बुधवार, 23 मार्च 2011

vसेकुलर सरकार की हज सब्सिडी

सेकुलर सरकार की हज सब्सिडी
       एल.आर .गाँधी

कुरआन ए पाक में सच्चे  मुसलमान के लिए  हज यात्रा का विशेष महत्तव वर्णित है. हज यात्रा केवल अपनी कमाई में से या फिर निकट सम्बन्धी से प्राप्त धन राशी  से ही हलाल मानी जाती है. इसी लिए किसी भी मुस्लिम देश में हज यात्रियों के लिए सरकारी सब्सिडी नहीं दी जाती क्योंकि यह शरियत की हिदायतों के खिलाफ है. बहुत से इस्लामिक विद्वान सरकारी सब्सिडी पर हज यात्रा को 'हराम' मानते हैं . फिर भी हमारे सेकुलर हुक्मरान १८० मिलियन मुस्लिम बिरादरी को खुश करने के लिए हज यात्रा के लिए सब्सिडी निरंतर बढाते चले जा रहे हैं . इस वर्ष केंद्र ने हज सब्सिडी के लिए फिर से ८०० करोड़ की भारी भरकम राशि मंजूर की है. १९९४ में यह राशी १०.५७ करोड़ रूपए थी जो २००८ आते आते ८२६ करोड़ हो गई.
प्रति हज यात्री खर्च भी १२०० रूपए से , २००९ आते आते बढ़ कर ५१,६१० रूपए हो गया. हर वर्ष लगभग १.६४ लाख मुसलमान हज यात्रा को जाते हैं जिनमें से १.१५ लाख सरकारी सब्सिडी पर यात्रा करते हैं जिनका चयन हज कमेटी कुर्रह -अर्थात लाटरी से करती है. २००२ में हज कमेटी ने ७०,२९८ यात्री भेजे थे और २००८ आते आते यह संख्या १२,६९५ हो गई.
ऐसे ही केरल और आंध्र प्रदेश में ईसाई यात्रिओं को भी सरकारी सब्सिडी दी जाती है. हमारे सेकुलर हुक्मरानों को शायद खुद को सेकुलर दिखाने के लिए या फिर अल्पसंख्यक वोट बैंक को मजबूत करने के लिए 'भारतीय जनता के खून पसीने की कमाई के 'कर' को लुटाने में मज़ा आता है.
सेकुलर छवि बनाए रखने के लिए यह भी जरूरी है कि यह सुविधा बहुसंख्यक 'हिन्दुओं' को हरगिज़ न दी जाए. हर साल ९६० हिन्दू यात्री पवित्र मानसरोवर यात्रा को जाते हैं. इस यात्रा के लिए उन्हें कुमाऊ मंडल विकास निगम को २४,५०० रूपए अदा करने पड़ते हैं जिसमें ५०००/- सिक्योर्टी जो वापिस नहीं होती, भी शामिल है.इसके अतिरिक्त २१५०/- और ७०० डालर (३१५००/-)  अलग से देने होते हैं जो चीन सरकार को जाते हैं.यात्रा पर होने वाले अन्य खर्चे अलग से. इस प्रकार प्रतीयेक हिन्दू यात्री को ५८.१५०/- तो यात्रा शुल्क और कर के रूप में ही सरकार को देने होते हैं. इस प्रकार हर वर्ष कैलाश मानसरोवर  यात्रा पर हिन्दू यात्री अपनी सेब से ५.५६२४ करोड़ रूपए खर्च  करते हैं और हमारी सेकुलर सरकार अपने हिन्दू यात्रियों  
को  १% भी सरकारी सब्सिडी देना मुनासिफ नहीं समझती.
आज़ादी के ६४ बरस बाद भी हम अपनी जनता को स्वच्छ पीने का पानी तक मुहैय्या नहीं कर पाए . हर १५ सैकंड के बाद एक बच्चा जल जनित रोग से मर जाता है. हमारे बंगाली बाबू ने  इस साल नदियों के जल को साफ़ करने के लिए, महज़ २०० करोड़ रूपए अपने बज़ट में अलग से रख छोड़े हैं. वोट बैंक सब्सिडी का चौथा हिस्सा ! ठीक ही है भई बच्चे कब वोट डालते हैं. फिर  पांच राज्यों में अपने वोट बैन को भी तो संभालना है.
निरंतर अल्पसंख्यक तुष्टिकरं और आसमान छूती हज सब्सिडी को देखते हुए एक प्रशन हर भारतीय के मन में अपने आप 'विकिलीक के खुलासों की माफिक उजागर हो उठता है. क्या गाँधी नेहरु का भारत आज भी मुग़ल कालीन 'इस्लामिक राज्य ' तो नहीं ?