहमद ने ईश निंदा के आरोप में हिन्दुओं, ईसाइयों व् अहमदी मुसलमानों को सताए जाने और हिन्दू व् ईसाई लड़कियों के अपहरण , ज़बरन धर्म परिवर्तन और हत्या जैसी अनगिनत घटनाओं को उजागर किया है. 
मज़हबी अनाचार और अत्याचार से पीड़ित असंख्य  हिन्दू परिवार जब अपनी बहु बेटियों की अस्मत बचाने की खातिर ,  पाकिस्तान में अपना घरबार व् व्यवसाय आदि  अपना सब कुछ छोड़ कर भारत में शरण लेने पहुंचे तो हमारे विदेश मंत्री जी ने फ़तवा जारी कर दिया कि इन हिन्दू परिवारों को उनपर पाकिस्तान में हुए अत्याचारों का सबूत देना होगा..... अमेरिकी मानवाधिकार संगठनों को तो पाकिस्तान के अत्याचार दिखाई देते हैं और उन्होंने तो पाक को 'बर्बर' अत्याचारी मुल्क तक घोषित करने की शिफारिश तक कर दी है. मगर हमारी गाँधीवादी सेकुलर सरकार को अभी भी पाकिस्तान में कोई खोट नहीं दिखाई देती. 
अल्पसंख्यक वोट बैंक की खातिर इन्हें चार करोड़ बांग्लादेशी घुसपैठिये दिखाई ही नहीं देते और इनके आसाम के मुख्यमंत्री ने तो साफ़ साफ़ घोषणा कर दी कि इन बांग्लादेशी मुसलमानों को अब इस देश से निकाला नहीं जा सकता. मियान्मार और असाम के मुसलमानों के पक्ष में हज़ारों की तादाद में मुसलमान मुज़ाहरा करते हैं मगर पाक में हिन्दुओं पर ढाए जा रहे अत्याचारों के विरुद्ध 'शमशान सी खामोशी' पसरी है. नेहरु-गाँधी के इन अनुयायियों ने तो 'हिन्दू' शब्द को ही एक 'साम्प्रदायिक गाली' मान लिया है..... 

मंगलवार, 25 सितंबर 2012

वाच डाग और सत्ता की सुपारी


वाच डाग और सत्ता की सुपारी 
एल.आर.गाँधी 
सत्ता कि सुपारी का कमाल.....
भारतीय मिडिया एक  ऐसा वाच डाग है जो अपनी घ्राण शक्ति से आकाश, पाताल और इहिलोक का हर राज़ जान लेता है. 
स्वर्ग की सीढ़ी, हिम मानव ,प्रलय का पल ....सूंघ कर सारी दुनिया को हैरान और परेशान कर देता है. 
लक्ष्मण के स्टिंग , जार्ज के ताबूत काण्ड ,राडिया कि टेप से पर्दा उठा कर 'तलहका' मचा देता है.....
मोदी को साम्प्रदायिक सिद्ध करने को ....ट्रेन में जलाये गए कार सेवकों को .'.महज़ हादसा '  बता देता है. 
बोर वेळ में गिरे राजू को ....राष्ट्रिय आपदा बना   देता है और मिक्का-राखी चुम्बन को  अबला उत्पीडन !
सब कुछ जानने और बताने में सक्षम है मगर .....
काले अंग्रेजों की गोरी महारानी के अस्पताल और बीमारी से अनजान है , 
दुनिया की चौथी रईसजादी की ४५००० करोड़ की  कमाई कहाँ से आई , नहीं मालूम , 
शायद सत्ता की आधी सुपारी हलक में और आधी सुपारी नाक में अटक गयी है....
और सूंघने की घ्राण शक्ति और भौंकने की श्वान शक्ति तिरोहित हो गयी है.... 
तभी तो समाज के चौथे खम्बे पर यह वाच डाग 'टांग उठा कर .................... 
जय हो ......उतिष्ठकौन्तेय  

सोमवार, 17 सितंबर 2012

उधर तालिबान - इधर सेकुलर शैतान !


 उधर तालिबान - इधर सेकुलर शैतान !
          एल.आर.गाँधी 

आगे कुआ  पीछे खाई... कुछ ऐसी स्थिति है पाक में अपना सब कुछ लुटा कर भारत में पनाह लेने आए हिन्दुओं की. 
हमारे विदेश मंत्री ने इन विस्थापित हिन्दुओं को स्पष्ट कर दिया है कि उन्हें साबित करना होगा कि उन पर पाकिस्तान में कैसे कैसे अत्याचार हुए... उधर तालिबान - इधर सेकुलर शैतान !
इस्लामिक आतंक से सारी दुनिया वाकिफ है सिर्फ हमारे इन सेकुलर शैतानों के,  जो यह मानने तो ही तैयार नहीं कि पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों के साथ जानवरों से भी बदतर व्यवहार होता है. अंतर्राष्ट्रीय मिडिया और यहाँ तक कि पाक के मानवाधिकार स्वमसेवी संस्थान भी मानते हैं कि प्रतिमाह दर्ज़नों हिन्दू लड़कियों को अगवा कर बलात्कार किया जाता है और फिर जबरन उन्हें मुस्लिम युवक से निकाह के लिए मजबूर किया जाता है. ... ऐसे हालात में अपना सब कुछ छोड़ कर जो हिन्दू परिवार अपनी बहु बेटियों की इज़त-अबरू बचाने के लिए भारत पलायन को मजबूर होते हैं उनसे हमारे विदेश मंत्री श्री एस.एम्.कृष्ण  जी अभी सबूत मांगते हैं कि कैसे उनके साथ ज्यादती हुई... ये तो ऐसे ही हुआ कि विदेश मंत्रीजी की अपनी लड़की को कोई अगवा कर बलात्कार करे और फिर इस्लाम कबूल करवाकर निकाह कर ले ..और जब हमारे मंत्री महोदय लूटे पिटे अपनी दरयाफ्त करें तो उनसे पूछा जाए कि आपके पास क्या सबूत है कि यह सब हुआ. 
पाकिस्तान में हिन्दू बच्चों को स्कूलों में दाखिला नहीं मिलता, उन्हें स्कूल में नमाज़ पढने को बाध्य किया जाता है और उनके सहपाठी उन्हें 'काफ़िर कुत्ता' कह कर ज़लील करते हैं. हिन्दुओं को ज़बरन इस्लाम कबूल करने को मजबूर किया जाता है, हिन्दू लड़कियों को अगवा कर बलात्कार किया जाता है . हिन्दू- सिखों से इस्लामिक कर 'जाजिया' वसूल किया जाता है. . फैक्टरियों  में हिन्दू कामगारों को पीट पीट कर मार दिया जाता है . इस्लामिक सत्ता  को मज़बूत करने की खातिर ८०% हिन्दू काफिरों की ज़मीन छिनी जा चुकी है. यही कारन है कि हिन्दुओं की जनसँख्या जो १९४७ में २०% से अधिक थी १९९१ में घट कर मात्र १.६ % रह गई.  फिर भी हमारे सेकुलर शैतान इन सभी तथ्यों से आँखें  मूंदे हर साल वाघा सीमा पर हिंद-पाक दोस्ती की मोमबत्तिया जला कर 'उन शैतानों से बगलगीर होते हैं... 
पिछले दिनों २५० पाक हिन्दू 'तीर्थ यात्रा के बहाने किसी प्रकार वीजा ले कर इधर आए तो एक परिवार ने पाक में हुए अत्याचारों की व्यथा गाथा ब्यान की  कि किस प्रकार उनके परिवार के एक पुरुष सदस्य जो पिछले २० साल से एक मुसलमान जागीरदार के यहाँ ड्राईवर का काम करता था , ने जब अपने मालिक से तनख्वाह की मांग की तो उसे जंजीरों से बांध कर इतना पीटा गया कि उसकी मौत हो गई...मजबूरन सारा परिवार मृतक की विधवा और पुत्र पुत्रिओं सहित उनके छोटे भाई के साथ भारत आ गया..भाई ने अपने मोबाईल में मृतक की जंजीरों में ज़कड़ी तस्वीर भी दिखाई. ... सेकुलर मिडिया को छोड़ कुछ हिंदी समाचार पत्रों ने इस स्टोरी को मृतक की तस्वीर सहित  प्रकाशित भी किया. ... मगर हमारे प्रधान मंत्री या विदेश मंत्री ने कोई प्रतिक्रिया देना शायद मुनासिब नहीं समझा ...कही पडोसी से दोस्ताना रिश्तों में खटास न आ जाए ?  यही वाकया किसी मुसलमान के साथ हुआ होता , यही प्रधान मंत्री ऐनक उतार उतार कर आंसू पोंछते ! विदेश मंत्री सभी दौरे मुल्तवी कर प्रेस में जोरदार भर्त्सना करते.  और हाँ हमारे महान सेकुलर मिडिया के महारथी ' राजदीप सरदेसाई' तो अपने चेनल पर पूरे तेरह दिन तक 'अल्पसंख्यकों पर अत्याचारों ' पर देश भर के सेकुलर शैतानों का 'मजमा' लगाते और देश को बताते कि किस प्रकार 'भगवा आतंक इस्लामिक आतंक से ज्यादा खतरनाक है.    
पाक की ही एक सरकारी संस्था के आंकड़ों से पाक में अल्पसंख्यकों की मौजूदा स्थिति का भली भांति पता चलता है. पाक में विभिन धार्मिक समुदायों  पर , नेशनल डाटाबेस एंड रजिस्ट्रेशन अथारटी के सर्वे में यह दिखाने की कोशिश की गई कि यह अवधारणा गलत है कि पाकिस्तान केवल एक इस्लामिक देश है .... रिपोर्ट के अनुसार पाक में आज भी २.९ मिलियन व्यसक सात विभिन्न समुदायों से  हैं , जिनका मज़हब इस्लाम से अलग है. इनमें १.०४  मिलियन हिन्दू ,१.२७ मिलियन क्रिश्चन , १२५६८१ अह्मदिस, ३३००० बहावी, ६१४६ सिख ४००० पारसी व् १५०० बुध.  पाक को सेकुलर और बहु-समुदय्वादी देश सिद्ध करने का क्या नायाब तरीका है. 
पाक कि १९४७ में ३.५ करोड़ जनसँख्या थी , जो आज १८ करोड़ हो गई है ... यदि कुल जनसँख्या के अनुपात से अल्पसंख्यकों की संख्या को आँका जाए तो २५% के हिसाब से आज लगभग ४ करोड़ से अधिक अल्पसंख्यक होने चाहिए और हिन्दुओं की संख्या ३.५ करोड़ . मगर पाक सेन्सस के अनुसार हिन्दू मात्र ३० लाख रह गए हैं. पिछले ६५ साल में पाकिस्तान का इस्लामिक आतंक ३.५. करोड़ हिन्दुओं को लील गया , अभी हमारे विदेश मंत्री जी को पाक छोड़ कर आ रहे हिन्दुओं से उन पर हो रहे अत्याचारों का हिसाब चाहिए.  हिसाब तो चाहिए ही वर्ना इनके वोट बैंक का हिसाब जो गडबडा जायेगा? 

