शुक्रवार, 24 सितंबर 2010

शीलाजी के कुत्ते- कलमाड़ी का खेल -और बुरा मान गए फेनेल

शीलाजी के कुत्ते ने बिगाड़ा कलमाड़ी का खेल..
एल.आर.गाँधी.

खिलाडी तो अभी पहुंचे भी न थे - कलमाड़ी जी के खेल गाँव में कि शीलाजी के कुत्ते खेल भी गए. यह देख कर फेनेल साहेब बुरा मान गए और पूरे के पूरे खेल गाँव को गन्दा और वास-अयोग्य करार दे दिया. शहरी आवास मंत्री जैपाल रेड्डी जी ने लाख तर्क दिए कि यह कोई ख़ास बात नहीं. कामन वेल्थ के अधिकारिओं ने तो यहाँ तक कह डाला कि हमारे और उनके सफाई मापदंडों में जमीन असमान का फर्क है. अब हम तो इस बफादार जीव का मुंह चूम लेते हैं -यकीं नहीं तो देवदास में 'दलीप' को दिखा दें . यह तो एक शीला जी का 'सरकारी पालतू' यूँही अपने ही गाँव में सरे राह चलते चलते खिलाडिओं के कमरे में दाखिल हो गया और कलमाड़ी जी के कीमती-मुलायम-आरामदेह-सफेदपोश गद्दों को देख बस जी मचल गया और विदेशी महमान से पहले जांच बैठा कि ' आल इज वैल' . उसे क्या मालूम था कि मुई बरसात का कीचड उसके पैरों में लगा है और पैरों के निशान छप गए गद्दे पर. अब मेहमान की शिकायत पर 'कबिनेट' बैठी और दिल्ली पुलिस से रिपोर्ट तलब हुई तो दोषी निकला एम् सी डी का कोई 'भूरू' . बस फिर क्या था खेलगांव के सभी ' कालू-भूरू' उठा लिए गए - ५० में से अब एक 'भूरू' के पद चिन्हों के निशाँ की पहचान की जा रही है - दोषी के स्केच भी कल्माडी जी के कलाकारों को बनाने के कांट्रेक्ट जारी हो गए हैं.आशा है खेल ख़त्म होने से पहले 'दोषी पहचान लिया जाएगा बाकी ' ला विल टेक इट्ज़ ऑन कोर्स ' .
'भूरू' काण्ड ने जामा मस्जिद फाईरिंग और दो विदेशिओं के घावो पर से मिडिया का ध्यान हटा दिया और यहाँ तक कि 'कोर्ट का फैसला' भी मिडिया में 'भूरू ' टी आर पी से पिछड़ गया. अब हर टी वी चैनल ने 'भूरू' की तलाश में अपने 'खोजी पत्रकार' दौड़ा दिए हैं -इसके लिए श्वान-घ्राण-शक्ति से लबरेज़ 'वाच-डाग' लगाए गए हैं भई देश के साथ साथ 'शीलाजी' की नाक का भी सवाल जो ठेहरा !अभी वास्तविक महां खेले में तो नौं दिन बाकी हैं और शीला जी की दिल्ली में ऐसे ४ लाख 'कालू-भूरू' बेखौफ दुम उठाए दनदना रहे हैं और उन सब पर 'मेनका जी' का वरद-हस्त सन १९९३ से विद्दमान है. जानवरों पर अत्याचार रोको क़ानून का संरक्षण इन्हें प्राप्त है. कुतों को अब कुत्ते की मौत कोई नहीं मार सकता -हाँ परिवार निओजन नसबंदी से इनकी जनसँख्या पर अंकुश जरूर लगाया जा सकता है. एम् सी डी ने इन्हें मारना तो तुरंत बंद कर दिया पर नसबंदी भूल गई . अब हम दो हमारे छै के हिसाब से बढ़ने वाले इस श्वान समाज में प्रति वर्ष १०००० हजार नए महमान आ जुड़ते हैं. एम् सी डी प्रति वर्ष मात्र ६००० नसबंदी कर पाती है और रेबीज़ रोधक टीकों की कोई कारगर योजना नहीं . एक अनुमान है कि हर साल ३५००० दिल्ली वासी इनका शिकार होते हैं और २-३ दर्जन लोग रेबीज़ की मौत मारे जाते हैं. मेनका जी के क़ानून में पागल कुत्ते को सहज मृत्यु का प्रावधान तो है मगर आज़ाद मियां के क़ानून में रेबीज़ ग्रस्त इंसान के लिए यह सहज मृत्यु नदारद है.
आगामी ९ दिनों में या खेलों के दौरान इन शीला जी के 'सरकारी पालतुओं' में से कोई 'फेंनेल' के खिलाडिओं के साथ खेल गया तो....... और हाँ हमारे पलनिअप्पन चिदम्बरम जी के सुरक्षा घेरे में ये घर के भेदी शीलाजी के बफादार बिलकुल नहीं आते.

