शुक्रवार, 30 दिसंबर 2011

मदरसों में उच्च शिक्षा


मदरसों में उच्च शिक्षा 
   एल.आर गाँधी.


पाकिस्तान के इस्लामिक  रहनुमा अपने यहाँ जेहाद  की पनप चुकी फैक्ट्रियों  को अब  बंद करने की कशमकश में हैं मगर हमारे   सेकुलर शैतान अपना  वोट बैंक पक्का करने की जुगत में जेहादी कारखानों को फलने फूलने के लिए माली मदद मुहय्या करवा रहा है. .
गत दिनों कराची  के सोहराब इलाके में जामिया मस्जिद जकारिया मदरसे के तहखाने से ५० बच्चों को मुक्त करवाया गया ,जिन्हें  जंजीरों  में बाँध  कर  रक्खा  गया था . इन बच्चों को इस्लामिक जेहाद के लिए तैयार किया जा रहा था पुलिस ने अपनी जांच  में पाया की इन बच्चों का यौन शोषण भी किया जा रहा था.पाक सरकार ने ऐसे मदरसों को विदेशी सहायता पर भी प्रतिबन्ध लगा   दिया .
अब हमारे सेकुलर शैतानो  की इस्लामिक जेहाद के आतंक से लड़ने की मानसिक कुष्ट्वृति देखिये.देश की सबसे संवेदनशील रियासत जम्मू  कश्मीर  जहाँ हमारी राष्ट्रिय सेना इस्लामिक आतंक से जूझ  रही है और लगभग एक लाख भारतीय इस आतक की बलि चढ़  चुके हैं.  इस्लामिक आतंक से पीड़ित  साढ़े चार लाख कश्मीरी हिन्दू अपने ही देश में अपना घर बार छोड़ कर दर दर भटक  रहे  हैं. जेहाद के कारखाने 'मदरसों' के लिए केंद्र  ने कश्मीर सरकार को ५.३ करोड़ रूपए की सहायता भेजी , ताकि ३७२ मदरसों में बढ़िया शिक्षा मुहय्या करवाई  जा सके . कश्मीर के २५ इस्लामिक संगठनों ने इस सहायता को केंद्र सरकार का इन मदरसों को बदनाम  करने की साजिश बताया  और दोष लगया की मदरसों को यह  सहायता पहुंची   ही नहीं . जिन मदरसों में जेहाद की तालीम दी  जाती  है और गैर इस्लामिक स्टेट के विरूद्ध  जेहाद के लिए मासूम बच्चों को आतंक का पाठ  पढाया  जाता  है., जैसा की कश्मीर में पनप रहे राष्ट्र विरोधी माहौल से साफ़ दिखाई भी दे रहा है. . फिर भी वोट बैंक को मज़बूत करने की जुगत में हमारे ये सेकुलर शैतान 'जेहाद की फैक्ट्रियों  ' को माली सहायता दे कर राष्ट्र विरोधी ताकतों को पाल रहे हैं. माली सहायता ले कर भी ये इस्लामिक संगठन सरकार के किसी भी आधुनिक  शिक्षा मुहया करवाने के निर्देश को - मज़हब  में दखलंदाज़ी  करार   देते   हैं. सरकारी सहायता की दरकार में आम निजी स्कूलों ने भी मदरसों के बोर्ड लटका दिए हैं. और अपने यहाँ पढ़ने  के लिए मौल्विओं की सेवायें ले ली हैं. 
मुल्लाओं की कुरआन में आधुनिक शिक्षा 'अवांछित' है. फिर भी इन सेकुलर शैतानों को कौन समझाए जो इतिहास से भी सबक लेना नहीं  चाहते. विश्व की सबसे प्राचीन और प्रथम  विश्व  विद्यालय ' नालंदा' को इस्लामी जेहादी 'खिलज़ी' ने महज़ इस लिए 'मिस्मार' कर दिया था की उसके पुस्तकालय में ' कुरआन' क्यों नहीं. नालंदा के विद्वान अध्यापको और छात्रों को तलवार से इस लिए काट दिया गया की वे 'इस्लाम को न मानने वाले काफ़िर थे . पिछले आठ सौ सालों में क्या इस्लाम को मानने वालों ने विश्व को एक भी 'विश्व विद्यालय' दिया.
जिस  सच्चाई को एक इस्लामिक स्टेट पाक समझ रहा है उससे  हमारी सेकुलर सरकार नादान बनी बैठी है.