सोमवार, 20 अगस्त 2012

असाम बनाम मुग्लिस्तान


असाम बनाम मुग्लिस्तान 
एल. आर गाँधी. 

पाकिस्तान में बचे खुचे अल्पसंख्यकों को 'नेस्तोनाबूद ' करने का खेल जारी है. सैंकड़ों हिन्दू  परिवार इस्लामिक अत्याचार से दुखी हो कर पलायन कर रहे हैं ..और हमारे सेकुलर शैतान 'ईद मुबारक 'में मस्त हैं. पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों को मुसलमान बनाने या फिर डराने धमकाने के लिए यू तो शरियत के बहुत से कानून हैं. मगर ईश निंदा का कानून 'अल्पसंख्यकों' के लिए एक मौत के फरमान से कम नहीं जिसके तहत किसी भी अल्पसंख्यक को बेवजह बेमौत मार दिया जाता है. 
अभी  ११ वर्षीया एक ईसाई लड़की को ईश  निंदा के आरोप में बंदी बना लिया गया . शुक्रवार को एक मियां ने लड़की पर आरोप लगाया कि उसने कुरआन के १० पन्ने जला दिए ...५००-६०० लोगों ने लड़की का घर घेर लिया ...इससे पहले कि मज़हबी हुजूम उसे मौत के घाट उतार देता ...पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया. ...३०० ईसाई परिवार अपनी जान बचा कर भागने को लाचार हैं और पुलिस उन्हें भगाने में मदद कर रही है. पिछले ६५ साल में पाक में अल्पसंख्यक २५% से घटते घटते महज़ १.६% रह गए हैं और इनमें अधिसंख्या हिन्दुओं की है. 
लगभग यही हाल बंगलादेश का है. बंगलादेश के १९७१ में अस्तित्व में आने के वक्त हिन्दुओं कि आबादी ३६% थी जो अब महज़ ९ % रह गई है . अपनी ओर से तो इंदिरा जी ने बंगला देश बनाने में इस लिए मदद की थी कि पड़ोस में एक 'सेकुलर मित्र- पडोसी' होगा. मगर हुआ बिलकुल इसका उल्ट ...बंगलादेश से करोड़ों बंगलादेशी मुसलमान आसाम , बंगाल और बिहार में आ घुसे  और आज आसाम के मूल निवासिओं को ही उनकी जन्मभूमि से बेदखल करने की साज़िश चल रही है. हमारे सिंह साहेब २२ साल से आसाम के 'घुसपैठिये' हैं और अभी तक उन्हें असाम कि समस्या समझ में नहीं आ रही. 
सिंह साहेब हम समझाते हैं आप को आसाम की मूल समस्या ... यह है कश्मीर से आसाम तक 'मुगलस्तान 'बनाने की 'जिन्ना' की पुरानी योजना. . बंगलादेश में जहाँगीर नगर युनिवर्सटी   में मुगलस्तान रिसर्च इंस्टीच्युट ने पाक से असाम तक मुग्लिस्तान बनाने कि योजना बनाई है. उस योजना के तहत  ही देश का मुस्लिम समाज आज आसाम के घुसपैठिये मुसलमानों के साथ खड़ा नज़र आ रहा है. मुंबई, उत्तरप्रदेश ,आन्ध्र, दिल्ली और कर्णाटक की सेकुलर सरकारों को 'लकवा' मार गया है मुसलमानों का यह रूप देख कर .... लकवा से पीड़ित सेकुलर शैतान ... अपने इन शैतानो को खुश करने के लिए टेढ़े मुंह से ही सही ... ईद मुबारक का प्रलाप कर रहे हैं...... वतन के पटल पर एक और विभाजन की रेखाएं साफ़ नज़र आ रही हैं. ... और   हमारे 'शिखंडी' राज परिवार के काले कारनामों को छुपाने -बचाने को ही वतनपरस्ती मान बैठे हैं.    

मंगलवार, 7 अगस्त 2012

अठन्नी की ताजपोशी


अठन्नी की ताजपोशी


एल.आर.गाँधी
जब से एक अर्थशास्त्री ने देश की कमान सम्हाली है….देश की अर्थव्यवस्था ही ज़मींदोज़ नहीं हुयी बल्कि राजनैतिक व्यवस्था भी रसातल में जा समाई है.
सिंह साहेब ने जब से ‘चवन्नी’ का चलन बंद किया है तब से लोग अठन्नी को भी उसी नज़र से देखने लगे हैं और इसका चलन भी लगभग ख़तम हो गया है. अठन्नी की दुर्दशा भांपते हुए रिजर्व बैंक ने लोगों में भरपूर अठन्नियां बाँट कर इसे फिर से पुनर्जीवित करने की नाकाम कोशिश तो की है मगर ‘कोई इसे भाव देने के मूड में नहीं’. रही बात रुपैये की … काफी अरसे से बीमार चल रहा है ..और अपनी बीमारी को ‘निजता और सिकियोरिटी’ के नाम पर छुपाए चला जा रहा है. अब तो बस थोड़ी बहुत गाँधी छाप ५००-१००० की ही पूछ है.
जैसे रूपए की बीमारी और उदासीनता के साथ ही चवन्नी बे मोल हो गई वैसे ही हमारे सिंह साहेब भी मैडम की कृपा से पी.एम्. की कुर्सी पर बैठे तो हैं मगर कीमत चवन्नी की भी नहीं रही.. बेचारी को कोई पूछता ही नहीं. जब से पहले बिहार में और फिर यू.पी. में किसी ने अठन्नी को मूंह नहीं लगाया तभी से ‘दिग्गी’ जैसे धेल्ले विचलित हो चले हैं. आज अठन्नी को नहीं पूछा कल ‘रुपी’ को नकार देंगे… ऐसे कैसे चलेगा. अठन्नी को कोई बड़ा .रूप.-.रुतबा दे कर बाज़ार में उतारा जाए … यह भी सुझाव आया कि खारिज और बेमोल चवन्नी के स्थान पर अठन्नी की ताजपोशी कर दी जाय ..फिलहाल आकर्षक द्वान्नी को भी मार्कीट में उतारा गया है ताकि अठन्नी और ‘रूपी ‘ की गैरहाजिरी की भरपाई की जा सके. सुपारिपाक मिडिया को भांड गिरी का काम सौंप दिया गया है.
‘रूपी’ बीमार है …अठन्नी’ चल नहीं पा रही …चवन्नी का कोई मोल नहीं … अब तो द्वान्नी या फिर सुपारिपाक मिडिया का ही सहारा है….

रविवार, 5 अगस्त 2012

अन्ना और राजनैतिक ढोंग


 अन्ना और राजनैतिक ढोंग 
एल.आर.गाँधी. 

अन्ना के जनांदोलन  के राजनितिक -समर में कूदने पर दिग्गी मियां बहुत खुश हैं ...मानों अन्ना ने उनकी नसीहत मान ली और कूद गए राजनीति के मैदान में ...कल तक राजनीति को मैली गंगा कहने वाले आज खुद 'गंगा' में डूबने को तैयार हो गए हैं. क्योंकि दिग्विजय सिंह से अधिक कौन जान सकता है कि राजनीति के हमाम में तो सब नंगे हैं ....अन्ना को सर से पाओं तक भ्रष्टाचार में लिप्त कहने पर  अपनी किरकिरी करवा कर अलोप हो गए  कांग्रेसी प्रवक्ता मनीष तिवारी फिर से अपने पूरे रंग में हैं ...अन्ना के आन्दोलन को राजनीति से प्रेरित बता कर अपनी खुन्नस निकाल रहे हैं. 
यह वही अन्ना हैं जिन्हें हमारे 'चोरों के सरदार और फिर भी ईमानदार' .....'राजनैतिक चवन्नी' ने आज के महान गाँधी कह सलाम ठोका था ..और कांग्रेसी छुटभैयों के अपशब्दों के लिए 'सारी' फील किया था. उसी गाँधी वादी नेता के आमरण अनशन को इस प्रकार 'धिक्कार' दिया जैसे कोई  जिद्दी-ढोंगी' बूढा  सठिया गया हो.
कान्ग्रेसिओं की नज़र में गांधीवाद के बारे में ऐसा नजरिया कोई नई बात नहीं है. सत्ता के नशे में चूर इन सेकुलर शैतानों ने गाँधी के नाम का दोहन तो खूब किया मगर उनके एक भी आदर्श से इनका दूर दूर तक कोई वास्ता नहीं. इनके आदर्श तो आज 'राजमाता' सोनिया गाँधी है या फिर गाँधीवादी वयोवृद्ध नेता एन.डी.तिवारी , सुखराम, या बीरभद्र जैसे  भद्रपुरुष हैं .... तिवारीजी को तो दो दशक बाद पता भी चल गया कि वे एक रोहित तिवारी के नाजायज़ बाप हैं ...मगर इन गाँधी को बापू कहने वाले इन सेकुलर शैतानो या माडर्न गांधियों  को तो यह भी याद नहीं कि महात्मा गाँधी को 'राष्ट्र पिता' किसने बनाया था. इसमें इनका कोई दोष भी नहीं , जब गांधीजी को बापू कहने वाले पंडित जवाहर लाल ही उन्हें 'ढोंगी बूढा' मानते थे , तो इन छुटभैयों को क्या कहें. कनाडियन पी.एम् लेस्टर पियर्सन ने अपनी पुस्तक में इसका ज़िक्र किया है. १९५५ में जब वे नेहरूजी के निमंत्रण पर भारत आए तो एक नाईट ड्रिंक पार्टी में जब उन्होंने नेहरूजी से गाँधी जी का ज़िक्र छेड़ा तो नेहरूजी के मुंह से अनायास ही निकल पड़ा 'ओह ,...वह  भयंकर ढोंगी बूढा'
लगभग ऐसे ही विचार हमारे आज के कांग्रेसियों के अन्ना जी के बारे में हैं. और हों भी क्यों न ...अन्ना उनके भ्रष्टाचार पर टिके सिंहासन की चूलें हिलाने पर जो तुले हैं. जिस प्रकार गाँधी जी ने सदियों से सो रहे दबे कुचले भारतियों को अपने जन आंदोलनों के ज़रिये जागृत कर दिया था वैसे ही पिछले छह दशक से भ्रष्टाचार से त्रस्त भारतियों को जगाने का काम कर रहे हैं अन्ना जी. फर्क सिर्फ इतना है कि गाँधी जी के वक्त लोग सो रहे थे मगर आज आधे से अधित लोग भ्रष्टाचार को जायज़ मानते हैं और  भ्रष्ट  नेताओं की भांति..... अन्ना को ढोंगी बूढा मान हँसते हैं . कान्ग्रेसिओं कि ख़ुशी का तो कोई ठिकाना ही नहीं क्योंकि वे जानते हैं कि अन्ना के राजनीति में दाखिले से 'कांग्रेस' विरोधी वोट जो बी.जे.पी. की झोली में जाने का अंदेशा था अब बंट जाएगा .. राजनीति में अनजान दुश्मन अक्सर दोस्त ही होता है. 

