मंगलवार, 30 अगस्त 2011

अब्दुल्लाह की ईदी......


अब्दुल्लाह की ईदी...... 
मुल्ला का दारुल इस्लाम 
    एल. आर. गाँधी 

उमर अब्दुल्ला का संगमार युवकों को दिया 'ईदी 'पर आम माफ़ी का तोहफा - युवकों ने ब्याज सहित वापिस कर दिया. पिछले साल सुरक्षा कर्मियों पर पत्थर  बरसाने वाले युवकों के १२०० गुनाह माफ़ कर दिए गए . उमर अब्दुल्लाह ने यह भी स्पष्ट किया कि आज के बाद ऐसा करने वालों को नहीं बख्शा जाएगा. मुख्यमंत्री ने यह भी साफ़ किया कि पी एस ऐ के तहत सिर्फ ३५ युवक बंदी हैं. उधर श्री नगर में ३०० से अधिक मोटरसाईकल सवार युवकों ने शनिवार को एक थाणे पर पथराव किया और बम फेंके - यह हमला ठीक 'शब्-ऐ-कद्र' की नमाज़ के बाद किया गया , जब पुलिस कर्मी भी नमाज़ अदा कर रहे थे. हमले में छह  पुलिस कर्मी घायल हुए और दो की हालत गंभीर है.७३ युवक अगली ईदी' तक गिरफ्तार कर लिए गए ? अब्दुल्लाह मियां द्वारा 'ईदी' से नवाजे गए युवकों के हाथो पिछले साल सैंकड़ो सुरक्षा कर्मी ज़ख़्मी हुए थे जिनका कसूर केवल इतना था कि वे इन इस्लामिक आतंकियों से 'अब्दुल्लाह ' जैसे राजनेताओं और राष्ट्र की सुरक्षा का दायित्व निभा  रहे थे.
दारुल इस्लाम के लिए जेहाद में लगे काश्मीरी युवकों को ' मस्जिदों' से देश के विरुद्ध जेहाद के लिए उकसाया जाता है. क्योंकि शरियात को मानने वाले मौलवी इन युवकों को कुरआन में दिए सन्देश 'दारुल हर्ब' (काफिरों के राज्य ) के खिलाफ तब तक जेहाद के लिए उकसाते हैं ज़ब तक कि दारुल इस्लाम ( इस्लाम का राज्य)  नासिर न हो जाए. मुहम्मद की आखिरी इच्छा भी यही थी... 'इब्ने अब्बास ने  कहा जिस दिन रसूल मरे - वे मुझ से कह रहे थे , सारे अरब से काफिरों , यहूदियों और ईसाईयों को निकाल दो, उनके उपासना स्थलों को गिरा दो, और उनको कब्रिस्तान में बदल दो ..(.बुखारी- जिल्द ४ किताब ५६ हदीस ६६० ) पिछले छह दशक से यही सब ये इस्लामिक आतंकी कर रहे हैं - लगभग एक लाख लोग जिनमें अधिकाँश हिन्दू व् सुरक्षा कर्मी थे इन के आतंक का शिकार हुए . लाखों कश्मीरी हिन्दुओं को प्रताड़ित कर कश्मीर से भगा दिया गया. १२३ मंदिरों को मिस्मार कर दिया गया ... फिर भी हमारी सेकुलर सरकार इन आतंकियों को आर्थिक  सहायता की भारी भरकम बिरयानी खिला खिला कर पाल रही है.आज कश्मीर समस्या से भारत की प्रभुसत्ता और भाईचारा लहुलुहान है. सारी समस्या की जड़ में नेहरु जी की देन धारा ३७० है जिसके तहत कश्मीर  में किसी भी भारतीय के निवास पर प्रतिबन्ध है. कुछ ऐसी ही समस्या चीन को अपने मुस्लिम बहुल  जिनजियांग उइगुर स्वायतशासी क्षेत्र में करनी पड़ रही है यहाँ मुस्लिम जनसँख्या ४०% है. चीन ने यहाँ हान्वंशी समुदाय को बसा कर मुस्लिमों को अल्पसंख्या में कर दिया, और अपने यहाँ  कश्मीर समस्या को पैदा होने से पहले ही दफन कर दिया. इस क्षेत्र में इस्लामिक आतंकियों के 'दारुल इस्लाम' के जेहाद को चीन सख्ती से निपट रहा है... न की ईदी के तोहफे और आर्थिक बरियानी खिला खिला कर 'इस्लामिक आतंक ' को बढ़ावा दे रहा है. 
देश कि मुस्लिम जनसँख्या वृद्धि दर ३५ % और अन्य समुदायों की मात्र १९% .  जिस गति से भारत में मुस्लिम जनसँख्या में इजाफा हो रहा है- २०५०  या २०६० आते आते  हिन्दुस्तान भी अरब देशों की भांति ' दारुल इस्लाम' हो जाएगा और यहाँ 'शरिया के कानून लागु हो जाएंगे.  नेहरु - गाँधी का बोया बबूल मज़हबी बरगद के रूप में हमारे सामने होगा और हाँ इन सेकुलर शैतानों को  इस बरगद की  मुंडेर के पास भी फटकने नहीं दिया जाएगा !!!!!!!.    
 

