गुरुवार, 31 दिसंबर 2015

आप का कीड़ा   ...... सही पकडे हैं
  एल आर गांधी

कांग्रेस और क्रप्शन तो एक ही हैं  .... ज्यों ज्यों अकाली -भाजपा की क्रप्शन की खेती लहलहाएगी , आप के कीड़े की मार तो स्वाभाविक ही है  .... लोग भ्र्ष्टाचार से त्रस्त हैं और अकाली 'सदभावना ' की रैलियों में मस्त ! सारे का सारा राजतंत्र किस कदर आकंठ भ्र्ष्टाचार की दलदल में कमल की भांति डूब कर मुस्कुरा रहा है  ...उसकी एक बानगी आज अपने पाठकों से साँझा करना  चाहूंगा !
गत दिनों मियून्सपल कार्पोरेशन से  पाला पड़ गया  .... एक वरिष्ठ नागरिक जो सुबह की सैर में बारांदरी के एक से दुसरे चक्कर के बारे में मात्र सोच कर ही चकरा जाता हो  ...उसे क्रप्ट कार्पोरेशन ने एक महीना खूब घुमाया कि सर घूम गया।  एक शख्स जिसने ३५ बरस की सर्विस में एक टके की घूंस न खाई हो , उससे एक बाबू ने दस जमा दो हज़ार की मांग कर डाली !
उतिष्ठकौन्तेय का  लेखक जो जनता को जगाते जगाते सो सा गया था  ... जाग गया ! आखिर बाबू से ८ में डील फाइनल हुई  ... आठ वैसे भी हमारा लक्की नंबर है  .... एंटी-करप्शन ब्यूरो ने रही सही कसर पूरी कर दी  ... बेचारो को 'सरकार' ने इस कदर 'कागज़ी कार्यवाही ' में समेटा है कि चोर को पकड़ने से पहले ही खुद का 'मोर 'के माफिक कुछ बन  जाता है  .... या फिर हवा निकल जाती है और चोर नौं -दो -ग्यारां हो जाता है।
खैर क्रप्ट कार्पोरेशन के प्रांगण में 'चोर बाबू ' रँगे हाथों  पकड़ा गया  ....
भ्र्ष्टाचार की जड़ें किस कदर फ़ैल चुकी हैं ,देख कर मन परेशां  कम पशेमाँ ज़्यादा हुआ  ... इधर  क्रप्ट -बाबू को पुलिस ने अपनी गाडी में बिठाया -उधर क्रप्ट कार्पोरेशन के उसके साथिओं का हजूम सड़क पर आ गया और अपने 'प्रिय ' साथी को छुड़ाने की असफल कोशिश में जुट गए !
हम तो किसी भांति बस जान बचा कर भागे !

शनिवार, 26 दिसंबर 2015

sahipakdehain

क्या वीआईपी की गाड़ी प्रदूषण नहीं फैलाती

LR GANDHI
M4PNews| CHANDIGARH

सही पकड़े है।

क्या वीआईपी की गाड़ी प्रदूषण नहीं फैलाती, सबसे ज़्यादा प्रदूषण तो अति -विशिष्ट बिरादरी ही  फैलाती है जी ! जीजा जी से ज्यादा कौन जानता है ! उनसे ज़्यादा वीआईपी के मज़े किसने लुटे हैं जी ! जीजा जी ! बोले तो ! रॉबर्ट जी वाड्रा ने फ़रमाया है  कि आड -इवन के ढोंग में वर्जित के बराबर छूट की लम्बी सूची है।

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हवा में भी हवा बाज़ी! अरे भाई रोक लगानी है तो सब पर लगाओ। यह भी कोई बात हुई ? वीआईपीज़ तो सरपट गाड़िया दौड़ाएं  दिल्ली की सड़कों पर और उन जैसा आम आदमी एक दिन अपना ‘काम काज़ ‘ निपटने को ताकता रहे या फिर साला साहेब या सासू माँ गाडी के  जुगाड़ से जूझे ?

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इसे ही तो कहते हैं ‘असहिषुणता ‘ पॉलिटिक्स आफ रिवेंज। हमारे सिंह साहेब की सदारत में हमें किसी ने नहीं रोक कहीं भी ‘आने जाने ‘ से। किसी ने हमारे सामान की ‘लोडिंग ‘ जांच तक नहीं की कभी।  सिंह साहेब ने तो हमारे जैसे ‘आम’ आदमी का नाम ही लिखवा दिया था वी वी आई पीज़ की सूची में, हमारी सासू माँ की सासू माँ ‘नामित’ एयर पोर्ट पर। सबसे बड़े वी वी आई पी, महामहिम, का नाम सबसे ऊपर और हमारे जैसे आम वी वी आई पी का नाम सबसे नीचे।

क्या  ज़माना आ गया ! जिनका कभी विदेश यात्रा से पूर्व कभी सामान तक नहीं चेक किया गया था, आज उनकी गाड्डी का नंबर चेक किया जाएगा। बहुत बे-इंसाफी है जी !

बुधवार, 23 दिसंबर 2015

इसकी टोपी उसके सर

इसकी टोपी उसके सर

     एल आर गांधी

सब चिट्टी टोपी का कमाल है  .....  पहनते ही इंसान केज़रीवाल बन जाता है। .. तीन बरस पहले जब 'सभ्य ' दिल्ली सड़कों पर थी  ..... निर्भया -निर्भया  चिल्ला रही थी  ..... मोमबत्तीयां सर्द हवा में भी  बुझने का नाम नहीं ले रहीं थी  , ऐसे में हमारे कज़री लाल भीड़ में चिट्टी टोपियां बांटने में मशगूल थे  . तीन बरस बीत गए और निर्भया का क्रूर गुनहगार बीस को छूट जाएगा  ..... केज़री ने क्रूर मुहम्मद अफ़रोज़ को गले से लगा लिया है  .... अपने कारनामे के इनाम स्वरूप मियाँ जी को दस हज़ार रूपए और एक सिलाई मशीन से नवाज़ा है। .. यही नहीं उसे सेटल भी करेंगे ताकि उसे अपने कारनामें सरंजाम देने के लिए चलती बसों में न भटकना पड़े  .... खाली वक्त में रोज़गार भी अता किया है  .... मशीन से 'आप' की टोपिआँ सिलने का।
निर्भया के माँ -बाप खून के आंसू रो रहे हैं  ..... इन्साफ की दरकार है उन्हें उस  मोमबती-गैंग से  .... दिल्ली की सल्तनत से  .... लोकसभा -राज्य सभा में पानी पी पी कर चिल्लाने वाले छोटे -बड़े सांसदों से  .... पर उन्हें तो फ़िक्र है अपनी 'माँ ' और उसके दुलारे 'राज कुमार' की , कहीं हेराल्ड की कालिख कांग्रेस की राजमाता और राजकुमार को दागदार न कर दे !  .... किसी साडी गैंग ने निर्भया के कातिल को माकूल सज़ा के हक़ में आवाज़ नहीं उठाई  .... बस एक जां -बाज़ स्वामी खड़ा है  ... ७५ बरस का नौजवान !आपिये तो :
अखिलाक की मौत पर मातमज़दा यू पी की दौड़ लगाने वाले ,गजेन्द्र को पेड़ पर फंदा लगा मरते देख 'मुस्कुराने 'वाले ,शकूर बस्ती काण्ड पर बवाल मचाने वाले, 'केज़री' के 'किस  फॉर लव' के जश्न में मशगूल हैं 

पाक के क्रूर क़ानून

पाक के क्रूर क़ानून
 ईश निंदा -रिद्दाह

एल आर गांधी


पाक में गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के पूर्व अध्यक्ष मस्तान सिंह को २५ अन्य सिक्खो सहित  ब्लासफेमी अर्थात ईश निंदा के क़ानून के तहत ग्रिफ्तार किया गया है  ... गुरूद्वारे पर हमला और पाक मुर्दाबाद के नारे लगाने का भी आरोप है  ..... पाक में १९८७ से  अब तक अपनी तरहां का यह दूसरा केस है जिसमें इस्लाम से इतर किसी धर्म की ईश निंदा पर मामला दर्ज़ हुआ है  .... वरना तो १९१४ तक दर्ज़ हुए  १३००  केसों में  अधिकतर गैर -मुस्लिम ही इस का शिकार हुए हैं  ... ईश निंदा में क़ुरआन या मुहम्मद के  अनादर  को गुनाह माना  जाता है। १९९० तक ६२ लोग इस क़ानून का शिकार हुए और ५० तो कोर्ट की कार्यवाही के दौरान ही इस्लामिक कट्टरपंथीओं द्वारा मार दिए गए.
पाक के फौजी राष्ट्रपति जिया उल हक़ ने १९८०-८६ में इस कानून को और सख्त बनाया ताकि अल्पसंख्यकों के मन में भय पैदा किया जाए और डर के साए में जीते जीते वे इस्लाम कबूल कर लें।
अपने मन्तव् में वे कामयाब भी हुए  ..... १९४७ में अल्पसंख्यक २५ % थे ,जो अब महज़ ३% रह गए और सबसे अधिक अत्याचार के शिकार 'हिन्दू' २४% से घट  कर महज़ १% रह गए।
यूँ तो ईश निंदा कानून किसी भी धर्म के अनादर पर लागू है मगर इस्लाम में तो किसी दुसरे मज़हब को मानने वाला गुनहगार है  ...ऐसे लोगों पर अपोस्टसी अर्थात रिद्दाह या इर्तिदाद लागू होती है  ...कोई इस्लाम को त्याग दे या फिर इस्लाम में आ कर छोड़ जाए या फिर मूर्ती पूजा करे तो वह सज़ा का पात्र है  ..... पाकिस्तान में हज़ारों मंदिर और असंख्य मूर्तिया तोड़ी गई मगर कोई ईश निंदा में नहीं पकड़ा गया  ... एक शायर ने कहा है  .....
शेख नें मस्जिद बना ,मिस्मार बुतखाना किया
पहले तो कुछ सूरत भी थी ,अब  साफ़ वीराना किया 