मंगलवार, 26 जून 2012

फंस गए चोर वर्ना वंस-मोर


फंस गए चोर वर्ना वंस-मोर 
   एल.आर.गाँधी 
सत्ता के भद्रलोक से दो भद्र पुरुषों की आज एक साथ विदाई ,कारण लगभग एक ही .... बस एक का तीर निशाने पर रहा और दूसरा चूक गया.....लिहाज़ा एक अर्श पर तो दूसरा फर्श पर. ... जी हाँ ये हैं कांग्रेस भद्रलोक के दो खिलाडी लगभग एक ही आयु के . एक बंगाल से तो दूसरा हिमाचल प्रदेश से . बंगाली बाबू ने बड़ी चतुराई  से 'राजमाता' की सेवा की और उसके सभी देसी और विदेशी कारनामों पर सफलता से पर्दा डाले रखा. यह बंगाली बाबू की ही कड़ी मेहनत थी कि 'राजमाता' आज विश्व के बीस धनवान राजनेताओं की सूची में चौथी पायदान पर हैं.... और कोई माई का लाल इस राज़ का पर्दाफाश नहीं कर पाया. बंगाली बाबू ने अपने वित्त -राज़- कौशल से कुछ ऐसी गोटियाँ भिडाई ..कि कोई भी बाबा या अन्ना 'राजमाता' के खजाने का  खुल-जा-सिम सिम मन्त्र नहीं जान सकता. फिर राजमाता अपने राजभक्तों को कैसे भूल सकती है... अहसान का क़र्ज़ चुकाया और भेज दिया 'रायसीना हिल्ल्ज़ ' . पिछली बार रसोई सँभालने वाली एक भक्त पर कृपा हुई थी अब कि बारी 'वित्त' सँभालने वाले एक भद्र पुरुष की है. 
पांच बार मुख्य मंत्री रह चुके बीरभद्र जी बीस साल पहले किये एक भ्रष्ट क्रिया कलाप में ऐसे फंसे कि 'राजमाता' को भी भ्रष्ट नज़र आने लगे और हो गई विदाई. भद्रलोक के राज दरबार में जो फंस गया वो चोर वर्ना वंस- मोर . 
हमारा पडोसी लाख हाथ पैर मारे मगर रहेगा तो चोर चोर चचेरा भाई  ही. जोड़ तोड़ कर के किसी तरहं पाक के ज़रदारी मिया 'राजमाता' की धनकुबेर सूची में प्रवेश तो कर गए मगर अटक गए उन्नीसवीं पायदान पर. तिस पर भी महज़ छै करोड़ की एक उच्चक्कागिरी  में फंस गए . महामहिम को बचाते बचाते बेचारे गिलानी जी 'शहीद' हो गए. पाक सुप्रीमकोर्ट ने गिलानी मियां को लाख समझाया कि स्विस सरकार को पत्र लिखो और ज़रदारी के स्विस खातों में पड़ा मुलुक का पैसा मुलुक के गरीब अवाम के हवाले करो. बेचारे गिलानी मिया एक ही रट लगाए रहे कि महामहिम देश के क़ानून से ऊपर की चीज़ हैं... लिहाज़ा हलाल हो गए . 
अब ज़रदारी मियां हमारे नए महामहिम से बचने बचाने के कुछ अचूक नुस्खे सीखने के लिए या तो एक बार फिर से गरीब नवाज़ की दरगाह पर भारत आयेंगे या फिर बंगाली बाबू को अपनी मेहमान नवाजी से नवाजें गे ....

शुक्रवार, 22 जून 2012

दादा जोड़े पली पली .....सिंह हड्हावे कुप्पे

दादा  जोड़े पली पली 
.....सिंह  हड्हावे  कुप्पे 

इसे दादा की तंग दिली कहें या भारत जैसे भूखे नंगे देश के वित्त मंत्री की मजबूरी कि भूख से बिलखते भारतियों की थाली से ५० लाख टन अनाज छीन लिया ताकि ७००० करोड़ रूपए  की बचत हो सके. 
रंगराजन समिति ने सिफारिश की कि गरीबों को कम दाम पर १.३ करोड़ टन अनाज बाँट दिया जाए क्योंकि भण्डारण क्षमता न होने के कारन १.९ करोड़ टन अनाज खुले में सड रहा है. ऍफ़.सी.आई के पास मात्र ६.२ करोड़ टन अनाज भण्डारण कि व्यवस्था है जब कि ८.२ करोड़ टन अनाज के भण्डारण की दरकार है. हमारे वित्त मंत्री बंगाली बाबु को गरीबों  को सस्ता अनाज बांटने पर खर्च होने वाली १७००० करोड़ रूपए की सब्सिडी 'फ़िज़ूल खर्ची' लगी और १.३ करोड़ टन की जगह ८० लाख टन अनाज 'भूखे भारतियों' को बाँटने पर राज़ी हुए, ताकि ७००० करोड़ रूपए की बचत हो सके. सर्वोच्च न्यायालय के उन आदेशों पर भी 'दादा' इसी लिए चुप्पी साध गए ,जिसमे कोर्ट ने खुले में सड रहे अनाज को गरीबों में मुफ्त में बाटने के निर्देश दिए थे, क्योंकि अनाज बांटना घाटे का सौदा है. अनाज बांटने के लिए  सरकार को महंगे में अनाज खरीद  कर सस्ते/मुफ्त में देने पर भारी सब्सिडी का बोझ उठाना पड़ता है. इस लिए बांटने से बेहतर तो सड़ना 'दादा' को फायदे का सौदा लगता है.... शायद इसी लिए 'राजमाता' को भी 'दादा' को महामहिम' के सिंहासन पर 'आरूढ़' करना फायदे का सौदा लगा . 
अब हमारे  सिंह साहेब की दरिया दिली देखिये ...जी  २० देशो के शिखिर संमेलन में युरोजोंन  की आर्थिक मदद के लिए १० अरब डालर अर्थात ५६००० करोड़ रूपए 'दान' दे दिए....विकसित देशो के आगे पीछे आर्थिक मदद के लिए गिडगिडाते फिरने वाले हमारे महान अर्थशास्त्री की दरिया दिली की तो बस दाद ही देनी पड़ेगी. दादा ने गरीबों के मुंह का निवाला काट कर ७००० करोड़ रूपए बचाए तो सिंह साहेब ने उससे आठ गुना ५६००० करोड़ रूपए लुटा दिए महज़ इस लिए कि भारत भी एक विश्व शक्ति है ...और विश्व को बचाने के लिए किसी भी हालत में वह चीन से पीछे नहीं रह सकता .. अरे चीन ने तो ४३ अरब डालर की मदद की है ... क्या है आप की इतनी औकात ?
इसे कहते हैं 'दान वीर करज़ई' !...सत्य  मेव जयते. 

