शुक्रवार, 30 दिसंबर 2011

मदरसों में उच्च शिक्षा


मदरसों में उच्च शिक्षा 
   एल.आर गाँधी.


पाकिस्तान के इस्लामिक  रहनुमा अपने यहाँ जेहाद  की पनप चुकी फैक्ट्रियों  को अब  बंद करने की कशमकश में हैं मगर हमारे   सेकुलर शैतान अपना  वोट बैंक पक्का करने की जुगत में जेहादी कारखानों को फलने फूलने के लिए माली मदद मुहय्या करवा रहा है. .
गत दिनों कराची  के सोहराब इलाके में जामिया मस्जिद जकारिया मदरसे के तहखाने से ५० बच्चों को मुक्त करवाया गया ,जिन्हें  जंजीरों  में बाँध  कर  रक्खा  गया था . इन बच्चों को इस्लामिक जेहाद के लिए तैयार किया जा रहा था पुलिस ने अपनी जांच  में पाया की इन बच्चों का यौन शोषण भी किया जा रहा था.पाक सरकार ने ऐसे मदरसों को विदेशी सहायता पर भी प्रतिबन्ध लगा   दिया .
अब हमारे सेकुलर शैतानो  की इस्लामिक जेहाद के आतंक से लड़ने की मानसिक कुष्ट्वृति देखिये.देश की सबसे संवेदनशील रियासत जम्मू  कश्मीर  जहाँ हमारी राष्ट्रिय सेना इस्लामिक आतंक से जूझ  रही है और लगभग एक लाख भारतीय इस आतक की बलि चढ़  चुके हैं.  इस्लामिक आतंक से पीड़ित  साढ़े चार लाख कश्मीरी हिन्दू अपने ही देश में अपना घर बार छोड़ कर दर दर भटक  रहे  हैं. जेहाद के कारखाने 'मदरसों' के लिए केंद्र  ने कश्मीर सरकार को ५.३ करोड़ रूपए की सहायता भेजी , ताकि ३७२ मदरसों में बढ़िया शिक्षा मुहय्या करवाई  जा सके . कश्मीर के २५ इस्लामिक संगठनों ने इस सहायता को केंद्र सरकार का इन मदरसों को बदनाम  करने की साजिश बताया  और दोष लगया की मदरसों को यह  सहायता पहुंची   ही नहीं . जिन मदरसों में जेहाद की तालीम दी  जाती  है और गैर इस्लामिक स्टेट के विरूद्ध  जेहाद के लिए मासूम बच्चों को आतंक का पाठ  पढाया  जाता  है., जैसा की कश्मीर में पनप रहे राष्ट्र विरोधी माहौल से साफ़ दिखाई भी दे रहा है. . फिर भी वोट बैंक को मज़बूत करने की जुगत में हमारे ये सेकुलर शैतान 'जेहाद की फैक्ट्रियों  ' को माली सहायता दे कर राष्ट्र विरोधी ताकतों को पाल रहे हैं. माली सहायता ले कर भी ये इस्लामिक संगठन सरकार के किसी भी आधुनिक  शिक्षा मुहया करवाने के निर्देश को - मज़हब  में दखलंदाज़ी  करार   देते   हैं. सरकारी सहायता की दरकार में आम निजी स्कूलों ने भी मदरसों के बोर्ड लटका दिए हैं. और अपने यहाँ पढ़ने  के लिए मौल्विओं की सेवायें ले ली हैं. 
मुल्लाओं की कुरआन में आधुनिक शिक्षा 'अवांछित' है. फिर भी इन सेकुलर शैतानों को कौन समझाए जो इतिहास से भी सबक लेना नहीं  चाहते. विश्व की सबसे प्राचीन और प्रथम  विश्व  विद्यालय ' नालंदा' को इस्लामी जेहादी 'खिलज़ी' ने महज़ इस लिए 'मिस्मार' कर दिया था की उसके पुस्तकालय में ' कुरआन' क्यों नहीं. नालंदा के विद्वान अध्यापको और छात्रों को तलवार से इस लिए काट दिया गया की वे 'इस्लाम को न मानने वाले काफ़िर थे . पिछले आठ सौ सालों में क्या इस्लाम को मानने वालों ने विश्व को एक भी 'विश्व विद्यालय' दिया.
जिस  सच्चाई को एक इस्लामिक स्टेट पाक समझ रहा है उससे  हमारी सेकुलर सरकार नादान बनी बैठी है.  

शनिवार, 10 दिसंबर 2011

शशि-धरा का लुका-छिपी महोत्सव

 शशि-धरा का लुका-छिपी महोत्सव 
एल. आर. गाँधी
शशि- धरा की लुक्का छिपी का महोत्सव है आज . महोत्सव का श्रीगणेश सांय 3.45 पर होगा और सांय ७. १५ तक चलेगा . विश्व के प्राचीनतम प्रेमी इस महोत्सव के मुख्य पात्र हैं. अबकी शशि छिपेंगे और धरा सदैव की भांति ढूँढेंगी .... रवि ने मंच सञ्चालन का जिम्मा सम्हाल लिया है. पिछले कई दिनों से 'विधु' छिपने की रिहर्सल में मशगूल हैं .. जब देखो धुंध में लुका-छिपी के खेल में व्यस्त हैं और धरा भी धुंध में धुंधलाई आँखों से निशा में दूर तक अपने सखा'इंदु' को देखती है ...मानो जांच रही हो ..अबकी कहाँ छिपेगा ? फिर भूल गई की उसका यह सदियों पुराना अनुज -सखा तो सदैव उसके आँचल में ही आ छिपता . लो ' निशापति' छिप गए और धरा दबे पाँव अपने नन्हे चिर-सखा को ढूँढने निकल पड़ी. अपनी प्रियसी और उसके सखा के बीच के इस लुकाछिपी के खेल को 'रवि' चुपचाप निहार रहे हैं.
सदियों से शशि , धरा-दिनकर के सृष्टि सम्भोग के प्रत्यक्ष -द्रष्टा रहे हैं. निशापति के जाते ही दिनकर अपनी प्रियतमा को अपने आगोश में ले कर 'चिर सौभाग्यवती' भव का आशीर्वाद देते हुए ,अपनी प्रचंड किरणों से काम-क्रीडा में मस्त हो जाते हैं. रात होते ही निशापति थकी- हारी धरा को अपनी शीतल किरणों की चादर ओढा कर , अपने सखा धर्म का निर्वाह कर, मात्र ठंडी आहें भरने के सिवा और कर भी क्या सकते हैं. अपने मित्रवत प्रेम के इज़हार का इस साल 'इंदु' के पास आज यह प्रथम अवसर है. आज तो बस बता ही देंगे धरा को की वह किस कदर उसे बे-इन्तेहा प्यार करते हैं. लो शशि पूर्णतय छिप गए और धरा ढूंढ रही है ...शशि ने धरा को 'हीरे की अंगूठी ' दिखाई ..…… महज़ ४. ४३ क्षण के लिए …धरा अचरज में पड़ गई और शशि झेंप गए और शर्म से मुंह लाल हो गया . धरा ने आनन फानन में 'फ्रेंडशिप बैंड' भेंट किया और शशि ने अपनी चिर-सखा की यह भेंट स्वीकार कर राहत की सांस ली. रवि अपनी प्रियतमा के पतिव्रता आचरण पर भाव विभोर हो गए . इसके साथ ही लुका छिपी का विश्व समारोह सम्पूर्ण हुआ .
विज्ञानिक अपनी खुर्दबीने लिए इस महोत्सव से पृथ्वीलोक पर होने वाले 'अच्छे-बुरे प्रभावों की समीक्षा में व्यस्त हैं और धर्म भीरु हिन्दू ग्रहण से होने वाले दुष्प्रभावो को सोच का त्रस्त हैं. हमारी धर्म परायण श्रीमती जी ने सभी खाद्य- वस्तुओं में 'खुशा' का तिनका टिका दिया है. इसे कहते हैं डूबते को तिनके का सहारा . मंदिर के पंडित जी ने श्रीमती जी को आगाह कर दिया था कि आज शाम को मंदिरों के किवाड़ बंद रहेंगे . इस लिए देवीजी आज के देव दर्शन ग्रहण से पूर्व ही कर आयीं. ज्योतिविद धर्मभीरु आस्तिकों को चन्द्र ग्रहण से होने वाले दुश परिणामों से जागरूक करते हुए 'दान-पुन्य' के अमोघ अस्त्रों से अवगत करवा कर 'चांदी' कूटने में व्यस्त हैं . हम तो भई सोमरस की चुस्कियों संग , सृष्टि के प्राचीनतम प्रेमियों के इस लुकाछिपी महोत्सव को निहारने में मस्त हैं. निशापति का यह शर्म से लाल हुआ मुखारविंद सिर्फ और सिर्फ आज के इस महोत्सव में ही देखने को मिलता है , जब 'निशापति ' अपनी ही इज़हार ए मुहब्ब्त से शर्मसार हुए शवेत से सुर्ख हो जाते हैं.
यथार्थ के पक्षधर खगोलविद या फिर ईष्ट अनीष्ट की शंकाओं में डूबे ज्योतिषशास्त्री इस महोत्सव के प्रेम प्रसंग को क्या समझें ?

