शनिवार, 10 अक्तूबर 2009

राष्ट्र ध्वज तिरंगा -गरीब फ़िर नंगे का नंगा

डॉo एस. राधाकृष्णन ने राष्ट्र ध्वज के तीन रंगों और अशोक चक्र की प्रतीकात्मक व्याख्या करते हुए -भगवे रंग को त्याग का प्रतीक मानते हुए, राजनेताओं को भौतिक लाभ का लोभ त्याग कर पूरी निष्ट्थासे देश सेवा की नसीहत दे डाली। मध्य के शवेत रंग को सचाई का प्रतीक मान कर अपने आचरण में पारदर्शिता और सचाई लेन को कहा। हरे रंग को देश की हरियाली का प्रतीक मानते हुए लोक हित में प्रगति का बीजारोपण करने का संदेश दिया। अशोक चक्र को कानून के राज्य और निरंतर प्रगति का प्रतीक माना गया।

तिरंगे के तीनो रंगों की मूल भावना के त्रिस्कार की आज होड़ लगी है -हमारे देश को प्रगति पथ पर लेजाने वालों के बीच। हमारे राजनेताओं द्वारा पिछले ६० सालों से देश की गरीब जनता की खून पसीने की कमाई को इस कद्र लूटा की आज दुनिया के सबसे गरीब देश के सबसे अमीर चोरों का काला पैसा स्विस बैंकों में १४ खरबडोलर का आंकडा पार कर गया है। यह है बापू के बेटों की त्याग भावना का प्रमाण !

अपने आचरण में पारदर्शिता और सचाई !हे राम....बापू अपने साथ ही ले गए। और हरित क्रांति तो हुई, गोदाम अनाज से इस कद्र भरे पड़े हैं की सडरहा है,और ६०% जनता भूखे पेट सोती है । रही निरंतर प्रगति -दुनिया के सबसे गरीब देश में अरबपति धनकुबेरों की गिनती सबसे अधिक है। राज तो है और कानून की अगली पेशी पड़ी है।