मंगलवार, 19 जून 2012

जनसैलाब का सत्य मेव जयते


जनसैलाब    का  सत्य  मेव   जयते 
   एल.आर.गाँधी   


चीन में दूसरा बच्चा होने के दंड में जुर्माना न भरने के कारन फ़ेन्ग्जियामेइ महिला के गर्भपात का विरोध करने वाले कार्यकर्त्ता चेन गुआन्ग्चेंग को अमेरिका भागना पड़ा ..पहले वह घर में नज़रबंद थे. चीन में १९७९ से एक बच्चा राष्ट्रिय नीति पर सख्ती से अमल किया जा रहा है. जनसँख्या नियंत्रण की इस चीनी नीति के परिणाम अब साफ़ दिखाई देने लगे हैं. चीन एक विश्व शक्ति के रूप में उभर कर विश्व पटल पर अपनी उपस्थिति दर्ज करवा रहा है. 
चीन की इस सफलता से प्रेरित हो भारत के सबसे साक्षर प्रदेश केरल ने भी अपने यहाँ जनसँख्या के सैलाब पर अंकुश लगाने का एक असफल प्रयास किया. सर्वोच्च  न्यायालय के न्यायाधीश की अध्यक्षता में बच्चो और महिलाओं के कल्याण आयोग के अंतर्गत एक समिति बनाई गई. समिति की सिफारिश पर २ बच्चो से अधिक पैदा करने वाले दंपत्ति को सरकारी सुविधाओं से वंचित करने के साथ साथ १०००० रूपए जुर्माना या तीन माह की कैद का प्रावधान सुझाया गया.       
भनक  लगते  ही देश को जन सैलाब की दलदल में धकेलने में संलग्न राष्ट्र विरोधी तकते लामबंद होने लगी . केरल के  विदेशी मिशनरी विरोध में उठ खड़े हुए और इस क़ानून को ईश्वर के काम में दखल कह कर खारिज कर दिया. करें भी क्यों न ...भारत में गरीबों की बढती फौज ही उनके उदेश्य की पूरक है जितनी अधिक गरीब जनता होगी उतनी ही विदेशी सहायता इन मिशनरियों को अधिक से अधिक इसाई धर्मांतरण के लिए मिलेगी .चर्च के दलाल , इसाई मिशनरी लोगों को शादी के बाद अधिक से अधिक बच्चे पैदा करने की शिक्षा और दीक्षा प्राथमिकता से देते हैं. फिर प्रलोभन दे कर इन्हें धर्मांतरण के लिए तैयार करते हैं. भारत को दारुल उलूम से दारुल इस्लाम बनाने के जेहाद में सक्रीय मौलवी कब पीछे रहने वाले हैं....एक मियांजी ने तो ऐलान कर दिया की छटा बच्चा पैदा करने वाले मुस्लिम मियां बीवी को १०००० रूपए इनाम दिया जाएगा . मौलवियों की शह पर मुस्लिम कट्टरपंथी लामबंद होने लगे... तो देश के  जन्म-मृत्यु मंत्री मियां गुलाम नबी आज़ाद को सेकुलर सिंहासन डोलता दिखाई देने लगा. केरल के ४३% अल्पसंख्यकों को कैसे नराज़ किया जा सकता है. फ़ौरन पहली उड़ान से केरल पहुंचे और उमान  चाँदी को झाड पिलाई और हुकम दिया की  परिवार नियोजन के नए कानून को पैदा होने से पहले ही मौत की नींद सुला दिया जाए. देश जनसँख्या के सैलाब में डूबता है तो डूबे....हमारे बाप का क्या जाता है. 
तुष्टिकरण और सत्तालोलुप इन राजनेताओं की कृपा से शीघ्र ही हम जनसँख्या में चीन को पीछे छोड़ जाएंगे . २०२५ आते आते सर्वाधिक जनसँख्या में हम नंबर एक होंगे....वैसे अब भी हम सघन जन-संख्या के हिसाब से चीन से कही आगे हैं. चीन के पास विश्व की ६.४ % भूमि के पीछे १९.५२ % आबादी है, जबकि हमारी पास १७.२६% आबादी के पीछे मात्र २.१ % भूमि है . इस परकार हमारी मातृभूमि  पर चीन से २.५ गुना अधिक लोगों  को अनाज मुहैया करवाने  का बोझ है.
हमारे यहाँ १५ पल में एक बच्चा जलजनित रोग से मर जाता है., आधी से अधिक जनता को शौच सुविधा प्राप्त नहीं , आधी से अधिक आबादी भूखे पेट सोती है. ६३.८० करोड़ जनता के पास पानी-शौच की सुविधा नहीं....फिर भी हमारा लोकतंत्र भ्रूण हत्या रोकने के अभियान  में खुद को गौरान्वित  महसूस करता है ,जबकि चीन दूसरा  बच्चा पैदा करने वाले नागरिकों को कठोर दंड देने से नहीं हिचकता. प्रति वर्ष हमारे यहाँ ३५ मिलियन बच्चे अपना पांचवा जन्म दिन नहीं देख पाते...क्या यह भ्रूण हत्या से बड़ा पाप नहीं ? अंतर यह है की भ्रूण हत्या के लिए  हम अपने नागरिकों को दोषी मानते है और प्रति वर्ष ३५ मिलियन  बच्चों की मौत की जिमेवारी लेने को कोई तैयार नहीं ! ज़ाहिर है इन बच्चों की 'हत्या' के ज़िम्मेदार इस देश के सत्तालोलुप राजनेता हैं और कोई नहीं.!      
यह पाखंडियों का देश है. इलाज़ के लिए २५० रूपए  न होने से एक बच्चा मर जाता है.....यह बताने के लिए आमिर खान ५ लाख रूपए हर मिनट की फीस लेता है. .. सत्य  मेव जयते ....                                  

रविवार, 17 जून 2012

आमिर खान ... भारत में आदर्श पुरुष -चीन में गुनहगार

आमिर खान ...
भारत में आदर्श पुरुष -चीन में गुनहगार 

 आमिर खान  आज कल टी वी  चैनलों  पर अपने नए  अवतार  समाज सुधारक के रूप में खूब वाह -वाही  लूट  रहे हैं ...वहीँ   महिलाओ पर पुरुष अत्याचार और घरेलू हिंसा के दृश्य दिखा कर खूब चांदी भी कूट रहे हैं . एक शो के तीन करोड़ व् अब तक 20 करोड़ की कमाई कर चुके हैं।
विश्व के सभी सभ्य देशों में महिलाओ को कानून का संरक्षण प्राप्त है ... मग़र इस्लामिक जगत में शरिया कानून के तहत ..शौहर को अपनी बीवी को  पीटने का हक़ प्राप्त है क्योंकि पैगम्बर मुहम्मद  साहेब  ने फ़रमाया है कि किसी आदमी से यह नहीं पूछा जाएगा कि उसने अपनी बीवी को क्यों पीटा ? पश्चिमी देशों में तो मुस्लिम महिलाओं को शरिया क़ानून का हवाला दे कर घरेलु हिंसा में दखल देने में  असमर्थता प्रकट की जाने   लगी है।
आमिर खान और अन्य  सेकुलर मज़हब के नाम पर ..चार -चार निकाह, तीन तलाक ,अनगिनत बच्चे ,मेहर, हलाला ,गुज़ारा खर्चा ,पर्दा आदि मध्य युगीन कुरीतिओं पर आपराधिक चुप्पी साधे हैं। आमिर साहेब रीना दत्त से दो बच्चे जुनैद और इरा ...तलाक ...फिर किरण राव से निकाह  और फिर बेटा आजाद और वह भी किसी औरत की उधार की कोख से ...क्या तीन तीन  औरतों व् एक मासूम कन्या  के  साथ एक साधन संपन्न आप जैसे 'आदर्श' पुरुष का यही न्याय है ? चीन जैसे देश में आप जैसे 'आदर्श पुरुष' को समाज से तरिस्कृत और सलाखों के  पीछे फेंक दिया जाता .

बुधवार, 6 जून 2012

मोंटेक जी के जनाना-मर्दाना

मोंटेक जी के जनाना-मर्दाना
   एल.आर.गाँधी

 सदियों से लोटा हाथ में थामें जंगल पानी  जाने के आदि भला क्या समझें अंग्रेजी टायलट का महत्व .... योजना भवन में मोंटेक जी ने महज़ ३५ लाख से अदद दो 'जनाना-मरदाना' सजा संवार क्या दिए...पत्रकारों को तो बस दस्त ही लग गए. झट से एक अगरवाल  से आर.टी.आई लगवा दी और लगे सफाई मांगने. मोंटेक जी को सामने आ कर आखिर कहना ही पड़ा ...कोई बड़ी बात नहीं.
प्रतिस्पर्धा के युग में हमारा मुकाबला चीन से है और चीन में एक सार्वजानिक शौचालय  पर हाल ही में ४५ हज़ार डालर खर्च हुए हैं. अब जनसँख्या के मैदान में जब चीन को  नीचा दिखाने के लिए हमारे 'जन्म मृत्यु' मंत्री आबादी बढ़ाने की योजनाओं को नए आयाम देने में जुटे हैं तो फिर २८/- में जीवन यापन को सही मानने वाले हमारे महान योजना कार 'मोंटेक' जी भला आम आदमी की शौच सुविधा को कैसे भूल सकते हैं. झट  से घोषणा कर डाली की योजना भवन के ये आधुनिक ही और शी आम आदमी के लिए अर्थात सार्वजानिक शौचालय हैं. .. आम आदमी के लिए शौचालय के बाहर सी सी टीवी लगाये गए हैं ताकि आम आदमी के स्थान पर कोई 'ख़ास' न घुसने पाए. आम आदमी ही घुस पाए इसके लिए पक्का बंदोबस्त किया गया है ... ५ लाख रूपए की लागत से अक्सेस कार्ड सिस्टम लगाया गया है...ताकि चोखी लामा के स्थान पर कोई चोर उच्चक्का न प्रवेश कर जाए.
योजना आयोग के इस कारनामे ने 'बिना तथ्यों के खबर बनाने के आदि 'खबरियों' की बोलती बंद कर दी है.... और साथ ही सोशल मिडिया के आलोचक मीन मेखियों की भी . न जाने क्या क्या उल जलूल लिखे जाते हैं कि   भारत में शौच सुविधा के अभाव में ५४ बिलियन डालर या डी जी पी का ६.४ % का नुक्सान होता है...५७५ मिलियन लोग आज भी लोटा ले कर खुले में जंगल पानी जाते हैं और ६३.८० करोड़ लोग पानी व् शौचालय से वंचित हैं. १५ सैंकड़ में एक बच्चा जलजनित रोग से मर जाता है. बहुत से गाँव में तो 'शौचालय नहीं तो दुल्हन नहीं' का नियम लागु है. ... आदि आदि.
अब हमारे 'मोंटेक' जी ने दुनिया को दिखा दिया है कि भारत भी किसी से कम नहीं ..चीन से तो बिलकुल भी नहीं. हमारे यहाँ भी २८ रूपए में एक 'खाता-पीता' स्त्री या पुरुष योजना भवन के आधुनिक सुविधा संपन्न 'जनाना-मरदाना' में शौच सुविधा का आनंद ले सकता है.
शीघ्र ही 'मोंटेक'जी के इन 'जनाना-मर्दाना' के बाहर एक बोर्ड चस्पा कर दिया जायेगा ....खबरी प्रवेश निषेध !!!!!!!!! 

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बुधवार, 2 मई 2012

सेकुलर दियत.......