शुक्रवार, 9 दिसंबर 2011

काबुल में करबला

काबुल में करबला
एल.आर.गाँधी

सिंह साहेब के शांति पुरुष की काबिना के अंदरूनी रक्षा मंत्री रहमान मालिक ने 'तालिबान' का शुक्रिया अदा किया .. क्योंकि उनकी अपील पर इस बार तालिबान ने 'मुहर्रम' के मौके पर कोई 'काण्ड' नहीं किया और शांति बनाए रक्खी . पाक की वीणा मलिक तो जिसम से ही बेनकाब हुई थी, मगर मलिक साहेब तो इखलाक से भी नंगे हो गए .. जिन आतंकियों को नेस्तोनामूद करने की अमेरीका से अरबों डालर की सुपारी लेते रहे ..उन्हीं का शुक्रिया ?
उधर अफगानिस्तान में इन्हीं तालिबान के 'भाइयों' ने मुहर्रम के पाक जलूस पर आतंकी हमला कर ५६ अफगान शिया मुस्लिमों को बम से उड़ा दिया १५० के करीब ज़ख़्मी हुए .. मरने वालों में ज्यादाता मासूम औरतें और बच्चे थे... पाक से आतंकी संगठन लश्करे झांगवी ने हमले की जिम्मेवारी कबूली. यह संगठन सुन्नी मुसलमानों से बावस्ता है , जो शिया मुसलमानों को 'काफ़िर' मानते हैं. कल तक पाक को अपना 'भाई' और अमेरिका -भारत से भी अधिक हरदिल -अज़ीज़ कहने वाले करज़ई साहेब भी बेनकाब हो गए . करज़ई साहेब ने इस हमले के पीछे पाक की ख़ुफ़िया एजेंसी आई .एस.आई. के हाथ का आरोप लगाया . शाम होते होते एक और धमाके ने १९ अफगानियों को मौत की नींद सुला दिया.
मुहर्रम शिया मुसलमान हर बरस हज़रत इमाम हुसेन की क़ुरबानी की याद में मनाते हैं. ६८० ऐ डी में हज़रत मुहम्मद के नाती इमाम हुसेन , ७२ ईमान वालों के साथ खलीफा याज़िद के विरुद्ध लड़ते हुए 'कर्बला' में शहीद हुए थे. इमाम हुसेन को मानने वाले 'शिया' सम्प्रदाय कहलाने लगे और इसके साथ ही एक ही 'अल्लाह' को मानने वाले दो सम्प्रदायों शिया-'सुन्नी में बँट गए. पिछली १३ शताब्दियों से शिया -सुन्नी एक दूसरे को 'काफ़िर' मान कर मुसलसल लड़ रहे हैं . पिछले एक दशक से अफगानिस्तान में बेशक कोई ऐसी वारदात नहीं हुई जिसमें मुहर्रम के पवित्र अवसर पर खून खराबा बरपा होई. तालिबान के वक्त में तो खैर अफगानिस्तान में २०% शिया अक्सरियत को मुहर्रम मानाने की ही मनाही थी. हाँ पाकिस्तान में शिया समुदाय की मस्जिदों पर सुन्नी जेहादी हमले करते ही रहते हैं ...अबकी बार रहमान मालिक की बात मान कर जेहादियों ने पाक को बख्श दिया और सारी कसर अफगानिस्तान में पूरी कर दी.. आखिर करज़ई के भाई होने का भी तो 'क़र्ज़' अदा जो करना था.... करज़ई साहेब शायद भूल गए ! शैतान भी कभी किसी के हुए हैं.

शनिवार, 26 नवंबर 2011

अहिंसा का प्रतीक 'चांटा'

अहिंसा का प्रतीक 'चांटा' 
   एल.आर.गाँधी 

अहिंसा के प्रतीक चांटे की गूँज ...आज चारों दिशाओं में फैली हुई है. जब से हरविंदर सिंह ने 'महंगाई के टेढ़े गाल' पर सपाट चांटा जड़ा है ...सारा देश प्रतिक्रियाऑ के दो खेमों में बाँट गया है. एक तो वो हैं जो अपने आप को गांधीजी के आदर्शों का ठेकेदार मानते हैं और उनके अहिंसा परमो-धर्म के परचम को थामे हुए ....चांटे को ' राष्ट्र के खिलाफ हिंसा ही नहीं बल्कि विश्व की सारी की सारी मानवता के खिलाफ हिंसा से अलंकृत कर रहे हैं. . ये वही लोग हैं जो आम जनता को 'रोटी' मांगने  पर न्याय व्यवस्था 'लाठी' से पीटते हैं. भ्रस्टाचार और काले धन के खिलाफ रामलीला मैदान में बैठे 'आम आदमी' को आधी रात को उठा कर पीट पीट कर दौड़ते हैं और दौड़ा  दौड़ा कर पीटते हैं. क्या वह 'हिंसा ' नहीं थी . सारी संसद आज शरद- चांटे से विचलित है और अन्ना को नया  गाँधी वाद ' बस एक ही चांटा' घड़ने पर कोस रही है. कुछ तो इसे देश में अराजकता फ़ैलाने का षड्यंत्र भी मान रहे हैं.
हम भी जन्म से गाँधी हैं ... बचपन से बापू के 'महान' उपदेशों को पढने  और समझने- समझाने की कोशिश में लगे है ? यदि आज बापू जिन्दा होते तो अपने इन  सफ़ेद पोश 'कांग्रेसियों' से पूछते जरूर ...क्या यही शिक्षा दी थी मैंने की चांटा पड़ा और भाग खड़े हुए ... शेर पुत्र से पूछना तो था ...भई ये लो दूसरा गाल , एक और मारो .. मगर यह बतला दो की क्यों मारा ? चांटा मारने वाला सिंह पुत्र जोर जोर से महंगाई और भ्रष्टाचार के विरुद्ध सिंघनाद कर रहा था और हमारे 'आटा  मंत्री' फिर भी कह रहे थे की मैंने ऐसा कुछ नहीं सुना !  ये कैसे गाँधीवादी हैं जो गाँधी जी के आदर्शों को इतनी जल्दी बिसरा बैठे. आज सारा देश भूख, बेकारी, बीमारी, बेईमानी ,भ्रष्टाचार,कालाबाजारी और कालेधन से बेज़ार है. और इन हालात के लिए जिम्मेवार नेता-अफसर त्रस्त जनता को 'हिंसा-अहिंसा ' का कायदा पढ़ा रहे हैं. 
बात गाँधी जी की  अहिंसा की चल रही है... तो एक किस्सा याद आया. साबरमती आश्रम में गांधीजी की गाए का बछड़ा 'भीरु' गंभीर बीमारी से त्रस्त.. तड़प रहा था , बापू से 'भीरु' ' का दर्द देखा न गया. फ़ौरन ढोर -डाक्टर को बुला भेजा . डाक्टर से बोले या तो इस का दर्द हर लो या फिर इसे मुक्ति दे दो. बापू ने अपनी आँखों के सामने 'भीरु' को मुक्ति का इजेक्शन दिलवाया . आज देश का ७०% दीन हीन मानुष भूख-बीमारी से त्रस्त है. उनकी यह हालत  अहिंसा के उस पुजारी के 'वारिसों' ने की है, जो उसके नाम पर लोगों को बरगला कर पिछले साढे छह दशकों से 'राज सिंघासन ' पर आरूढ़ हैं. 
चांटे की गूँज...  नेट पर लोगों के विचार देखे , अधिकाश का विचार है की 'चांटा' महंगाई और भ्रष्टाचार के गाल पर था न की किसी व्यक्ति विशेष के. अब भी वक्त है .. जनता के आक्रोश को समझने , आंकने और समय रहते निदान का.  वर्ना बहुत देर हो जाएगी ..... और अहिंसा की परिभाषा बदले देर नहीं लगेगी ..महज 'अ' शब्द का फेर है. अ से अराजकता भी होती है 
न क्षुधासम : शत्रु :... भूखा व्यक्ति कोई भी पाप कर सकता है. अत : सरकार का कर्तव्य है की देश में कोई भी व्यक्ति भूखा न रहे.... चाणक्य   

गुरुवार, 24 नवंबर 2011

अब शरद को चांटा

अब शरद को चांटा 
एल.आर.गाँधी 

भ्रष्ट तंत्र से त्रस्त हरविंदर सिंह ने महंगाई के प्रतीक केंट्रीय खाद्य मंत्री के टेढ़े मुंह पर सपाट चांटा जड़ दिया. 
शनिवार को हरविंदर दूरसंचार के पूर्व भ्रस्टाचार मंत्री सुखराम को भी चांटा रसीद कर चुके हैं. अब हरविंदर अपना तीसरा शिकार किस 'सिक-यू-लायर भ्रष्ट नेता को बनाएँगे...महंगाई और भ्रष्टाचार से त्रस्त ' भारतियों'  को इंतज़ार रहेगा.  आज नौंवी पातशाही गुरु तेगबहादुर जी का शहीदी दिवस है. ... आज ही के दिन गुरु जी ने उस वक्त के हुक्मरान ज़ालिम मुगलों के अत्याचार के विरुद्ध आवाज़ बुलंद की और मजलूमों की रक्षा के लिए कुर्बान हो गए. आज के हुक्मरानों के  भ्रष्टाचार और महंगाई की मार से आज आम आदमी त्रस्त है . यह खतरे की एक घंटी है.... सभी राजनेता इस 'काण्ड' को कितना ही नकारें ...मगर सब्र का बाँध टूट रहा है...भ्रत्सना करने से राजनैतिक जवाबदेही चुकने वाली नहीं... राजनेताओं की प्रतिक्रियाओं में 'डर और पाप' साफ़ झलक  रहा है.  
न क्षुधा सम: शत्रु ... आचार्य चाणक्य ने ठीक ही कहा है ... भूख के समान शत्रु नहीं...हमारे खाद्य मंत्री शरद पवार जी आज महंगाई और भूख का प्रतीक बन गए हैं... संचार मंत्रालय में २ जी के सबसे बड़े घोटाले के बाद पूर्व संचार मंत्री सुख राम 'भ्रष्टाचार' के ' रोल माडल ' के रूप में सामने आए हैं जिन पर पिछले १५ साल से कोई कार्यवाही नहीं की गई. अब भूख और भ्रष्टाचार से त्रस्त आम आदमी अपने गुस्से का इज़हार करेगा तो 'गांधीजी  के अनुयायियों ' को अपना दूसरा गाल भी तैयार रखना होगा ? Mark Twain had rightly said ' The lack  of money is the root of all evil.
राज कुमार के अंग राक्षक भी अब चौकन्ने हो जायेंगे ... अब वे राज कुमार को कार का शीशा नीचे कर किसी भिखारी से यह पूछने का रिस्क नहीं उठाने देंगे ' भैया आप किस प्रदेश से हो'. कब कोई भूखा- भिखारी ' अपना भिख्शा पात्र मुंह पर दे मारे तो ?.... पवार साहेब जी की महानता देखो ..वे तो थप्पड़ को चांटा मानने को ही तैयार नहीं !!!!
कांग्रेस  अपने गिरेबान में अब भी झाँकने  को तैयार नहीं लगती .. दोष बी.जे.पी नेता यशवंत सिन्हा पर मढ़ा जा रहा है जिन्होंने हाल ही में चेताया  था की महंगाई -भ्रष्टाचार से त्रस्त लोग हिंसक हो सकते हैं.. हुक्मरानों को जनता के विश्व व्यापी मूड परिवर्तन को समझाना होगा ... अरब क्रांति का सन्देश साफ़ है ... त्रस्त भूखी,बीमार, लाचार जनता अब केवल मरेगी नहीं .....मारेगी भी !!!
तुमसे पहले जो यहाँ तख़्त नशीं था 
उसको भी अपने खुदा होने पर इतना ही यकीं था. 

