शनिवार, 28 नवंबर 2009

बाबर खुश हुआ ........

लिब्राहन रिपोर्ट सेकुलर मनमोहन सरकार की बाबर को सच्ची शर्धांजलि कहें तो अतिश्योक्ति न होगी. २००५ में मनमोहन बाबर के देस अफगानिस्तान,भारत द्वारा संचालित अफगानिस्तान के नवनिर्माण कार्यों को देखने गए थे और साथ में राजपूत नेता विदेशमंत्री नटवर सिंह और देश के भावी प्रधान मंत्री राहुल बाबा भी थे.अब अफगानिस्तान गए हैं तो बाबर की मज़ार पर तो जाना ही था -अफगानी जिन्ना तो बाबर ही हुए न.अडवाणी की तरहं बोले तो कुछ नहीं पर बाबर से वायदा जरूर किया होगा -तेरे नाम की मस्जिद तोड़ने वालों को छोडेंगे नहीं.एक सेकुलर देश में कैसे कोई एक मसीत को गिरा सकता है, चाहे वो कैसे ही बनी हो. वहीँ पास में एक समाधि भी थी,जिसे मनमोहन और राहुल ने तो उन्देखा किया ही, इराकी तेल पर फिसले नटवर की नज़र भी इस समाधी से फिसल गई. यह समाधी थी धरती के वीर महान राजपूत सम्राट और भारत के अंतिम हिन्दू सम्राट पृथ्वी राज चौहान की.समाधी पर लिखा है ,यहाँ दिल्ली का काफ़र हिन्दू राजा पड़ा है'.९०० साल बाद आज भी अफगान लोग समाधी पर जूते मार कर बोलते हैं 'हिन्दू काफ़िर ने हमारे सुलतान गौरी को मारा था' -ऐसी प्रथा है.अब ऐसे हिन्दू राजा की समधी पर जाएँ भी कैसे- सेकुलर इमेज तार तार न हो जायगा और फिर मुस्लिम वोट बैंक का भी तो सवाल है.
ऐनी मार पई कुर्लाने, तैं की दरद न आया ' ;-बाबर के अत्याचारों से विचलित गुरुनानक देव जी के मुख से यह शब्द बरबस ही निकल पड़े थे. बाबर जिसने लाखों बेगुनाह हिन्दुओं को केवल इस लिए मौत के घाट उतार दिया क्योंकि वे इस्लाम को न मानने वाले काफ़िर थे -सैंकड़ों मंदिर तोड़े क्योंकि इस्लाम में मूर्ति पूजन हराम है. बाबर के ही एक सिपहसलार ने अयोध्या में भगवन राम के जन्मस्थान पर बने मंदिर को तोड़ कर बाबर के नाम की मस्जिद बना दी. सदिओं से हिन्दू अपने आराध्य देव के जन्म स्थान को आजाद करवाने के लिए संघर्ष कर रहे है. सिखों के दसवें गुरु गोबिंद सिंह जी ने भी इसे मुक्त करवाने के लिए मुहीम चलाई थी. १७ साल पहले बाबर की यह ज़बर की निशानी कार सेवकों ने गिरा दी.और हजारों मंदिर तोड़ने कर अल्लाह के बन्दे कहलाने वाले जेहादी मुसलमानों की यकायक भावनाए आहत हो गई. केंद्र की सेकुलर कांग्रस सरकार को मुस्लिम वोट बैंक खिसकता दिखाई देने लगा. झट से कमीशन बिठा दिया.
लिब्रहान रिपोर्ट आ गई, बाबर की मजार पर मनमोहन और राहुल बाबा का किया सजदा साकार हो गया है. और पृथ्वी राज चौहान के वंशज नटवर सिंह गए तेल लेने !.......बाबर...खुश ....हुआ...!

गुरुवार, 26 नवंबर 2009

vinod mishra ka blog: २६\११ ! दुनिया हम पर हस रही होगी तो पाकिस्तान ठहाका लगा रहा होगा

vinod mishra ka blog: २६\११ ! दुनिया हम पर हस रही होगी तो पाकिस्तान ठहाका लगा रहा होगाkendr mein ek naye mantralaya ki rachna ki jaye-rudaali aur candle mantralaya jiska cabinet mantri shiv raj patil ko banaya jaye aur ye kar bhi kaya sakte hain.