बुधवार, 22 सितंबर 2010

म्वालिओं की ज़न्नत कराची

म्वालिओं की ज़न्नत-कराची
एल .आर .गाँधी

पाक का सबसे बड़ा शहर कराची बेशक दुनिया में इस्लाम को मानने वालों का सबसे विशाल नगर है मगर भाई लोगों ने अपने माफिया का ऐसा जाल बुना है कि लोग अब इसे 'म्वालिओं की ज़न्नत' बुलाने लगे हैं. लगभग १८ मिलियन अल्लाह के बन्दों ने इस शहर को विश्व के सबसे बड़े नगरों में शुमार तो कर दिया किन्तु नागरिक सुविधाओं का जहाँ तक सवाल है लोग-बाग़ ' भाई लोगों ' के रहमोकरम पर जीते हैं.७१२ ऐ . डी . में सबसे पहले मुहम्मद बिन कासिम ने यहीं से इस्लाम का कारवाँ आगे बढ़ाया था. पाक के संस्थापक मुहम्मद अली जिन्ना का यह पसंदीदा शहर था - जिन्ना यहीं पैदा हुए और स्पुर्दे ख़ाक भी. कराची को इसी लिए 'सिटी आफ कायद भी कहा जाता है. पाक इसे व्यापार के केंद्र मुंबई के समकक्ष मानता है. एन.जी.ओ.स्वयंसेवक रोनाल्ड डिसूज़ा की माने तो कराची पर लैंड माफिया का प्रभुत्व है. लैंड माफिया सभी नियमों को ताक़ पर रख कर जहाँ जी चाहे बड़े बड़े माल खड़े कर लेता है. शहर के लोग पानी के लिए भी इन म्वालिओं का मुंह ताकते हैं. टैंकर माफिया टैंकरों से महंगे दाम पानी की सप्लाई करता है और नकली किल्लत खड़ी करने के लिए ये लोग शहर की पाईप लाईन ही काट देते हैं. ऐसे ही परिवहन की सुविधा भी इन भाई लोगों के हाथ में है. खटारा मिनी बसों में लोगों को भेड बक्रिओं की माफिक भर कर ढ़ोया जाता है और इनके मालिक हैं मुख्यत पुलिस वाले. हर काम में पुलिस की सेवाएं 'हर समस्या का हल है' क्योंकि कराची पर पुलिस राज है. फिर भी सब ठीक ठाक चल रहा है क्योंकि 'पैसे से' सब काम आसानी से हो जाता है.

रविवार, 19 सितंबर 2010

आतंक के सेकुलर रंग .......

