गुरुवार, 2 सितंबर 2010

स्वास्तिक प्रतीक कि अवमानना

स्वास्तिक प्रतीक कि अवमानना
सेकुलर शैतानों की कुष्ठ- मानसिकता...
एल.आर .गाँधी.

सेकुलर मिडिया की एक और शैतानियत - - -आउट लुक पत्रिका के १९ जुलाई २०१० के अंक
के मुख्या पृष्ट पर हिन्दुओं के आस्था प्रतीक स्वास्तिक को विकृत रूप में
छाप कर विनोद महता ने अपनी कुष्ठ-मानसिकता का ही परिचय दिया है. हिन्दू
टेरर नामक अपने लेख पर स्वास्तिक के निशाँ को चार पिस्तौलों से बना कर
हिन्दुओं के पवित्र आराधना चिन्ह की पवित्रता को जानबूझ कर दूषित करने का
दुस्साहस किया है.
संस्कृत में स्वस्तिक का अर्थ है सु=अच्छा , अस्ति=हो , इक= जो अस्तित्व
में है अर्थात उज्जवल भविष्य . या अच्छाई की विजय अर्थात समस्त मानवता के
लिए आशीर्वाद. बौध साहित्यकार इसे बुध के चरण-कमल मानते हुए अपनी कृति से
पूर्व स्वास्तिक का चिन्ह अंकित करना शुभ्यंकर मानते हैं. वैदिक दर्शन में
इसे ४ वेदों रिग्वेदा, सामवेद, यजुर्वेद और अर्थव वेद का प्रतीक माना जाता
है. भारतीय संस्कृति में स्वास्तिक को मानव के चार आश्रमों -ब्रह्मचर्य,
गृहस्थ वानप्रस्थ और संन्यास का प्रतीक चिन्ह माना जाता है. हिन्दू इसे
मानव के ४ जीवन लक्ष्यों -धरम, अर्थ, काम और मोक्ष का प्रतीक भी मानते हैं.
उक्त साक्ष्यों से स्पष्ट है की स्वास्तिक हिन्दू धरम में पवित्र,
शुभ्यंकर, भाग्यवर्धक और शान्ति का प्रतीक है.
स्वास्तिक को विकृत रूप में प्रदशित करना घोर पाप के साथ साथ अमंगल कारी भी
माना जाता है. नाज़ियों ने स्वास्तिक को विकृत रूप में अपनाते हुए इसे ४५
डिग्री पर टेढ़ा कर लाल पृष्ट भूमि में अंकित किया. एसा करने से स्वास्तिक
का प्रभाव विनाशकारी हो जाता है. इतिहास इस विशवास का साक्षी है - जो
हश्र नाज़ीओं का हुआ वह सबके सामने है. आतंकियों का साथ देने वाले इन
सेकुलर शैतानों का अंत भी अन्ततोगत्वा निश्चित ही है.

पाक के फिक्सर -भारत का रोल माडल

पाक के फिक्सर -भारत का रोल माडल !
एल.आर.गाँधी.