चाचा चोर भतीजी काजी -जागो मोहन प्यारे

चाचा चोर भतीजी काजी -मनमोहन राज़ी का राज़ी - जागो मोहन प्यारे ......
सी बी आइ के आला अफसर किस कदर क्वात्रोकी चाचा को बचाने के लिए झूठ फरेब की सभी हदें पार किये जा रहे हैं, का एक और प्रमाण सामने आया है. आर टी आई के तैहत क्वात्रोकी के बारे में मांगी एक जानकारी देने से सी बी आई ने साफ़ इनकार कर दिया -कारन बताया कि इस से दोषी के खिलाफ अभियोजन और पकडे जाने में अड़चन आयगी.क्वात्रोकी केखिलाफ सभी मामले बंद करने का निर्णय यह सरकारी जाँच एजेंसी पहले ही किये बैठी है. फिर यह नई अड़चन का अडंगा कहाँ से आ गया. ज़ाहिर है चाचा कि भतीजी की नाराज़गी से बचने या फिर उसे खुश रख कर कुछ हासिल करने की होड़ लगी है एजेंसी के आला अफसरों में. सी बी आई के पूर्व निदेशक जोगिन्दर सिंह खुद स्विस बैंकों से क्वात्रोकी का कच्चा चिठा लाये थे जिसमें दलाली के २१ करोड़ के खाते का खुलासा हुआ था. किस प्रकार चाचा को पहले भगाया और बचाया गया और फिर दलाली का पैसा दिलवाया गया किसी से छुपा नहीं. सत्ता के दलाल देश के राज परिवार के प्रति अपनी स्वामी भक्ति व्यक्त करने में व्यस्त हैं. बोफोर जाँच के नाम पर कंहीं पे निगाहें कहिएं पे निशाना का खेल बरसों से खेल रहे हैं. क्वात्रोकी के खिलाफ दिल्ली कोर्ट में अधूरे डोकुमेंट लगा कर मामला रफादफा करवा दिया. स्विस कोर्ट में इस बिनाह पर क्वात्रोच बच गए कि उस वक्त दलाली लेना देश के क़ानून में गुनाह था हीनहीं.
गरीब देश के अमीर चोरों का ७० लाख करोड़ रूपया स्विस बैंको से वापिसी की उम्मीद हम इन चोर चोर चचेरे भाईओं से लगाए बैठे हैं. जागो... मोहन प्यारे ...

रविवार, 22 नवंबर 2009

चाचा चोर भतीजी काजी -मनमोहन राज़ी का राज़ी
सी बी आइ के आला अफसर किस कदर क्वात्रोकी चाचा को बचाने के लिए झूठ फरेब की सभी हदें पार किये जा रहे हैं, का एक और प्रमाण सामने आया है. आर टी आई के तैहत क्वात्रोकी के बारे में मांगी एक जानकारी देने से सी बी आई ने साफ़ इनकार कर दिया -कारन बताया कि इस से दोषी के खिलाफ अभियोजन और पकडे जाने में अड़चन आयगी.क्वात्रोकी केखिलाफ सभी मामले बंद करने का निर्णय यह सरकारी जाँच एजेंसी पहले ही किये बैठी है. फिर यह नई अड़चन का अडंगा कहाँ से आ गया. ज़ाहिर है चाचा कि भतीजी की नाराज़गी से बचने या फिर उसे खुश रख कर कुछ हासिल करने की होड़ लगी है एजेंसी के आला अफसरों में. सी बी आई के पूर्व निदेशक जोगिन्दर सिंह खुद स्विस बैंकों से क्वात्रोकी का कच्चा चिठा लाये थे जिसमें दलाली के २१ करोड़ के खाते का खुलासा हुआ था. किस प्रकार चाचा को पहले भगाया और बचाया गया और फिर दलाली का पैसा दिलवाया गया किसी से छुपा नहीं.
गरीब देश के अमीर चोरों का ७० लाख करोड़ रूपया स्विस बैंको से वापिसी की उम्मीद हम इन चोर चोर चचेरे भाईओं से लगाए बैठे हैं. जागो... मोहन प्यारे ...