हद हो गई यह तो

हद हो गई यह तो !
एल आर गांधी
पूर्व विदेश सैर मंत्री मियाँ सलमान खुर्शीद ने ट्वीट किया कि 'सोनिया गांधी ' पूरे देश की माँ है .... सर्वोच्च न्यायालय के एक अन्य वकील साहेब ने अंतत खोज निकाला कि राहुल गांधी का रियल नाम क्या है ' यह है पूरे देश गांधी ! जैसे नेहरूजी ने एक विदेशी मेहमान के समक्ष 'गांधी जी ' के बारे में पूछने पर अनायास ही उनका का असली नाम उजागर करते हुए कहा था ...'.ओह वह ढोंगी बूढा ' !
अपने आकाओं की चापलूसी और वह भी अतिश्योक्ति की पराकाष्टा तक हमारी चिरपरिचित पहचान है। .... इंदिरा इज़ इंडिया ,इण्डिया इज़ इंदिरा। .... तत्कालीन कांग्रेस प्रधान देव कान्त भडुआ का इमरजेंसी उद्द्घोष सर्वविदित है।
१० विकृतिओं के प्रतीक रावण के दस शीश, चाटुकार -भांडों की दृष्टि में ' चार वेद -छह शास्त्रो के ज्ञान - प्रतीक दशानन थे ...... इसी चाटुकारिता के दम्भ से दिग्भ्रमित नेहरू ने १९५५ में और इंदिरा ने १९७१ में खुद को 'भारत रत्न 'के अंतिम अलंकार से अलंकृत कर अपने मुंह मियां मिठू की कहावत को चिरतार्थ कर दिया।
वह दिन दूर नहीं जब सन्नी लियोने को कल कोई देश की 'आम्रपाली -मॉडर्न सुंदरियों' की आदर्श घोषित कर दे।
पप्पू\ को कब उसके चमचे महाभारत का योद्धा 'शिखंडी ' घोषित कर दें .... खुदा जाने !

बुधवार, 9 दिसंबर 2015

विरासत होटल

विरासत होटल
एल आर गांधी
नीमराणा हैरिटेज होटल के डाइनिंग हाल में प्रवेश करते ही ,पटियाला रियासत के रजवाड़ों की भूली बिसरी यादें इतिहास के पन्नों से उतर कर ज़हन में परत दर परत दस्तक देने लगीं। परिवार के साथ राजाशाही भोजन कक्ष में बैठ कर बिना पीये ही अनायास पटियाला 'पैग ' सा नशा तारी होने लगा। पानी का गिलास उठा कर ज्यों ही होंटो को लगाया तो नज़र महाराजा भूपेंद्र सिंह के शानदार 'चित्र ' पर पड़ गई .... यकीन नहीं हो रहा था कि इतने आकर्षक व्यक्तित्व के स्वामी का अवसान इतनी कम उम्र में ' ऐसे हालात ' में हुआ जिसकी कोई कल्पना भी नहीं कर सकता।
महाराजा राजेन्द्र सिंह प्रकृति प्रेमी थे। उन्होंने ही बारादरी गार्डन और इस महल का निर्माण करवाया .... बारादरी बाग़ में अनेक किस्मों के अमूल्य पेड़ विश्व के कोने कोने से मंगवा कर लगाए गए .... यहीं पर पहाड़ी बाग़ में एक 'नग्न सुंदरी -बॉथिंग ब्यूटी ' का बुत विदेश से मंगवा कर लगाया गया ,जिसे उग्रवाद के काले दिनों में कला के शत्रु 'आतंकियों ने बम से उड़ा दिया। पहाड़ी बाग़ में जब महाराज अपनी रानियों के साथ नहाने आते थे तो किसी भी ख़ास-ओ-आम को माल रोड से गुज़रना 'नागवार ,' था।
२६३ रानिओं के साथ महाराजा भूपेंद्र सिंह को यह राजेंद्रा महल छोटा पड़ गया .... तब उन्होंने पुराने मोती महल ,जहाँ अब केंद्रीय खेल कूद संस्थान है , का निर्माण करवाया .... इसके निर्माण पर दस साल का समय और महज़ ५ लाख रूपए खर्च हुए।
५ लाख के ज़िक्र के साथ ही महाराजा नरेंद्र सिंह की याद ताज़ा हो गई ... १८५७ की प्रथम जंग ए आज़ादी के बाद भारतियों ने अंग्रेज़ों को 'लगान' बंद कर दिया। गोया फिरंगिओं की माली हालत पतली हो गई ... पंजाब के गवर्नर ने अंग्रेज़ सल्तनत के खैर-ख्वाह रजवाड़ों और ज़मींदारों से मदद मांगी ..... महाराज ने तैश में आ कर ५ लाख दे दिए। अब खज़ाना खाली हो गया तो पटियालविओं पर नए नए कर लगाए गए। उनमें से एक था ' रेड एरिया 'धरमपुरा बाजार 'के लिए बाहर से आने वाली 'वेश्याओं पर चुंगी ' . शायद इसी लिए जब उनके वंशज महाराजा अमरेंद्र सिंह मुख्य मंत्री बने तो उन्होंने सबसे पहले चुंगी माफ़ी का तोहफा पटियालविओं को दिया।

श्वान वृति

श्वान वृति

एल आर गांधी

 कालू -भूरू और भूरी की दिन रात की मेहनत रंग लाई  और उनका परिवार तीन से तेरहं  हो गया है  ...... भूरी का फिर से पैर भारी है !
 ...हमारे देवी जी अपने नित्य कर्म में सुबह के वक्त भूरी को दूध डालना कभी नहीं भूलती !और हाँ ! शाम को तीनो घर के समक्ष कतार में बैठे ब्रांडे की ओर टकटकी लगाए देखते रहते हैं की कब मालकिन उनके परांठे परोसेंगी  ..... हम भोजन मांगें तो सम्राट अशोक देखने के बाद और उनके परांठे सम्राट से पहले। भूरी परिवार का मोहल्ले पर अब एकाधिकार है  .... कोई बाहरी श्वान भूल से भी उनके एरिया की सड़क 'सूंघ' के तो दिखाए सभी कालू -भूरू बहन -भाई टूट पड़ते हैं और बेचारा परदेसी अपनी टांगों में  दबा कर भाग खड़ा होता है।
बढ़ती आबादी को देखते हुए यका यक कार्पोरेशन के अफसरों को मेनका जी की वह नसीहत याद आ गयी जिसमें श्वान संरक्षण के साथ साथ इनकी आबादी पर अंकुश के लिए इनके परिवार नियोजन आप्रेशन का  प्रावधान भी था , सो यूपी से एक  मियाँ जी को इनके ऑपरेशन का ठेका दिया गया   .... किसी कुत्ता -प्रेमी ने मियां जी को फोन पर  धमकी दे दी और मियां जी भी  .... दुम दबा कर भाग खड़े हुए  ..... अब इंतज़ार है उन दिनों का जब ये उन कुत्ता प्रेमियों के बच्चों को नोच खाएंगे और ये कुत्तों के प्रति असह्शुन्ता के विरोध में अपने मेडल मैडम मेनका को लौटाएंगे !
यदि कालू -भूरू और भूरी का यह , हम  दो  हमारे तेरहं का खेल यूँही चलता रहा तो  वह दिन दूर नहीं जब ये अपनी दिन रात की मेहनत के सदके 'उनको ' भी पीछे छोड़ देंगे जो एक की चार और चार के चौदहं की स्पीड से बढ़ रहे हैं  ..... या अल्लाह मेरे भारत को इस प्रतिस्पर्धा से बचाओ !