सेकुलर आतंक के रंग
एल.आर.गाँधी

आजाद भारत के लिए जब राष्ट्र ध्वज में तीन रंगों का चयन किया गया तो भगवा रंग को शीर्ष पर और मध्य में श्वेत और फिर हरा अर्थात हरा-भरा धरातल को मान्यता मिली. . डाक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने राष्ट्रध्वज के तीनो रंगों और अशोक चक्र की प्रतीकात्मक व्याख्या की है . महामहिम विश्व के प्रख्यात दार्शनिकों में से एक थे . उन्होंने राष्ट्रध्वज के 'भगवा' रंग को भारतीय संस्कृति में सदियों से रचे बसे आत्मत्याग और वैराग्य का प्रतीक मानते हुए ,हमारे राजनेताओं से भौतिक लाभ का लोभ त्याग कर पूरी निष्ठां और वैराग्य से देश की सेवा करने की आशा जताई . इसी प्रकार श्वेत रंग को सच्चाई और हरे रंग को हरियाली का प्रतीक माना और आशा व्यक्त की कि देश के नेता अपने आचरण में श्वेत रंग सी पारदर्शिता और सच्चाई आत्मसात कर लोक भलाई के लिए भारत भूमि को उपजाऊ बना कर प्रगति का बीजारोपण करेंगे . अशोक चक्र को उन्होंने क़ानून का राज्य और निरंतर प्रगति का प्रतीक माना.
राष्ट्र ध्वज में निहित तीनो रंगों की भावना को हमारे 'सेकुलर राजनेताओं ' ने पिछले छै दशकों में किस कदर साम्प्रदायिक जामा पहना दिया कि तिरंगे की राष्ट्रीय अवधारणा ही ओछी राजनीति के छल प्रपंचों में कहीं तिरोहित सी हो गई. हमारे ग्रहमंत्री श्री श्री पल्निअप्पम चिदंबरम जी को तो अनायास ही भगवे रंग में 'आतंक' लगा दिखाई देने और झट से छोड़ दिया 'भगवे आतंक' का एक नया शगूफा. आतंकी गतिविधियों में निरंतर अल्पसंख्यक मुस्लिम वर्ग की संलिप्तता और विश्व पटल पर 'जेहादी' आतंकियों की कारगुज़ारिओं से सेकुलर सरकार कि स्थिति सांप के मुंह में कोहड़किरली की सी हो गई.ग्रह मंत्री जी ने आने वाले बिहार-बंगाल के चुनावों में कांग्रेस की नैया पार लगाने और अल्पसंख्यक वोट बैंक को भुनाने के जुगाड़ में 'भगवे रंग को ही साम्प्रदायिक रंग में रंग कर एक नए आतंक का जिन्न ला खड़ा किया ताकि देश का अल्पसंख्यक इस भगवे आतंक से खौफज़दा हो कर 'कांग्रेस के राजकुमार' के पीछे हो लें.
भगवा रंग वैदिक काल से भारतियों का परम पूजनीय प्रतीक रहा है - अन्याय के विरुद्ध लड़ने को तत्पर आर्य लोग भगवा ध्वज और केसरी परिधान धारण कर युद्ध भूमि में राक्षसों पर टूट पड़ते थे. हिन्दू समाज में जीवन के अंतिम प्रहर में जब मनुष्य मोह माया का त्याग कर संन्यास आश्रम में प्रवेश करता है तो 'भगवे वस्त्र' इस नश्वर संसार से विरक्ति के शाश्वत प्रमाण बन जाते हैं . किसी एक आध अधर्मी के कुकर्मो की आड़ में
भगवे रंग को ही 'आतंक' का पर्याय घोषत करना, क्या कुष्ठ-मानसिकता की अभिव्यक्ति नहीं है. रावन ने भी सीता हरण भगवा वेश में ही किया था. क्या भारतवंशियों ने भगवे को राक्षक-रूप दे दिया था.
अब शान्ति और पारदर्शिता के प्रतीक श्वेत रंग को ही लें .गत छै दशकों में हमारे इन सफेद पोश सेकुलर शैतान काली भेड़ों ने इस श्वेत परिधान की आड़ में इस देश को किस कदर लूटा, किस कदर गरीब जनता का लहू पिया ,किस कदर देश को विभिन्न सम्प्रदायों ,जातियों, वर्गों में बाँट कर अपना उल्लू सीधा किया -यह किससे छिपा है. क्या इन सफ़ेद पोश लुटेरों की काली करतूतों से शांति का प्रतीक 'श्वेत' रंग बदरंग कहलायेगा.
कल को हरियाली, प्रगति और प्रकृति के प्रतीक हरे रंग को कोई पागल 'जेहाद' से जोड़ कर ज़ुल्मो सितम का प्रतीक बना दे तो क्या भारत वर्ष की वसुंधरा 'हरित क्रांति' से अपने जन जन की भूख मिटाने का संकल्प त्याग देगी.

गुरुवार, 16 सितंबर 2010

कश्मीर का नासूर- बिरियानी उपचार

कश्मीर का नासूर - बिरियानी उपचार ?
एल.आर.गाँधी

पिछले छै दशक में चाचा नेहरु का दिया नासूर ' कश्मीर' -कैंसर बन चूका है.होमिओपेथी की मीठी गोलिओं से उपचार बदस्तूर जारी है. नेहरूजी के मीठे मीठे वादे, धारा ३७० ,शेख अब्दुला-सदर-ए-रियासत ,१% आबादी पर केंद्र का ११% अनुदान, ९४००० करोड़ की पैकेज-बिरियानी, मुस्लिम मुख्यमंत्री ,केंद्र में दो-दो मुस्लिम मंत्री कश्मीर से ....मर्ज़ बढ़ता गया ज्यों ज्यों दवा की ! नतीजा -साढे चार लाख कश्मीरी पंडित भगा दिए, १०००० हिन्दुओं का क़त्ल, १०७ मंदिर तो डाले , राष्ट्र के विरुद्ध जेहाद, राष्ट्र ध्वज का अपमान ,लाल चौक पर पाक परचम ,सैनिको पर हमले ,सरकारी इमारतें आग के हवाले,पाक के हक़ में और भारत के विरुद्ध नारेबाजी, फिर भी सेकुलर सी सी एस अफ्स्पा हटाने की तैयारी में ? उन्हें आज़ादी- निज़ामे- मुस्तफा - की है दरकार और आप बिरियानी खिला रहे हो यार !