सोमवार, 29 अगस्त 2011

सैकुलर सरकार - हज और सावित्री


सैकुलर सरकार - हज और सावित्री 
        एल आर गान्धी


हमारे  देश  की सैकुलर शैतान सरकार ने पिछले  एक दशक में देश की बहुसंख्यक हिन्दु जनता द्वारा दिये  कर का ३५५४-७८ करोड रुपया हज सब्सिडी पर लुटा दिया ताकि हमारे मुस्लिम अल्पसंख्यक अपनी धार्मिक यात्रा के साथ्-साथ् हज पर कुर्बानि की रसम में गाए की कुर्बानि दे कर  अल्लाः से अपने गुनाहः  बख्श्वा सके ।सैकुलर सरकार का मानना है कि इससे राष्ट्रीय भाइचारा मजबूत  होता है।  हिन्दुओ  की आस्था की प्रतीक  गाये की हत्या से ये हाजी अपने बहुसंख्यक भाइचारे को कौन् सा  संदेश देना चाहते । या फ़िर् हमारे सैकुलर शैतानो को हिन्दुओ की धार्मिक भावनाओ की रत्ती भर भी परवाः नही  और सिर्फ़ मुस्लिम तुष्टिकरन  से ही सरोकार है।  
विश्व के किसी भी इस्लामिक देश में हाजियो को किसी प्रकार की सरकारी सहायत या सब्सिडी नही दी जाति क्योकि इस्लाम में किसी दूसरे के पैसो से हज हराम है। राज्यसभा के उपसभापति के रेहमान खान ने तो यहा  तक कह् दिया की मुसलमानो ने कभी भी हज सब्सिडी की मान्ग नही की। एन सी पी की अल्प्सन्खयक विन्ग के उप परधान फ़ैज़् अहमद फ़ैज़् ने हज सब्सिडी तुरन्त बन्द करने की मान्ग की है। राज्य सभा एम पी और जमायते उलेम ए हिन्द के महासचिव मौलान  महमूद मदनि ने भी हज सब्सिडी बन्द करने की वकालत की है। मगर हमारे सैकुलर शैतानो को अल्पसंख्यक वोट बैक खिसक्ने का खतरा सता रहा है। इनक तो हाल है,,,,,,
दामन पीवे शराब्  ते करे सज़्दा 
राज़ि रब्ब ते गुसे शैतान वी नही। 
शैतान को भी कभी कोइ खुश कर पाया है भला ।
कर दाताओ के खून पसीने की कमाई  का पैसा समाज के अति निर्धन लोगो  पर खर्च करने की अपेक्षा यह सरकार या तो अपनी महारानी की सुखसुविधा पर खर्च करति है  और या फ़िर् अपने वोट बैक पर । कन्ग्रेस  की महारानी की विदेश यात्राओ पर ही पिच्छ्ह्ले तीन वर्षो में १८८० करोड के करीब् सरकारी खर्च किया गया।    देश की आधी आबादी भूखे पेट सोती है और गरीब् के पास कफ़न् काठी के भी पैसे नही ,,,गत दिनो समाचार आया कि मध्य परदेश के छतरपुर गाव में नरपत सिन्घः  यादव को अन्तिम संस्कार के लिये लकडी न् मिल पाने पर साईकल् के टाय्रो से जलाना पडा । शव फ़िर् भी अध जला रह गया तो पत्नी सावित्री देवी ने अपनी झोम्प्डी को ही तोड डाला।   कहते हैं की सावित्री के घर में अन्न का एक दाना भी नही था। 

मंगलवार, 23 अगस्त 2011

अन्ना और सेकुलर शैतान ..