शुक्रवार, 27 नवंबर 2015

दीर्घतमा बाबा साहेब आंबेडकर की चेतावनी

दीर्घतमा बाबा साहेब आंबेडकर की चेतावनी 

एल आर गांधी 

संविधान दिवस पर दोनों सदनों में सभी दलों के नेता -अभिनेता खूब बतियाए और दीर्घतमा बाबा साहेब आंबेडकर को भी खूब याद किया , मगर देश के बंटवारे और असहिष्णुता पर व्यक्त उनके विचारों और अपेक्षित खतरों पर किसी भी नेता ने एक शब्द भी नहीं बोला  ..... कारण वही ! वोट बैंक !
इस वोट बैंक जिसके कारण देश का बंटवारा हुआ और देश ही नहीं पूरे विश्व पर आतंकवाद के कारण आज फिर से विश्व युद्ध का काला  साया मंडरा रहा है  ...... पर बड़े स्पष्ट शब्दों में दीर्घतमा बाबा साहेब आंबेडकर ने हम सब को सचेत किया था। 
"मुसलमान सुधार विरोधी मनोवृति के लोग हैं।  लोकतंत्र का प्रभाव उनके स्वभाव में तिलभर भी नहीं।  उनके लिए उनका मज़हब ही सर्वोच्च है। योग्य धर्म केवल इस्लाम है।  गैर मुस्लिम के प्रति द्वेष और तिरस्कार। एक मुसलमान की निष्ठा मुसलमानो वाले राष्ट्र पर  रहेगी। शासक यदि मुसलमान नहीं तो उनकी दृष्टि में वह दुश्मन का राज्य है। सच्चे मुसलमान के लिए भारत को अपनी मातृभूमि मानने और हिन्दुओं को अपना भाई बंधू मानने का इस्लाम में कोई मौका नहीं।  आक्रामक मनोवृति मुसलमानों की प्रकृति में ही विद्यमान है। हिन्दुओं की दुर्बलता का लाभ उठा कर गुंडागर्दी करना उनका स्वभाव है " . 

गुरुवार, 26 नवंबर 2015

कज़री लल्लू का मृदंग -मल्हार

कज़री लल्लू का मृदंग -मल्हार

एल आर गांधी

कज़री को लल्लू ने बाहों में क्या भर लिआ 'खबरी '  बाजार में  भूचाल सा आ  गया  ..... मानो  रिचर्ड गेरे ने शिल्पा शेट्टी को खुली स्टेज पर 'किस ' कर लिया हो  या फिर मिक्का  ने भरी महफ़िल   में ' सति सावित्री 'राखी सावंत के होंट चूम लिए हों ! शेट्टी ने सफाई दी थी कि गेरे जी मुझे एक डांस स्टेप सिखा रहे थे ! और इसके  विपरीत राखी ने ' एक अबला की आबरू 'लुट ' गई  ..... सा हंगामा किया।
दोनों से कुछ मिलती  जुलती  ' लागा चुनरी में दाग छुपाऊँ कैसे ?   खबरिओ की छींटा कशी की , सफाई कज़री ने दे डाली   ..... हम तो विकास बाबू की 'ताजपोशी ' की  मुबारकबाद देने गए थे  ..... लल्लू ने   गिद्ध की माफिक झपट  कर हमरा हाथ थाम लिया  ..... फिर ज़बरदस्ती अपने सीने से लगा कर अपने आगोश में ले लिया  .... मैनें बहुत कोशिश की छूटने और छुड़ाने की  ..... मानो एक भ्रष्टाचारी  बाहुबली ने  ईमानदार 'अबला 'से सार्वजनिक मंच पर ' बलात्कार 'कर लिया हो  ..... मुए की ढिठाई तो देखो ! ..... मेरा हाथ अपने हाथ में ले कर ऊपर उठा कर विजयी चिन्ह बना डाला ; यूँ कि  लल्लू की जीत कज़री की जीत हो  !कज़री के प्रलाप से यूँ दृष्टिगोचर हो रहा था ; ज्यु कि बेबस ईमानदार  दिल्ली बिहार की 'सामर्थ को नहीं दोष गोसाईं ' दबंगई से पस्त और परेशान रह गई हो।
वाह रे बिहारी लल्लू : वाह रे तेरा जनाधार
 लूला नाचे मृदंग पर :गूंगा गाए मल्हार!

शनिवार, 14 नवंबर 2015

अब शरीफ बचाएंगे -बचे खुचे पाक हिन्दुओं को ?

अब शरीफ बचाएंगे -बचे खुचे पाक हिन्दुओं को ?

                 एल आर गांधी

पाकिस्तान के वज़ीरेआला नवाज़ 'शरीफ 'के  शरीफ़ाना ब्यान को पढ़ कर सदमानुमा -ताज़्ज़ुब हुआ  …'यदि मुसलमान ने ज़ुल्म किया तो हिन्दुओं का साथ दूंगा '! शरीफ के ब्यान को पढ़ कर पाकिस्तान के 'गांधी'   जिन्ना !जिसे 'गांधी 'जी प्यार से 'कायदे आज़म 'पुकारते थे , के पहले सम्बोधन की याद आ गई जो उसने  पाकिस्तान बनने पर दिया था  …पाकिस्तान में सभी मज़हबों -धर्मों के अवाम के साथ एक सा सलूक किया जाएगा।  पाकिस्तान में रह गए  २५% हिन्दू जिन्ना के झांसे में आ  गए  और यह भूल गए की इस्लामिक रिपब्लिक आफ पाकिस्तान बना ही मुसलमानों के लिए है ,जहाँ 'कुरान ' के शरीया कानून नासिर हैं  …हिन्दू इतिहास को भूल गए - जो इतिहास भूलता है ,इतिहास उन्हें भुला देता है  …आज मात्र १% हिन्दू बचे हैं पाक में !
मार्क गैब्रियल की पुस्तक -इस्लाम एंड टेरर के अनुसार  …मुहम्मद की आखिरी इच्छा !
इब्ने अब्बास ने कहा जिस दिन रसूल मरे ,वे मुझ से कह रहे थे , सारे अरब से काफिरों,यहूदिओं और ईसाईयों को निकाल दो और उनके उपासना स्थलों को गिरा दो , और उनको कब्रिस्तान में बदल दो ( -बुखारी -जिल्द ४ किताब ५६ हदीस ६६०)।  
'वे (काफिर) जहाँ कहीं भी तुम्हें मिलें ,उन सब का वध कर दिया जाए ( कुरआन २३.६० .-४-६४ )
६७ साल हिन्दुओं को पाकिस्तान में दूसरे दर्ज़े का नागरिक समझा गया  … इनकी बहु-बेटिओं को अगवा कर ज़ब्रन धर्म परिवर्तन करवा कर मुस्लिम युवको से निकाह  किया गया , जिसने विरोध किया उन्हें मौत के घाट उतार दिया गया  .... डर से और निरंतर प्रताड़ना से दुखी हो कर लाखों हिन्दुओं ने इस्लाम कबूल लिया !
जब कुछ पाक  हिन्दू परिवारों ने राजस्थान बार्डर पार कर अपने ऊपर हुए अत्याचारों की आपबीती बयाँ की तो नेहरू के पैरोकार गृह मंत्री जनाब 'शिंदे ' साहेब ने फ़रमाया कि इन हिन्दुओं को 'हुए' अत्याचारों का सबूत देना होगा। पाक हिन्दुओं के लिए उधर मजहबी शैतान और इधर सैकुलर शैतान की स्थिति थी  …भारत की सैकुलर सरकार ने हिन्दुओं की कोई सुध नहीं ली  ....... इसके पीछे भी 'नेहरू 'का  शैतानी दिमाग था !
शेख अब्दुल्ला और मौलाना आज़ाद के कहने पर नेहरू ने लियाकत अली के साथ १९५० में एक समझौते के तहत  बार्डर सील कर दिया , ताकि पाक में हो रहे हिन्दू -नरसंहार पर पर्दा पड़ा रहे  …… ग्यासुदीन पौत्र  … नेहरू करोड़ों पाक -हिन्दुओं के नरसंहार का ही नहीं अपितु असंख्य हिन्दू अबलाओं पर हुए क्रूर अत्याचारों के भी दोषी हैं !

मंगलवार, 10 नवंबर 2015

हर शाख़ पे उल्लू बैठा है --- 'इलज़ाम -ए ' गुलिस्तां !!!!!!!

हर शाख़ पे उल्लू बैठा है --- 'इलज़ाम -ए ' गुलिस्तां  !!!!!!!

                      एल आर गांधी

दिवाली पर हर  कोई चाहता है कि 'लक्ष्मी ' ऐश्वर्य व् धन -सम्पदा की देवी एक बार उनके घर आए तो वापिस न जाने पाए ! शायद इसी लिए लक्ष्मी की  सवारी  ' उल्लू' को बलि का बकरा बना दिया जाता है  .... कुछ तांत्रिक व् ढोंगी बाबा इसके अंगों  की बलि देते हैं  ……
भला हो 'एको-ईको ' जैसे पशु-पक्षी प्रेमी एन जी ओज का , जिन्होंने एक बॉलीवुड अभिनेत्री तारा शर्मा की  गुहार पर त्वरित कार्रवाही करते हुए एक 'उल्लू ' को बचा लिया। बेचारे 'कुत्ते ' दिवाली 'के पटाखों की आवाज़ से सहम जाते है  … चंद श्वान प्रेमी तो इन्हें अपने बेड -रूम में बिठा कर फुल -टोन पर संगीत बजाते हैं ताकि कुत्ते के कानों तक 'दिवाली के दुष्ट पटाखों की प्राण-घातक ' आवाज न पहुँच पाए।
पर्यावरण प्रेमी सभी आम-ओ -ख़ास से यह अपील करना नहीं भूलते कि पटाखों से वातावरण कितना प्रदूषित होता है  …… इन सभी समाज सेवी संस्थाओं और इनके संचालकों को हमारा  .... साधुवाद !
जब अल्लाह के मुरीद 'ईद ' पर लाखों बेज़ुबान जानवरों को महज़ काटते नहीं अपितु 'हलाल ' तड़पा -तड़पा ' कर मारते हैं  .... जानवरों के खून से नदी -नालों का पानी ख़ूँरेज़ हो जाता है  .... तब ये पशु प्रेमी ,पर्यावरण -प्रेमी समाजसेवक - ऐन जी ओज टालरेंस -सहिष्णुता  की चादर ओढ़ कर 'सो ' जाते हैं  .... कोई कम्युनल न कह दे  … सैकुलर समाज जो ठहरा !