शनिवार, 19 नवंबर 2011

दूर संचार ................के लम्बे के तार ..सुख राम पहुंचे राजा के पास ...तिहार.

दूर संचार ................के लम्बे के तार
सुख राम पहुंचे राजा के पास ...तिहार.

       एल. आर. गाँधी.

इसे इत्तेफाक ही कहेंगे कि १५ साल बाद 'दो बिल्लिया' एक साथ 'थैले '   से  बाहर  आई  हैं. १९९६ में एक ने क्रिकेट में देश को शर्मसार किया तो दूसरे  ने राजनीति में लूट का नया मील पत्थर स्थापित किया . खेल के मैदान पर जब सारा देश शर्मसार हो रहा था तो काम्बली के आंसू ' मैच फिक्सिंग 'का दर्द बयाँ साफ़ साफ़ कर रहे थे. अज़हरुदीन पर मैच फिक्सिंग के आरोप लगे ..लम्बी जांच चली , चोर चोर मौसेरे  भाई के खेल के बाद नतीजा वही ढाक के तीन पात. अजहर ने उल्टा पांसा फेका की उसे 'अल्पसंख्यक' यानि के मुसलमान होने के कारण फसाया गया . वैसे  ही जैसे पंडित जी कह रहे हैं की उनके खिलाफ यह  राजनैतिक साजिश है. पंडित सुख राम जी को ३-३ केसों में सजा हो चुकी है .. करोडो रूपए उनसे बरामद हुए और करोड़ों की नामी- बेनामी सम्पति भी उनके नाम है. अजहर मिया ने यदि फिक्सिंग नहीं की तो उन्हें और तीन साथियों को खेल से अलविदा क्यों कर दिया गया.
महाकवि तुलसी दास जी ने १५ वी शताब्दी में ही साफ़ साफ़ कह दिया था ... सामर्थ को नहीं दोष गोसांई ! सुख राम जी कांग्रेस के शक्ति शाली मंत्री और हिमाचल के 'विकास पुरुष' पंडित जी थे और अज़हर मियां क्रिकेट का  खेल खेल कर अब सेकुलर राजनीति के खेल में मशगूल हैं. कांग्रेस के आलावा उनके लिए और योग्य पार्टी भला हो ही नहीं सकती . अर्थात कांग्रेस  के एम्.पी है. सजा अव्वल तो होती नहीं जैसे अजहर मिया ...होती है तो बार बार बेल पर छूट जाते है जैसे सुख  राम जी. सब माया की माया है. फिलहाल तो देश के दूर संचार को तार तार करने वाले एक वर्तमान .. राजा  और एक भूत पूर्व सुख राम .. तिहार में बगलगीर हो गए हैं.   मोह माया के चक्कर में  सुख राम जी ८४ के हो गए ...उम्र तो है, मोह माया त्याग , संन्यास आश्रम में परवेश कर साधू संतों की संगत  में राम नाम रटने की .. मगर पहुँच गए तीहार जेल के चोर उच्च्क्कों में. 'कलमाड़ी और राजा'  के पास तिहार में ...खूब गुज़ारे गी.. जब मिल बैठेंगे नए पुराने चोर... 
    

गुरुवार, 10 नवंबर 2011

सिंघ साहेब का 'शांति पुरुष'


सिंघ साहेब का  'शांति पुरुष' 
    एल. आर. गांधी 
इस  माह २६ नवम्बर को तीन वर्ष हो जाएंगे ..ग्लानी जी के 'शांतिदूत' की मेहमान नवाजी को . इसे हम  अतिथि देवोभव की प्राचीन राष्ट्रिय संस्कृति कहें या फिर हमारे सेकुलर शैतानो का आस्तीन में  सांप पालने का गाँधी वादी व्यसन. हमारे 'ईमानदार', गाँधीवादी, अर्थशास्त्री,प्रधान मंत्री जी ने पाकिस्तान के वजीरे-आला युसूफ रज़ा गिलानी को दक्षेस शिखिर संमेलन में 'शांति पुरुष' कह कर अंग्रेजी की कहावत... 'As dog return to its vomit, so a fool repeat his foolishness. जैसे कुत्ता अपनी उल्टी खाने को लौटता है , वैसे ही मूर्ख अपनी गलती दोहराता है, की कहावत को चिरतार्थ कर दिया. 
वोट के अंधे नाम नयन सुख हमारे यह 'सेकुलर शैतान' मूर्खता की सभी सीमाएं लांघ गए है . जिस शैतान ने हमारी आर्थिक  राजधानी मुम्बई पर जेहादी भेज कर देश की अर्थव्यवस्था को तहस नहस करने का षड्यंत्र किया और १६६ निर्दोष भारतियों को मौत के घाट उतार दिया ...उसे हमारे प्रधान मंत्री जी ने  'शान्ति पुरुष' की उपाधि दे डाली ... अब तो बस अजमल कसाब को ग्लानी जी का 'शांति दूत ' घोषित करना बाकी है. और हाँ एक दूत के साथ एक परम आदरणीय अतिथि के व्यवहार की तो सभी सीमाएं हम पार कर ही चुके .... ५५ करोड़ रूपए से भी अधिक ,  उसकी तीमारदारी पर खर्च कर !  अब तो बस यह ' शान्ति दूत ' वापिस पाक को बा- इज़त सौंपना ही बाकी है ... या फिर किसी कंधार हाईजैक का इंतज़ार है !
हमारे सिक-यु-लायर हुकुमरानो ने समय और इतिहास के काल चक्र से कोई सबक नही सीखा. इस्लामिक जेहाद ने पिछली १५ शताब्दिओ मे १०० मिलियन हिन्दुओ और ६० मिलियन इसाईयो  की बळी ले लीई. और आज भी विश्व के अस्तित्व को इस्लामिक जेहाद  से ही सबसे बडा खतरा है. शायद ये उस दिन के इंतेजार  मे  है जब सारा देश दारूल -इस्लाम हो जाएगा ?  
आज 'गुरूपर्व' का पवित्र दिवस है - आज के दिन 'सरबत का भला ' चाहणे  वाले महान संत गुरु नानक देव जी का परकाश हुआ था. गुरु जी 'बाबर' के समकालीन  थे- बाबर के अत्याचारो को देख कर गुरु जी ने उसे 'जाबर' अर्थात जुलमी कह कर पुकारा. एनी मार पडी कुर्लाने- तै किई दर्द न आया भी गुरु जी ने बाबर के जुल्मो-सितम से द्रवित हो कर बोला.इसी दिन को हमारे सिंघ साहेब ने 'बाबर' के एक अनुयायी को 'शांती पुरुष' की उपाधी दे डाळी. २००५ में हमारे सिंघ साहेब अपने साथ राज कुमार को ले कर अफगाणिस्तान पहुचे ताकि भारत द्वारा अरबो रुपये खर्च कर किये जा रहे निर्माण कार्यो  का जायजा ले सके. लगे हाथो बाबर की मजार पर गये और एक 'जाबार' को श्रद्धांजली अर्पित की . अब तो अफगाणिस्तान के हुक्म्रान करजाई ने भी साफ कर दिया की वे तो पाकिस्तान के साथ है ...  भले ही भारत और अमेरीका  उन पर कितना ही  धन खर्च  करे. ...कुरान में साफ हिदायत है की काफिर चाहे कितना ही   धर्मात्मा हो वह किसी गुनाहगार मुस्लीम से बेहतर नही होता. करजाई के इस इस्लामिक तेवर से हमारे सिक-यु-लायर हुकमराण नही चेते ..और निकल पडे  ग्लानी को अलंकरित करने. इसे कहते है - सांप को दूध पिलाने का पुराना व्यसन . चाणक्य के उपदेश को भी भूल गये ' सांप को कितना ही दूध पिलाओ फिर भी विष ही वमन करता  है. 

सिंघ साहेब का 'शांति पुरुष'


सिंघ साहेब का  'शांति पुरुष' 
    एल. आर. गांधी 
 
इस  माह २६ नवम्बर को तीन वर्ष हो जाएंगे ..ग्लानी जी के 'शांतिदूत' की मेहमान नवाजी को . इसे हम  अतिथि देवोभव की प्राचीन राष्ट्रिय संस्कृति कहें या फिर हमारे सेकुलर शैतानो का आस्तीन में  सांप पालने का गाँधी वादी व्यसन. हमारे 'ईमानदार', गाँधीवादी, अर्थशास्त्री,प्रधान मंत्री जी ने पाकिस्तान के वजीरे-आला युसूफ रज़ा गिलानी को दक्षेस शिखिर संमेलन में 'शांति पुरुष' कह कर अंग्रेजी की कहावत... 'As dog return to its vomit, so a fool repeat his foolishness. जैसे कुत्ता अपनी उल्टी खाने को लौटता है , वैसे ही मूर्ख अपनी गलती दोहराता है, की कहावत को चिरतार्थ कर दिया. 
वोट के अंधे नाम नयन सुख हमारे यह 'सेकुलर शैतान' मूर्खता की सभी सीमाएं लांघ गए है . जिस शैतान ने हमारी आर्थिक  राजधानी मुम्बई पर जेहादी भेज कर देश की अर्थव्यवस्था को तहस नहस करने का षड्यंत्र किया और १६६ निर्दोष भारतियों को मौत के घाट उतार दिया ...उसे हमारे प्रधान मंत्री जी ने  'शान्ति पुरुष' की उपाधि दे डाली ... अब तो बस अजमल कसाब को ग्लानी जी का 'शांति दूत ' घोषित करना बाकी है. और हाँ एक दूत के साथ एक परम आदरणीय अतिथि के व्यवहार की तो सभी सीमाएं हम पार कर ही चुके .... ५५ करोड़ रूपए से भी अधिक ,  उसकी तीमारदारी पर खर्च कर !  अब तो बस यह ' शान्ति दूत ' वापिस पाक को बा- इज़त सौंपना ही बाकी है ... या फिर किसी कंधार हाईजैक का इंतज़ार है !
हमारे सिक-यु-लायर हुकुमरानो ने समय और इतिहास के काल चक्र से कोई सबक नही सीखा. इस्लामिक जेहाद ने पिछली १५ शताब्दिओ मे १०० मिलियन हिन्दुओ और ६० मिलियन इसाईयो  की बळी ले लीई. और आज भी विश्व के अस्तित्व को इस्लामिक जेहाद  से ही सबसे बडा खतरा है. शायद ये उस दिन के इंतेजार  मे  है जब सारा देश दारूल -इस्लाम हो जाएगा ?  
आज 'गुरूपर्व' का पवित्र दिवस है - आज के दिन 'सरबत का भला ' चाहणे  वाले महान संत गुरु नानक देव जी का परकाश हुआ था. गुरु जी 'बाबर' के समकालीन  थे- बाबर के अत्याचारो को देख कर गुरु जी ने उसे 'जाबर' अर्थात जुलमी कह कर पुकारा. एनी मार पडी कुर्लाने- तै किई दर्द न आया भी गुरु जी ने बाबर के जुल्मो-सितम से द्रवित हो कर बोला.इसी दिन को हमारे सिंघ साहेब ने 'बाबर' के एक अनुयायी को 'शांती पुरुष' की उपाधी दे डाळी. २००५ में हमारे सिंघ साहेब अपने साथ राज कुमार को ले कर अफगाणिस्तान पहुचे ताकि भारत द्वारा अरबो रुपये खर्च कर किये जा रहे निर्माण कार्यो  का जायजा ले सके. लगे हाथो बाबर की मजार पर गये और एक 'जाबार' को श्रद्धांजली अर्पित की . अब तो अफगाणिस्तान के हुक्म्रान करजाई ने भी साफ कर दिया की वे तो पाकिस्तान के साथ है ...  भले ही भारत और अमेरीका  उन पर कितना ही  धन खर्च  करे. ...कुरान में साफ हिदायत है की काफिर चाहे कितना ही   धर्मात्मा हो वह किसी गुनाहगार मुस्लीम से बेहतर नही होता. करजाई के इस इस्लामिक तेवर से हमारे सिक-यु-लायर हुकमराण नही चेते ..और निकल पडे  ग्लानी को अलंकरित करने. इसे कहते है - सांप को दूध पिलाने का पुराना व्यसन . चाणक्य के उपदेश को भी भूल गये ' सांप को कितना ही दूध पिलाओ फिर भी विष ही वमन करता  है. 

