रविवार, 29 जनवरी 2012

बकरे की माँ कब तक खैर मनाएगीi

बकरे  की  माँ  कब  तक खैर मनाएगीi
      एल. आर गाँधी 

भारत  में प्रत्येक 'बकरे' को पांच साल बाद 'अपना कसाई ' बदलने का अधिकार है. 
पांच राज्यों के बकरे अपने 'कसाईयों ' की कारगुजारी को तौल रहे हैं ... कौन झटक देगा या हलाल करेगा ?
सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश के ' बकरों' को बहिन जी से गिला है की पिछले पांच साल से उन्होंने उनकी तो सुध ही नहीं ली. महज़ हाथी को पालने में मस्त रही . चुनाव आयोग को भी हाथी से खतरा लगा और सभी हाथियों को 'बुर्के' पहना दिए... और साथ ही 'बहिनजी ' को भी. बहिन जी को भी चुनाव आयोग से गिला है ... साईकिल  को भी 'चड्डी' पहनाओ सरेआम नंगा  घूम रहा है मुलायम की  लाल टोपी  पहने ... हाथ पर भी परस्तर चढ़ाओ ...मम्मी का चांटा दिखा कर बदअमनी फैला रहा है. ... और मूआ  कमल  ..खुद कीचड में , और हमें नसीहत पाक-साफ़ रहने की.! 'बकरे' किंकर्तव्य विमूड हैं कोई उन्हें साढे चार प्रतिशत का आश्वासन दे रहा है तो कोई नौं और अट्ठारह का. दिल्ली के आका ने तो फ़तवा जारी कर आगाह कर दिया ... की ये सभी उन्हें झटकई हैं ... सिर्फ मुलायम ही हलाल है. उधर झटके के कारोबारी अपने बकरों को हलाल होने से बचाने में व्यस्त हैं. अब फैसला बकरों के हाथ में है ... अगले पांच साल उन्होंने 'हलाल'  होना है या झटका' ... बकरे की माँ कब तक खैर मनाएगी.... मेरा  मुंसिफ ही मेरा  कातिल है - क्या मेरे हक़ में फैसला देगा. 
उत्तराखंड के 'बकरे' अजीब पशोपेश में हैं. ... एक तो कहता है .. खाडूरी है जरूरी .. तो दूसरा आगाह कर रहा है ' खाडूरी है मजबूरी... किसी को चुन लो जरूरी है मजबूरी !
पंजाब के बकरे बादल से नाराज़ हैं ... हमेशां भैसों को घास डालते हैं बकरों को पूछते ही नहीं... दोनों कसाई एक दूसरे को मुर्गा बनाने  में व्यस्त हैं. महाराजा कभी बादल को खुंडे से सीधा करने या उल्टा लटकाने की धौंस देते हैं और कभी अपनों से ही दुखी ...कत्लोगारत का फरमान सुनाते हैं.  बादल गरजते है की जब राजा जेल में है तो महाराजा कैसे बाहर फिर रहा है. इलेक्शन से पहले दोनों एक दूसरे को चोर डाकू और न जाने क्या क्या कहते और सलाखों के पीछे  भेजने की कसमें खाते हैं और बाद में ... टिड भरो अपने ,ते इन्हां दी है लोड काहदी ..भुखेया नू लम्मिया कहानिया सुनाई जाओ , खाई जाओ खाई जाओ , भेद किन्हें खोल्ह्ना ऐ ..विच्चो विच्च खाई जाओ उत्तों रौला पाई जाओ . दोनों ने 'बकरों' को इतनी घास ,दाना,और न जाने क्या क्या डालने का वादा किया है कि बेचारे  वायदों पर ही मर मिटे  है. 
बड़े बड़े वायदों से 'बकरों' को लुभाने वाले ये कसाई पिछले छह दशक में मुल्क का भविष्य भी झटक गए .. ४२% बच्चे कुपोषण का शिकार हैं. ७०% दूध मिलावटी है. ..पर्यावरण को इस कदर बिगाड़ा है कि न पीने का साफ़  पानी और न ही सांस लेने को शुद्ध वायु बची है. येले  व् कोलंबिया  विश्व विद्यालय की जांच से यह तथ्य सामने आए हैं कि शुद्ध जल-वायु में भारत विश्व के १३२ देशों में १२५ वें पायदान पर है. ज़हरीली वायु के मामले में हम पाकिस्तान और बंगलादेश से भी नीचे ३.७३ अंक पर हैं जबकि हमारे से अधिक जनसँख्या वाला चीन १९.७ अंक पर और पाक व् बंगलादेश क्रमश १८.७६ व् १३.६६ अंक पर हैं. हमारे देश के धनकुबेर चोर-उच्च्क्कों के काले धन की बदौलत शुद्ध जल-वायु व् पर्यावरण में स्विट्जरलैंड विश्व में नबर वन है. फिर भी देश पर पिछले पांच दशक से सत्तारुद पार्टी की राजमाता स्विस बैंकों के काले धन पर आपराधिक मौन धारण किये है. ... और बोलने वाले सन्यासी को दिग्गी मियां 'ठग ' बताते हैं. 
बड़े चाव से 'बकरे' अपने हक़ का इस्तेमाल करेंगे और अगले पांच साल के लिए अपने लिए 'कसाई' चुन लेंगे ..फिर चाहे वह झटके या हलाल करे !!!!!!