सोमवार, 19 अक्तूबर 2015


अर्विंद्र केजरीवाल's photo. 
  एल आर गांधी 
महान दार्शनिक  महृर्षि अरविन्द की ऐतिहासिक चेतावनी को दरकिनार कर 'गांधी-नेहरू ' जैसे धृतराष्ट्रों का अनुसरण कर देश को सिक्कुलर वाद के अन्धकूप में धकेलने का परिणाम हमारे सामने है  …कश्मीर में शरिया लागू है 
मुसलमान देश का संविधान और कानून मानने को तैयार नहीं। देश की रक्षा में शहीद फौजी को ५ लाख  … गाए हत्या में मारे गए मुसलमान को ४५ लाख ,४-४ फ़्लैट , नौकरी अलग से  .... ऐसी शरिया तो इस्लामिक देशों में भी  देखने को नहीं   मिलती। इस्लामिक आतंक के शिकार भारतियों को २-५ लाख और समझौता एक्सप्रेस में अल्लाह को प्यारे हुए पाक यात्रियों को १७ लाख से भी अधिक। ६९ साल पूर्व 
हिन्दू-मुस्लिम का अनुपात १२ -१  का था  … आज  ६-१ रह गया  … वह दिन दूर नहीं जब भारत    दारुल हरब से दारुल इस्लाम बन जाएगा  और हिन्दुओं का हाल वैसा ही होगा जैसा पाकिस्तान में है। 
to

महर्षि अरविन्द 
हिन्दू मुस्लिम एकता असम्भव है क्योंकि मुस्लिम कुरान मत हिन्दू को मित्र रूप में सहन नहीं करता । हिन्दू मुस्लिम एकता का अर्थ हिन्दुओं की गुलामी नहीं  होना चाहिए  । इस सच्चाई की उपेक्षा करने से लाभ नहीं ।किसी दिन हिन्दुओं को मुसलमानों से लड़ने हेतु तैयार होना चाहिए । हम भ्रमित न हों और समस्या के हल से पलायन न करें । हिन्दू मुस्लिम समस्या का हल अंग्रेजों के जाने से पहले सोच लेना चाहिए अन्यथा गृहयुद्ध के खतरे की सम्भावना है । ।
ए बी पुरानी इवनिंग टाक्स विद अरविन्द पृष्ठ २९१-२८९-६६६

गुरुवार, 10 सितंबर 2015

दिल तो बच्चा है जी

दिल तो बच्चा है जी 

   एल आर गांधी 

शहज़ादे के गुरु   .... राजनीती के वाक् -गुदम   … रियासत के राजा  .... दिग्गी राजा  को आखिर अपनी मस्तुरात मिल ही गई  .... ४४ वर्षीय  अमृता अब ६८ के उम्रदराज राजा के मरुथल में अपने प्यार की अमृत धारा प्रवाहित करेंगी  …सच में राजा साहेब  बेहद अकेले पड़ गए थे  .... जब उनकी प्रिय आशा उन्ही के ६६ वे बसंत पर उन्हें एक पुत्र ,४ पुत्रियां और अनेकों पोते -नातियों के बीच 'अकेला ' छोड़ गई !
यूं तो राजा साहेब ने १९७७ में जब वे मध्य प्रदेश के मुख्य मंत्री थे ,कथित तौर  पर एक युवा कांग्रेस नेत्री सरला मिश्रा से दिल लगाया था  …राजा साहेब की बेरुखी से बेज़ार  बेचारी  मिश्रा ख़ुदकुशी का बैठी  .... 
अमृता ठहरी पत्रकार  .... राजा साहेब की रग -रग से वाकिफ ! जब एक पत्रकार ने अमृता से संबंधों पर से झीनी चुनरिया उठाई तो दिग्गी मियां 'बिफर 'गए  .... बोले तुझे तो कोर्ट में देखूंगा  .... पत्रकार भाई ने जब राजा साहेब और अमृता के अंतरंग चित्र दिखाए तो 'गुदम ' की मानिंद उलट गए  .... हम हम कोई मोदी हैं ! जो सच को छुपाए ! प्यार किया तो डरना क्या !
दिल तो बच्चा है जी  .... चाहे आठ माह का बच्चा हो, जो अपनी माँ  के आँचल में सकून पाता है या फिर ६८ की उम्र का दिग्गी मियाँ कोमलांगी का साथ तो हर आयु  में अमृत सा आनंद देता है 
महाकवि बाल्मीकि जी ने रामायण में 'रावण के मुंह से कहलवाया है !
वासना की अग्नि को मैं जितना शांत करता हूँ  .... वह उतनी ही भड़कती है 

गुरुवार, 3 सितंबर 2015

संथारा -जन्नत और जेहाद

संथारा -जन्नत और जेहाद

   एल आर गांधी

संथारा  ! … जैन धर्म का इच्छा  मृत्यु संकल्प  …जीवन के अंतिम पड़ाव पर अपनी इच्छा और संकल्प के दृढ़ विश्वास की सात्विक निष्ठां को आधार  मानते  हुए   अन्न-जल का परित्याग कर जीवन के  अंतिम क्षणों का पूरी धार्मिक आस्था के  साथ , जैन धर्मावलम्बी एक धार्मिक अनुष्ठान के रूप में इंतज़ार करते  …… यह अनुष्ठान सदियों से चला आ रहा है  … अचानक मलेच्छों के बनाये कानून के जानकार एक 'न्यायधीश ' को इस प्रथा में 'आत्महत्या ' दिखाई दे गई और 'संथारा' पर रोक लगा दी  … मगर सर्वोच्च न्यायालय ने इस के अमल को रोक दिया  …। जैन धर्म में विशवास रखने वाले 'संथारा' को मोक्ष प्राप्ति का एक उत्तम मार्ग मानते हैं जिससे मानव वैकुण्ठ धाम को प्राप्त होता है   …। सभी धर्मों में स्वर्ग प्राप्ति के अलग अलग रास्ते सुझाए गए हैं  .......
कुछ लोगों को जन्नत में जाने का माकूल रास्ता समझाते हुए 'जेहाद' की तालीम दी जाती है  .... उनके दीन को न मानने वालों को जहन्नुम पंहुचा कर 'शहीद ' होने वालों को जन्नत में आब-ऐ -हयात के साथ साथ मृग नयनी ७२ हूरें और १० लौंडे  .... खूब मज़े उड़ाने के लिए खुश -नसीब होते हैं  ....... सारे विश्व में जन्नत के तलबगार जेहाद में मुन्तिला हैं  …… मगर किसी कानून के जानकार को 'जेहाद ' में जुर्म दिखाई नहीं देता  .... और न ही किसी में इतनी हिम्मत है की 'जेहाद' और जन्नत के ख़्वाब परोसने वाली किताब पर रोक लगा दे  …सैकुलर निज़ाम की नाक का सवाल है जी !

मंगलवार, 18 अगस्त 2015

PAPPU-LOTA-SHOCHALYA

आज राजकुमार अपने संसदीय क्षेत्र में ग्रामीणों से रू-बरू हो रहे थे  …… ग्रामीणों से निकटता देखते ही बनती थी  …राजकुमार चारपाई पर विराजमान थे ,  साथ में रक्खे टेबल पर पानी का लोटा रखा था  …हम तो समझे कि  ग्रामीण जीवन का यथार्थ आनंद लेने के लिए 'राहुल जी ' लोटा लेकर जंगल पानी जाएंगे  .... मगर यका यक  पीछे से किसी ने बिसलरी की बॉटल रख कर लोटा उठा दिया . बार - बार कुर्ते के बाजू चढ़ा कर कांग्रेस के बाहुबली अपनी चीट स्लिप से रोमन में लिखवाए भाषण में से ग्रामीणों से बतियाने लगे MODI DEENGE HAANKTA HAI USNE SKOOLON ME 4 LAKH SHOCHLIYA BANA DIYE HAM EK SKOOL MEIN KHUD GAE SHOCHLIYA DEKHA TO SU-SU KARNE KE LIYE ANDAR GAYE EK AUR DO NUMBAR KE LIYE EK HI SHEET THI AUR VAH BHI DESI ..... HAM USI PAR EK NUMBAR BAITH GAI ....BAITHTE HI DO NUMBAR BHI AA GAYA....TOILET MEIN KAHIN BHI TISHU PAPER NAHIN THA .... TOOTI MEIN PANI NAHIN THA ...HAMNE AVAAJ LAGAAI TO KISI JAHIL NE CHUPKE SE THODA SA  KIVAD KHOL KAR PANI KA LOTA RAKH DIYA ....AB HAM BINA TISHU PAPER KE PAIJAMA UPAR KAR VAISE HI BAHAR AA GAE .....BINA TISHU PAPER KE SHOCHALYON KA MUDDA HAM LOK SABHA MEIN JAROOR UTHEINGE ... SADAN KO CHALNE NAHIN DENGE HAM....

