लूट का आधार
एल आर गांधी
सोनिया जी के गैम चेंजर 'आधार ' की सर्वोच्च न्यायालय में हवा निकल गई। न्यायालय ने 'आधार कार्ड ' की विभिन्न सरकारी योजनाओं के लिए अनिवार्यता खारिज़ कर दी।
सोनिया जी ने 'आधार ' का ठेका अपने खासम-ख़ास नंदन निलेकणी को दिया और मनमोहन जी ने भी अपनी राजमाता की निराधार योजना पर १८००० करोड़ लुटा दिए। देश की भोली भाली जनता ने भी अपने सभी काम काज छोड़ छाड़ कर घंटो लाइनों में लग कर 'आधार ' की जंग फतह की। कोर्ट के निर्देश के बाद भोले -भाले भारतीय ठगे -ठगे से महसूस कर हैं .... जो काम वोटर कार्ड या राशन कार्ड से हो सकता था ,फिर आधार पर १८००० करोड़ क्यों लुटाए गए … आधार कार्ड बनाने में बहुत सी घोटालेबाज़ियाँ भी सामने आई ।
असली खेल पर से पर्दा तो तब उठा जब आधार कर्णाधार नंदन किलेकानी कांग्रेस के टिकट पर लोक सभा के लिए मैदान में कूद पड़े .... निलेकणी जी ने जब अपनी सम्पति ७७०० करोड़ घोषित की तो भोले -भाले भारतियों की आँखें खुली की खुली रह गई …
नीलकेणी जी ने भी बड़ी मासूमियत के साथ अपनी अकूत 'माया ' का राज़ खुल जा सिम - सिम करते हुए बताया कि उन्होंने अपना ' धंधा ' २०० रूपए से शुरू किया था ....
महज़ २०० रूपए की तुच्छ राशि से ७७०० करोड़ की छलांग … का .... आ धा र … कुछ कुछ हमें भी समझ में आ गया … राजमाता की छत्र -छाया .... फिर बरसे माया ही माया …
एल आर गांधी
सोनिया जी के गैम चेंजर 'आधार ' की सर्वोच्च न्यायालय में हवा निकल गई। न्यायालय ने 'आधार कार्ड ' की विभिन्न सरकारी योजनाओं के लिए अनिवार्यता खारिज़ कर दी।
सोनिया जी ने 'आधार ' का ठेका अपने खासम-ख़ास नंदन निलेकणी को दिया और मनमोहन जी ने भी अपनी राजमाता की निराधार योजना पर १८००० करोड़ लुटा दिए। देश की भोली भाली जनता ने भी अपने सभी काम काज छोड़ छाड़ कर घंटो लाइनों में लग कर 'आधार ' की जंग फतह की। कोर्ट के निर्देश के बाद भोले -भाले भारतीय ठगे -ठगे से महसूस कर हैं .... जो काम वोटर कार्ड या राशन कार्ड से हो सकता था ,फिर आधार पर १८००० करोड़ क्यों लुटाए गए … आधार कार्ड बनाने में बहुत सी घोटालेबाज़ियाँ भी सामने आई ।
असली खेल पर से पर्दा तो तब उठा जब आधार कर्णाधार नंदन किलेकानी कांग्रेस के टिकट पर लोक सभा के लिए मैदान में कूद पड़े .... निलेकणी जी ने जब अपनी सम्पति ७७०० करोड़ घोषित की तो भोले -भाले भारतियों की आँखें खुली की खुली रह गई …
नीलकेणी जी ने भी बड़ी मासूमियत के साथ अपनी अकूत 'माया ' का राज़ खुल जा सिम - सिम करते हुए बताया कि उन्होंने अपना ' धंधा ' २०० रूपए से शुरू किया था ....
महज़ २०० रूपए की तुच्छ राशि से ७७०० करोड़ की छलांग … का .... आ धा र … कुछ कुछ हमें भी समझ में आ गया … राजमाता की छत्र -छाया .... फिर बरसे माया ही माया …