सिंह साहेब के शान्ति दूत
एल आर गाँधी
जब से सिंह साहेब को 'शरीफ साहेब' का न्योता आया है ..तब से बस ख़ुशी छुपाए नहीं छुपती ...शादी की शेरवानी 'चुस्त-दरुस्त ' करवाने भेज दी है ..मैडम ने भी नई साडिओं के आडर दे दिए हैं ...सेकुलर भोंपुओं ने शरीफ साहेब की शराफत के कसीदे पढने शुरू कर दिए हैं ... और एक स्वर में पाक के नए रहनुमा को 'शान्ति-
दूत' या फिर बोले तो फ़रिश्ता ऐ अमन के खिताबों से नवाजना शुरू कर दिया है ...
पंजाबी की एक कहावत है 'नहाती धोती रह गई -मूंह ते मक्खी बैह गई ' पुरानी शेरवानी अभी दरुस्त हो कर भी नहीं आई थी की 'खबर ' आ गई ...सिंह साहेब की अगवानी के लिए पूरी तयारी कर ली है .आइ एस आई ने ! और ट्रेलर के तौर पर कश्मीर के लिए 'शांति के फ़रिश्ते ' भी रवाना कर दिए गए हैं .. सिंह साहेब की हसरत हवा हो गई ...
सिंह साहेब ने तो दरिया दिली की सभी सरहदे तोड़-ताड़ कर गिलानी जी को भी 'शांतिदूत 'घोषित कर डाला था।। मगर जब इस शांति दूत ने अपने ' असली दांत ' दिखाए तो सिंह साहेब की हालत उस श्वान की सी हो गई जो बार बार अपनी की हुई ..... को चाटने को पलटता ही है . सयानों ने कहा है कि एक बार धोखा खाने वाले को मूर्ख नहीं कहते ..दूसरी बार खाने वाले को तो मूर्ख ही कहते हैं . और बार बार धोखा खाने वाले को फिर मूर्खों का सरदार ही कहेंगे न !.... और जो लोग सदियों से धोखे पर धोखे खाए चले जा रहे है ...उन्हें क्या कहें ?
एल आर गाँधी
जब से सिंह साहेब को 'शरीफ साहेब' का न्योता आया है ..तब से बस ख़ुशी छुपाए नहीं छुपती ...शादी की शेरवानी 'चुस्त-दरुस्त ' करवाने भेज दी है ..मैडम ने भी नई साडिओं के आडर दे दिए हैं ...सेकुलर भोंपुओं ने शरीफ साहेब की शराफत के कसीदे पढने शुरू कर दिए हैं ... और एक स्वर में पाक के नए रहनुमा को 'शान्ति-
दूत' या फिर बोले तो फ़रिश्ता ऐ अमन के खिताबों से नवाजना शुरू कर दिया है ...
पंजाबी की एक कहावत है 'नहाती धोती रह गई -मूंह ते मक्खी बैह गई ' पुरानी शेरवानी अभी दरुस्त हो कर भी नहीं आई थी की 'खबर ' आ गई ...सिंह साहेब की अगवानी के लिए पूरी तयारी कर ली है .आइ एस आई ने ! और ट्रेलर के तौर पर कश्मीर के लिए 'शांति के फ़रिश्ते ' भी रवाना कर दिए गए हैं .. सिंह साहेब की हसरत हवा हो गई ...
सिंह साहेब ने तो दरिया दिली की सभी सरहदे तोड़-ताड़ कर गिलानी जी को भी 'शांतिदूत 'घोषित कर डाला था।। मगर जब इस शांति दूत ने अपने ' असली दांत ' दिखाए तो सिंह साहेब की हालत उस श्वान की सी हो गई जो बार बार अपनी की हुई ..... को चाटने को पलटता ही है . सयानों ने कहा है कि एक बार धोखा खाने वाले को मूर्ख नहीं कहते ..दूसरी बार खाने वाले को तो मूर्ख ही कहते हैं . और बार बार धोखा खाने वाले को फिर मूर्खों का सरदार ही कहेंगे न !.... और जो लोग सदियों से धोखे पर धोखे खाए चले जा रहे है ...उन्हें क्या कहें ?