शनिवार, 11 सितंबर 2010

क्या ९/११ त्रासदी ज़ेहादिओं की एक शैतान को सलामी थी.

एक सेकुलर शैतान को श्रधांजलि थी- क्या ९/११ की त्रासदी ?
एल.आर .गाँधी

जेहादिओं ने ९/११ का ही दिन क्यों चुना अमेरीका के वर्चस्व प्रतीक वर्ल्ड ट्रेड सेंटर्स पर आतंकी हमले के लिए. इस्लामिक जेहादीओं के लिए इस दिन का अपना एक महत्व है . यह वही दिन था जब पाकिस्तान के संस्थापक मुहमद अली जिन्ना का इन्तेकाल हुआ था. जिन्ना का मानना था कि पश्चिमी लोकतंत्र प्रणाली मुसलामानों के हित में नहीं ! गांधीजी जिन्ना को बड़े प्यार से कायद-ए-आज़म बुलाते थे क्योंकि उनमें गज़ब की तर्कशक्ति थी. ११ अगस्त १९४७ के संविधानसभा के भाषण के आधार पर कुछ लोग आज भी जिन्ना को सेकुलर माने बैठे हैं. जिन्ना के जीवन का केवल और केवल एक ही उद्देश्य था और वह था मुसलमानों के लिए अलग देश और अपने जीवन काल में उस इस्लामिक लोकतंत्र का सदर बनना . अपने इसी उद्देश्य की पूर्ती के लिए जिन्ना ने भारत के टुकड़े ही नहीं किये बल्कि लाखों लोगों को मौत के घाट उतारने में भी कोई गुरेज़ नहीं किया -लाखों लोग घर से बेघर हुए सो अलग. जिन्ना से जब पूछा गया कि इतने नरसंहार से क्या हासिल तो उन्होंने सारा दोष सेनाओं पर मढ़ दिया और साथ ही तर्क दिया ' हमारा धर्म हमें सिखाता है कि हमें मौत के लिए सदैव तैयार रहना चाहिए... एक धार्मिक कारन के लिए शहीद की मौत से अधिक बेहतर एक मुस्लमान के लिए कुछ नहीं है.
पाक के लोगों ने इस सेकुलर शैतान- पाखंडी को अपना भाग्यविधाता मान लिया जिसने अपने जीवन में कभी भी सच्चे मुसलमान की किसी भी रिवायत का पालन नहीं किया. कभी नमाज नहीं अत्ता की और न ही कभी रोज़े रखे. रमजान के पवित्र माह में नई दिल्ली विधान सभा के बाहर आते सिगरेट पी रहे थे, किसी ने टोका तो जवाब था मैं पाखंडी नहीं हूँ. मुसलमान होते हुए भी सूअर का मांस बड़े शौक से खाते थे. अंग्रेजी लिबास और अंग्रेजी शराब के तो वे बेहद रसिया थे. पाक का अनपढ़ अवाम इस फ्र्राटे दार अंग्रेजी बोलने वाले वाले 'वकील' पर फ़िदा था और उन्होंने अपना भविष्य आँखे मूँद कर इसके हवाले कर दिया था. जिन्ना तो विदा हो गए और अवाम आज भी आँखे मूंदे क़यामत का इंतज़ार कर रहा है. एक असफल राष्ट्र और आतंकिओं की पनाहगाह पाक- गाँधी के कायदे आज़म जिन्ना की ही देन है.