सोमवार, 31 अक्तूबर 2011

सात के आगे नौं शून्य - ७ बिलियन - अल्लाह की देन


सात  के  आगे नौं शून्य - ७ बिलियन - अल्लाह की देन 
   
                एल .आर .गाँधी  

आज विश्व की आबादी ७ बिलियन का आंकड़ा पार कर गई .
फिलिपिन्ज़ की मनीला में जन्मी दानिका माय कामाचो और भारत में उत्तर प्रदेश के माल गाँव में जन्मी नर्गिस को सांकेतिक ७ बिलियन वां बच्चा घोषित किया गया .... भारत की नर्गिस निश्चित रूप से फिलिपीन की दानिका के समान भाग्यशाली नहीं मानी जाएगी . दानिका के जन्म पर टाप यु.एन.ओ अधिकारीयों ने  बच्ची के जन्म पर छोटा सा केक भेंट किया और स्थनीय दानिओं ने बच्ची की पढाई के लिए स्कालरशिप और उसके पिता को एक जनरल स्टोर सञ्चालन के लिए पैकेज  दिया.
 हमारी नर्गिस को ? 
हजारों साल नर्गिस अपनी बेनूरी पे रोती है...... 
आज लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल का जन्म दिन भी है ....हज़ारो साल बाद राष्ट्र को नई दिशा देने वाला ऐसा सपूत पैदा होता है. इंदिरा जी का आज बलिदान  दिवस भी .....
नर्गिस की बेनूरी , राष्ट्र की बर्बादी का स्पष्ट संकेत है, २०२५ तक हम  विश्व के सबसे अधिक जनसैलाब में डूबे हुए देश के रूप में जाने जाएंगे .विश्व की कुल आबादी का एक तिहाई चीन और भारत के हिस्से आता है.चीन ने तीन  दशक पूर्व ही कठोर परिवार नियोजन निति के तहत एक संतान का कानून बना कर अपनी जनसँख्या को नियंत्रित कर लिया और २०५० तक जनसँख्या घटनी शुरू हो जाएगी और भारत अभी तक औलाद तो अल्लाह की देन है.... पर अटका हुआ है.
कलकत्ता के बी.सी.राए हस्पताल में पिछले दिनों १७ नवजात शिशु चिकित्सा सुविधा के आभाव में अकाल मृत्यु को प्राप्त हुए .... तो हमारे केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री मियां गुलाम नबी आजाद ने फ़रमाया की चिंता की कोई बात नहीं ... अब बर्दवान में एक और शिशु की मौत से यह आंकड़ा ३६ को पार कर गया . आजाद साहेब के डिप्टी मंत्री सुदीप बंधोपाध्य जी आजाद  साहेब को  भी पीछे छोड़ गए ... फ़रमाया - बंगाल की शिशु मृत्यु दर तो महज़ ३३ बच्चे प्रति  १००० है , जबकि राष्ट्रिय दर ६१ बच्चे प्रति १००० है., जैसे बंदोपाध्य जी केंद्र के नहीं प्रदेश के सेहत मंत्री हों और जब तक बंगाल में भी शिशु मृत्यु दर ६१ का आंकड़ा पार न कर जाए , चिंता  की कोई बात  नहीं....!!!!
देश के सबसे शिक्षित राज्य केरल द्वारा देर से ही सही, पहली बार एक राष्ट्रहित की  पहल की गई. महिलाओं की समाजिक और निजी भलाई को ध्यान में रखते हुए , परिवार नियोजन का एक कानून बनाने की योजना रूपांतरित की गई . दो बच्चो के बाद , संतान पैदा करने वाले दम्पति पार १०००० रूपए जुर्माना और ३ माह की कैद. ईसाई और मुस्लिम संगठनों ने इसका विरोध किया और अपने मज़हब के खिलाफ बताया. ... आज़ाद साहेब ने फ़ौरन नोटिस लिया और केरल सरकार  को जन्म से पूर्व ही कानून को दफन करना पड़ा. चीन में जहा दूसरे बच्चे को ब्लैक चाइल्ड घोषित कर सभी सामाजिक सुविधाओं से वंचित  कर दिया जाता है और माँ - बाप  को भारी  जुर्माना व्  दंड    दिया जाता है. ., वहीँ केरल सर्कार की इस पहल की प्रतिक्रिया सवरूप एक मज़हबी संस्था ने छठे बच्चे पार १०००० रूपए इनाम की घोषणा कर डाली. कुछ मज़हबी मुल्लाओं द्वारा  अधिक बच्चे पैदा करने की वकालत इस लिए की जाती है की वे भारत को  'दारुल उलूम से दारुल इस्लाम ' देखना चाहते हैं.... 
हमारे सेकुलर शैतान यदि यूं ही अपने  वोट बैंक की खातिर हर नर्गिस को 'अल्लाह' की देन मानते रहे ,तो वह दिन दूर नहीं  जब राष्ट्र का भविष्य सात के पीछे नौं शून्य नहीं ... अनंत शून्यों में समा जाएगा.!!!!!       




सात के आगे नौं शून्य - ७ बिलियन - अल्लाह की देन

सात  के  आगे नौं शून्य - ७ बिलियन - अल्लाह की देन 
आज विश्व की आबादी ७ बिलियन का आंकड़ा पार कर गई .
फिलिपिन्ज़ की मनीला में जन्मी दानिका माय कामाचो और भारत में उत्तर प्रदेश के माल गाँव में जन्मी नर्गिस को सांकेतिक ७ बिलियन वां बच्चा घोषित किया गया .... भारत की नर्गिस निश्चित रूप से फिलिपीन की दानिका के समान भाग्यशाली नहीं मानी जाएगी . दानिका के जन्म पर टाप यु.एन.ओ अधिकारीयों ने  बच्ची के जन्म पर छोटा सा केक भेंट किया और स्थनीय दानिओं ने बच्ची की पढाई के लिए स्कालरशिप और उसके पिता को एक जनरल स्टोर सञ्चालन के लिए पैकेज  दिया.
 हमारी नर्गिस को ? 
हजारों साल नर्गिस अपनी बेनूरी पे रोती है...... 
आज लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल का जन्म दिन भी है ....हज़ारो साल बाद राष्ट्र को नई दिशा देने वाला ऐसा सपूत पैदा होता है. इंदिरा जी का आज बलिदान  दिवस भी .....
नर्गिस की बेनूरी , राष्ट्र की बर्बादी का स्पष्ट संकेत है, २०२५ तक हम  विश्व के सबसे अधिक जनसैलाब में डूबे हुए देश के रूप में जाने जाएंगे .विश्व की कुल आबादी का एक तिहाई चीन और भारत के हिस्से आता है.चीन ने तीन  दशक पूर्व ही कठोर परिवार नियोजन निति के तहत एक संतान का कानून बना कर अपनी जनसँख्या को नियंत्रित कर लिया और २०५० तक जनसँख्या घटनी शुरू हो जाएगी और भारत अभी तक औलाद तो अल्लाह की देन है.... पर अटका हुआ है.
कलकत्ता के बी.सी.राए हस्पताल में पिछले दिनों १७ नवजात शिशु चिकित्सा सुविधा के आभाव में अकाल मृत्यु को प्राप्त हुए .... तो हमारे केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री मियां गुलाम नबी आजाद ने फ़रमाया की चिंता की कोई बात नहीं ... अब बर्दवान में एक और शिशु की मौत से यह आंकड़ा ३६ को पार कर गया . आजाद साहेब के डिप्टी मंत्री सुदीप बंधोपाध्य जी आजाद  साहेब को  भी पीछे छोड़ गए ... फ़रमाया - बंगाल की शिशु मृत्यु दर तो महज़ ३३ बच्चे प्रति  १००० है , जबकि राष्ट्रिय दर ६१ बच्चे प्रति १००० है., जैसे बंदोपाध्य जी केंद्र के नहीं प्रदेश के सेहत मंत्री हों और जब तक बंगाल में भी शिशु मृत्यु दर ६१ का आंकड़ा पार न कर जाए , चिंता  की कोई बात  नहीं....!!!!
देश के सबसे शिक्षित राज्य केरल द्वारा देर से ही सही, पहली बार एक राष्ट्रहित की  पहल की गई. महिलाओं की समाजिक और निजी भलाई को ध्यान में रखते हुए , परिवार नियोजन का एक कानून बनाने की योजना रूपांतरित की गई . दो बच्चो के बाद , संतान पैदा करने वाले दम्पति पार १०००० रूपए जुर्माना और ३ माह की कैद. ईसाई और मुस्लिम संगठनों ने इसका विरोध किया और अपने मज़हब के खिलाफ बताया. ... आज़ाद साहेब ने फ़ौरन नोटिस लिया और केरल सरकार  को जन्म से पूर्व ही कानून को दफन करना पड़ा. चीन में जहा दूसरे बच्चे को ब्लैक चाइल्ड घोषित कर सभी सामाजिक सुविधाओं से वंचित  कर दिया जाता है और माँ - बाप  को भारी  जुर्माना व्  दंड    दिया जाता है. ., वहीँ केरल सर्कार की इस पहल की प्रतिक्रिया सवरूप एक मज़हबी संस्था ने छठे बच्चे पार १०००० रूपए इनाम की घोषणा कर डाली. कुछ मज़हबी मुल्लाओं द्वारा  अधिक बच्चे पैदा करने की वकालत इस लिए की जाती है की वे भारत को  'दारुल उलूम से दारुल इस्लाम ' देखना चाहते हैं.... 
हमारे सेकुलर शैतान यदि यूं ही अपने  वोट बैंक की खातिर हर नर्गिस को 'अल्लाह' की देन मानते रहे ,तो वह दिन दूर नहीं  जब राष्ट्र का भविष्य सात के पीछे नौं शून्य नहीं ... अनंत शून्यों में समा जाएगा.!!!!!       