अन्ना और सेकुलर शैतान ...
क्या राष्ट्र भक्ति साम्प्रदायिकता है ? 
    एल. आर. गाँधी 

अन्ना ने अपने आन्दोलन को सेकुलर शक्ल देने के चक्कर में मंच पटल से भारत माता और शहीदों के चित्र हटा कर मात्र महात्मा गाँधी के चित्र को स्थान दिया- यही सोच कर कि ...
दामन पीवे शराब ते करे सज़दा
राज़ी रब्ब ते गुस्से शैतान वी नईं...
मगर अपने आका मोहन दास करमचंद गाँधी कि भांति अन्ना भी यहीं पर 'मात' खा गए. शैतान भी कभी खुश हुआ है भला.? गाँधी जी ने मुसलमानों के जिन्न जिन्नाह को खुश करने की जी तोड़ कोशिश की - उसे कायदे आज़म की उपाधि  से नवाज़ा,बेवजह खिलाफत आन्दोलन को तूल दी ,जिन्नाह  को सब कुछ सौंपने की वकालत भी कर डाली मगर शैतान खुश न हुआ और राष्ट्र को टुकड़ों में बाँट कर ही माना. कुछ कुछ यही अन्ना के साथ हो रहा है. सेकुलर सरकार तो अन्ना के खून की प्यासी है ही . लालू - अमर जैसे चोर उच्चकों का विरोध  भी समझ में आता है. अरुणा रे का सरकारी एन.जी.ओ और सोनिया कि 'नाक '..!   विरोध करना बनता है. मगर अरुंधती रे और दिल्ली की जामा मस्जिद के शाही इमाम  सयद अहमद बुखारी भी आँखें तरेर रहे हैं ! यह तो मानसिक कुष्ठरोग के लक्षण जैसा लगता है. अधिकाँश मुस्लिम संगठनों ने अन्ना के भ्रष्टाचार विरोधी अभियान का समर्थन किया है मगर बुखारी साहेब को राम लीला मैदान से भारत माता की जय और वन्दे मातरम के उद्दघोश से बुखार चढ़ गया और लगे गुर्राने ... और किरण बेदी भी फटा फट पहुँच गई मानाने .  बुखारी साहेब का मानना है कि भारत माता और वन्दे मातरम इस्लाम विरोधी है...इस्लाम में तो जन्म देने वाली माँ की पूजा में भी विश्वास नहीं किया जाता. 
यह अंध विश्वास नहीं तो और क्या है कि छठी शताब्दी की इस्लामिक मान्यताओं  को २१वी  सदी में भी ढ़ोया जा रहा है. पैगम्बर मुहम्मद  वर्षो बाद जब अपनी माँ कि कब्र पर गए तो एक चेले ने पूछा - क्या अपनी माँ के लिए अल्लाह से प्रार्थना नहीं करेंगे ? तो मुहम्मद ने फ़रमाया 'नहीं' वह तो काफ़िर थी . महात्मा गाँधी ने अलामा इक़बाल के 'सारे जहाँ से अच्छा गीत को इतनी बार गुण गुनाया कि उसे आज़ादी का तराना बना डाला. मगर इक़बाल को जब पाकिस्तान के कीड़े ने काटा तो उसने अपने इस गीत को ही बदल डाला . हिंदी हैं हम वतन है हिन्दोस्तान हमारा  को बदल कर ' मुस्लिम हैं हम वतन है सारा जहाँ हमारा. बना दिया. मगर गाँधी को फिर भी होश नहीं आया और लगे रहे इन शैतानों को खुश करने में. वही काम आज अन्ना के सिपहसलार कर रहे हैं. अरे जो राष्ट्र को नहीं मानता उसे राष्ट्र की समस्याओं से  क्या लेना देना.ऐसे मानसिक कुष्ठ साम्प्रदायिक लोगों को साथ लगाने से तो राष्ट्र को प्यार करने वाले भारत माँ के रणबांकुरों को साथ लेकर चलना बेहतर है. जागरूक मुसलमान भ्रष्टाचार की पीड़ा को समझता है और वह अन्ना के साथ है. किरण जी यदि बुखारी साहेब को किसी प्रकार अन्ना के मंच पर ले भी आई तो अन्ना  के उस अहद का क्या होगा जिसमे किसी राजनेता को  मंच से दूर रखने का...... बुखारी साहेब तो खुद को मुसलमानों के राजनेता कहते हैं. ऐसे सख्श को मंच पर लाना तो राष्ट्रवादी मुसलमानों का अपमान है. क्या बुखारी को मंच पर देख कर भारत माता की जय जय कार या वन्देमातरम  का राष्ट्र गीत  नहीं गाएगी जनता.? क्या राष्ट्र भक्ति साम्प्रदायिकता है  ?        
हाथी घोड़ा पालकी जय कन्हैया लाल की