रविवार, 15 नवंबर 2009

सेकुलर शैतान का सच

जब प्रेम करता है तो आदमी अप्रैल (बसंत) होता है ,लेकिन जब शादी करता है तो दिसम्बर (पतझड़) हो जाता है . कुछ ऐसा ही हुआ अधेड़ उम्र के जिन्ना के साथ जब वे १६ साल की पारसी लड़की पर लट्टू ही गए . रति के पिता दिनश पेटिट जिन्ना के मित्र थे . जिन्ना ने पहले तो अंतरजातीय विवाह के बारे में उनके विचार जाने . सकारात्मक उत्तर पाते ही रति का हाथ मांग लिया. जिन्ना पेटिट से मात्र ३ साल छोटे थे . सुनते ही पेटिट आग बबूला हो गए और रति के जिन्ना से मिलने पर कानूनी पाबन्दी लगवा दी. अपनी अठारहवी जन्म संध्या पर जब पेटिट परिवार उसका जन्म दिन मन रहा था, रति जिन्ना के पास भाग गई. पिता रति के इस दुस्साहस से बहुत आहत हुए, रति से नाता तोड़ते हुए उसके 'उठावना' (मृत्यु ) की सूचना अख़बारों में छपवा दी .
अब पिता के दरवाजे रति के लिए बंद हो चुके थे -वह अब जिन्ना के रहमोकरम. जिन्ना ने भी मौका देख अपना सेकुलर मुखौटा उतर दिया और इस्लामी वर्ष के रजब महीने के सातवे दिन ९ अप्रैल को पहले तो उसे इसलाम कबूल करवाया और उसी दिन उस से निकाह कर लिया.रतिजिसने जिन्ना की खातिर घर-बार सब कुछ छोड़ दिया का अंत बहुत त्रासद रहा. अबने जीवन का अंतिम वर्ष उसने जिन्ना से अलग एकांकी और रुग्णावस्था में व्यतीत किये. बम्बई के ताज होटल के एक कमरे में वह एक वर्ष जीवन मृत्यु के बीच जूझती रही. जीवन के इसी पड़ाव पर शायद रति को अपने धरम परिवर्तन की गलती का अहसास हुआ. रति की अंतिम इच्छा थी की उसका मृत्यु के बाद हिन्दू रीती से दाह संस्कार किया जाये .जिन्ना ने फिर भी मुस्लिम रीती के साथ रति को दफनाया- अपनी कोम का रहनुमा बने रहने के लिए उसने यही मुनासिब समझा- एक बार फिर जिन्ना असली चेहरा लोगों के सामने था.
जिन्ना खुद गुजरात के खिज़ा बनिया के वंशज थे. बेटी दीना महज़ साढे नौं साल की थी जब माँ की मृत्यु हो गई और वेह अपने पारसी ननिहाल के यहाँ पली बड़ी हुई . ननिहाल के ही निकटवर्ती एक पारसी युवक नेविल वाडिया से वेह प्रेम कर बैठी .दीना ने जब जिन्ना से अपने प्यार के बारे में बात की तो जिन्ना के भीतर का सेकुलर शैतान फुंकार उठा और कहा की काया तुझ्हे कोई मुस्लमान युवक नहीं मिला. दीना ने भी फौरन जिन्ना को उनके अंतर्जात्य निकाह की याद दिला दी.
अपने आप को सेकुलर दिखनेऔर रति को खुश करने के चक्कर में जिन्ना इसलाम में हराम मांस से बने हैम् सैंड विच और पोर्क सौसिज़ बड़े चाव से खाते मगर अपनी कोम से चोरी चुपके. जिन्ना की पाकिस्तान बाबाने की सनक ने ५ लाख निर्दोष लोगों की जान तो ली ही और ५० लाख लोग घर से बेघर हो गए. अपने अंतिम दिनों में राज यक्ष्मा से पीड़ित जिन्ना को अपनी गलती का एहसास हुआ जब उन्होंने अपने डाक्टर कर्नल इलाहिबख्श से कहा-डाक्टर पाकिस्तान मेरी जिंदगी की सबसे बड़ी भूल थी. 'कहते हैं मरने से पहले शैतान भी कभी झूठ नहीं बोलता