गुरुवार, 6 मई 2010

आन्ध्र का अँधा अल्पसंख्यक प्रेम...

शायद अल्पसंख्यक तुष्टिकर्ण को ही सेकुलरवाद मानती है आन्ध्र प्रदेश की कांग्रेस सरकार । जब से सोनिया जी के वरद हस्त से कोनिजेती रोसैआह प्रदेश के मुख्या मंत्री के सिंहासन पर आरूढ़ हुए हैं तब से प्रदेश की मुस्लिम और इसाई प्रजा की पौबारह है। प्रदेश को ९५% कर हिन्दू बहुसंख्यक आबादी द्वारा दिया जाता है पर इस कर का एक बड़ा भाग १०% मुस्लिम और इसाई अल्पसंख्यक समुदाए पर ही खर्च कर दिया जाता है।
आन्ध्र जनसँख्या में देश का पांचवा बड़ा राज्य है जहाँ ८९.०१ % हिन्दू, ९.१७ % मुस्लिम और १.५५% इसाई आबादी है राज्य में मुख्यत तेलगु भाषा का प्रचालन है और ८.६३% लोग उर्दू बोलते हैं। चावल यहाँ का मुख्या उत्पादन है इसी लिए इसे राईस बोउल अफ इंडिया भई कहा जाता है।
राज्य के हिन्दू धर्म संस्थानों पर सरकार का कब्ज़ा है ,जब की मुस्लिम और इसाई धरम स्थान इन सम्र्दायों के अपने हाथ में है। हिन्दू धर्मस्थानो से होने वाली आय भी अल्पसंख्यक धर्म स्थानों को आबंटित कर प्रदेश की सेकुलर सरकार शायद अपने सेकुलर धरम के पालन में लगी है। इसाईओं को जेरुसलम ,इजराइल और पलेस्तीन के अपने धरम स्थानों की यात्रा के लिए आन्ध्र सरकार द्वारा २५०००/- सब्सिडी दी जाती है। १५०००/- मुस्लिम और इसाई अल्पसंख्यको को निकाह/मैरिज अनुदान दिया जाता है। अब तो मुस्लिम भाइयों को ४% आरक्षण शिक्षण संस्थानों में भी दे दिया गया है जब की संविधान में धर्म आधारित आरक्षण अमान्य है। २००८ में आन्ध्र सरकार द्वारा उर्दू अकादमी को ३० करोड़ की ग्रांट अता की गई और राष्ट्र भाषा हिंदी और संस्कृत के लिए कुछ भी नहीं। और तो और मिड डे मील के लिए भी केवल मदरसों को चुना गया । चुर्चों द्वारा संचालित स्कूलों में अध्यापकों की नियुक्ति भी सरकारी खर्चे से की जाती है। शायद मुख्या मंत्रीजी अपनी आका सोनिया जी का आभार प्रकट कर रहे हैं। आन्ध्र के अल्पसंख्यको के प्रति इस अंधे प्रेम को देख कर तो यही लगता है कि सेकुलरवाद का अर्थ ही बहुसंख्यक हिन्दू समाज कि कीमत पर अल्पसंख्यकों का तुष्टि कारन है ???????