शनिवार, 29 अक्तूबर 2011

कुत्तों का खेल प्रेम

कुत्तों का खेल प्रेम 

एल.आर.गाँधी 

भारत  फ़ॉर्मूला वन के आयोजक विश्व की सबसे भव्य और मंहगी कार रेस की तैयारी का जायजा लेने की अभी सोच ही रहे थे की माया जी के ' कालू ' ने ट्रैक पर मटरगश्ती कर ' बढ़िया है ' का उद्घोष  कर डाला ... प्रबंधको के होश फाख्ता हो गए ..सेवकों को भगाया ..कालू को भगाने को . जैसे तैसे कालू से निजात मिली ही थी की  शीला जी के 'भूरू महाशय ' कहीं से आ टपके . भूरू  से किसी प्रकार पीछा छुड़ाया ही था की भारतीय मिडिया के 'वाच डाग' अपने लाव- लश्कर के साथ आ धमके .... सभी चैनलों पर बस एक ही खबर बज रही थी ..ठीक वैसे ही जैसे किसी चोर  के आगमन पर गली के कुत्ते एक ही स्वर में भौंकते हैं. एक ही पल में सभी चैनलों ने 'दिग्गी मियां' की अन्ना पर भौं - भौं को भुला दिया. शुमाकर से ज्यादां तो आवारा कुत्ते प्रचार पा गए .. इसे कहते हैं चौथे खम्भे की टी. आर पी. सारे मिडिया ने कालू- भूरू की कुछ इस कदर खबर ली.. जैसे वे इनके इस पवित्र खम्भे  पर  टांग उठा कर कुछ कर गए हों. 
जब से मेनका जी का वरद हस्थ इन 'वफादार' श्वानों को प्राप्त हुआ है ..इनकी संख्या और क्रीडा कौशल में असीम वृद्धि दर्ज हुई है. हाल ही में हुई कमान वेल्थ खेलों  में भी इन्होने अपने खेल प्रेम का खूब परिचय दिया. कलमाड़ी जी ने दिन रात एक कर खेल ग्राम का निर्माण करवाया ताकि विदेशी खिलाडियों को दिल्ली में विश्व स्तर की आवास सुविधा मुहैया करवाई जाए .... बड़े शौक से अपनी उपलब्धि कामन वेल्थ खेल संघ के प्रेजिडेंट माईकल फेनेल को दिखने ले आए ... जब खिलाडियों के लिए बनाए कमरे  को खोला तो खिलाडी के बेड पर शीला जी के 'भूरू महाशय' आराम फरमा रहे थे... फेनेल भूरू को देख बिफर गए .. पूरे के पूरे खेल ग्राम को गन्दा और आवास अयोग्य करार दे दिया.  आनन् फानन में शीला जी ने अपने आवारा- पालतुओं को संभाला ...तब तक नहीं छोड़ा  जब तक फेनेल महाशय विदा नहीं हो गए. 
विदेशी महमान हमारे इन देसी वफादारों से  न मालूम क्यों  इस कदर खफा हैं ... हमारे राजनैतिक वफादार बिना कारण ही नित नई भौं- भौं में मशगूल हैं ..रोकता है कोई ?   कालुओं -भूरूओं पर मेनका जी का वरद हाथ है तो दीग्गिओं  और लालूओं पर राज माता का . अब शीला जी भी क्या करें, जब से मेनका जी ने श्वान- वध पर  रोक लगाई है , दिल्ली में इनका परिवार 4 लाख का आंकड़ा पार कर गया है. मेनका जी ने तो इनकी संख्या पर नियंत्रण के लिए ' नस बंदी' का भी प्रावधान किया था. मगर शीला जी को यह सुझाव हज़म ही नहीं हुआ . जब लालुओं पर परिवार नियोजन की ज़बरदस्ती नहीं हो सकती तो कालुओं पर कैसे हो सकती है. हर साल केवल दील्ली में ही ३५०००  लोग इनका शिकार होते  हैं और २-३ दर्ज़न लोग तो बेमौत मारे भी जाते  हैं.हर साल १०००० नए पिल्लै जन्म लेते हैं और नसबंदी मात्र ६००० की हो पाती है . 
कुत्तो का खेल प्रेम केवल हमारी ही समस्या  नहीं .. २०१२ में फुटवाल विश्व कप के आयोजक भी अपने इन खेल प्रेमियों से जूझ   रहे हैं. युक्रेन के अधिकारी तो चुप चाप कुत्तों को ठिकाने लगा रहे हैं , भले ही पशु प्रेमी संगठन कितना ही हो हल्ला मचाएं . खेल आयोजक नगरों में गत वर्ष से अब तक ९००० कुत्तों को मौत की नींद सुला दिया गया है.  
हम आस्तीन में सांप पालने वाले भला श्वान- वध का पाप कैसे कर सकते है. भले ही ये कितने ही 'हिन्दुस्तानियों' को काट खाएं या डस लें ... बढती आबादी को कम करने और परिवार नियोजन की यह भी आज़ाद मियां की एक नायाब योजना ही तो है.  

रविवार, 23 अक्तूबर 2011

करज़ई का पाक- प्रेम

     करज़ई का पाक- प्रेम
    एल. आर गाँधी  

करज़ई ने साफ़ कर दिया की 'कुरआन' को मानने वाले कभी काफिरों का साथ नहीं देते ! अफगानिस्तानी और पाकिस्तानी भाई भाई हैं और पाकिस्तान के खिलाफ युद्ध की स्थिति में हम अमेरीका और भारत के खिलाफ पाकिस्तान का साथ देंगे. अरबों डालर  खर्च कर और हजारों अमेरिकी सैनिक मरवा कर अफगानिस्तान में करज़ई को सत्ता सौंपी ताकि वहां सेकुलर -गणतंत्र कायम किया जा सके . अमेरीका ने भी भारत के सेकुलर शैतानों की भांति इतिहास से कुछ नहीं सीखा. क्या दुनिया के किसी भी मुस्लिम बहुल मुल्क में लोकतंत्र है ? अमेरिका के बहकावे में आ कर भारत के भौंदुओं ने भी अफगानिस्तान में अरबों रूपए विकास कार्यों में झोंक दिए. चलो अमेरिका तो समृद्ध देश है और इस्लामिक आतंकियों -ओसामा आदि से बदला लेने और अपने एक्सपायर हो रहे असले के प्रदर्शन के लिए अफगानिस्तान के मरुथल को युद्ध भूमि में बदल दिया. मगर भारत जैसे भूखे नंगे देश जिसकी दो तिहाई जनता दो जून के निवाले को मोहताज़ है , के हुक्मरानों की घर फूंक दिवाली पर तरस आता है. 
बंगला देश की आज़ादी के लिए इंदिरा जी ने देश का अरबों रुपया पानी की माफिक बहाया ...ताकि पड़ोस में एक धर्म निरपेक्ष देश उभर सके ... मगर पाकिस्तान से भी ज्यादा खतरनाक बन कर उभरा बांग्लादेश ... आज़ादी के वक्त जहाँ ३४% हिन्दू अल्पसंख्यक थे ... आज महज ७% से भी कम रह गए और करोड़ों बांग्लादेशी भारत में प्रवेश कर गए .. देश की सुरक्षा के लिए एक नई मुसीबत , सो अलग.
आचार्य विष्णुगुप्त चाणक्य ने ठीक ही तो कहा था .... सांप को कितना ही दूध पिला लो ...पैदा तो ज़हर ही होगा. इस्लाम में मुसलमानों को रसूल की सख्त हिदायत है ' कोई भी मुसलमान चाहे वह हमेशां गुनाह क्यों न करता हो , एक काफ़िर से बेहतर होता है , चाहे वह काफ़िर हमेशां पुण्यात्मा भी क्यों न हो ... इस बात को न मानना 'कुफ्र' है ' 
अब अमेरिका और भारत अफगानिस्तान के लिए हजार पुन्य के काम कर लें ...वहां हस्पताल बनाएं , मदरसे उसारें , सडकें बनाएं ..भूख से बेहाल अफगानियों भोजन पहुंचाएं...रहेंगे तो काफ़िर के काफ़िर ... और पाकिस्तान कितनी ही दहशत फैलाए , नुक्सान पहुंचाए .. रहेगा तो 'रसूल' को मानने वाला 'भाई' ही.
   

