गुरुवार, 22 अप्रैल 2010

भारत का नया कीर्तिमान ..मधुमेह

नमक, चीनी, दूध----ज़हर. ! प्रसिद्ध आहार विशेषज्ञ डाक्टर गाँधी ने एक सेमिनार में यह शब्द कहे तो सभागार में एक सन्नाटा सा गूंज गया.बाद में उनकी सहायक ने उनके इस वक्तव्य पर स्पष्टीकर्ण दिया और विस्तार से बताया की किस प्रकार टेबल (अतिरिक्त) नमक-चीनी हानिकर है. दूध से अभिप्राय है फैट (वसा ) जिसके अधिक प्रयोग से क्लेस्त्रोल में वृद्धि होने का अंदेशा रहता है.
हम हिन्दोस्तानी सेहत के लिए कम, स्वाद के लिए अधिक खाते हैं. अब तो अमिताभ बच्चन जी भी अपने चाहने वालों को बुधू बक्से पर ' कुछ मीठा हो जाये' की पट्टी पढ़ाने में लगे हैं. आमिर खान ' ठंडा मतलब कोका कोला और सचिन 'पेप्सी से भारतियों की जन्म जन्मान्तर की प्यास बुझाने में मशगूल हैं. और तो और केटरीना कैफ के होंटों पर पर पड़ी 'एक बूँद माज़ा' तो मानों नई पीढ़ी को मीठे की चाशनी में डुबोए चली जा रही है.
अब तो हमारा भारत महान अपने नाम एक और कीर्तिमान लिखवाने जा रहा है. वह है - मधुमेह रोगीओं की विश्व राजधानी ! इस वर्ष के अंत तक हमारे यहाँ सबसे अधिक मधुमेह रोगी होंगे. हमारे स्वस्थ्य के सरकारी शुभचिंतक परम आदरनीय स्वस्थ्य मंत्री गुलाम नबी आज़ाद ने राज्य सभा को लिख कर दे दिया है कि ५०.७ मिलियन मधुमेह रोगियों के साथ हम विश्व के नंबर एक हो गए हैं. आजाद जी ने यह भी बताया कि हमारे पास कोई सर्वेक्षण आधारित पक्का आंकड़ा नहीं है. इस लिए ग्रामीण आबादी के ४० के पार की जनता की जाँच अनिवार्य कर दी गई है और इस काम पर आशा नामक संस्था को लगा दिया गया है. यह संस्था हृदय रोग, मधुमेह और स्ट्रोक के संभावितो की गिनती करेगी .इस काम के लिए सरकार ने अपना फ़र्ज़ निभाते हुए ४९९.३३ करोड़ की राशि मुहैया करवा दी है. सही सही गिनती आने पर मीठा मंत्री अरे वो ही अपने पंवार साहेब की अध्यक्षता में मंत्रिओं का एक पेनल बना दिया जायेगा ता कि अधिक मीठा खाने वालों का सही सही इलाज़ किया जा सके. फिर चीनी के दाम ज़मीं से आसमान पर पहुँचाने वाले भी तो यही मधुमेही ही हैं. गरीब को चीनी मुंह मीठा करने को नसीब नहीं हो रही और ये हैं कि खा खा के रोगी हुए जा रहे है. इन मीठे के शौकिनो ने ही चीनी कि जमा खोरी कर 'बेचारे पंवार जी को मुफ्त मुफ्त में बदनाम कर के रख दिया है.
अमेरिका कि सरकार भी अपने लोगों को समझा समझा कर हार गई कि भई ज़रुरत से अधिक नामक मीठा न खाओ - रक्तचाप,शुगर और क्लेस्त्रोल बढ़ जाएगा समझाने का असर होता न देख अब सरकार ने एक क़ानून बनाने कि सोची है. बर्गर, चिप्स और जंक फ़ूड कम्पनिओं को हिदायत दी गई है कि वे अपनी प्राडक्ट्स में नमक कि मात्रा घटाएं . पेप्सी ने तो २०१५ तक अपनी प्राडक्ट्स में नमक, चीनी और फैट कि मात्रा में २५% तक कि कमी लाने का भरोसा दिलाया है. अन्य कंपनिया भी ऐसा ही करने जा रही है. मीठी और कोल्ड ड्रिंक प्राडक्ट्स पर कर लगाने कि भी योजना है.
अब दुनिया का सबसे अमीर देश चीनी पर कर लगा कर उसे महँगी करने जा रहा है और वह भी अपने देश वासिओं कि सेहत कि खातिर. फिर हमारे पंवार जी भी तो यही करने जा रहे थे और ये मुए विरोधी दल और कम्बखत प्रेस वाले उनके पीछे हाथ-पैर-मुंह धो कर पड़ गए - किसी को देश कि सेहत का ख्याल ही नहीं ! राम देव जी कितना ही चिल्लाएं 'कोका कोला बोले तो टायलट कलीनर ' सुनता है कोई. !