सेकुलर दियत.......
एल.आर.गाँधी

 सर्वोच्च न्यायालय ने एक बार फिर से देश की न्याय प्रणाली को 'धनशक्ति' के बल पर मूक-बधिर बनाने के विदेशी षड्यंत्र पर अंकुश लगा दिया. माननीय न्यायधीशों ने केरल उच्च न्यायालय के उस निर्णय को भी भ्रामक करार दिया जिसमें मृतक मछ्वारों के परिवारवालों  और इटली सरकार के नुमैन्दों के बीच कोर्ट के बाहर ले-दे कर समझौते  को जायज़ ठहराया.
इटली की सरकार ने अपने  जहाज के दो सुरक्षा कर्मचारिओं को छुड़ाने के लिए पहले तो राजनैतिक दवाब बनाया फिर कानूनी प्रक्रिया को परास्त करने के हथकंडे अपनाने शुरू कर दिए.मृत मछ्वारो के परिवारों को १-१ करोड़ रुँप्या दे कर उनके मुंह बंद कर दिए और कश्ती के मालिक को १७ लाख देकर अपने पहले के बयानों से मुकरने को राज़ी कर लिया. इटली की सरकार की इस कार्रवाही के पीछे भारतीय न्याय व्यवस्था और राजनैतिक माहौल को पडोसी देश पाकिस्तान के समान समझाने की मानसिकता  ही माना जायेगा फिलहाल तो.  
जिस प्रकार दो पाक नागरिकों की हत्या के दोषी अमेरिकन एजेंट रेमंड डेविस को अमेरिका , मृतकों के वारिसों को भारी भरकम 'दियत '   ब्लड मनी दे कर , कोर्ट के बाहर ही 'शरियंत' के इस्लामिक कानून के तहत छुड़ा ले गया था, उसी तुफैल में इटली की सरकार ने भी कोर्ट के बाहर मृतक के परिजनों के साथ समझौता कर लिया और केरल हाई कोर्ट ने भी इस पर मोहर लगा दी. ... मानों भारत जैसे सेकुलर देश में भी इस्लामिक शरिया कानून की 'दियत ' ब्लड मनी का निजाम चलता है. विदेशियों की इस मानसिकता के पीछे हमारी सेकुलर सरकार की दोहरी न्याय प्रणाली ही काफी हद तक एक कारन है. हमारे यहाँ मुस्लिम समाज के लिए अलग से 'शरिया' के इस्लामिक कायदे-क़ानून लागु हैं ..यहाँ तक की कश्मीर जैसे मुस्लिम बहुल राज्यों में तो शरिया अदालतों के मौलवी भी सरकारी वेतन पर अपनी इस्लामिक अदालतें लगाते और फैसले सुनाते हैं. निकाह- तलाक और चार-चार शादियों के इस्लामिक नियम-कायदे का तो समाज के अन्य वर्ग भी धर्म परिवर्तन की आड़ में  खूब फायदा उठाते हैं और 'शरियत' के आगे देश की कानून व्यवस्था महज़ मूंह ताकती रह जाती है. 
इस्लामिक देशों में  'शरियत' क़ानून की आड में गैर मुस्लिम रियाया के मानवाधिकारों का खुल्लम खुल्ला उल्लंघन होता है. शरिया के तहत अरब देशों में हत्या के दोषी मुसलमानों और अन्य के लिए कानून अलग अलग है. एक मुस्लमान की हत्या पर 'दियत ' ब्लड मनी एक लाख रियाद निश्चित है और मुस्लिम औरत पर इस से आधी ५० हजार रियाद. ईसाई पुरुष और महिला की हत्या पर क्रमशय ५० व् २५ हजार रियाद  जबकि एक हिन्दू पुरष की हत्या का दोषी महज़ ६६६६ रियाद ब्लड मणि दे कर छूट सकता है और बेचारी हिन्दू अबला पर तो यह राशी सिर्फ ३३३३ रियाद ही है. इस्लाम में बहाई सम्प्रदाय के लोगों की हत्या पर बिना किसी प्रकार की 'दियत ' या ब्लड मणि अदा किये ही दोषी को आज़ाद कर दिया जाता है.
सारे विश्व में इस्लाम के इस शरिया निजाम को नासिर करने के लिए 'जेहाद' जारी है... और भारत जैसे बनाना स्टेट में तो यह एक तरहं से लागू ही है ... जब केरल हाई कोर्ट तक ने कोर्ट के बाहर 'ब्लड मणि' के समझौते को मान्यता देदी ..... फिर मरने वाला तो मर गया या मार दिया गया ....उसका परिवार तो 'ब्लड मणि' से अपना गुज़र बसर ढंग से कर पाए ....अल्लाह बहुत दयावान है.    

सोमवार, 30 अप्रैल 2012

रानी को कौन कहे कि अग्गा ढक


रानी को कौन कहे कि अग्गा ढक 
एल.आर.गाँधी 
महामहिम अपनी  २३वी विदेश यात्रा के साथ अपनी अंतिम घुमक्कड़ जिज्ञ्यासा पूरी कर लेंगी और इसके साथ ही राष्ट्राध्यक्षों में सबसे अधिक विदेश यात्रु महामहिम का कीर्तिमान अपने नाम कर लेंगी . महामहिम पर अब तक करीबन २०६ करोड़ रूपए, इस घुमाकड़ जिज्ञासा को पूरे करने पर सरकार के खर्च आये. 
राजमाता के मित्त्व्ययता के आदेशों की पलना करते हुए विदेश मंत्रालय ने २५ मंत्रियों और प्रधान मंत्रियों  के ३९ विदेश दौरों पर रोक लगा दी . फिर भी राजमाता के खर्च में बचत के निर्देशों का आलम देखिये . वर्ष २०११-१२ में मंत्रियों के विदेशी दौरों के लिए बज़ट प्रावधान था मात्र ४६.९५ करोड़ ,फिर भी विदेशी दौरों पर करदाताओं का ४९९.८९ करोड़ रूपया उड़ा दिया गया. 
मगर  मित्त्वयायिता का उपदेश देने वाली विदेशी राजमाता के विदेशी दौरों पर खर्च हुए देशी कर दाताओं के खर्च का किसी को कोई अता- पाता नहीं है. राजमाता यू.पी.ए की अध्यक्ष और नाक (राष्ट्रीय सलाहकार परिषद्) की मुखिया और सांसद होने के नाते अक्सर विदेश यात्राओं पर उड़ जाती हैं मगर ....इनकी यात्राओं के सम्बन्ध में मांगी गई जानकारीओं  पर सरकार चुप्पी  साधे बैठी है. यहाँ तक की मुख्य चुनाव आयुक्त ने  पी.एम् को सोनिया जी की विदेश यात्राओं की जानकारी सार्वजनिक करने के लिए लिखित आदेश जारी किये . फिर भी सरकार का मौन नहीं टूटा. आर.टी.आई के जवाब में सरकार का यह तर्क की सरकार के किसी भी विभाग के पर राजमाता के विदेशी दौरों और उन पर आए सरकारी खर्च का कोई रिकार्ड नहीं. बात   किसी को भी कुछ हजम नहीं होती.. यह तो कुछ ऐसे ही उस पंजाबी कहावत जैसा हो गया की 'रानी को कौन कहवे की अग्गा ढक ' ! 
शायद यहाँ भी राजमाता की निजता और सुरक्षा दांव पर है.   

बुधवार, 18 अप्रैल 2012


बापू बिकता है ..खरीदने वाला चाहिए. 
   एल. आर. गाँधी 

पूरे का पूरा बापू बिक गया और बापू के नाम पर सत्ता सुख भोग रहे 'गांधियों 'को  पता भी नहीं चला ?..... बापू के एक कतरा खून की बोली ११,७०० ब्रिटिश पौंड अर्थात ९६०२२५.५५२ गाँधी छाप रुपैय्या लगाई  गयी ! ब्रिटेन में बापू के चरखे और ऐनक के साथ साथ बापू के खून से सनी मिटटी युक्त घास की बोली लगाई गई .चरखा जो की चालू अवस्था में था ३९,७८० पौंड अर्थात ३२६४७६६.८७ रूपए का बिका जबकि ऐनक जिसे बापू ने १८९० में खरीदा था ,की बोली २६००० पौंड अर्थात २१३३८३४.५६ रूपए पर टूटी. खून की कीमत सबसे कम आंकी गयी.....महज़ ११,७०० पौंड . कहते हैं इसे एक शख्स पी पी नाम्बियार ने ३० जनवरी १९४८  को बापू के वध स्थल से इक्कठा कर ६४ वर्ष संजो कर रक्खा . बापू की धरोहर को किसी अज्ञात भारतीय ने खरीदा है. ज़ाहिर है वह कोई भारत सरकार का नुमानिन्दा या गाँधीवादी नहीं होगा. इससे पहले भी जब बापू की धरोहर की बोली लगी तो एक शराब के व्यापारी ने भारी भरकम बोली दे कर उन्हें खरीदा और बापू के मद्द निषेध के सिद्धांत इस नए गाँधी वादी का मुंह ताकते रह गए. 
गाँधी के नाम पर सियासत  करने वाले गाँधी परिवार ने तो इस घटना का नोटिस भी लेना मुनासिब नहीं समझा . खुछ सेकुलर बुद्धिजीवी चंद टी वी चेनलों पर अपना गला साफ़ करते ज़रूर देखे गए. टी वी एंकर  भी खूब आक्रोश का दिखावा कर रहे थे , मगर गाँधी की विरासत पर काबिज़ गांधियों से प्रशन  करने की हिम्मत वह भी न कर पाए.   करे भी कैसे ? सरकार से विज्ञापन की सुपारी जो ले रखी है ! . राष्ट्रपिता की विरासत आम सामान की माफिक बिक रही है और अब तो बापू का खून भी एक बिकाऊ माल हो कर रह गया . सरकार का काम तो कानून बनाना है, सो बना दिया की कोई भी  राष्ट्रपिता की विरासत को नहीं बेच सकता !   रही बात आदर्शों की ,उन्हें तो ये कभी के बेच-खा गए हैं.
अब तो बापू की मुस्कान युक्त ५००-१००० के नोट ही गांधीजी की विरासत हैं इन्हें खूब संभाल कर रखा है . जब देश की तिज़ोरिओं में ज़गह नहीं बची तो स्विस बैंको में पहुचा दिए ... बापू बिकता है खरीदने वाला चाहिए !!!!!     