मंगलवार, 18 अक्तूबर 2011

गिद्ध मानसिकता


गिद्ध मानसिकता 
  एल.आर.गाँधी 
हिमाचल में श्वेत्पोश   गिद्धों  की एक प्रजाति की संख्या पिछले छह  साल में बढ़ कर ५० से १९० हो गई है. एक संतोष   जनक   समाचार   है ... गिद्ध एक ऐसा जीव है जो वातावरण की शुद्धिकरण का महती कार्य करता है. मृत लावारिस पशु-पक्षियों को खा कर प्राकृतिक सफाई सेवक का काम करता है. मगर पशुओं को दिए जाने वाले डिकलोफिनाक इंजेक्शन के दुष्प्रभाव  से गिद्ध मारे जाते हैं. अब इस इंजेक्शन पर रोक लगाने से गिद्धों की संख्या बढ़ने लगी है. 
समाजिक मान्यताओं में गिद्ध को अशुभ्यंकर  माना जाता है.क्योंकि यह अपने खाने के लिए जीवो की मृत्यु की कामना करता है. अपने लालच की पूर्ती के लिए दूसरों के अहित की आकांक्षा करने वाले लालची व्यक्ति को भी इसी लिए 'गिद्ध ' उपनाम से बुलाते हैं. भारत में भले ही इन श्वेत्पोश गिद्धों का अस्तित्व खतरे में है मगर  गिद्ध मानसिकता से ओत प्रोत 
श्वेत्पोश राजनेताओं और अफसरशाही खूब फलफूल रही है. बेचारा गिद्ध भरपेट खाने के लालच में डिक्लोफिनाक युक्त मांस खा कर मारा जाता है...मगर ये एक प्रतिशत  गिद्ध- मानस ४५% जनता का आहार हड़प कर भी डकार तक नहीं मारता... गिद्ध अपने पेटू पण के लिए यूं ही बदनाम है ..  एक वक्त में ,अपने वज़न का, १०% के करीब खता है ... संचय बिलकुल नहीं करता. गिद्ध- मानव खाता तो दिखावे को भी नहीं , मगर संचय ...घर की तिज़ोरिओं में ज़गह नहीं तो ' स्विस 'की तिज़ोरिया सही.
एक पुराना शेयर है ... हर शाख पे उल्लू बैठा है ...अंजामे गुलिस्ताँ क्या होगा.... मगर अब तो हर तरफ 'गिद्धों' का निजाम है. गिद्धों की प्रिय स्थली हिमाचल ने ही  देश  को दूर-संचार क्रांति के जनक दिए ...इस महान 'क्रन्तिकारी' ने दूर संचार विभाग को इस कदर चूना लगाया कि शर्म के मारे हिमाचल के सारे के सारे  गिद्ध या मर गए या फिर भाग खड़े हुए...घर घर तक दूर संचार की 'सुख' सुविधा पहुँचाने के नाम पर करोड़ों रूपए की टेलीफोन तारें अन्डर ग्राऊंड कर दी. आज सरकार का टेलीफोन बिना घंटी के बज रहा है और सुनने वाला कोई नहीं... बेतार मोबाईल का राज जो आ गया .. बस राजा साहेब ने दूर संचार की २- जी ऐसी बेतार छेड़ी कि पिछले सभी रिकार्ड पीछे छूट गए ... आप तो गए 'तिहाड़' में 'औरों ' की भी तैयारी है. चलो इसी बहाने खेलो में न सही दूर संचार में लूट -समाचार का नया कीर्तिमान तो बना . 
खेल खेल में हमारे कलमाड़ी जी ने ऐसी उड़ान भरी कि गिद्धों' का सम्राट भी शर्म के मारे 'चोरों के सरदार' की छत पर आ गिरा और हमारी शीला जी को पूरी दिल्ली में मुंह छुपाने को कोई 'बुरका' नहीं मिला. 
अरे गिद्ध मंडली में गिद्धों के सरदार , किरीकिट के जानकार, किसानों के जानहार, अनाज के कीड़े, चीनी माफिया के पालनहार ,पी. डी. एस के डिपो होल्डर , महंगाई के चमत्कार और जिस चीज़ का नाम लें ..बस गायब ... ढूँढते रह जाओगे ... का जिक्र करना तो भूल ही गए .... न मालुम अपने इतने निकटवर्ती  होने के बावजूद.. अन्ना भी इनका ज़िक्र करने से चूक गए ... काश ... अन्ना ही अपने जन लोकपाल चूर्ण में डिक्लोफिनाक मिला दें और सब कुछ खाने के आदि ये गिद्ध- मानुस 'खा' तो लेंगे ही... सभी  भूखे -नंगे भारतीय टेढ़ी तिरछी टोपी लिए मैं भी अन्ना तूं  भी अन्ना की धुन पर झूम उठेंगे.   


बुधवार, 28 सितंबर 2011

स्वास्थ्य मंत्री की बीमार सोच.


स्वास्थ्य मंत्री की बीमार सोच. 
    एल. आर. गाँधी 

केन्द्रीय  स्वास्थ्य मंत्री गुलामनबी आजाद ने केरल के २ बच्चों के सिद्धांत की खिल्ली उडाई है. 
केरल सरकार  २ से अधिक बच्चे पैदा करने वाले दम्प्पतिओन पर १००००/- जुर्माना या ३ माह की कैद के प्रावधान पर विचार कर रही थी. केरल राज्य में महिलाओं और बच्चों के अधिकार और कल्याण हेतु , सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश वी.के.कृष्ण की अध्यक्षता में एक आयोग गठित किया गया था. आयोग की सिफारिश पर राज्य सरकार केरला वूमंज़ कोड बिल २०११ लागु करने पर विचार ही कर रही थी कि राज्य के मुस्लिम और क्रिश्चन विरोध करने लगे. फ़ौरन सेकुलर सरकार के अल्पसंख्यक मुकौटे नबी के गुलाम आज़ाद साहेब ताल ठोक कर विरोध में आ खड़े हुए . अपने मुस्लिम क्रिश्चन वोट बैंक की नाराज़गी न बाबा न. 
आजादी के ६५ वर्ष बाद देश के किसी राज्य ने पहली बार ' जनसैलाब विस्फोट' पर कुछ अंकुश लगाने का संजीदा प्रयास किया. भारत प्रति वर्ष एक आस्ट्रेलिया पैदा कर देता है. ८३६ मिलियन लोगों  के पास  प्रतिदिन भोजन के लिए मात्र २०/- से भी कम की आमदनी है, फिर भी आस्ट्रेलिया जितना अनाज पैदा करता है उतना तो हम प्रति वर्ष बर्बाद कर देते हैं. बहुत  ज़ल्द हम जनसँख्या में चीन से आगे निकल जाएंगे क्योंकि चीन ने सख्त परिवार नियोजन नियमों से अपनी जनसँख्या पर नियंत्रण कर लिया है. चीन में १९७९ से एक बच्चा सिधांत का  सख्ती से पालन किया जा रहा है. एक से अधिक बच्चे पैदा करने वाले दम्पति पर भारी जुरमाना किया जाता है. दूसरे बच्चे को तो सभी सरकारी सुविधाओं से वंचित ही कर दिया जाता है. गत २० वर्ष में चीन ने ३०० मिलियन बच्चे कम पैदा किये . 
क्षेत्रफल की दृष्टि से देखा जाए तो भारत की आबादी चीन से अढाई गुना अधिक है ...चीन के ६.४ % क्षेत्र  में १९.५२ % आबादी रहती है जबकि भारत में १७.२६% आबादी के लिए महज़ २.१ % भू क्षेत्र उपलब्ध है. कहने को तो हमारी आबादी चीन से गिनती में कम है . मगर आबादी के लिए खाद्यान पैदा करने वाली भूमि हमारे पास चीन से एक तिहाई है . ज्यों ज्यों हमारी आबादी बढ़ेगी ... बढती आबादी के लिए 'भोजन' पैदा करने वाली भूमि और भी घटती जाएगी . अल्पसंख्यकों की वोट कि तलब गार हमारी यह सेकुलर सरकार यूं ही इस भयंकर राष्ट्रिय समस्या की खिल्ली उड़ाती रहेगी . क्रिश्चन धर्म और इस्लाम को मानने वाले परिवार नियोजन को नहीं मानते . क्रिश्चंज़ धर्म परिवर्तन से भारत को ईसाई देश बनाने पर तुले हैं और मुस्लिम अधिक से अधिक बच्चे पैदा कर  देश में निज़ामे मुस्तफा नासिर करने में मशगूल हैं. देश में मुस्लिम आबादी ३४% कि द्रुतगति से बढ़ रही है जबकि हिन्दुओं कि आबादी मात्र १९ % कि गति से भी घट रही है. एक अनुमान है कि २०५० आते आते हिंदुस्तान भी पाक-बंगलादेश की भांति मुस्लिम बहुल देश हो जाएगा और हिन्दुओं की हालत भी कुछ कुछ पाक-बंगलादेश के हिन्दुओं जैसी हो जाएगी. 
राईट तो फ़ूड का कानून लाने वाली वोटों की भूखी सेकुलर सरकार अपने पीछे एक भूखा - नंगा और कंगाल देश छोड़ जाएगी. 
    