शनिवार, 1 अगस्त 2015

३० जुलाई २०१५ इतिहास के झरोखे से

३० जुलाई २०१५ इतिहास के झरोखे से

       एल आर गांधी


३०  जुलाई २०१५ देश के इतिहास में एक 'संधिकाल ' के  रूप में याद किया जाएगा।
आज ही के दिन महान देश भक्त वैज्ञानिक पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम जी का अंतिम संस्कार हुआ और पूरे देश ने उन्हें अर्शु पूर्ण श्रद्धांजलि दी  ....... दूसरी और १९९३ के मुंबई  धमाकों के मास्टर माइंड याकूब मेमन  को भी फांसी  और सपुर्दे  -ख़ाक किया गया   … हज़ारों दीनदारों ने इस ७२ हूरों के तलबगार जेहादी के ज़नाज़े के जुलूस में शिरकत कर साफ़ कर दिया कि इस्लाम और शरीयत में अक़ीदा रखने वाले सिर्फ अपने दीन से बाव्फ़ा हैं  ....  राष्ट्र भक्ति उनके लिए बेमानी हैं  .... दारुल इस्लाम ही उनका अंतिम लक्ष्य है।
इतिहास की दिवार पर साफ़ साफ़ लिखा है   …… हिंदुस्तान का मुस्तक़बिल !  … पाकिस्तान, बांग्लादेश , अफगानिस्तान ,ईरान , ईराक मियांमार  … काश्मीर  …… ' आइना देखिये '
बंटवारे के वक्त भारत में  हिन्दू  ३३ करोड़ ९०% , मुस्लिम ३ करोड़  ८% और ईसाई ०.७  करोड़  २% थे  जो अब
हिन्दू ८२ करोड़  ७३. ९ % और मुसलमान २५ करोड़  २२. ५ %  हैं  बाकि अन्य। प्रति वर्ष  ग्रोथ रेट  है  हिन्दू
४. ०७% , मुस्लिम १३. ७ % और ईसाई  ३. ६% .
२०३५ आते आते यह अनुपात याकूब मेमन और अब्दुल कलाम के ज़नाज़े की शिरकत की मानिंद पलट जाएगा। मुस्लमान हो जाएंगे ९२. ५ करोड़ अर्थात ४८. २% और हिन्दू रह जाएंगे ९०. २ करोड़  -  ४६. ९% और ईसाई ९. ५ करोड़ -४. ९ % .
२०५० तक दारुल इस्लाम का जेहादी चेहरा आईने की माफिक साफ़ हो जाएगा  …मुस्लिम १८९. ६२ करोड़ अर्थात ६३. ८ % हिन्दू रह जाएंगे ९५. ७ करोड़ महज़ 32.२%  और ईसाई १२ करोड़  ४% बाकि की कसर शरिया और जज़िया के कैहर पूरी कर देंगे जैसे पाकिस्तान में हिन्दू २४% से घट कर १% पर सिमट गए हैं और अपने ही कश्मीर में मुसलमान ९७% हो गए हैं  ....
इस विनाश कारी हालात के लिए दारुल इस्लाम के जेहाद से भी अधिक योगदान गांधी/नेहरू की सिक्कुलर शैतानी नीतियों  और नियतियों  का रहा है  … आज विश्व में सब से अधिक ३ लाख मस्जिदें और १२०,००० मदरसे देश में सरकारी सहायता पर फलफूल रहे हैं जहाँ , जेहादी मनोवृति के विषधर तैयार किये जाते हैं



गुरुवार, 18 जून 2015

शिव भक्त रावण

शिव भक्त रावण

एल आर गांधी

मान्यता है कि लंका नरेश रावण के १० शीश थे  .... तो यह भी प्रशन स्वाभाविक सा है कि दाईं और कितने और बाईं और कितने  .... विद्द्वान इसे प्रतीकात्मक मानते है  …क़ुछ की मान्यता है कि रावण बहुत विद्वान था और उसे ४ वेद और ६ शास्त्रों का ज्ञान था इस लिए उसे दशानन नाम से भी पुकारा जाता था। … किन्तु अनेक विद्वान रावण की मानसिकता के आधार पर उसे दशानन की उपमा देते है  .... काम ,क्रोध ,मोह, लोभ ,मद ,मत्सर (ईर्षा), मानस , बुद्धि , चित्त और अहंकार  … जिसका वर्णन रामायण में भी मिलता है।  भगवान राम ने रावण की इन्हीें राक्षसी चित्त वृतियों को मार कर उसके अंतस में बैठे शैतान का  अंत किया था।
हिन्दू देवता व् ऋषि मुनि मोक्ष प्राप्ति के लिए दैविक लिंग 'आत्म लिंग ' शिवात्मा  की उपासना करते थे  … रावण ने भी शिव को प्रसन्न  लिए शिव की घोर उपासना की  .... शिव प्रकट हुए और रावण से वरदान मांगने को कहा  .... आदि काल के पत्रकार पितामाह नारद जी को संदेह हुआ तो विष्णुजी से कह कर रावण की मति भ्रष्ट करवा दी और मति  भ्रष्ट रावण ने पार्वती जी को ही मांग   लिया .... लेकिन वह जब वापिस लंका जा रहा था तो नारदजी ने उसे भ्रमित करते हुए समझाया कि शिवजी ने उसे नकली पार्वती थमा दी है  …असली तो पथाला में है  .... रावण वहां  गया और स्त्री से विवाह कर घर लौट आया।  रावण की माँ ने पूछा ' आत्म लिंग' कहाँ है ? रावण को तब जा कर ज्ञान हुआ।
रावण ने आत्म  लिंग की प्राप्ति के लिए हिमालय की मुरुदेश्वर गुफा में पुनः तपस्या की  .... यहाँ पर एक

प्रतिमा  है जिसमें रावण अपने दसों शीशों को काट कर महादेव को अर्पित करता है 
बारह ज्योतिर्लिंगों में प्रथम सोमनाथ मंदिर का निर्माण त्रेता युग में  'चांदी ' से रावण ने  करवाया था


गुरुवार, 14 मई 2015

हिन्दू कुश

हिन्दू कुश

एल आर गांधी

 विश्व के सबसे कुख्यात इस्लामिक आतंकी ओसामाबिन  लादेन के शव के टुकड़े 'अफ़ग़ानिस्तान की हिन्दू कुश 'पहाड़ियों पर फेंक दिए गए  …यूरोपीय इतिहासकारो का मानना है कि विश्व इतिहास में जितने भी मानव जनसंहार हुए , उनमें हिन्दुकुश की पर्वत शृंखलाओं में  इस्लाम के नाम पर 'हिन्दुओं ' का जनसंहार दरिंदगी की 'इंतेहा ' मानी जाती है  .... यहाँ पर लाखों हिन्दुओं को इस्लाम के नाम पर मौत के घाट उतार दिया गया  …इसी लिए इन पहाड़ियों का नाम ही हिन्दू -कुश (क़त्ल) पड़  गया  …।
हमारे सैकुलर इतिहासकार बेशक इस सचाई पर लाख पर्दे डालें मगर विश्व के महान यूरोपीय इतिहास कार आज भी 'हिन्दुकुश ' को विश्व का सब से बड़ा और जघन्य 'होलोकास्ट ' (कत्लोगारत ) मानते हैं  .... शायद इसी लिए इस्लामिक आतंक के पर्याय ओसामा बिन लादेन के शरीर के टुकड़े हिन्दुकुश पहडिओं पर गिरा कर अमेरिका ने 'लाखों हिन्दुओं ' को श्रद्धांजलि अर्पित की है  …
एक तरहां से अमेरिका ने ओसामा को ' ओसामाजी 'कहने वाले दिग्गी मियां जैसे सिक्कुलर कुष्ठ मानसिकता रोगी के मुंह पर एक तमाचा जड़ा है  … 