जन्माष्टमी -मंगलकामनाएं

श्री कृषण जन्माष्टमी पर आप सब को मंगलकामनाएं !
सेस गनेस महेस दिनेस , सुरेसहु जाहि निरंतर गान्वैं !
जाहि अनादि अनंत अखंड , अच्छेद अभेद सुवेद बतावें !!
नारद से सुक्व्यास रटे , पचिहारे तऊ पुनिपार न पावैं !
ताहि अहीर की छोहरियाँ,छछिया भरि छाछ पै नाच नचावैं !!

रसखान .....

सोमवार, 22 अगस्त 2011

भ्रष्टाचार की दहीं हांडी


भ्रष्टाचार  की  दहीं  हांडी 
     एल. आर. गाँधी 

मुसलमानों ने रमजान की नमाज़ अन्ना को समर्पित कर भ्रष्टाचार के खिलाफ अज़ान दी तो श्री कृषण जन्माष्टमी के पावन पर्व पर भ्रष्टाचार   की  दहीं  हांडी को फोड़ कर कृषण भक्तों ने अन्ना के आन्दोलन से एकजुटता प्रकट कर दी. अन्ना के आन्दोलन पर हमारे काले अंग्रेजों की प्रारंभिक प्रतिक्रिया भी कुछ कुछ अपने मानसिक आकाओं गोरे अंग्रेजों के समान ही थी. जब गाँधी जी ने दांडी मार्च के माध्यम से अंग्रेजों के नमक कानून के विरुद्ध आन्दोलन किया तो वायसराय हिंद लार्ड इरविन ने भी लन्दन में अपने आकाओं को लिखा था  कि गाँधी के दांडी मार्च से उनकी नींद में कोई खलल नहीं पड़ने वाला.मगर गाँधी जी के दांडी मार्च को जब अभूत पूर्व जन समर्थन मिला तो गोरे अँगरेज़  'गोल मेज़ 'कांफ्रेंस को मजबूर हो गए.   कुछ ऐसी ही प्रतिक्रिया हमारे आज के काले अंग्रेजों की है. कांग्रेस के राजकुमार तो अन्ना आन्दोलन पर किसी प्रशन का उत्तर देना भी  मुनासिब नहीं समझाते, प्रधानमंत्री संसद की प्रभुसत्ता का राग अलाप रहे हैं. 
ज्यों ज्यों अन्ना के साथ जनसमर्थन बढ़ रहा है .. हमारे काले अंग्रेजों को अन्ना का भूत भरमाने लगा है. किसी 'गोल मेज़' का जुगाड़ शुरू हो गया है. साथ ही अपनी बची खुची साख बचाने के भी जतन हो रहे हैं. शर्त रखी गई है कि अन्ना अकेले बात करें -कोई   केजरीवाल -शांतिभूषण -किरण बेदी नहीं चाहिए. अब अन्ना भी ठहरे गाँधी के चेले ... बापू तो गोल मेज़ कांफ्रेंस में अपनी बकरी भी साथ ले कर गए थे ..साथियों को छोड़ने कि तो बात ही छोडो.       
दांडी मार्च से पहले गांधीजी ने २मार्च  १९३० को वायसराय को एक नोटिस दिया जिसमें नमक पर कर भारत की गरीब जनता  के ज़ख्मो पर नमक लगाने के समान बताया. बापू ने गोरे अँगरेज़ को बताया कि उनकी मासिक आय २१००० /- अर्थात ७००/- रोजाना है जबकि भारत के प्रति व्यक्ति औसत आय २ आना से भी कमतर है. अर्थात आम आदमी और वायसराय की आय में ५००० गुना अंतर है. आज़ादी के ६४ सालों में देश पर राज कर रहे काले अंग्रेजों ने देश को इस कदर लूटा है कि आम आदमी की हालत गोरे अंग्रेजों के वक्त से भी बदतर हो गई है. आज गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाली ८० % जनता की औसत आय प्रति दिन २०/- के करीब है. जबकि देश के राष्ट्रपति पर प्रति दिन ५.१४ लाख रूपए और प्रधानमंत्री पर ३.३८ लाख रूपए खर्च होते हैं और यह खर्च औसत भारतीय से १६९०० गुना अधिक है. केन्द्रीय मंत्री मंडल पर रोज़ २५ लाख खर्च होते हैं. 
राष्ट्रिय लूट  खसूट अर्थात भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के लिए जनता द्वारा चुने गए सांसद पिछले ४२ साल से लोक पाल बिल पर माथा पच्ची कर रहे हैं - अब भी हमारे मोहन प्यारे फरमा रहे हैं कि कोई कानून बनाना सांसदों का विशेषाधिकार है- कोई अन्ना शन्ना इस विशेषाधिकार का चीर हरण नहीं कर सकता. अरे पिछले ६४ 
 वर्ष से आप देश की भूखी नंगी रियाया का जो चीर हरण कर रहे हो , उसका क्या. काठ की हांड़ी आखिर कब तक चूल्हे पर टिकेगी. जनता के सबर  के पैमाने को अन्ना की हुंकार ने छलका दिया है.
तुमसे   पहले   जो   यहाँ   तख़्त   नशीं   था ..
उसको भी अपने खुदा होने पर इतना ही यकीं था .... 