जिन्ना के अंतिम संस्कार पर मौलाना उस्मानी पाक के लोगों को यह याद करवाना नहीं भूले कि 'औरंगजेब के बाद वे सबसे महान मुस्लमान थे. अपनी महत्वकांक्षा की पूर्ती के लिए जिन्ना ने मुस्लिम भारत आन्दोलन के बीज बोए . धार्मिक कट्टरवाद ने पाकिस्तान को एक असहिष्णु देश में बदल दिया , जिसकी कि बहुत भारी कीमत चुकानी पड़ी पाक में रह रहे अल्पसंख्यकों को. बंटवारे के बाद पाक में २२% अल्पसंख्यक जिनमें मुख्यत हिन्दू थे ,रह गए . आज मात्र २% ही बचे हैं. बाकी सब मज़हबी उन्माद की भेंट चढ़ गए- जेहादियों ने इन्हें मार दिया या भगा दिया और जो बच गए उन्हें धर्म परिवर्तन कर इस्लाम कबूल लेने पर बख्श दिया गया. जिन्ना द्वारा नफरत का बोया बीज -मौलवियों द्वारा निरंतर कट्टरपंथी खाद से सींचा गया और आज विशाल बबूल का पेड़ बन गया है. जेहादी आतंक से आज इतने लोग इराक और अफगानिस्तान में भी नहीं मारे जाते जितने कि पाक में. पाक के २०% सुन्नी देओबंदी और बहावी बाकी के मुसलमानों को 'काफ़िर' मानते हैं . ६०% सुन्नी बरेलवी और १५% शिया जो दरगाहों पर सजदा करते है और अल्लाह कि इबादत संगीत,कलाम और रक्स से करते हैं .क्योंकि कुरआन में संगीत हराम है इस लिए काफिरों कि श्रेणी में आते हैं. .रहे बाकी के बेचारे क्रिश्चन, इस्मईली, हिन्दू, सिख, पारसी, अहमदी ५% ,वे तो काफिर हैं ही. इस प्रकार जिन्ना के पवित्र पाक में ८०% काफ़िर हैं जिन्हें मौत के घाट उतारना सच्चे मुस्लमान मोमिन का ईमान है.
पाक के कट्टर पंथी आतंकिओं को पहले अमेरिका ने अफगानिस्तान में रूस के विरुद्ध इस्तेमाल किया और धीरे धीरे
पाक के इस असहनशीलता के तर्क ने पूरे विश्व को अपने आगोश में ले लिया.ओसामाबिन लादेन ने इस्लामिक 'उम्माह' के नाम पर जेहाद को अमेरिका की ओर मोड़ दिया. सच्चाई तो यह है कि जिन्ना के मुस्लिम भारत आन्दोलन ने विश्व को मध्यकालीन अवधारणा की अमानवीय विचारधारा की गर्त में धकेल दिया. आज का मुस्लिम जगत विश्व की २१ वी सदी के विश्व बंधुत्व के सन्देश को सविकारने से निरंतर कतरा रहा है और प्वाइंट जीरो पर मस्जिद निर्माण की अपनी मद्यकालीन सोच पर अड़ा है.
जब तक इस सेकुलर शैतान के अनुयायी अपनी मध्य कालीन संकुचित सोच की कुंठा का परित्याग कर २१वि सदी के विश्व-बंधुत्व के महाभियान के साथ खुद को नहीं जोड़ते तब तक मानवता के अस्तित्व पर ९/११ का यह दानव इसी प्रकार फन फैलाये फुंकारता रहेगा. औरंगजेब को महान ..... मानने वाले ये मौलाना मज़हब के नाम पर जेहादियों को ज़न्नत के ख्वाब दिखा कर 'वर्ल्ड ट्रेड सेंटर' और 'ताज' पर निशाना मुसलसल साधते रहेंगे.