शुक्रवार, 23 सितंबर 2011

चाणक्य का भूखा ... मनमोहन का चोर


चाणक्य का भूखा 
मनमोहन का चोर 
 एल.आर.गाँधी 
.हमारे अर्थशास्त्री प्रधान मंत्री मनमोहन सिंह और अखंड भारत के सम्राट चन्द्रगुप्त मौर्य के प्रधान मंत्री विष्णुगुप्त आचार्य 'चाणक्य ' की विचारधारा में ज़मीं आसमान का नहीं बल्कि आकाश -पाताल का अंतर है. 
मनमोहन जी गरीब की लक्ष्मण रेखा खींचने में व्यस्त हैं और धनवान की लूट खसूट से अनजान बने बैठे हैं ! वहीँ चाणक्य एक ओर गरीब के अधिकार के प्रति जागरूक हैं और दूसरी ओर अमीर की लक्ष्मण रेखा पर राज दंड हाथ में लिए प्रहरी की भांति अटल खड़े दिखाई देते हैं- ताकि अमीर अपनी सीमा लांघ कर गरीब के अधिकारों का हरण न कर पाए.चाणक्य का मानना था कि हर नागरिक को खूब मेहनत कर धनोपार्जन करना चाहिए और अपनी आवश्यकता से अधिक धन सुपात्र को दान कर देना चाहिए.   चाणक्य का अपना जीवन ही राज्य के अन्य मंत्रियों के लिए के दृष्टान्त था. चीन के ऐतिहासिक यात्री फाह्यान ने जब कहा कि इतने विशाल देश का प्रधान मंत्री ऐसी कुटिया में रहता है . तब उत्तर था चाणक्य का ' जहाँ का प्रधान मंत्री साधारण कुटिया में रहता है वहां के निवासी भव्य भवनों में निवास किया करते हैं और जिस देश का प्रधान मंत्री राज प्रासादों में रहता है वहां की सामान्य जनता झोम्पडियों में रहती हैं.
नास्ते चौरेशु  विश्वास : चाणक्य ... अनुचित तरीकों से धन कमाने वाले सभी लोग , वे चाहे मंत्री हों, अधिकारी हों, कर्मचारी हों या व्यापारी , इन्हें चोर ही समझाना चाहिए . इसलिए चोरों का कभि विश्वास नहीं करना चाहिए. हमारे आधुनिक अर्थशास्त्री प्रधानमंत्री लगता है अपने ही देश के महान अर्थशास्त्री 'चाणक्य ' की रीति नीति से अनजान हैं ...विदेशी शिक्षा में शायद उन्होंने भारतीय संस्कृति और दर्शन के बारे में कोई  जानकारी प्राप्त ही नहीं की. तभी तो खुद भले मानुष और ईमानदार होते  हुए भी चोर उच्चक्कों की मंडली से बुरी तरहं घिरे हुए हैं. और अब तो लोग उनकी इमानदारी पर भी शक करने लगे हैं और पूछते हैं:- 'चोरों का सरदार और सिंह फिर भी ईमानदार ? पहले कलमाड़ी का 'खेल' चुपचाप देखते रहे , फिर राजा को क्लीन चित दे दी,अब चिदम्बरम पर पूरा भरोसा जता रहे हैं.... लगता है चोर सिपाही का यह खेल यूँ ही चलता रहेगा जब तक एक एक करके सिंह साहेब की सारी की सारी केबिनेट 'तिहार' में नहीं पहुँच जाती और सिंह साहेब अपनी केबिनेट की बैठके 'तिहार ' में ही बुलाएंगे           
चाणक्य का मानना था कि राष्ट्र-उद्दारक योजनायें राजकीय व्ययों में से बचत करके चलाई जानी चाहियें ..जनता को उत्पीडित कर नए नए कर लगा कर लम्बी चौड़ी योजनाएं जन विरोधी हैं. आज हमारी सरकार महंगाई और भुखमरी से त्रस्त जनता पर नित नए कर लगा कर लम्बी चौड़ी योजनाएं बनाने और चलाने में व्यस्त है ताकि राजनेता और अधिकारी अपनी जेबें भर सकें. 
न क्षुधा सम: शत्रु : चाणक्य ..का मानना था कि भूख के समान शत्रु नहीं.. भूखा व्यक्ति कोई भी पाप कर सकता है. .. जिस देश में भूख से पीड़ित एक ब्रेड चोर की तो खूब पिटाई होती है और करोड़ों रुपया खाने वाले 'राजनेता' तिहार' में भी त्यौहार मनाते हैं , और हमारे सिंह साहेब २६ रूपए रोज़  कमाने वालों को गरीबी रेखा से ऊपर बता कर 'राशन चोर '  ठहराने पर तुले  हैं. 

गुरुवार, 22 सितंबर 2011

कतार में राज कुमार

 कतार में  राज कुमार 
    एल आर  गाँधी 



राजमाता दुःखी है  ..... दुःखी है मुए मोदी  से  ..... मुए ने मेरे फूल से 'लाल' को लाइन में लगा दिया  ..... पिछली पांच पीढ़ियों , घियासुदीन से अब तक , किसी तीसमारखाँ में हिम्मत नहीं थी ,राज परिवार के किसी राज कुमार को आम जनता और वह भी गरीब -गुरबों की लाइन में लगा दे। 
हमने तो अपने राज में करीब -करीब गरीबी पर विराम लगा दिया था।  हमारे योजना आयोग के सर्वे -सर्वा सरदार मोंटेक सिंह जी ने तो अपने ३५ लाख के 'जनाना- मर्दाना ' से फारिग हो कर साफ़ कर दिया था कि ३२/- में शहरी और २६/- में ग्रामीण भर पेट खाता है  ..... किसी की क्या मज़ाल कोई उन्हें ग़रीब कह कर अपमानित करे। 
यह तो  मोदी की सोची समझी साजिश है ! १००० -५०० के नोट यका -यक  और वह रात के १२ बजे बंद करके 'बेचारे ' गरीबों को लंबी-लंबी लाइनों में धक्के खाने को मज़बूर कर दिया  !  महज़ ३२/- रूपए और २६/- रुप्पली में भर पेट खाने  वाला मजदूर आज १०००-५०० के नोटो के लिए लाइन में धक्के खाने को मजबूर है।  एक हमारा राज था जब कुछ लोग महज़ १२ रूपए में पेट भर खा कर हज़म करने को 'हाजमोला ' चूसते थे   हमारे राज बब्बर  मियां ने तो साफ़ - साफ़ अपनी आँखों से देखा था 'मुम्बई' में ! ५/- रूपए में भर पेट खाते हमारे एक एम्.पी ने अपनी आँखों से देखा वह भी   शीला की दिल्ली में !
लगता है  ५०० - १००० के नोटधारी लोग -बाग़ भी अब  भर पेट 'खाने'  को तरसते हैं  ..... इनका 'दुःख' राजकुमार से देखा  नहीं गया  ...... बस लग गए लाइन में !

गुरुवार, 15 सितंबर 2011

न क्षुधा सम : शत्रू .... भूख के समान कोई शत्रू नहीं !

न क्षुधा सम : शत्रू 
भूख के समान  कोई शत्रू नहीं !
    एल. आर. गांधी 

यूँ तो हमारे सिंह साहेब भी अपने आपको महान अर्थ शास्त्री होने का भ्रम पाले बैठे हैं . मगर देश की गरीब जनता की गरीबी रेखा दिनों दिन जिस प्रकार विकराल रूप धारण किये जा रही है और देश की आधी से अधिक आबादी को अपने पेट की आग शांत करने के लिए दो जून का निवाला तक मयस्सर नहीं हो पाता ! ऐसे में सर्वोच्च नयायालय द्वारा केंद्र व् राज्य सरकारों को सख्त निर्देश जारी करते हुए यह निश्चित करने हेतु आवश्यक कदम उठाने को कहा  है कि देश में भूख और कुपोषण से कोई न मरे. !पीपल यूनियन फार सिविल लिबर्टीज़ द्वारा उच्च न्यायालय  में सार्वजानिक वितरण प्रणाली में व्याप्त भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के लिए एक जनहित याचिका दायर की थी. न्यायालय ने पी.डी.एस को कम्प्यूटरीकृत कर सरकारी अनाज को आम जनता तक पहुँचाने और बीच में से भ्रष्ट तंत्र को समाप्त करने लिए समय बध उपाए सुझाए हैं.
भारत के महान अर्थशास्त्री आचार्य विष्णुगुप्त 'चाणक्य ' ने ठीक ही कहा है ...न क्षुधा सम : शत्रु .. अर्थात भूख के समान कोई शत्रु नहीं है. भूखा व्यक्ति कोई भी पाप कर सकता है. पिछले दिनों एक विचित्र समाचार देखने को मिला . एक व्यक्ति अपने कुत्तों को अपने मकान में बंद कर के चला गया. कुछ दिनों के बाद जब वह लौटा और अपने मकान का दरवाज़ा खोला ..तो उसके अपने ही वफादार कुत्ते उस पर टूट पड़े .. भूख से व्याकुल कुत्ते अपने मालिक को ही चीर फाड़ कर खा गए. कुत्ते को  वफ़ा और संतोष का प्रतीक माना जाता है ... मगर भूख के आगे सब बेमानी हो जाता है.   
कुछ ऐसा ही आभास सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों को हुआ होगा ... जब उन्होंने देश की भ्रष्ट और निरंकुश सरकार को चेतावनी दे डाली ' भूख और कुपोषण से कोई व्यक्ति न मारा जाए !  बुद्ध  और गाँधी के देश भारत में सदियों से अहिंसा और संतोष का पाठ पढ़ाया जाता रहा  है .. तभी तो देश की भूखी और बीमार जनता आज़ादी के छह दशक बाद भी अपने भ्रष्ट और निरंकुश  राजनेताओं को सह रही है  और अभी तक भूख से बेहाल  श्वान व्रिती उनके विवेक की मर्यादा को नहीं तोड पाई. ..मगर कब तक ?

शुक्रवार, 2 सितंबर 2011

नवजात मृत्यु दर - कोई चिंता नहीं.

नवजात मृत्यु  दर - कोई चिंता नहीं. 
   एल. आर. गाँधी  

आंध्र  प्रदेश के कुर्नूर के हस्पताल में बदइन्तजामी के चलते पिछले ४८ घंटे  में ११ नवजात मौत के आगोश में समा गए. मुख्यमंत्री ने जांच बिठा दी तो हस्पताल अधिकारिओं ने इस बात से इनकार किया कि बचों की मौत का कारन वेंटीलेटर में आक्सीज़न का न होना था. देश की सेहत के ठेकेदार केन्द्रीय सेहत   मंत्री ने फरमा दिया की चिंता की कोई बात नहीं. अब नबी के गुलाम जी आज़ाद फरमा रहे हैं कि चिंता की कोई बात नहीं... तो मानना ही पड़ेगा भई !
नवजात शिशु मृत्यु दर में हम विश्व में नंबर वन हैं और हर साल ९ लाख बच्चे पैदा होते ही मृत्यु  की गोद में समा जाते हैं .....सचमुच चिंता की कोई बात नहीं.. चलो इसी बहाने  किसी क्षेत्र  में तो हम नंबर वन हैं. !!! फिर भी हम संतोष कर सकते हैं कि पिछले दो दशक में यह मृत्यु दर ३३% कम हुई है. विश्व में हर साल ३.३. मिलियन नवजात शिशु अकाल मृत्यु को प्राप्त होते हैं और इन में से आधे - भारत, नाईजेरिया ,पाकिस्तान ,चीन और कांगो के हैं. पछले दो दशक में मृत्यु दर में २८% की कमी आई है.  और यह ४.६ मिलियन से घट कर ३.३. मिलियन रह गई है.  नवजात शिशु मृत्यु दर उक्त पांच देशों में सर्वाधिक होने का मुख्य कारन अधिक जनसँख्या तो है ही वहीँ भारत जैसे देश में इन मौतों का मुख्य कारन बिमारियों से बचाव की मूलभूत स्वास्थ्य सुविधाओं के अभाव साथ साथ देश की बहुत बढ़ी आबादी तक स्वच्छ पेय जल पहुँचाने में हमारी सरकार की नाकामी भी है. चीन ने तो फिर भी अपनी जनसँख्या पर प्रभावशाली ढंग से अंकुश लगा लिया है. मगर हमारे सेकुलर शैतान वोट बैंक की चिंता के चलते ... बढती आबादी से बिलकुल भी चिंतित नहीं हैं. फिर नवजात शिशु अपने प्रथम चार सप्ताह पूरे होते होते परलोक सिधार जाए तो आजाद साहेब के लिए चिंता की बात हो भी कैसे सकती है .. क्योंकि यह भी तो परिवार नियोजन की एक परोक्ष योजना ही हुई न ?  