सोमवार, 11 मई 2015

सोमनाथ .... आस्था की विरासत

सोमनाथ  .... आस्था की विरासत 

       एल आर गांधी 

आज़ादी के बाद जब जूनागढ़ के नवाब ने रियासत की जनता की  इच्छा के विरुद्ध पाकिस्तान के साथ  जाने का निर्णय लिया तो १२ नवम्बर १९४७ को पटेल जूनागढ़ आए  … नवाब भाग खड़ा हुआ  .... पटेल ने सोमनाथ मंदिर के नव निर्माण का निर्णय लिया जिसे १७०६ में औरंगज़ेब के हुक्म से तोड़ दिया गया था  …। मंदिर के अवशेषों के बीच एक मस्जिद खडी कर दी गई थी  ....
पटेल की इस योजना का गांधीजी ने समर्थन तो किया मगर साथ ही यह शर्त भी रख दी की सरकारी खज़ाने से 'एक पैसा 'भी न खर्च किया जाए  …। 'पंडित' जवाहर लाल नेहरू मंदिर निर्माण की इस योजना के धुर विरोधी थे।  मंदिर के स्थान पर बने 'मस्जिद ' के ढांचे को कुछ मील दूर शिफ्ट कर दिया गया और मूल स्थान पर भव्य मंदिर जनता के सहयोग से निर्मित किया गया  …। इसी बीच गांधीजी और पटेल जी का देहावसान हो गया और इस महती कार्य को श्री के एम मुंशी जी ने पूरा किया। 
११ मई १९५१ को राष्ट्रपति श्री राजेन्दर परसाद ने मंदिर में मूर्ती प्रतिष्ठान किया तो सैकुलर शैतान ग़यासुद्दीन पौत्र 'पंडित' नेहरू बहुत 'नाराज़' हुए तो राजेंदर बाबू ने बहुत ही माकूल जवाब दिया 'निर्माण की शक्ति  हमेशां ही विध्वंस की ताकत से महान होती है '
शेख ने मस्जिद बना ,       मिस्मार बुतखाना किया 
पहले तो कुछ सूरत भी थी , अब साफ़ वीराना किया 

शनिवार, 9 मई 2015

भारत के स्वाभिमान के प्रतीक सोमनाथ मंदिर

१२ ज्योतिर्लिंगा में से सोमनाथ का स्थान प्रथम है  …अन्य ज्योतिर्लिंगा हैं  … मल्लिकार्जुन,महाकालेश्वर,
 ॐ कालेश्वर ,केदारनाथ ,भीमाशंकर ,विश्वनाथ ,त्रिम्वाकेश्वर ,बैद्यनाथ ,नागेश्वर ,रामेश्वरम व् ग्रिश्नेश्वर  …… सोम (चन्द्रमा ) ने सोमनाथ का निर्माण स्वर्ण से किया था , रावण ने रजत से ,भगवान श्री कृष्ण ने काष्ठ से और राजा भीम देव ने पत्थर से  . भगवान आदिदेव 'शिव' का यह देवालय सतयुग , त्रेता ,द्वापर में उनके भक्तों ने निर्मित किया और कलयुग में सम्राट विक्रमादित्य ने भारत के स्वाभिमान के प्रतीक सोमनाथ मंदिर  का भव्य भवन बनवाया  …। अनादि काल से भारतीय जनमानस भगवान विश्वनाथ में अपने श्रद्धा सुमन के रूम में सोने ,चांदी , हीरे और मुद्रा भेंट स्वरुप चढ़ाता है  … सोमनाथ के ज्योतिर्लिंग को स्वयंभू माना जाता है  … सूर्य के उपासक पारसी भी सोमनाथ को मानते हैं और बहुमूल्य भेटें अर्पित करते हैं  …।
मंदिर की अकूत सम्पदा भी एक कारण रहा जो इस्लामिक जेहादी लुटेरों ने इसे अनेक बार लूटा ! भारत का यह मंदिर विदेशी लुटेरों ने सबसे अधिक बार लूटा और खंडित किया गया  …मगर भारतीयों ने इसे बार -बार भव्य रूप में फिर से निर्मित कर दिया गया  .
सबसे पहले जुनामद ,सिंध के सूबेदार ने मंदिर को लूटा  .
महमूद ग़ज़नी ने ११ मई १०२५ ईस्वी को सोमनाथ मंदिर पर हमला किया और सोमनाथ के बुत को तोड़ दिया और मंदिर से १८ करोड़ की सम्पदा लूट ले गया   … गज़नी ने ४०  बार मंदिर पर हमला किया १०२६ ईस्वी में राजपूत हिन्दुओं ने तीन दिन तक मंदिर की रक्षा की और ५००००  राजपूत वीरगति को प्राप्त हुए।  गज़नी ने पवित्र शिवलिंग को खंडित कर दिया  .... गज़नी को इस्लाम में मूर्ती भंजक की उपाधि से नवाज़ा जाता है  … इस हमले में उसने २० मिलियन दिनार लूटे , जो पहले हमले से ८ गुना अधिक थे  .
मंदिर के १०००० पंडित चमत्कार की आस में खड़े रहे और गज़नी ने सैनिको ने सभी पुजारिओं को क़त्ल कर दिया।
१३वी सदी में अल्लाउदीन ख़िलजी ने अपने जरनैल अलाफ खान को मंदिर पर हमला करने को भेजा  .
१५ सदी में मंदिर पर गुज़रात के गवर्नर महमूद बेगड़ा का कब्ज़ा था और उसने मंदिर में से मूर्ती को निष्कासित कर दिया  .
औरंगज़ेब ने मोहम्मद आज़म को मंदिर  पूरी तरहं ज़मींदोज़ करने के लिए भेजा और उसने ऐसा ही किया।
इस्लामिक जेहादियों  ने जितनी बार मंदिर को तोडा , शिव भक्त भारतियों ने उतनी बार ही इसका पुन्यनिर्माण करवा दिया गया।  १२वी सदी में सम्राट कुमारपत्र ,भावे बृहस्पति ने मंदिर का पुननिर्माण करवाया और १७८३ ईस्वी में साध्वी अळाल्या देवी ने मंदिर का निर्माण करवाया।
भारत की आज़ादी के बाद उप प्रधान मंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल ने देश की इस गौरव मयी धरोहर के पुन्यनिर्माण की योजना बनाई  .... गांधी जी ने तो अपनी सहमति दे दी किन्तु प्रधान मंत्री 'पंडित ' जवाहर लाल नेहरू को मंदिर निर्माण पर सख्त एतराज़ था  . पटेल ने जनता से चंदा एकत्रित कर सोमनाथ ज्योतिर्लिग मूर्ती की भव्य स्थापना करवाई  . ११ मई १९५१ को प्रात : ९. ४६ पर राष्ट्र के राष्ट्रपति महामहिम राजेन्दर प्रसाद जी के कर कमलों से मूर्ती की प्राण प्रतिष्ठा की गई  ....
ग़यासुद्दीन पौत्र 'पंडित ' नेहरू ने समागम से दूरी बनाए रखी !


गुरुवार, 23 अप्रैल 2015

ग्यासुदीन गाज़ी पौत्र … पंडित नेहरू----- आज़ादी के परवाने ....... नेताजी

ग्यासुदीन गाज़ी पौत्र  … पंडित नेहरू
आज़ादी के परवाने  ....... नेताजी

          एल आर गांधी

नेहरू ताउम्र , नेताजी का नाम आज़ादी की लड़ाई में अपना सब कुछ न्योछावर करने वाले आज़ादी के परवानों की सूची में से मिटाने  में लगे रहे  …। विधि का विधान देखो आज उन्ही का परिवार 'नेहरू' को भी भूल गया है  .... याद रक्खे भी क्या   … छल - कपट ---जासूसी और वह भी क्रांतिकारिओं की !
नेहरू का मानना था कि वह शिक्षा के आधार पर अँगरेज़ हैं , विचारों से अंतर्राष्ट्रीय , उत्पत्ति व् सभ्यता से मुसलमान और हिन्दू केवल एक पैदायशी दुर्घटना वश ! नेहरू को अपनी संस्कृति -विरासत और सनातन -समृद्ध भारतीयता पर किंचित मात्र भी मान नहीं था  .... शायद इसके पीछे उनके पूर्वजों का यथार्थ छिपा था कि कैसे उनके दादा जान अंग्रेज़ों से जान बचाने के लिए  ग्यासुद्दीन गाज़ी से गंगाधर नेहरू बन गए थे  .... ऐसे ही हमारे युवराज राहुल गांधी के दादा जान भी मियां  नवाब अली खान थे !  .... दुर्घटनावश हिन्दू होना तो इनकी राजनैतिक मज़बूरी है  …। नेहरू मियां यदि दुर्घटनावश हिन्दू ही थे तो अपने नाम के आगे' पंडित ' का लेबल लगाने की कौन सी मजबूरी थी !
नेताजी सुभाष चन्दर बॉस की शिक्षा बेशक यूरोपिय स्कूलों में हुई ,मगर राष्ट्र भक्ति और अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत व् धर्म के प्रति गहरी आस्था थी।  अंग्रेजी भाषा का उन्हें बहुत अच्छा ज्ञान था। प्रेज़िडेंसी कालेज के एक प्राध्यापक मि.ओटेन उनसे बहुत जलते थे  . ओटेन अक्सर भारतीय सांस्कृति और समाज को दकियानूसी बता कर मज़ाक उड़ाया  करते थे  … नेताजी ने उन्हें कई बार ऐसा बोलने से रोका   मगर  वह नहीं माने।  ऐसे ही एक दिन भारतीय संस्कृति को कोसते हुए प्रतिमाओं की पूजा पर बोलते हुए 'माँ दुर्गा ' के प्रति उन्होंने कुछ  अपमानजनक शब्दों का प्रयोग किया तो सुभाष बाबू का पारा सातवें आसमान पर पहुँच गया।
सुभाष बाबू ने उन्हें अपने शब्द वापस लेने को कहा , परन्तु जब मि.ओटेन और गुस्ताखी पर उतर आए , सुभाष बाबू  ने एक ऐसा झन्नाटेदार  तमाचा दे मारा , जिसकी गूँज कलकत्ता की गलियों से ब्रिटिश क्राउन तक लन्दन जा पहुंची।  सुभाष बाबू को कालेज छोड़ना पड़ा लेकिन इस के बाद मि ओटेन और उन  जैसों की बोलती बंद हो गई। आज़ादी न तो 'दुर्घटना वश ' मिलती है और न ही कायरों के  'अहिंसा 'प्रलाप से। आज़ादी का बूटा तो क्रांतिकारियों के खून से सींचा जाता है , तब स्वतंत्रता के फूल खिलते हैं
क्षमा शोभती उस भुजंग को ,
जिसके पास गरल हो  .
उसको क्या , जो विषहीन ,
दंतहीन, विनीत सरल हो।  