गुरुवार, 2 सितंबर 2010

स्वास्तिक प्रतीक कि अवमानना

स्वास्तिक प्रतीक कि अवमानना
सेकुलर शैतानों की कुष्ठ- मानसिकता...
एल.आर .गाँधी.

सेकुलर मिडिया की एक और शैतानियत - - -आउट लुक पत्रिका के १९ जुलाई २०१० के अंक
के मुख्या पृष्ट पर हिन्दुओं के आस्था प्रतीक स्वास्तिक को विकृत रूप में
छाप कर विनोद महता ने अपनी कुष्ठ-मानसिकता का ही परिचय दिया है. हिन्दू
टेरर नामक अपने लेख पर स्वास्तिक के निशाँ को चार पिस्तौलों से बना कर
हिन्दुओं के पवित्र आराधना चिन्ह की पवित्रता को जानबूझ कर दूषित करने का
दुस्साहस किया है.
संस्कृत में स्वस्तिक का अर्थ है सु=अच्छा , अस्ति=हो , इक= जो अस्तित्व
में है अर्थात उज्जवल भविष्य . या अच्छाई की विजय अर्थात समस्त मानवता के
लिए आशीर्वाद. बौध साहित्यकार इसे बुध के चरण-कमल मानते हुए अपनी कृति से
पूर्व स्वास्तिक का चिन्ह अंकित करना शुभ्यंकर मानते हैं. वैदिक दर्शन में
इसे ४ वेदों रिग्वेदा, सामवेद, यजुर्वेद और अर्थव वेद का प्रतीक माना जाता
है. भारतीय संस्कृति में स्वास्तिक को मानव के चार आश्रमों -ब्रह्मचर्य,
गृहस्थ वानप्रस्थ और संन्यास का प्रतीक चिन्ह माना जाता है. हिन्दू इसे
मानव के ४ जीवन लक्ष्यों -धरम, अर्थ, काम और मोक्ष का प्रतीक भी मानते हैं.
उक्त साक्ष्यों से स्पष्ट है की स्वास्तिक हिन्दू धरम में पवित्र,
शुभ्यंकर, भाग्यवर्धक और शान्ति का प्रतीक है.
स्वास्तिक को विकृत रूप में प्रदशित करना घोर पाप के साथ साथ अमंगल कारी भी
माना जाता है. नाज़ियों ने स्वास्तिक को विकृत रूप में अपनाते हुए इसे ४५
डिग्री पर टेढ़ा कर लाल पृष्ट भूमि में अंकित किया. एसा करने से स्वास्तिक
का प्रभाव विनाशकारी हो जाता है. इतिहास इस विशवास का साक्षी है - जो
हश्र नाज़ीओं का हुआ वह सबके सामने है. आतंकियों का साथ देने वाले इन
सेकुलर शैतानों का अंत भी अन्ततोगत्वा निश्चित ही है.