शनिवार, 20 अगस्त 2011

मिश्र का तानाशाह हुस्निमुबारक.... भारत की भ्रष्ट परिवारवादी राजशाही..


मिश्र का तानाशाह हुस्निमुबारक
भारत की भ्रष्ट परिवारवादी राजशाही.. 
         एल.आर.गाँधी 
तीन  दशक  से मिश्र पर एक छत्र निरंकुश तानशाही हकुमत करने वाले  हुस्नी मुबारक आज एक पिंजरे में बंद अपने दो राज कुमारों के साथ अपने विरुद्ध  चल  रही  अदालती  कार्रवाही में अपनी उमर्द्रज़ बुढ़ापे का रोना रो कर दया की भीख मांग रहे हैं. जनता के आक्रोश के आगे अदालत के जज चाह कर भी इस तानाशाह पर दया नहीं कर पाएंगे ! तानाशाह हुस्नी मुबारक मिश्र की जनता के आक्रोश को समय रहते नहीं समझ पाए !  अरब देशों में चल रहे युवा आन्दोलन की हवा भारत जैसे लोकतान्त्रिक देश भी पहुँच जायगी - यहाँ की लोकतान्त्रिक -निरंकुश -परिवारवादी राजशाही अभी तक विशवास नहीं कर पा रही. 
भ्रष्टाचार के विरुद्ध अन्ना का आन्दोलन शहरी मध्यवर्ग से होता हुआ कस्बों और गाँव तक द्रुत गति से बढ़ रहा है. मगर भ्रष्टाचार में आकंठ -डूबा शासक वर्ग अभी तक हुस्नी मुबारक की ही भांति इसे हलके में ले रहा है. सरकार और कांग्रेस की पहली प्रतिक्रिया रामदेव बाबा की भांति ही अन्ना को भी डराने और धमकाने की रही. मगर बात नहीं बनी. अब कांग्रेसी नेत्रित्व की प्रतिक्रिया अन्ना आन्दोलन की उपेक्षा और इसे अपनी मौत मरने को छोड़ देने की  है. कांग्रेस के राज कुमार जो बात बात पर बतियाते नज़र आते थे .... कल एक समारोह में अन्ना के सवाल पर चुप्पी साध गए जैसे बहुत ही महत्त्वहीन मसला हो. राहुल बाबा प्रजा राज्यम पार्टी के चिरंजीवी को कांग्रेस में जमा होने के समारोह में अपने पिता राजिव गाँधी के जयंती अवसर पर मौजूद थे. चिरंजीवी ने कांग्रेस में दाखिल होते ही राज कुमार को देश का भावी प्रधानमंत्री घोषित कर अपनी राजभक्ति का परिचय दिया. एक मंत्री महोदय वीरभद्र सिंह ने तो अन्ना आन्दोलनकारियों को डफलीबाज़  तक कह डाला और इनके जनसमर्थन को भारत की १२१ करोड़ की आबादी में महत्त्वहीन  करार दिया.यह बात  अलग है की वीरभद्र जी को देश की आबादी तक का नहीं था पता ...पूछ पाछ कर बोले... तो भी १२१ मिलियन कह बैठे. 