गुरुवार, 16 अप्रैल 2015

बापू - चाचा और नेताजी


 बापू - चाचा और नेताजी

     एल आर गांधी

नेताजी सुभाष चन्द्र बोस  को इतिहास के गुमनाम पन्नों में दफन करने के 'काले-गोरे ' अंग्रेज़ों के षड्यंत्र पर से परत दर परत पर्दा उठने लगा है  …। यह षड्यंत्र माउंटबेटन ,उनकी मैडम और चाचा नेहरू के बीच रचा गया था  .... अँगरेज़ समझ गए थे कि हज़ारो शहीदों की शहादत के पश्चात अवाम के दिलोदिमाग में जो आक्रोश पैदा हो गया है और नेताजी सुभाष के आह्वान कि 'तुम  मुझे खून दो , मैं तुम्हें आज़ादी दूंगा'  के बाद उनका भारत में अधिक देर टिकना संभव नहीं।  अंग्रेज़ नहीं चाहते थे कि आज़ादी का सेहरा क्रांतिकारिओं के सर बंधे। वे चाहते थे की सारी  दुनिया में यह प्रचारित हो के बापू की अहिंसा ,अवज्ञा और मानवीय संवेदना से मज़बूर हो कर उन्होंने भारत छोड़ा। क्रांतिकारिओं से सबसे बड़ा बदला यही होगा कि उनकी क्रांति का नामोनिशां विश्व और भारत के इतिहास के पन्नो से मिटा दिया जाए  ....
भारत की सत्ता हस्तांतरण की यह शर्त थी कि क्रांतिकारिओं को उग्रवादी प्रचारित किया जाए और सुभाष बाबू सरकार के हाथ १९९९ तक जब भी आएं तो उन्हें 'ब्रिटेन का युद्ध अपराधी ' करार देते हुए ,ब्रिटेन को सौंप दिया जाएगा।
इंग्लैण्ड के प्रधान मंत्री क्लिमैन्ट एटली ने सदन को सूचित किया कि - हमारा भारत के नेताओं  से  समझौता हो चूका है , जब भी सुभाष चन्दर बॉस ग्रिफ्तार होंगे , उन्हें ब्रिटेन को सौंप दिया जाएगा।  गुप्त फाइल १० ( आई : ए एन ए ) २७९ में स्पष्ट अंकित है  कि भारत सहित ५४ राष्ट्रमंडलीय देशो में से सुभाष बाबू कहीं भी पकडे जाएं , तो उन्हें फांसी पर चढ़ा दिया जाएगा या ब्रिटेन को सौंप दिया जाएगा।  लार्ड मौन्टबेटन के एक सचिव द्वारा लिखित पुस्तक लास्ट डेज़ आफ ब्रिटिश राज इन इण्डिया  में भी इस षड्यंत्र की जानकारी दी गई है।
नेता जी से एक बार पूछा गया कि इतने लोग गांधी जी से क्यों आकर्षित हैं  तो उन्होंने बहुत ही बेबाक उत्तर दिया  …। गांधी जी इतनी  भीड़ को इस लिए आकर्षित कर पाते  है कि वह स्वयं को एक फ़क़ीर के रूप में प्रस्तुत करते हैं।  अगर वह पश्चिमी में पैदा होते तो उन्हें शायद कोई नहीं पूछता।  अगर  रूस ,जर्मनी या इटली में पैदा हो कर अहिंसा से आज़ादी लेने की बात करते , उन्हें  किसी' पागलखाने ' में डाल दिया जाता  ……
चाचा नेहरू दो कारणों से नेताजी से  खार खाते  थे  .... एक तो नेताजी भारत के जनमानस पर एक - छत्र राज करते थे। वे कांग्रेस के अध्यक्ष पद पर खड़े हुए   …… बापू के ख़ास नुमांइदे पट्टाभीसीतारमैया से २०३ मतों से विजयी हुए   .... बापू को कहना पड़ा  … यह मेरी हार है ' । नेताजी ने एक बार नेहरू को उनके कार्यकलापों के लिए इतनी डांट पिलाई की उन्हें दिन में तारे नज़र आने लगे   अपने एक पत्र में नेहरू को नेताजी ने खूब आईना दिखाया।  कुछ  अंश  … "मेरी इस बात को अच्छी तरह पल्ले बाँध लो।  तुम्हारा व्यवहार ठीक ऐसा है जैसा एक शुरू से ही अनुशासनहीन ,कुसंस्कारी बालक का।  तुम क्रोधित भी बहुत जल्द हो जाते हो।  बंदरों जैसी इस उछल कूद से बचो। " इसी कारन नेहरू जी २० साल तक नेताजी की जासूसी करवाते  रहे  .... ताकि गोरे  अंग्रेज़ों के साथ काले अंग्रेजों की हुई गुप्त संधि को परवान चढ़ाया जा सके  .... यह तो एक गुप्त फाइल का सच सामने आया है  .... बाकी गुप्त फाइलों पर से जब पर्दा उठेगा तो झूठ के सौदागरों के सब लंगर लंगोट
कुछ ऐसे पंजाबी अखौत जैसे हो जाएंगे !
सानु सज्जन उह मिले ,जिहड़े साथों बी समरत्थ
साढ़े टेढ़ लंगोटी , उन्हां  दे अग्गे पिच्छे   हत्थ



शनिवार, 4 अप्रैल 2015

शशि-धरा का लुका-छिपी महोत्सव
एल. आर. गाँधी
शशि- धरा की लुक्का छिपी का महोत्सव है आज . महोत्सव का श्रीगणेश सांय 3.45 पर होगा और सांय ७. १५ तक चलेगा . विश्व के प्राचीनतम प्रेमी इस महोत्सव के मुख्य पात्र हैं. अबकी शशि छिपेंगे और धरा सदैव की भांति ढूँढेंगी .... रवि ने मंच सञ्चालन का जिम्मा सम्हाल लिया है. पिछले कई दिनों से 'विधु' छिपने की रिहर्सल में मशगूल हैं .. जब देखो धुंध में लुका-छिपी के खेल में व्यस्त हैं और धरा भी धुंध में धुंधलाई आँखों से निशा में दूर तक अपने सखा'इंदु' को देखती है ...मानो जांच रही हो ..अबकी कहाँ छिपेगा ? फिर भूल गई की उसका यह सदियों पुराना अनुज -सखा तो सदैव उसके आँचल में ही आ छिपता . लो ' निशापति' छिप गए और धरा दबे पाँव अपने नन्हे चिर-सखा को ढूँढने निकल पड़ी. अपनी प्रियसी और उसके सखा के बीच के इस लुकाछिपी के खेल को 'रवि' चुपचाप निहार रहे हैं.
सदियों से शशि , धरा-दिनकर के सृष्टि सम्भोग के प्रत्यक्ष -द्रष्टा रहे हैं. निशापति के जाते ही दिनकर अपनी प्रियतमा को अपने आगोश में ले कर 'चिर सौभाग्यवती' भव का आशीर्वाद देते हुए ,अपनी प्रचंड किरणों से काम-क्रीडा में मस्त हो जाते हैं. रात होते ही निशापति थकी- हारी धरा को अपनी शीतल किरणों की चादर ओढा कर , अपने सखा धर्म का निर्वाह कर, मात्र ठंडी आहें भरने के सिवा और कर भी क्या सकते हैं. अपने मित्रवत प्रेम के इज़हार का इस साल 'इंदु' के पास आज यह प्रथम अवसर है. आज तो बस बता ही देंगे धरा को की वह किस कदर उसे बे-इन्तेहा प्यार करते हैं. लो शशि पूर्णतय छिप गए और धरा ढूंढ रही है ...शशि ने धरा को 'हीरे की अंगूठी ' दिखाई ..…… महज़ ४. ४३ क्षण के लिए …धरा अचरज में पड़ गई और शशि झेंप गए और शर्म से मुंह लाल हो गया . धरा ने आनन फानन में 'फ्रेंडशिप बैंड' भेंट किया और शशि ने अपनी चिर-सखा की यह भेंट स्वीकार कर राहत की सांस ली. रवि अपनी प्रियतमा के पतिव्रता आचरण पर भाव विभोर हो गए . इसके साथ ही लुका छिपी का विश्व समारोह सम्पूर्ण हुआ .
विज्ञानिक अपनी खुर्दबीने लिए इस महोत्सव से पृथ्वीलोक पर होने वाले 'अच्छे-बुरे प्रभावों की समीक्षा में व्यस्त हैं और धर्म भीरु हिन्दू ग्रहण से होने वाले दुष्प्रभावो को सोच का त्रस्त हैं. हमारी धर्म परायण श्रीमती जी ने सभी खाद्य- वस्तुओं में 'खुशा' का तिनका टिका दिया है. इसे कहते हैं डूबते को तिनके का सहारा . मंदिर के पंडित जी ने श्रीमती जी को आगाह कर दिया था कि आज शाम को मंदिरों के किवाड़ बंद रहेंगे . इस लिए देवीजी आज के देव दर्शन ग्रहण से पूर्व ही कर आयीं. ज्योतिविद धर्मभीरु आस्तिकों को चन्द्र ग्रहण से होने वाले दुश परिणामों से जागरूक करते हुए 'दान-पुन्य' के अमोघ अस्त्रों से अवगत करवा कर 'चांदी' कूटने में व्यस्त हैं . हम तो भई सोमरस की चुस्कियों संग , सृष्टि के प्राचीनतम प्रेमियों के इस लुकाछिपी महोत्सव को निहारने में मस्त हैं. निशापति का यह शर्म से लाल हुआ मुखारविंद सिर्फ और सिर्फ आज के इस महोत्सव में ही देखने को मिलता है , जब 'निशापति ' अपनी ही इज़हार ए मुहब्ब्त से शर्मसार हुए शवेत से सुर्ख हो जाते हैं.
यथार्थ के पक्षधर खगोलविद या फिर ईष्ट अनीष्ट की शंकाओं में डूबे ज्योतिषशास्त्री इस महोत्सव के प्रेम प्रसंग को क्या समझें ?