पाक के बेचारे क्रिकेटर कैमरे पर कुछ पैसे लेते क्या पकडे गए हिन्दुस्तानी मिडिया हाथ-पैर-मुंह धो कर इन खिलाडिओं की धुनाई करने में लगा हुआ है. सी एन एन आइ बी एन के एडिटर इन चीफ राजदीप सरदेसाई ने तो इमरान खान से गुफ्तगू करते हुए यहाँ तक कह दिया की पाक खिलाडिओं का कोई रोल -माडल नहीं और न ही भारतीय खिलाडिओं की माफिक उन्हें कमाई है -इस लिए यह सब हो रहा है. क्रिकेटर से राजनेता बने इमरान खान ने अपनी खीझ पाक राष्ट्रपति ज़रदारी पर निकाली यथा राजा तथा क्रिकेटर ,जब एक स्टेट का राजा ही भ्रष्ट है तो और लोगों से क्या तवक्को की जा सकती है. मिडिया के रोल माडल और क्रिकेट के रोल माडल इन महानुभावों की वार्ता सुन कर एक कहावत याद आ गई ' पकडे गए तो चोर ,न पकड़ में आए तो साधू.'.
फिक्सिंग का यह गोरखधंधा हवाला के ज़रिये होता है और हवाला की कारगुजारी को न्याय के तराजू पर तोल पाना संभव ही नहीं .पहला फिक्सिंग काण्ड भारतीय क्रिकेट की ही देन है , जब सन २००० में साऊथ अफ्रीका के कप्तान हेंसी क्रोने पकड़ में आए - क्रोने भी पाक साफ़ निकल जाते अगर हिन्दुस्तानी या पाकिस्तानी होते. बेचारे झूठ बोलना नहीं जानते थे -साफ़ साफ़ मान गए की उनसे गलती हो गई. हेंसी क्रोने ने यह भी साफ़ साफ़ बतला दिया की उनकी ' बुकीज़ ' से जान पहचान भारतीय कप्तान अजहरुदीन ने करवाई थी. अजहर ही फिक्सिंग के इस गोरखधंधे के चैंपियन हैं . क्रोने मगर यह भूल गए की अजहर उन जैसे मूर्ख नहीं जो सच बोलेंगे और फंस जाएंगे. यह भी रहस्योद्घाटन हुआ की अजहर को तो अंडरवर्ल्ड से भी उनके लिए मैच फिक्स करने की आफर आई थी.अजहर पर वन दे मैच फिक्स करने का दोष लगा . मिडिया ने शोर डाला और अजहर पर बैन लगा दिया गया. मगर सर से पाओं तक झूठ बोलने वाले एक शातिर खिलाडी पर हवाला के लेन देन कोर्ट में कहाँ साबित होते हैं. अजहर ने अपने बचाव में देश के सबसे बड़े वकील ' झूठ्मैलानी' की सेवाएँ लीं और मिल मिला कर कोर्ट से साफ़ पाक निकल आए -अपने अल्प्संखियक होने की भी दुहाई दी कि उन्हें मुसलमान होने के कारन फसाया गया , मगर बाद में माफ़ी मांग कर पीछा भी छुड़ा लिया. हेंसी क्रोने का यह सच तो सब ने मान लिया की वह फिक्सेर है, मगर हेंसी ने यह भी तो कहा की फिक्सिंग के चेम्पिय अजहर हैं - यह सच हमारे देश के रहनुमाओं को कहा हज़म होता , कि बेचारा एक अल्पसंख्यक भी पैसे के लिए देश की इज़त्त दाव पर लगा सकता है. खैर हमारे ' इमानदार 'बी सी सी आई के साफ़ पाक अधिकारिओं ने अजहर को भी अपने जैसा 'इमानदार 'मान कर २००६ में 'दूध का धोया' घोषित कर प्रतिबंध्मुक्त ही नहीं किया बकली पुरस्कृत भी कर दिया.
अब पाक के इन नए नए फिक्सिंग के गोरख धंधे में फंसे क्रिकेटर्स का तो रोल माडल 'अजहर मियां ' ही रहा होगा. फिक्सिंग की' नो बाल्स' पर सिक्सर्ज - पे- सिक्सर्स जमाये और पकडे जाने का तो सवाल ही नहीं. फिर २ बच्चों की माँ ,अपनी पहली बीवी नौरीन को दिया तलाक और रचा ली दूसरी शादी संगीता बिजलानी से. अब कहते हैं उससे भी जी भर गया और बेडमिन्टन खिलाडी ज्वाला दत्ता पर लट्टू हैं. एक तो करेला दूजा नीम चढ़ा - कांग्रेस को भला इससे ' योग्य ' उम्मीदवार मिलना था भला !
उतार दिया मुरादाबाद के चुनाव मैदान में और जीत भी गए -अल्पसंख्यक वोट के दम पर और जा मिले अपने ही जैसे ............कों.. में . अब राजदीप जी से कोई पूछे जब पाक खिलाडिओं को हमारे 'अजहर मियां' जैसे बने बनाए रोल माडल मिले ही हुए हैं तो फिर वे पाक के भूखे नंगे रोल माडल्स का क्या आचार डालेंगे ? पाक खिलाडिओं की कम कमाई के तर्क में भी कोई दम नज़र नहीं आता ,जिसके कारन वे फिक्सिंग के थंधे की ओर आकृष्ट हुए. उनके रोल माडल 'अजहर मियां' पर तो यह तर्क उल्टा पड़ता है , क्योंकि एक भारतीय कप्तान को तो पाक खिलाडी से हजार गुने कमाई होती है फिर भी 'फिक्सिंग' ? पत्रकार भाई आम तौर पर कहते हैं की जनता की याददाश्त कमजोर होती है . फिर इन चेनल वालों की मति को क्या हो गया भई !