आज जन - जन यह जान गया है की देश पर पिछले पांच दशक से राज करने वाली पार्टी और परिवार ने इस देश को दोनों हाथों से खूब लूटा है. स्विस बैंकों में भी इनका ही अरबों रूपया जमा है. तभी तो बाबा राम देव के आन्दोलन को आधी रात को पुलसिया कार्रवाही से खदेड़ा और अब अन्ना को धमकाने -लटकाने और थकाने का खेल चल रहा है.अन्ना को एन.जी.ओ  संगठनों का समर्थन प्राप्त है. अब सरकारी सहायता प्राप्त एन.जी.ओ'ज को पटाया जा रहा है.सोनिया जी की किचन केबिनेट की सदस्य अरुणा रे    एक और जनपाल बिल ले कर मैदान में उतरी हैं  ..आन्दोलन को कुंद करने का खेल जारी है. राम लीला मैदान में आन्दोलनकारियों को नल का जल पिला कर बीमार किया जा रहा है... सरकार जानती है की अन्ना के एन.जी.ओ समर्थक केवल बिसलरी का  बोतल बंद पानी ही पचा पाते हैं. सत्ता धारी अभी तक तो आन्दोलन कारी कितने पानी में हैं... इसी चिंतन में व्यस्त हैं.    
सत्ता के नशे में चूर लोकतान्त्रिक-निरंकुश -परिवारवादी भ्रष्ट तंत्र के लोग जनता के आक्रोश को भांपने की समझ गवां बैठे हैं. जनता भ्रष्टाचारी तंत्र से त्रस्त है और अन्ना ने जनता की दुखती रग पर हाथ रक्खा है... समय रहते यदि जनता के आक्रोश को नहीं समझा और शांत किया गया ... तो वह दिन दूर नहीं जब मिश्र के ताना शाह हुस्नी मुबारक की भांति ये लोग भी जनता की अदालत में 'पिंजरे में बंद ' दया की भीख मांग रहे होंगे.  
फर्क है बस किरदारों का 
बाकि खेल पुराना है..

रविवार, 14 अगस्त 2011

गाँधीवादी अन्ना .............पर कांग्रेसियों की विरासती सोच !!!!

 गाँधीवादी अन्ना .............पर 
कांग्रेसियों की विरासती सोच !!!!
      एल.आर.गाँधी  
      
 ज्यों ज्यों अन्ना के अनशन  का दिन निकट आ रहा है...सत्ताधारी राजनेताओं की बौखलाहट भी बढती जा रही है ..अन्ना  का हश्र भी बाबा के अंजाम तक पहुँचाने की तैयारी भी  जोर शोर से चल रही. आरोप प्रत्यारोपों का महांभारत छिढ़ गया है.... कांग्रेस के एक प्रवक्ता मनीष तिवाड़ी ने अन्ना पर अपने जन्म दिवस पर २.२ लाख की भारी भरकम रकम खर्च करने या करवाने का दोष लगाया और कहा कि  एक  गाँधीवादी को जन्मदिन पर ऐसी फ़िज़ूल खर्ची शोभा नहीं देती..... एक कांग्रेसी नेता कि एक गाँधीवादी को गांधीजी के आदर्शों पर नसीहत ? बहुत अटपटा सा लगता है जब कोई कांग्रेसी गाँधीजी के आदर्शों की दुहाई देता है !!!!!
अन्ना के आन्दोलन के लिए हमारी इस गाँधी-छाप सरकार के पास दिल्ली में कोई उचित स्थान नहीं ? जितना हमारी यह लोगों द्वारा चुनी गई सरकार आज अन्ना से डरी हुई है उतना तो विदेशी अँगरेज़  हकुमत कभी गाँधी से 

