गुरुवार, 27 मई 2010

मनमोहन की मजबूरी- माया की मौज ....

पिछले तीन सालों में माया की माया में ३५ करोड़ की माया और आ जुडी. २००७ में यही माया ५२.०७ करोड़ थी जो अब ८८.१० करोड़ हो गई है. हर वर्ष एक करोड़ की बढ़ोतरी , फिर लोग बाग़ यूंही ब्त्याये चले जाते है की मायाजी तरक्की पसंद नहीं . क्या कोई और नेता इतना इनकम टैक्स देता है जितना हमारे प्रीय बहिन जी ? माया की माया में ७५.४७ करोड़ की तो व्यावसायिक व् आवासीय सम्पति ही है, जिसमें दिल्ली में नेहरु रोड पर ३९८७.७८ वर्गमीटर और लखनऊ की नेहरु रोड पर ७९.९२ लाख की सम्पति ...दिल्ली की राज गद्दी तक मायाजी नेहरु रोड से होते हुए ही पहुँच पायेगी .बैंक में मायाजी के ११ करोड़ ३९ लाख ३ हजार रुपये और नगदी महज़ १२,९५,०००/- है. इसके इलावा सोना १०३४ ग्राम हीरे ३८० कैरट और बाकी ४ लाख ४ हजार की चाँदी ही चाँदी. बाकी बहिनजी के पास न तो कोई शेयर वेयर हैं और न ही कोई कार ... और कार करनी भी क्या है ....बहिनजी को तो बस हाथी की सवारी ही भाती है जी.
हाथी और हाथ का चोली दामन का साथ है. मनमोहनजी की मजबूरी ,माया की मौज ..ये विपक्ष वाले लाख शोर मचाएं -माया की माया पर मनमोहन की सी.बी आई को माया जी की बेहिसाब बढ़ती माया में कोई खोट नहीं दिखाई देता. और दिखाई भी कैसे दे भई, माया जी कैसे कमाती हैं इस से किसी को क्या .. है कोई माई का लाल या लालू जो बेईमानी के धंधे में इतनी इमानदारी से इनकम टैक्स भरे .. कमाते तो भई सभी हैं -चुपके चुपके स्विस बैंको में भेज देते हैं ..एक तो चोरी ऊपर से सीना जोरी. ..एक तो हराम का पैसा ऊपर से टैक्स की चोरी... फिर बहिनजी तो इसी दलित देश के दलित की बेटी हैं ! कोई क्वात्रोची थोड़े हैं जो इटली भाग जायेगा और सोनिया जी की सी.बी.आई के फिर कभी 'हाथ' ही नहीं आयेगा..