पाक के फिक्सर -भारत का रोल माडल

पाक के फिक्सर -भारत का रोल माडल !
एल.आर.गाँधी.


पाक के बेचारे क्रिकेटर कैमरे पर कुछ पैसे लेते क्या पकडे गए हिन्दुस्तानी मिडिया हाथ-पैर-मुंह धो कर इन खिलाडिओं की धुनाई करने में लगा हुआ है. सी एन एन आइ बी एन के एडिटर इन चीफ राजदीप सरदेसाई ने तो इमरान खान से गुफ्तगू करते हुए यहाँ तक कह दिया की पाक खिलाडिओं का कोई रोल -माडल नहीं और न ही भारतीय खिलाडिओं की माफिक उन्हें कमाई है -इस लिए यह सब हो रहा है. क्रिकेटर से राजनेता बने इमरान खान ने अपनी खीझ पाक राष्ट्रपति ज़रदारी पर निकाली यथा राजा तथा क्रिकेटर ,जब एक स्टेट का राजा ही भ्रष्ट है तो और लोगों से क्या तवक्को की जा सकती है. मिडिया के रोल माडल और क्रिकेट के रोल माडल इन महानुभावों की वार्ता सुन कर एक कहावत याद आ गई ' पकडे गए तो चोर ,न पकड़ में आए तो साधू.'.
फिक्सिंग का यह गोरखधंधा हवाला के ज़रिये होता है और हवाला की कारगुजारी को न्याय के तराजू पर तोल पाना संभव ही नहीं .पहला फिक्सिंग काण्ड भारतीय क्रिकेट की ही देन है , जब सन २००० में साऊथ अफ्रीका के कप्तान हेंसी क्रोने पकड़ में आए - क्रोने भी पाक साफ़ निकल जाते अगर हिन्दुस्तानी या पाकिस्तानी होते. बेचारे झूठ बोलना नहीं जानते थे -साफ़ साफ़ मान गए की उनसे गलती हो गई. हेंसी क्रोने ने यह भी साफ़ साफ़ बतला दिया की उनकी ' बुकीज़ ' से जान पहचान भारतीय कप्तान अजहरुदीन ने करवाई थी. अजहर ही फिक्सिंग के इस गोरखधंधे के चैंपियन हैं . क्रोने मगर यह भूल गए की अजहर उन जैसे मूर्ख नहीं जो सच बोलेंगे और फंस जाएंगे. यह भी रहस्योद्घाटन हुआ की अजहर को तो अंडरवर्ल्ड से भी उनके लिए मैच फिक्स करने की आफर आई थी.अजहर पर वन दे मैच फिक्स करने का दोष लगा . मिडिया ने शोर डाला और अजहर पर बैन लगा दिया गया. मगर सर से पाओं तक झूठ बोलने वाले एक शातिर खिलाडी पर हवाला के लेन देन कोर्ट में कहाँ साबित होते हैं. अजहर ने अपने बचाव में देश के सबसे बड़े वकील ' झूठ्मैलानी' की सेवाएँ लीं और मिल मिला कर कोर्ट से साफ़ पाक निकल आए -अपने अल्प्संखियक होने की भी दुहाई दी कि उन्हें मुसलमान होने के कारन फसाया गया , मगर बाद में माफ़ी मांग कर पीछा भी छुड़ा लिया. हेंसी क्रोने का यह सच तो सब ने मान लिया की वह फिक्सेर है, मगर हेंसी ने यह भी तो कहा की फिक्सिंग के चेम्पिय अजहर हैं - यह सच हमारे देश के रहनुमाओं को कहा हज़म होता , कि बेचारा एक अल्पसंख्यक भी पैसे के लिए देश की इज़त्त दाव पर लगा सकता है. खैर हमारे ' इमानदार 'बी सी सी आई के साफ़ पाक अधिकारिओं ने अजहर को भी अपने जैसा 'इमानदार 'मान कर २००६ में 'दूध का धोया' घोषित कर प्रतिबंध्मुक्त ही नहीं किया बकली पुरस्कृत भी कर दिया.
अब पाक के इन नए नए फिक्सिंग के गोरख धंधे में फंसे क्रिकेटर्स का तो रोल माडल 'अजहर मियां ' ही रहा होगा. फिक्सिंग की' नो बाल्स' पर सिक्सर्ज - पे- सिक्सर्स जमाये और पकडे जाने का तो सवाल ही नहीं. फिर २ बच्चों की माँ ,अपनी पहली बीवी नौरीन को दिया तलाक और रचा ली दूसरी शादी संगीता बिजलानी से. अब कहते हैं उससे भी जी भर गया और बेडमिन्टन खिलाडी ज्वाला दत्ता पर लट्टू हैं. एक तो करेला दूजा नीम चढ़ा - कांग्रेस को भला इससे ' योग्य ' उम्मीदवार मिलना था भला !
उतार दिया मुरादाबाद के चुनाव मैदान में और जीत भी गए -अल्पसंख्यक वोट के दम पर और जा मिले अपने ही जैसे ............कों.. में . अब राजदीप जी से कोई पूछे जब पाक खिलाडिओं को हमारे 'अजहर मियां' जैसे बने बनाए रोल माडल मिले ही हुए हैं तो फिर वे पाक के भूखे नंगे रोल माडल्स का क्या आचार डालेंगे ? पाक खिलाडिओं की कम कमाई के तर्क में भी कोई दम नज़र नहीं आता ,जिसके कारन वे फिक्सिंग के थंधे की ओर आकृष्ट हुए. उनके रोल माडल 'अजहर मियां' पर तो यह तर्क उल्टा पड़ता है , क्योंकि एक भारतीय कप्तान को तो पाक खिलाडी से हजार गुने कमाई होती है फिर भी 'फिक्सिंग' ? पत्रकार भाई आम तौर पर कहते हैं की जनता की याददाश्त कमजोर होती है . फिर इन चेनल वालों की मति को क्या हो गया भई !