शनिवार, 14 अप्रैल 2012

मानवाधिकार के सेकुलर मापदंड


मानवाधिकार के सेकुलर मापदंड 
     एल. आर गाँधी 
आस्तीन  में सांप पालने के राष्ट्रीय व्यसन से ग्रस्त  हमारे च्चिद्दी  मियां वैसाखी के शुभ पर्व पर भारत-पाक दोस्ती व् तिजारत को बढ़ावा देने के लिए अटारी सीमा पर संयुक्त जांच केंद्र के उद्घाटन की तैयारी में व्यस्त हैं, उधर पाक के इस्लामिक आतंक से पीड़ित ४० हिन्दू पडोसी मुल्क से पलायन  करके भारत में आश्रय ढूँढने आ गए हैं. च्चिद्दी मिया पाक द्वारा दिए २६/११ के मुम्बई ज़ख्मों को भुला कर एक ओर पाक-पंजाब के वजीरे-आला शाहबाज़ शरीफ से गलबहियां डाल रहे हैं तो  दूसरी ओर पाक में बचे खुले हिन्दू- सिख परिवार ,इस्लामिक शरिया नियम-कायदों से प्रताड़ित और आतंकित हो कर अपना घर बार छोड़ कर भागने को मजबूर हैं. 
अटारी सीमा पर जश्न में डूबे इन सेकुलर शैतानों को इन उजड़े परिवारों की पीड़ा से कोई सरोकार नहीं और भारत का सेकुलर मिडिया व् सम्पूर्ण केन्द्रीय नेतृतव 'शाहरुख़ खान के लिए दुखी और चिंतित नज़र आ रहा है. एक ओर मिडिया इन पाक के सताए ४० हिन्दुओं का अपने अखबारों व् चेनलों पर ज़िक्र तक करना मुनासिब नहीं समझता , वहीँ शाहरुख़ की खबर से मुख्य पृष्ट अटे पड़े हैं और चेनलों पर सेकुलर मिडिया के रो रो कर आंसू सूख गए हैं. हमारे ' माई नेम इज खान ..आई एम् नॉट ऐ टेररिस्ट ' को फिर से अमेरिका के हवाई अड्डे पर जांच के लिए दो घंटे रोका गया. मास्को से विदेश मंत्री एस.एम् कृष्ण नथुने फुला फुला कर अमेरिका पर गुर्रा रहे हैं. खान साहेब ने भी याले युनिवर्सटी में अपने प्रोग्राम में खूब खुन्नस निकाली. 
अमेरिकी हवाई अड्डों पर हर रोज़ हजारों यात्रियों की जामा तलाशी होती ही है. यहाँ तक की राष्ट्रपति अब्दुल कलाम आज़ाद की भी जामा तलाशी की गई थी. ९/११ के इस्लामिक आतंकी हमले के बाद अमेरिका ने अपने देश में प्रवेश करने वाले किसी भी संदिग्ध व्यक्ति पर कड़ी नज़र रखने की निति लागु की हुई है. यही कारन है की इस्लामिक आतंकी फिर से कोई वारदात करने में सफल नहीं हो पाए . आतंक के विरुद्ध जीरो टालरेंस की निति और नियति के कारन ही अमेरिकी आज विश्व्यापी इस्लामिक आतंक से बचे हुए हैं. इसके इलावा अमेरिका हमारी तरहं वोट की राजनीति और आस्तीन में सांप पालने के व्यसन से भी पीड़ित नहीं !
पिछले छह दशकों से पाक के अल्पसंख्यक निरंतर इस्लामिक आतंक का शिकार हो रहे हैं .... यह तो पाक मानवाधिकार आयोग का भी मानना है की प्रति माह लगभग २० हिन्दू कन्याओं को अगवा कर मुस्लिम युवक से ज़बरन निकाह करवा कर मुसलमान बना दिया जाता है. यथार्थ में यह संख्या इससे कई गुना ज्यादन है. ईश निंदा कानून की आड़ में किसी भी अल्पसंख्यक पर झूठा दोष लगा कर जेल में डाल दिया जाता है. आज स्थिति यह है की पाक में अल्पसंख्यांक मात्र डेढ़ प्रतिशत रह गए हैं जब की बंटवारे के वक्त २४% थे. ... जनसँख्या के अनुपात से देखा जाए तो पाक में पिछले ६५ वर्ष में लगभग ३५ मिलियन 'अल्पसंख्यक' अधिकाशत्य 'हिन्दू' या तो मुसलमान बना दिए गए हैं या फिर भगा या मार दिए गए हैं. इसके लिए जितने गुनाहगार पाक के इस्लामिक कट्टरपंथी  अवाम और निजाम है  ,उससे कई गुना ज्यादन भारत के सेकुलर शैतान हैं. 
जो शैतानी  चुप्पी  इन सेकुलर शैतानों ने पाक से उजड़ कर आए इन हिन्दुओं पर साध रखी है ... क्या महज़ एक मुसलमान के पाक पलायन पर साध पाते ...... सम्पूरण सेकुलर मिडिया और राजनेता रू ...दा....ली.....बन छाती पीटते.... 

शुक्रवार, 6 अप्रैल 2012

राष्ट्रपिता बनाम ढोंगी बूढा !


राष्ट्रपिता बनाम ढोंगी बूढा !

  एल.आर.गाँधी

पांचवी  कक्षा की ऐश्वर्या पराशर के एक दक्ष प्रशन ने समूची सरकार को असमंजस में डाल दिया ! गाँधी जी  को राष्ट्र पिता बता  कर उनके नाम पर अपनी राजनैतिक रोटियाँ सेकने वाले सफेदपोश काले अँगरेज़  और खुद को बापू के वारिस बता कर छह दशकों से भारत पर राज करने वाले 'नकली गाँधी' भी निरुतर रह गए. 
ऐश्वर्या का प्रशन था कि 'महात्मा गाँधी को क्या कभी आधिकारिक तौर पर 'राष्ट्रपिता की उपाधि दी गई थी .... लखनऊ आर.टी आई दफ्तर से प्रधानमंत्री आफिस तक किसी के पास उत्तर नहीं था...कुछ लोगों का मानना है कि नेताजी सुभाष चन्द्र बोस जी ने एक बार रंगून रेडिओ से लोगों को संबोधित करते हुए महात्मा गाँधी को यह उपाधि प्रदान की. इतिहास में जाएं तो गाँधी जी ने सुभाष को त्रिपुरा अधिवेशन में कांग्रेस अध्यक्ष चुने जाने पर भी ..इसे अपनी हार बताया क्यों कि वे पट्टाभि सीतारमय्या को अध्यक्ष बनाना चाहते थे ...सुभाष जी को आखिर त्याग पत्र दे कर अलग होना पड़ा. . नेहरु-गाँधी राज -भक्त इतिहास लेखकों का तो यह पक्का  विश्वास है कि पंडित नेहरु ने सबसे पहले 'बापू' को 'राष्ट्रपिता' कह कर संबोधित किया . बात कुछ जंचती भी है , क्योंकि यह बापू ही थे जिन्होंने सरदार वल्लभ भाई पटेल को पंद्रह में से तेरह राज्यों के समर्थन के बावजूद , नेहरु को देश का प्रधान मंत्री बनवाया.! अपने बापू या राष्ट्र के पिता के बारे में नेहरु जी के निजी  विचार क्या थे ? गौर फरमाइए ! १९५५ में कनाडियन प्रधानमंत्री लेस्टर पियर्सन भारत भ्रमण पर आए ....उन्होंने नेहरु जी से जब  'राष्ट्रपिता ' उर्फ़ मोहनदास कर्म चंद गाँधी जी के बारे में एक प्रशन किया तो नेहरु जी के दिल की बात  अकस्मात उनके मुंह पर आ गई.... 'ओह ! वह भयंकर ढोंगी बूढा ? 
पिछले  पैंसठ  बरस  से देश के बच्चों को पढाया जा रहा था कि गाँधी जी 'राष्ट्रपिता' हैं.... मगर आज 'पांचवी कक्षा ' की छात्र ऐश्वर्या के दक्ष प्रशन  ... राष्ट्रपिता क्यों और कैसे ! पर गांधीजी के सेकुलर शैतान चुप हैं... ! गाँधी जी यदि नेहरूजी के राष्ट्र पिता थे तो बापू 'भयंकर ढोंगी बूढा' कैसे हो गए . यह वही बापू थे जिन्होंने फ़िरोज़ खान घांदी को फ़िरोज़ गाँधी नाम दिया ...नेहरु की नाक कि खातिर ! . फ़िरोज़ खान घांदी से निकाह कर इंदिरा जी तो मैमुना बेगम उर्फ़ इंदिरा खान हो गई थी. गाँधी जी की कृपा से आज नेहरु-इंदिरा परिवार गांधीजी की विरासत संभाले देश पर हकुमत कर रहा है और गांधीजी के असली वारिस चार पुत्र और उनकी संतान गुमनामी के अंधेरों में गुम हैं. ..जयेष्ट पुत्र हिरा लाल तो अपने बापू की बेरुखी से बेज़ार हो कर इस्लाम कबूल कर अब्दुल्लाह गाँधी हो गए, बाकि के मणि लाल, राम दास और देवदास को कोई जानता तक नहीं...
जिन्हें गाँधी जी ने बड़े चाव से ' कायदे आज़म' की उपाधि से नवाज़ा था ... जिन्ना भी उन्हें थर्ड  क्लास रेलवे कम्पार्टमेंट में सफ़र करने का दिखावा करने वाला ' ढोंगी' पुकारते थे. शायद इस लिए भी कि 'बापू' को अँगरेज़ सरकार द्वारा मुहय्या करवाया गया थर्ड क्लास कम्पार्टमेंट फर्स्ट क्लास की सभी सुविधाओं से परिपूर्ण था. बापू  के मुस्लिम प्रेम और पाकिस्तान परस्ती को देखते हुए तो कुछ आलोचक उन्हें पाक-राष्ट्रपिता मानते हैं. यह बापू की ही जिद थी कि नेहरु की केबिनेट को अपना वह फैसला तुरंत बदलना पड़ा,  जब पाक को देय ५५ करोड़ रूपए पर केंद्र सरकार ने रोक लगा दी थी , क्योंकि पाक ने हमला कर कश्मीर के बड़े भूभाग पर कब्ज़ा कर लिया था. बापू का वध करने वाले नाथू राम गोडसे भी विभाजन के वक्त पाकिस्तानी शैतानों के सताये हुए हिन्दू परिवारों में से ही एक 
थे.... और ये हिन्दू बापू के मुस्लिम प्रेम से बेज़ार और आक्रोशित थे. 
इसी लिए नयी पीढ़ी  के इस सवाल  ,.... बापू को राष्ट्रपिता कब और किसने बनाया ? का उत्तर ,  आज उन लोगों के पास भी नहीं जिन्होंने अपनी सुविधा और स्वार्थ के अनुसार गांधीजी को कभी  'राष्ट्रपिता और कभी 'भयंकर ढोंगी बूढा ' प्रचारित किया !