नहीं थी घबराई . गांधीजी को अनशन या आन्दोलन के लिए कभी इतने कायदे कानून नहीं थे पढ़ाए गए. अंग्रेजों द्वारा गाँधी जी को जो ट्रेन सुवुधा  मुहैया करवाई गई थी...वह किसी भी स्तर से प्रथम श्रेणी से कमतर न थी... जिस कम्पार्टमेंट में गाँधी सफ़र करते थे, उसमें रेल के तीन डिब्बे -प्रथम श्रेणी सुविधाओं से लैस थे...फिर भी डिब्बों के बाहर 'तीसरा-दर्ज़ा' लिखा रहता !!!!!!..आज गाँधी जी के नोट -छाप कांग्रेसियों को एक अदना से टोपी-धारी अन्ना से 'ग़दर' की बू आ रही है... अन्ना से संविधानिक खतरा खड़ा हो गया है
गाँधी के नाम पर पिछले ६४ वर्षों से सत्ता सुख भोग रहे ये कांग्रेसी ....किस कदर गाँधी-छाप नोटों के दीवाने हो चुके हैं ...यही अयना तो दिखाना चाहते हैं- अन्ना !!! अन्ना पर अपने आन्दोलन के लिए पैसा कहाँ  से आया का आरोप  लगाने वाले शायद यह भूल गए कि गाँधी जी पर प्रति दिन ५०/- खर्च होते थे और यह खर्च उस वक्त के उद्योगपति 'बिडला ' द्वारा किया जाता था . उस वक्त के यह ५०/- आज के २००००/- के बराबर हुए ...इस प्रकार तो अन्ना के जन्म दिन जितना गांधीजी हर हफ्ते उड़ा देते थे.?
बाबा के बाद अब अन्ना के 'ऐशो- आराम' पर होने वाली पाई पाई का हिसाब 'अर्थशास्त्री मनमोहन' सरकार के 'दिग्गी-सिब्बल' लगाने में मशगूल हैं.  सारी सरकारी एजेंसियां भी दिन रात अन्ना की जन्मपत्रियाँ खंगाल रहीं हैं.. अन्ना के जन्म दिन पर किसी अन्ना प्रेमी के २.२ लाख रूपए का भारी भरकम खर्चा ...' तौबा तौबा' ... एक गाँधी वादी और उसके जन्म दिन पर इतनी फ़िज़ूल खर्ची ? 
गाँधी के नाम पर छै दशक से देश पर राज करने वाला नेहरु गाँधी परिवार ... कितना गाँधीवादी है और देश की गरीब जनता के खून पसीने की कितनी दौलत पर अब तक ' हाथ साफ़ ' कर चूका है ... उस पर हमारा सुपारी-पाक  मिडिया भी खामोश  है. नेहरु- गाँधी परिवार का स्विस बैंकों में २.५० बिलियन डालर जमा है. महज़ पिछले तीन साल में कांग्रसी सरकार की राजमाता श्रीमती सोनिया गाँधी की विदेश यात्राओं पर १८५० करोड़ खर्च किये गए - किस 
हैसियत से - एक सांसद हैं - इस लिए ?.... यदि देश के सभी सांसदों पर इतना ही सरकारी खर्चो होने लगे तो .....प्रणब दा.. के हाथ में कटोरा ..थमाना पड़ेगा.    
जैसे विचार सरकार में बैठे कांग्रेसियों के आज गाँधीवादी अन्ना हजारे के बारे में सुनने को मिल रहे हैं कुछ ऐसे ही  विचार हमारे चाचा नेहरु के गांधीजी के बारे में भी थे.... १९५५ में कनाडियन प्रधानमंत्री लेस्टर पियर्सन ने नेहरूजी से भेंट की और उनके गांधीजी के बारे में एक सवाल के जवाब में नेहरु जी ने फ़रमाया ' ओह, वह भयंकर ढोंगी बूढा ! सत्ता के नशे में चूर इन चोर उच्च्क्को का अन्ना को बुरा नहीं मनाना चाहिए ... आखिर विरासत में मिली सोच है जाते जाते ही जाएगी और सत्ता के साथ ही जाएगी !!!!

