शुक्रवार, 28 सितंबर 2012

बर्बर मुल्क पाकिस्तान


बर्बर मुल्क पाकिस्तान 
एल.आर.गाँधी 

अमेरिका के थिंक टैंक ने पाकिस्तान को बर्बर मुल्कों की सूची में डालने की सिफारिश की है. मिडल ईस्ट मिडिया इंस्टीच्युट के तुफैल अहमद ने अपनी रपट में कहा है की पाकिस्तान में गैर इस्लामिक समूहों (काफिरों) को समाजिक व् मज़हबी भेदभाव का शिकार होना पड़ता है. उन्हें इस्लामिक गुटों की मज़हबी नफरत का सामना करना पड़ता है. सरकारी अधिकारिओं , वकीलों ,न्यायधीशों व् विधायकों से भी कोई उम्मीद नहीं , क्योंकि ये सभी इस बर्बरता को ,पाकिस्तान को पवित्र इस्लामिक मुल्क बनाने की पहल की नज़र से देखते हैं. रपट में तुफैल अहमद ने ईश निंदा के आरोप में हिन्दुओं, ईसाइयों व् अहमदी मुसलमानों को सताए जाने और हिन्दू व् ईसाई लड़कियों के अपहरण , ज़बरन धर्म परिवर्तन और हत्या जैसी अनगिनत घटनाओं को उजागर किया है. 
मज़हबी अनाचार और अत्याचार से पीड़ित असंख्य  हिन्दू परिवार जब अपनी बहु बेटियों की अस्मत बचाने की खातिर ,  पाकिस्तान में अपना घरबार व् व्यवसाय आदि  अपना सब कुछ छोड़ कर भारत में शरण लेने पहुंचे तो हमारे विदेश मंत्री जी ने फ़तवा जारी कर दिया कि इन हिन्दू परिवारों को उनपर पाकिस्तान में हुए अत्याचारों का सबूत देना होगा..... अमेरिकी मानवाधिकार संगठनों को तो पाकिस्तान के अत्याचार दिखाई देते हैं और उन्होंने तो पाक को 'बर्बर' अत्याचारी मुल्क तक घोषित करने की शिफारिश तक कर दी है. मगर हमारी गाँधीवादी सेकुलर सरकार को अभी भी पाकिस्तान में कोई खोट नहीं दिखाई देती. 
अल्पसंख्यक वोट बैंक की खातिर इन्हें चार करोड़ बांग्लादेशी घुसपैठिये दिखाई ही नहीं देते और इनके आसाम के मुख्यमंत्री ने तो साफ़ साफ़ घोषणा कर दी कि इन बांग्लादेशी मुसलमानों को अब इस देश से निकाला नहीं जा सकता. मियान्मार और असाम के मुसलमानों के पक्ष में हज़ारों की तादाद में मुसलमान मुज़ाहरा करते हैं मगर पाक में हिन्दुओं पर ढाए जा रहे अत्याचारों के विरुद्ध 'शमशान सी खामोशी' पसरी है. नेहरु-गाँधी के इन अनुयायियों ने तो 'हिन्दू' शब्द को ही एक 'साम्प्रदायिक गाली' मान लिया है.....