बुधवार, 1 सितंबर 2010

जन्माष्टमी -मंगलकामनाएं


Lr Gandhi added 2 new photos.
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1. ॐ कृष्णाय नमः Om Krishna Namaha
2. ॐ कमलनाथाय नमः Om Kamalnatha Namaha
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4. ॐ सनातनाय नमः Om Sanatan Namaha...
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This kanhaiya "Saarthi", his first love is his Nannu. Happy Janamashtmi Nannu n nani....
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हमारे हिन्दूस्तानी शेर ‪#‎मोदी‬ जी को एक और शेर का साथ मिल गया। रुस के राष्टृपति पुतिन ने भारत को भरोसा दिलाया है कि भारत आगे बढे वो हमारे साथ खडे है।
पाकिस्तान कि पतलून तो हमारे भारतीय शेर कि दहाड से हि गीली हो गई थी। अब चीन कि हेकडी भी निकल रही है। चीन भी कश्मीर मुद्दे पर पाकिस्तान के साथ खडे से इंकार कर रहा है।
अब तो पाकिस्तान के टुकडे होने से उसे कोई नहीं बचा सकता। 1971 में बाग्लादेश अलग हुआ और अब बलुचिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर। पाकिस्तान कौ अपनी दावेदारी छोडनी पडेगी।
अभी तो पाकिस्तान को समझाया है कि पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर आराम से खाली कर दो वरना हमें खाली कराना भी आता है।
नई दिल्ली। एनएसजी मेंबरशिप पर भारत को एक बड़ी उपलब्धी मिली है। पिछले कई वर्षों से भारत न्युक्लियर सप्लायर्स ग्रुप यानी एनएसजी की मेंबरशिप पाने की कोशिश कर था। इस कोशिश के…
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Muneesha Goswami Shero ki dosti shero se hi hoti h
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Shardindu Sharma and Bharat Bhushan Sharma commented on this.
Shardindu Sharma updated his profile picture.
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Surinder Pal Jassi kya soch reha ho deer
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Dalip Kumar Nice pic
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Dalip Sharma Gahre vichar mein doobe hein sir.....
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Dalip Sharma KHOYE KHOYE HO SIR ......
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मिस्त्र के पिरामिडों से भी पुराना है, 3500 साल पहले बना था..
JAI SHREE RAM JI JAI BALA JI.
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Kamboj Mintgumria JAI SHREE RAM JI KI
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Nanu Kamboj Jai shri ram jai shri hanuman ji
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हमारे हिन्दूस्तानी शेर ‪#‎मोदी‬ जी को एक और शेर का साथ मिल गया। रुस के राष्टृपति पुतिन ने भारत को भरोसा दिलाया है कि भारत आगे बढे वो हमारे साथ खडे है।
पाकिस्तान कि पतलून तो हमारे भारतीय शेर कि दहाड से हि गीली हो गई थी। अब चीन कि हेकडी भी निकल रही है। चीन भी कश्मीर मुद्दे पर पाकिस्तान के साथ खडे से इंकार कर रहा है।
अब तो पाकिस्तान के टुकडे होने से उसे कोई नहीं बचा सकता। 1971 में बाग्लादेश अलग हुआ और अब बलुचिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर। पाकिस्तान कौ अपनी दावेदारी छोडनी पडेगी।
अभी तो पाकिस्तान को समझाया है कि पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर आराम से खाली कर दो वरना हमें खाली कराना भी आता है।
नई दिल्ली। एनएसजी मेंबरशिप पर भारत को एक बड़ी उपलब्धी मिली है। पिछले कई वर्षों से भारत न्युक्लियर सप्लायर्स ग्रुप यानी एनएसजी की मेंबरशिप पाने की कोशिश कर था। इस कोशिश के…
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Muneesha Goswami Shero ki dosti shero se hi hoti h
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Shardindu Sharma and Bharat Bhushan Sharma commented on this.
Shardindu Sharma updated his profile picture.
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Surinder Pal Jassi kya soch reha ho deer
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Dalip Kumar Nice pic
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Dalip Sharma Gahre vichar mein doobe hein sir.....
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Dalip Sharma KHOYE KHOYE HO SIR ......
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मिस्त्र के पिरामिडों से भी पुराना है, 3500 साल पहले बना था..
JAI SHREE RAM JI JAI BALA JI.
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Kamboj Mintgumria JAI SHREE RAM JI KI
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Nanu Kamboj Jai shri ram jai shri hanuman ji
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No. Hindi Namavali English Namavali
1. ॐ कृष्णाय नमः Om Krishna Namaha
2. ॐ कमलनाथाय नमः Om Kamalnatha Namaha
3. ॐ वासुदेवाय नमः Om Vasudeva Namaha
4. ॐ सनातनाय नमः Om Sanatan Namaha...
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This kanhaiya "Saarthi", his first love is his Nannu. Happy Janamashtmi Nannu n nani....
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हमारे हिन्दूस्तानी शेर ‪#‎मोदी‬ जी को एक और शेर का साथ मिल गया। रुस के राष्टृपति पुतिन ने भारत को भरोसा दिलाया है कि भारत आगे बढे वो हमारे साथ खडे है।
पाकिस्तान कि पतलून तो हमारे भारतीय शेर कि दहाड से हि गीली हो गई थी। अब चीन कि हेकडी भी निकल रही है। चीन भी कश्मीर मुद्दे पर पाकिस्तान के साथ खडे से इंकार कर रहा है।
अब तो पाकिस्तान के टुकडे होने से उसे कोई नहीं बचा सकता। 1971 में बाग्लादेश अलग हुआ और अब बलुचिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर। पाकिस्तान कौ अपनी दावेदारी छोडनी पडेगी।
अभी तो पाकिस्तान को समझाया है कि पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर आराम से खाली कर दो वरना हमें खाली कराना भी आता है।
नई दिल्ली। एनएसजी मेंबरशिप पर भारत को एक बड़ी उपलब्धी मिली है। पिछले कई वर्षों से भारत न्युक्लियर सप्लायर्स ग्रुप यानी एनएसजी की मेंबरशिप पाने की कोशिश कर था। इस कोशिश के…
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1. ॐ कृष्णाय नमः Om Krishna Namaha
2. ॐ कमलनाथाय नमः Om Kamalnatha Namaha
3. ॐ वासुदेवाय नमः Om Vasudeva Namaha
4. ॐ सनातनाय नमः Om Sanatan Namaha...
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