सोमवार, 19 मार्च 2012

महामहिम और राजमाता की निजता और सुरक्षा


महामहिम  और राजमाता 
की  निजता और सुरक्षा 
 एल.आर गाँधी 
पिछले दिनों भारत देश हमारा की महामहिम प्रतिभा देवी सिंह पाटिल जी जब गोवा बीच पर अपनी घुमक्कड़ जिज्ञासा को शांत कर रही थीं तो तीन मनचले फोटो पत्रकारों ने उनकी फोटो खींची और साथ में बिकनी में एक जोड़ा भी फोटो में आ गया . महामहिम के सुरक्षा कर्मियों ने तीनों मनचलों को महामहिम के निजी जीवन में तांक झाँक करने के दोष में पकड़ कर न्यायालय के समक्ष पेश कर दिया .. दलील यह कि महामहिम अपनी निजी यात्रा  पर थीं और इन्होने उनकी निजता के अधिकार में सेंधमारी की. 
अब समाज के वाच डाग ठहरे ये पत्रकार जो अपनी घ्राण  शक्ति के लिए ही तो जाने जाते हैं , कहाँ चूकने वाले थे. आर टी आई से महामहिम की 'निजी' यात्रा के बारे में जानकारी मांगी तो पता  चला कि यात्रा पर खर्च हुए ३८ लाख रूपए राज भवन ने खर्च किये हैं. ... कोर्ट ने संज्ञान लिया ... जब सरकार ने खर्चा उठाया तो कैसी निजी यात्रा...और कैसी निजता ?
कहने-सुनने में आया है कि भारत देश हमारा एक लोक तंत्र है और इस लोक तंत्र की मुखिया हैं हमारी ' महामहिम जी' . लोक तंत्र है तो हमारे चुने हुए ये राज नेता लोक सेवक . मगर हमारा यह 'सौभाग्य'   है कि हमारे भारत देश में महामहिम से भी ऊपर एक ' राजमाता जी' भी विराजमान हैं. महामहिम के विषय में मांगी गई आर टी आई की जानकारी तो तुरंत मिल गयी मगर 'राजमाता' के बारे में मांगी गई जानकारियां 'निजता और सुरक्षा ' के कठोर बुर्कों में बंद हैं. पिछले दिनों किसी जिज्ञासू ने 'राजमाता' के पिछले दस साल की आय कर की जानकारी मांगी तो राज भक्त आयकर अधिकारी ने 'इनकार' कर दिया- कारण 'राजमाता' की सुरक्षा और निजता ? एक जिज्ञासू ने ' राजमाता 'की विदेश यात्राओं पर पिछले तीन साल में हुए सरकारी खर्च की आर टी आई डाली तो अर्जी डेढ़-दो बरस विभिन्न मंत्रालयों के चक्कर काटते काटते थक गई.... भेद खुला तो कहते हैं कि खर्चा महज़ '१८८० करोड़ रूपए ' मात्र था.... दिग्गी राजा ठीक ही तो कहते है कि ये विरोधी विपक्ष हमारी राजमाता' से जलता है. 
अब तो लगता है कि विदेशी ताकतों ने भी भारतीय विपक्ष से हाथ मिला लिया है. पहले तो हमारे  जेठ मलानी जी ही 'राजमाता' के विदेशी खातों में अकूत धन राशी का राग अलापते थे और राजभक्त दिग्गी एंड कंपनी उसे झूठ मैलाय्निंग कह कर नकार देते थे. अब तो हद ही हो गई अमेरिकी वेबसाईट 'बिजनेस इन्सायिटर ' ने विश्व के २३ धनकुबेर राजनयिकों की सूची जारी की है और उसमें दिग्गी की 'राजमाता' को चौथे पायदान पर सुशोभि कर दिया है और २ से १९  अरब डालर की मालिक घोषित किया है. ... राज भक्त सत्ता पक्ष चुप है यह तो समझ में आता है .. मगर वाच डाग मिडिया भी तो टांगों के बीच दुम दबाए बैठा है .. समझ के बाहर है.  
पडोसी पाक के ज़रदारी भी इस सूची में १९ वे पायदान पर हैं और पी.एम् गिलानी सर्वोच्च न्यायालय के निशाने पर हैं ... विदेशी  बैंको में ज़रदारी के काले धन पर दबिश की खातिर.. मगर हमारे सर्वोच्च न्यायालय ने एक बार नोटिस तो लिया मगर मनमोहन जी को सीधे सीधे कोई निर्देश देना शायद उचित नहीं समझा.
बंगाली बाबू ने अपने बजट भाषण में काले धन पर श्वेत पत्र का ज़िक्र तो किया है मगर मंत्रालय में पड़ी 'स्विस चोरों' की काली सूची को सार्वजनिक करने की मजबूरी बता डाली. 
कौन कहता है भारत देश हमारा एक गरीब देश है. जिस देश की राजमाता और महामहिम के खर्चे विश्व के किसी भी धनकुबेर के लिए ईर्षा का सबब हो सकते हैं. .. यह बात अलग है कि आधी से अधिक  आबादी २०/- रोज़ पर गुज़र बसर को मजबूर है. विश्व के ९२.५ करोड़ भूखों में ४५.६ करोड़ भारतीय हैं. कुपोषण के कारन १८.३ लाख बच्चे अपना पांचवा जन्म दिन नहीं माना पाते. 
गाँधी के नाम पर राजसत्ता का सुख भोगने वाले ये नकली गाँधी ,यथार्थ में गाँधी जी के आदर्शों से कोसों दूर हैं. अंग्रजों के नमक कानून के विरोध में गाँधी जी ने वायसराय को पत्र लिख कर उस वक्त की समाजिक विषमता का जो खाका खीचा था ,उसका साया आज मीलों लम्बा खिंच गया है. अपने पत्र में बापू ने वायसराय को लिखा ... आप का वेतन २१०००/- है , अर्थात ७००/- रोज़ और प्रति व्यक्ति आय २ आने से भी कम है. आप कि आय और आम आदमी की आय में ५००० गुना अंतर है. इस समाजिक आर्थिक विषमता को दूर करने के लिए सवतंत्रता सेनानियों ने कुर्बानियां दे कर देश को आज़ाद करवाया ... आज काले अंग्रेजों कि बदौलत समाजिक विषमता और भी बढ से बदतर हो गई है. महामहिम पर रोज़ ५ लाख ,पी.एम् पर ३.३८ लाख -औसतन नागरिक से १६९०० गुना अधिक  खर्च होता है. मंत्रिओं और अफसरों की तो बात ही छोडो ?   
तिस पर भी तुर्रा यह कि 'राजमाता' को देश के भूखे- नंगों की बहुत चिंता है और उनके ही आदेश से 'सब के लिए अन्न ' की विशाल एक लाख करोड़ी योजना पर अमल होने जा रहा है. 

मंगलवार, 13 मार्च 2012

गरीब भारत की रईस राजमाता


गरीब भारत की रईस राजमाता 
एल. आर गाँधी 
जब बाबा राम देव ने स्विस बैंकों में देश के काले धन को उजागर करने का अभियान छेड़ा तो राज माता ने अपने चार वृष्ट मंत्री बाबा को शीशे में उतारने भेजे ...बाबा नहीं माने तो पूरे खेल की परिणति 'रामलीला मैदान- रात्रि काण्ड' के रूप में सामने आई ... हमारे दिग्गी मियां  तो स्वामी जी को 'ठग' पुकारने लगे.
अब अमेरीकी वेबसाईट्स 'बिजनेस इन्सायिटर' पर विश्व के २३ धन कुबेरों के नाम प्रकाशित हुए हैं. कांग्रेसियों की राजमाता 'सोनिया जी' का स्थान चौथा है और पाक के आसिफ अली ज़रदारी का उनिस्वां.... सोनिया जी को २ से १९ अरब डालर अर्थात १० से ४५ हज़ार करोड़ की मालिक माना गया है. .. सबसे पहले जर्मन अखबार 'दी वेल्ट ' ने २३ रईसों की सूची छापी थी जिसमें सोनिया जी को रईसों में चौथे पायदान पर रक्खा गया था. इस खबर का स्त्रोत वर्ल्ड लग्ज़री गाईड को माना गया. 
अब दिग्गी मिया अमेरिकी वेबसाईट्स को झूठ का पुलिंदा बताएंगे या फिर जर्मन अखबार 'डी वेल्ट ' में पहले ही छप चुकी  खबर पर चुप्पी की भांति 'चुप' रहना ही बेहतर समझेंगे. या फिर राजमाता के निजी जीवन में ताँक झाँक करने और उनकी सुरक्षा में सेंध लगाने के घोर पाप के दोष पर अमेरिकी साईट्स और ज़र्मन अखबार पर मान हानि का मुकदमा ठोकेंगे.
विश्व के सबसे बड़े और विशाल लोकतंत्र का ढोल पीटने वाली हमारी सरकार और कानून व्यवस्था से तो पाक सर्वोच्च नयायालय ही अधिक सतर्क निकला. पाक प्रधान मंत्री को ज़रदारी के स्विस बैंक खातो पर कार्रवाही न करने के दोष में अभियुक्त करार दे दिया . यहाँ हमारे चोरों के सरदार और फिर भी ईमान दार ... राजमाता के हर राज़ पर पर्दा डालने में व्यस्त हैं और हमारे बंगाली बाबु ने तो स्विस सरकार से समझौता ही कर लिया की पुराने स्विस खातों को 'राज' ही रहने दिया जाए ... जिस प्रकार सोनिया जी ने , अपनी आय कर रिटर्न को सार्वजानिक न करने के पीछे अपनी निजता और सुरक्षा को ढाल बनाया , उससे तो दाल में कुछ काला नहीं बल्कि सारी दाल ही काली की कहावत चिर्तार्थ होती है.   