सोमवार, 1 अगस्त 2011

स्विस चोरों की क्वात्रोचिगिरी

स्विस चोरों की क्वात्रोचिगिरी 

        एल.आर.गाँधी 

क्या स्विस बैंक खातों का हश्र भी बोफोर जैसा  होगा  ? जिस प्रकार बोफोर काण्ड के खलनायक क्वात्रोची चाचा  को बचाया और भगाया  गया - आखिर में पूरी बेशर्मी  से उसे   ७ .३  मिलियन  डालर  बैंक से  निकालने  की भी आज़ादी  दे  दी  गई  . ठीक  उसी  प्रकार  स्विस बैंको  में  देश  की  अकूत  धन  दौलत  लूट   कर  जमा  करवाने  वाले प्रभाव शाली लोगों को यह कला धन इधर- उधर करने का मौका दिया जा रहा है. स्विस बैंक एसोसियेशन  की माने तो  पिछले तीन साल में १५ लाख  डालर की कमी  आयी है. 
अब  तो कांग्रेस  की महारानी  और राजकुमार  भी स्विट्ज़रलैंड हो  आए  हैं . स्विट्ज़रलैंड से नेहरु परिवार का पुराना नाता है. नेहरूजी की धर्मपत्नी को जब राजयक्ष्मा ने आ  घेरा  तो  नेहरूजी ने उन्हें  इलाज़ के लिए स्विट्ज़रलैंड भेज दिया और वहीँ  पर उन्होंने अपनी अंतिम सांस ली. प्रसिद्ध  कानूनविद  रामजेठमलानी  ने   आरोप  लगाया    है कि  नेहरु परिवार  का स्विस  बैंकों  में   २ .५०  बिलियन  डालर जमा  है.और फिर किसी पालतू 'दिग्गी' ने इस आरोप का प्रतिकार या खंडन भी  तो नहीं किया.इस तथ्य  की पुष्टि स्विस मैगज़ीन   स्केविज़र    इल्लियुस्त्रेती ने  भी की थी.. मैगज़ीन  ने रहस्योद्घाटन किया था कि राहुल गाँधी स्विस बैंकों से लाभार्थी हैं और उनके खाते में उनकी  माँ के अधिकृत २ बिलियन डालर हैं.  इन खातों के खाता नंबर एक 'घडी' में छिपे हैं. 'लगता है समय  के काल चक्कर ने अपना भ्रष्ट चक्र पूरा कर लिया है. ' देश को दोनों हाथों से लूटने वाले अब लूट के धन को छुपाते फिर रहे हैं.    
एक ओर चीन और रूस ने अपनी जनता से वायदा किया है कि देश के धन को हर हाल में वापिस लाया जायेगा और चीन ने तो इन लुटेरो को फंसी का कानून भी पास कर दिया .... मगर हमारे चोरों के सरदार और फिर भी ईमानदार शायद सोच रहे हैं कि देश की सी .बी.आई क्वात्रोची चाचा कि भांति इन स्विस चोरों को भी बचा लेगी. क्वात्रोची तो विदेशी था -भगा दिया ... मगर  अपने ये देशी-विदेशी राज पाठ छोड़ कर कहाँ भागेंगे ...बाबा राम देव को तो सरकारी दमन चक्र में फंसा लिया. मगर सर्वोच्च न्यायलय का क्या जिसने इन शाही चोरों को सलाखों के पीछे पहुँचाने की ठान रक्खी है. और देश के गरीब  और भूखे जब इन शाही चोरों को पहचान कर सजा देंगे और वोट की चोट से गुमनामी के गट्टर में फेंक देंगे तब 'सरदार और सी.बी.आई. भी कुछ नहीं कर पायेंगे