शनिवार, 21 मार्च 2015

भारतीय नव वर्ष .... ईरानी नवरोज़ मुबारक

भारतीय नव वर्ष  .... ईरानी नवरोज़ मुबारक

                एल आर गांधी

२१ मार्च २०१५ अर्थात चैत्र शुक्ल प्रतिपदा २०७२ 'भारतीय नववर्ष ' है  ....... फेसबुक -गूगल पर बहुत से भारतीय जिन्हें अपने भारतीय होने पर गर्व है और साथ ही अपनी गौरवमयी प्राचीन संस्कृति पर , नव वर्ष की मंगल कामनाएं भारतियों के साथ सांझी कीं और प्रथम नवरात्रे के मांगलिक  अवसर पर माँ शैलपुत्री की पूजा की  ……  पर अधिकाँश भारतीय अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत  बिसरा बैठे हैं   ..........
तभी तो गूगल पर सबसे अधिक 'सर्च ' करने वालों के इतने महत्वपूर्ण पर्व को 'गूगल ' ने ही भुला दिया  ....... गूगल ने ईरान के नव  वर्ष ' नवरोज़'  पर सभी को फूलों के रंगों से लबरेज़ 'नवरोज़ मुबारक '  सन्देश तो दिया ही और साथ ही इस पर्व का विस्तार से महत्त्व का भी बखान किया।   इस दिन के साथ ही पर्शियन कलेंडर की शुरुआत होती है और साथ ही बसंत ऋतु के फूल लहलहाते हैं  .... हिंदुस्तानी बसंत क्या जाने ! वहां तो इन दिनों वे बेचारे पसीना पोंछ रहे  होते हैं  …।
जो लोग अपनी विरासत गँवा बैठे  …   पसीना ही तो पोंछेंगे 

शनिवार, 14 मार्च 2015

बुद्धं शरणम् गच्छामि - राहुल शरणम् गच्छामि

बुद्ध राजपाठ छोड़ छाड़ कर शांति की तलाश में अज्ञातवास को चले गए थे ताकि दुखी मानवता के दुखों के निवारण हेतु चिंतन किया जाए   …आज एक और राज कुमार अज्ञात वासी हो गया फर्क महज़ इतना है कि बुद्ध राजपाठ  छोड़ कर गए थे और हमारे राज कुमार इस लिए गए हैं कि राजपाठ 'छूट ' गया  . बुद्ध मानवता के संताप के निवारण  संकल्प के साथ गए थे और राजकुमार राजपरिवार की डूबती नैया के लिए किसी ' तिनके ' की तलाश  में।
बुद्ध छठी शताब्दी में हुए  … तब न तो मिडिया था और न ही वी वी आई पी सिक्योरिटी  …फिर ज़ेड प्लस सक्योर्टी प्राप्त देश का भावी भविष्य कैसे अलोप हो गया  …पुलिस का चिंतित होना स्वाभिक था।  सो एक दरोगा जी राजकुमार को ढूंढते -ढूंढते पहुँच गए उनके कार्यालय , पूछने लगे 'गुमशुदा ' शख्स का हुलिया   .... आँखों का रंग  … बाल -बदरंग  …। दरबारी बुरा मान गए  …राजकुमार की निजता में तांक -झाँक करने की ऐसी जुर्रत और वह भी एक अदद दारोगा की।
बुद्धं शरणम् गच्छामि - राहुल शरणम् गच्छामि 

सोमवार, 23 फ़रवरी 2015

हूक  ………

दुखी मन मेरे ,सुन मेरा कहना
जहाँ नहीं चैना  ,वहां नहीं रहना
प्यार में धोखा खाए  …दुनिया के सताए एक बेबस प्रेमी के हृदय की हूक ही तो है।
चैन ही तो नहीं है  .... कोई बेचैन मुफलिसी से तो कोई अमीरी से  … गरीब बेचैन है कि कैसे गुज़र होगी और अमीर  .... कब सबसे अमीर हो जाएंगे ? एक हृदय की हूक तो दूसरी अहम की हूक।
भूख की हूक  … पेट को सताती है तो पैसे की भूख मन को आहत कर जाती है  .... एक कचरा बीनने वाला उदास है कि आज कल से कम जुटा  पाया हूँ तो एक अमीर गहरी सोच में है कि शेयर सूचकांक इतना क्यों खिसक गया।
इक मस्ती की हूक भी है  .... जिसने हूक के मायने ही बदल कर रख दिए  …।
वाह रे ग़ालिब तेरी फाका मस्तियाँ
वोह खाना सूखे टुकड़े भिगो कर शराब में 

शनिवार, 14 फ़रवरी 2015

छोटे शहर के परिंदे

छोटे शहर के परिंदे

एल आर गांधी

शाही शहर की शाही बारांदरी सूनी पड़ी  थी और वह भी १४ फरवरी को  … आज तो वहीँ से फूल तोड़ कर अपने लव बर्डज़ को मुफ्त मुफ्त में इम्प्रेस करने का दिन था  …वेलन्ताइन डे  .... अपनी नित्य की संध्या -सैर पर नज़रें किसी प्रेमी जोड़े को ढून्ढ ही रहीं थी  …कि एक पुलसिया विसल के साथ दरोगा जी की गर्जना सुनाई दी  … ओए चलो ! पेड़ की ओट में बैठे दो प्रेमी सरपट द्रुत गति से पिछले गेट से खिसक लिए   अब इन बेअदब खाकी वालों को कौन समझाए !
बाग़ में जाने के आदाब हुआ करते हैं
किसी भंवरे को न फूलों से उड़ाया जाए
पटियाला पैग और महाराजा भूपेंद्र सिंह की तीन सौ पहंसठ रानिओं के लिए तो मशहूर है हमारा शाही शहर
 … महाराज के ही पूर्वज राजेंदर सिंह ने बारादरी बाग़ बनवाया था  .... उन्होंने तो यहीं पर पहाड़ी बाग़ में विदेश से मंगवा कर स्नान मुद्रा में एक नग्न सुंदरी का बुत भी  स्थापित किया था -बाथिंग ब्यूटी  .... सौंदर्य के दुश्मन आतंकियों ने बम से उड़ा दिया।
वही काम आज खाकी वर्दी वाले कर रहे हैं  .... कहते हैं ऊपर से  आडर  हैं  …… अरे ऊपर वाले  क्या बिना 'प्यार 'के ही पैदा हो गए थे !
किसी तितली को फूलों से गिरा कर देखो
आंधिओं तूने दरख्तों को गिराया होगा    !
यही काम खाकी ने किसी मेट्रो में किया होता तो मिडिया के वाच डॉग्स न  जाने कितने ऊपर और नीचे वालों
की 'खबर' ले  लेते  . .... कहते हैं छोटे शहरों में धारा १९६ हटा दी गई है  …छोटे शहर के परिंदों -----लव-बर्डज़
को पंख फैला कर उड़ने की इज़ाज़त नहीं।