शुक्रवार, 2 मार्च 2012

सेकुलर मानसिकता और मानवाद्धिक्कार


सेकुलर मानसिकता और मानवाद्धिक्कार
    एल.आर.गाँधी 

इस्लाम के नाम पर पाक में अल्पसंख्यक हिन्दू लड़कियों पर अत्याचार जारी हैं मगर देश के सेकुलर शैतान चुप हैं. 
कराची से खबर है की प्रति माह पाक में करीबन २० हिन्दू लड़कियों का ज़बरन धर्म परिवर्तन कर मुसलमान लड़कों से निकाह करवा दिया जाता है. मीरपुर माथेलो की १७ वर्षीय रिंकल का सात दिन पहले अपहरण कर ज़बरदस्ती निकाह कर दिया गया. रिंकल ने अदालत में पेश हो कर ब्यान दिया की उस के साथ ज्यादती  हुई, वह अपने माँ बाप के पास घर जाना चाहती है फिर भी अदालत ने उसे न्यायिक हिरासत में भेज दिया और अपने अविभावकों से भी मिलने नहीं दिया गया. पाक हिन्दू कौंसिल की मंगला शर्मा ने कहा है की पाक ह्युमन राईट व् मिडिया ने एक माह में २० हिन्दू  लड़कियों के ज़बरन धर्म परिवर्तन की बात मानी है मगर यथार्थ में यह संख्या इससे कहीं  अधिक है.
देश के सेकुलर  राजनेता और मिडिया के शैतान चुप हैं. राष्ट्रिय  मिडिया ने तो इस खबर को अपने चेनल या अखबार में ज़िक्र योग्य भी नहीं समझा . गुजरात दंगों पर राजदीप सर देसाई जैसे 'एंकर' दसवी   द्साही पर सर मुंडाए फिर रहे हैं. दंगा  पीड़ित  मुसलिम  भाइयों  और  बहिनों  के  घर  घर  जा  कर  'मातमपुर्सी '  की  रस्म अदाई   कर  रहे   हैं . मगर साबरमती ट्रेन में जला दिए गए ५९ हिन्दुओं पर चुप हैं.... इन सेकुलर शैतानों की नज़र में शायद 'हिन्दुओं' का कोई 'मानवाधिकार' नहीं है. 
हमारे 'सेकुलर 'सिंह साहेब ' को एक बार जब मालूम हुआ की आस्ट्रेलिया  में एक 'मुस्लिम डाक्टर' को गलती से आतंकी  मान कर निकाल दिया गया है तो बोले ' मुझे जब पता चला तो सात रोज़  मैं ठीक से सो नहीं पाया !!!!.  इसे कहते हैं 'मानवता के प्रति समर्पित कुष्ट- मानसिकता..... जो केवल अल्पसंख्यक वोट बैंक के इतर सोच ही नहीं पाते. गाँधी वादी इन सेकुलर शैतानों को शायद 'तुष्टिकरण' में ही सेकुलरिज्म नज़र आता है.
भारत विभाजन के वक्त  हजारों हिन्दू-सिख मासूम कन्याएं पाक में रह गयीं ... एक अँगरेज़ समाजिक कार्यकर्त्ता ने दिन रात एक कर इन अगवा की गई कन्याओं की सूची तैयार की और उस वक्त के मुख्यमंत्री प्रताप सिंह कैरों को अगवा बच्चियों की सूची छापने और उनकी खोज खबर के प्रयास करने को कहा तो गाँधीवादी कैरो साहेब ने 'इनकार' करते हुए कहा ...पुराने जखम कुरेदने से क्या फायदा. .. आज़ादी के बाद हमारे सेकुलर शैतानों ने पाक में रह गए २४% हिन्दू-सिख अल्पसंख्यकों के प्रति यही उपेक्षा का रवैया  इख्त्यार किया हुआ है. आज पाक में महज डेढ़ प्रतिशत हिन्दू-सिख अल्पसंख्यक बचे हैं. पिछले छह दशकों में उन्हें असहनीय इस्लामिक आतक सहना पड़ा और ज़बरन धर्म परिवर्तन का दंश सह कर जीने को मजबूर हुए ... बाकि को भगा  दिया या मौत की नींद सुला दिया गया. .... पाक के इस्लामिक आतंक की बलि वेदी पर अब तक ३५ मिलियन हिन्दू अपना अस्तित्व गँवा बैठे हैं मगर हमारे गाँधी वादी हुक्मरानों को केवल अपने यहाँ अल्पसंख्यकों की चिंता सता रही है, जब की पाक ,  भारत में मुसलमानों पर हुई किसी प्रकार की ज्यादती को पूरे विश्व में बढ़ा चढ़ा कर प्रचारित करता है और हमारे 'सेकुलर शैतान' पाक में हो रहे अल्पसंख्यकों पर अत्याचारों पर मौन रहने को ही अपनी सैकुलर्प्रस्ती मानता है.  
बंगला देश जिसे इंदिरा जी ने पाक के क्रूर पंजे से छुड़ाया ..इस आशा में की वहा सेकुलर निजाम कायम होगा ,में हिन्दुओं की स्थिति पाक से भी बदतर है. विभाजन के वक्त यहाँ ३७% के करीब हिन्दू थे जो अब घटते घटते मात्र ७% रह गए है . पिछले दिनों बंगला देश में सरे आम इस्लामिक जेहादियों ने चार मंदिरों को मिस्मार कर डाला किसी सेकुलर शैतान ने उफ़ तक नहीं की.     .

शनिवार, 18 फ़रवरी 2012

ईमान का खूनी खेल

ईमान का खूनी खेल 
एल.आर.गाँधी 
पाक में शिया-सुन्नी का खूनी खेल बदस्तूर जारी है.... एक सुन्नी आत्मघाती जेहादी ने ठीक एक शिया मस्जिद के बाहर खुद को उड़ा दिया ...जुम्मे की नमाज़ में मशगूल २६ शिया पंथी मारे गए. कबाईली इलाके - खुर्रम में जब शिया मुसलमानों ने हमले के विरोध में जलूस निकला तो पुलिस की गोली से ३ शिया और मारे गए. पिछले १४०० साल से शिया -सुन्नी सम्प्रदायों में यह मोमिन-काफ़िर की जंग जारी है. सुन्नी मुसलमान शिया को काफ़िर मानता है क्योंकि शिया मुसलमान  हज़रत मुहम्मद के नाती हज़रत इमाम हुसेन को अपना नबी मानते हैं.
इस्लाम के अमन को पाक में शायद 'शमशान की शान्ति' मान लिया गया है. पिछले चार साल में लगभग तीस हज़ार पाकिस्तानी मुसलमान आतंकवाद का शिकार हुए हैं.... और वह भी अपने ही 'अल्लाह' को मानने वालों के हाथों . पाक के अल्पसंख्यक 'हिन्दू' काफिरों के सफाए के बाद अब अपने मज़हब के शिया काफ़िर ही बचे हैं .. अब उनकी बारी है .. इनके सफाए के बाद ही पाक को सही मायनों में 'पाकिस्तान'  अर्थात अल्लाह के पाक-साफ़ मुसलमानों का मुल्क कहलाने का गौरव प्राप्त हो जायगा. 
सचमुच इस्लाम अमनो अमान का पैरोकार है.   

शनिवार, 4 फ़रवरी 2012

चोर चोर चचेरे भाई

चोर चोर चचेरे भाई 
   एल.आर.गाँधी 

अमेरिका ने अपने देश का काला धन स्विस बैंको में जामा करवाने वालों और जमा करने वाले स्विस बैंको पर कार्रवाही शुरू कर दी है . अमेरीकी सरकार ने ऐसे स्विस बैंकों को देश के टैक्स चोरों का मददगार मानते हुए ..स्विस के सबसे पुराने बैंक के खिलाफ कार्रवाही करते हुए ...स्विस बैंक वेग्लिन एंड कंपनी के अमेरिका में मौजूद खातो के करीबन ७८ करोड़ रूपए ज़ब्त किये हैं. 
इससे बिलकुल उल्ट हमारे 'बंगाली बाबू' स्विस बैंको के साथ चोर- चोर चचेरे भाई का खेल खेल रहे हैं. एक ओर जहाँ देश के चोरों का नाम उजागर करने को तैयार नहीं तो दूसरी ओर स्विस सरकार के साथ गत वर्ष जून में एक संधि की जिसमें देश के स्विस खाता धारियों के नाम उजागर करने पर एक प्रकार का प्रतिबन्ध लगा दिया गया है. बंगाली बाबू ने बड़ी चालाकी से इस संधि में 'नए' खाताधारियों के नाम उजागर करने का प्रावधान जरूर किया है. जाहिर है इस संधि से 'बंगाली बाबू' ने अपनी राजमाता और उसके परिवार के स्विस खातों में पड़ी अकूत धनराशी को किसी की नज़र न लगे का जुगाड़ कर दिया है. इसके साथ ही अपने चोरों को स्विस बैंको में पड़े काले धन को 'खुर्द बुर्द' करने का पर्याप्त समय और अवसर भी दे दिया. जून में ही 'राजमाता-राजकुमार' अपने दस ख़ास गुर्गों के साथ निजी विमान में स्विस्त्र्लैंड भी हो आए है. ..राजकुमार ने तो अपना 'हैपी बर्थ  डे' भी वहीँ मनाया. .. और हमारे दिग्गी मिया उनके जन्म दिन पर ... यंहीं से कसीदे पढ़ते रहे.... तुम जियो हजारों साल, साल के दिन हों २.५ बिलियन $...अल्लाह ' स्वामी ' की बुरी नज़र से बचाए !
विश्व विख्यात पोल-खोल विक्किलीक्स जुलियन आसंजे की माने तो २००० हजार भारतीय चोरों के खाते स्विस बैंकों में हैं और उन्होंने तो पहली किश्त भी जारी कर दी.,लिस्ट में शीर्ष पर नाम स्वर्गीय राजीव गाँधी जी  का है ... और साथ में  शरद  पवार , करूणानिधि , लालू ,राजा और कलमाड़ी का भी नाम है.
फिलहाल तो हमारे राज कुमार 'माया की माया' के पीछे हाथ-पैर-मूंह ' धो कर पड़े हैं... ऐन चुनाव से पहले माया के खासम-ख़ास पोंटि चड्डा के ठिकानों पर छापे मार कर आय कर विभाग अपनी कार्य कुशलता पर इतरा रहा है .. सफ़ेद पोशों का कहना है की मदिरा के व्यापारी पोंटि चड्डा के माध्यम से ही माया ने यू.पी को पांच साल लूटा है. ..वाह भई.. अब याद आई है. जब माया जी केंद्र में आपके साथ गलबहिया थी तब पोंटि कहाँ था. ..आय कर अधिकारीयों की 'समय सूझ' भी कमाल की है.. पंजाब के मतदान ख़त्म होने की 'उडीक' थी .. क्यों. ? क्योंकि यह वही पोंटि चड्डा है जो कभी कांग्रेस के 'महाराजा' का खासम- खास था ... उनके राज में पंजाब में 'दारू' के सभी ठेके इनके ही पास थे... दारू- कीनू और न जाने क्या क्या के दाम यही पोंटि निश्चित करता था... दारु- दासियों    की बद्द्दुआ लगी और 'महाराजा' हार गए और पोंटि जी माया जी की शरण में जा विराजे.. यदि इस बार 'महाराज' का फिर दाव लग गया तो पोंटि जी पंजाब को दारू पिलाएंगे.