मंगलवार, 30 अगस्त 2011

अब्दुल्लाह की ईदी......


अब्दुल्लाह की ईदी...... 
मुल्ला का दारुल इस्लाम 
    एल. आर. गाँधी 

उमर अब्दुल्ला का संगमार युवकों को दिया 'ईदी 'पर आम माफ़ी का तोहफा - युवकों ने ब्याज सहित वापिस कर दिया. पिछले साल सुरक्षा कर्मियों पर पत्थर  बरसाने वाले युवकों के १२०० गुनाह माफ़ कर दिए गए . उमर अब्दुल्लाह ने यह भी स्पष्ट किया कि आज के बाद ऐसा करने वालों को नहीं बख्शा जाएगा. मुख्यमंत्री ने यह भी साफ़ किया कि पी एस ऐ के तहत सिर्फ ३५ युवक बंदी हैं. उधर श्री नगर में ३०० से अधिक मोटरसाईकल सवार युवकों ने शनिवार को एक थाणे पर पथराव किया और बम फेंके - यह हमला ठीक 'शब्-ऐ-कद्र' की नमाज़ के बाद किया गया , जब पुलिस कर्मी भी नमाज़ अदा कर रहे थे. हमले में छह  पुलिस कर्मी घायल हुए और दो की हालत गंभीर है.७३ युवक अगली ईदी' तक गिरफ्तार कर लिए गए ? अब्दुल्लाह मियां द्वारा 'ईदी' से नवाजे गए युवकों के हाथो पिछले साल सैंकड़ो सुरक्षा कर्मी ज़ख़्मी हुए थे जिनका कसूर केवल इतना था कि वे इन इस्लामिक आतंकियों से 'अब्दुल्लाह ' जैसे राजनेताओं और राष्ट्र की सुरक्षा का दायित्व निभा  रहे थे.
दारुल इस्लाम के लिए जेहाद में लगे काश्मीरी युवकों को ' मस्जिदों' से देश के विरुद्ध जेहाद के लिए उकसाया जाता है. क्योंकि शरियात को मानने वाले मौलवी इन युवकों को कुरआन में दिए सन्देश 'दारुल हर्ब' (काफिरों के राज्य ) के खिलाफ तब तक जेहाद के लिए उकसाते हैं ज़ब तक कि दारुल इस्लाम ( इस्लाम का राज्य)  नासिर न हो जाए. मुहम्मद की आखिरी इच्छा भी यही थी... 'इब्ने अब्बास ने  कहा जिस दिन रसूल मरे - वे मुझ से कह रहे थे , सारे अरब से काफिरों , यहूदियों और ईसाईयों को निकाल दो, उनके उपासना स्थलों को गिरा दो, और उनको कब्रिस्तान में बदल दो ..(.बुखारी- जिल्द ४ किताब ५६ हदीस ६६० ) पिछले छह दशक से यही सब ये इस्लामिक आतंकी कर रहे हैं - लगभग एक लाख लोग जिनमें अधिकाँश हिन्दू व् सुरक्षा कर्मी थे इन के आतंक का शिकार हुए . लाखों कश्मीरी हिन्दुओं को प्रताड़ित कर कश्मीर से भगा दिया गया. १२३ मंदिरों को मिस्मार कर दिया गया ... फिर भी हमारी सेकुलर सरकार इन आतंकियों को आर्थिक  सहायता की भारी भरकम बिरयानी खिला खिला कर पाल रही है.आज कश्मीर समस्या से भारत की प्रभुसत्ता और भाईचारा लहुलुहान है. सारी समस्या की जड़ में नेहरु जी की देन धारा ३७० है जिसके तहत कश्मीर  में किसी भी भारतीय के निवास पर प्रतिबन्ध है. कुछ ऐसी ही समस्या चीन को अपने मुस्लिम बहुल  जिनजियांग उइगुर स्वायतशासी क्षेत्र में करनी पड़ रही है यहाँ मुस्लिम जनसँख्या ४०% है. चीन ने यहाँ हान्वंशी समुदाय को बसा कर मुस्लिमों को अल्पसंख्या में कर दिया, और अपने यहाँ  कश्मीर समस्या को पैदा होने से पहले ही दफन कर दिया. इस क्षेत्र में इस्लामिक आतंकियों के 'दारुल इस्लाम' के जेहाद को चीन सख्ती से निपट रहा है... न की ईदी के तोहफे और आर्थिक बरियानी खिला खिला कर 'इस्लामिक आतंक ' को बढ़ावा दे रहा है. 
देश कि मुस्लिम जनसँख्या वृद्धि दर ३५ % और अन्य समुदायों की मात्र १९% .  जिस गति से भारत में मुस्लिम जनसँख्या में इजाफा हो रहा है- २०५०  या २०६० आते आते  हिन्दुस्तान भी अरब देशों की भांति ' दारुल इस्लाम' हो जाएगा और यहाँ 'शरिया के कानून लागु हो जाएंगे.  नेहरु - गाँधी का बोया बबूल मज़हबी बरगद के रूप में हमारे सामने होगा और हाँ इन सेकुलर शैतानों को  इस बरगद की  मुंडेर के पास भी फटकने नहीं दिया जाएगा !!!!!!!.    
 

सोमवार, 29 अगस्त 2011

सैकुलर सरकार - हज और सावित्री


सैकुलर सरकार - हज और सावित्री 
        एल आर गान्धी


हमारे  देश  की सैकुलर शैतान सरकार ने पिछले  एक दशक में देश की बहुसंख्यक हिन्दु जनता द्वारा दिये  कर का ३५५४-७८ करोड रुपया हज सब्सिडी पर लुटा दिया ताकि हमारे मुस्लिम अल्पसंख्यक अपनी धार्मिक यात्रा के साथ्-साथ् हज पर कुर्बानि की रसम में गाए की कुर्बानि दे कर  अल्लाः से अपने गुनाहः  बख्श्वा सके ।सैकुलर सरकार का मानना है कि इससे राष्ट्रीय भाइचारा मजबूत  होता है।  हिन्दुओ  की आस्था की प्रतीक  गाये की हत्या से ये हाजी अपने बहुसंख्यक भाइचारे को कौन् सा  संदेश देना चाहते । या फ़िर् हमारे सैकुलर शैतानो को हिन्दुओ की धार्मिक भावनाओ की रत्ती भर भी परवाः नही  और सिर्फ़ मुस्लिम तुष्टिकरन  से ही सरोकार है।  
विश्व के किसी भी इस्लामिक देश में हाजियो को किसी प्रकार की सरकारी सहायत या सब्सिडी नही दी जाति क्योकि इस्लाम में किसी दूसरे के पैसो से हज हराम है। राज्यसभा के उपसभापति के रेहमान खान ने तो यहा  तक कह् दिया की मुसलमानो ने कभी भी हज सब्सिडी की मान्ग नही की। एन सी पी की अल्प्सन्खयक विन्ग के उप परधान फ़ैज़् अहमद फ़ैज़् ने हज सब्सिडी तुरन्त बन्द करने की मान्ग की है। राज्य सभा एम पी और जमायते उलेम ए हिन्द के महासचिव मौलान  महमूद मदनि ने भी हज सब्सिडी बन्द करने की वकालत की है। मगर हमारे सैकुलर शैतानो को अल्पसंख्यक वोट बैक खिसक्ने का खतरा सता रहा है। इनक तो हाल है,,,,,,
दामन पीवे शराब्  ते करे सज़्दा 
राज़ि रब्ब ते गुसे शैतान वी नही। 
शैतान को भी कभी कोइ खुश कर पाया है भला ।
कर दाताओ के खून पसीने की कमाई  का पैसा समाज के अति निर्धन लोगो  पर खर्च करने की अपेक्षा यह सरकार या तो अपनी महारानी की सुखसुविधा पर खर्च करति है  और या फ़िर् अपने वोट बैक पर । कन्ग्रेस  की महारानी की विदेश यात्राओ पर ही पिच्छ्ह्ले तीन वर्षो में १८८० करोड के करीब् सरकारी खर्च किया गया।    देश की आधी आबादी भूखे पेट सोती है और गरीब् के पास कफ़न् काठी के भी पैसे नही ,,,गत दिनो समाचार आया कि मध्य परदेश के छतरपुर गाव में नरपत सिन्घः  यादव को अन्तिम संस्कार के लिये लकडी न् मिल पाने पर साईकल् के टाय्रो से जलाना पडा । शव फ़िर् भी अध जला रह गया तो पत्नी सावित्री देवी ने अपनी झोम्प्डी को ही तोड डाला।   कहते हैं की सावित्री के घर में अन्न का एक दाना भी नही था। 

मंगलवार, 23 अगस्त 2011

अन्ना और सेकुलर शैतान ..


अन्ना और सेकुलर शैतान ...
क्या राष्ट्र भक्ति साम्प्रदायिकता है ? 
    एल. आर. गाँधी 

अन्ना ने अपने आन्दोलन को सेकुलर शक्ल देने के चक्कर में मंच पटल से भारत माता और शहीदों के चित्र हटा कर मात्र महात्मा गाँधी के चित्र को स्थान दिया- यही सोच कर कि ...
दामन पीवे शराब ते करे सज़दा
राज़ी रब्ब ते गुस्से शैतान वी नईं...
मगर अपने आका मोहन दास करमचंद गाँधी कि भांति अन्ना भी यहीं पर 'मात' खा गए. शैतान भी कभी खुश हुआ है भला.? गाँधी जी ने मुसलमानों के जिन्न जिन्नाह को खुश करने की जी तोड़ कोशिश की - उसे कायदे आज़म की उपाधि  से नवाज़ा,बेवजह खिलाफत आन्दोलन को तूल दी ,जिन्नाह  को सब कुछ सौंपने की वकालत भी कर डाली मगर शैतान खुश न हुआ और राष्ट्र को टुकड़ों में बाँट कर ही माना. कुछ कुछ यही अन्ना के साथ हो रहा है. सेकुलर सरकार तो अन्ना के खून की प्यासी है ही . लालू - अमर जैसे चोर उच्चकों का विरोध  भी समझ में आता है. अरुणा रे का सरकारी एन.जी.ओ और सोनिया कि 'नाक '..!   विरोध करना बनता है. मगर अरुंधती रे और दिल्ली की जामा मस्जिद के शाही इमाम  सयद अहमद बुखारी भी आँखें तरेर रहे हैं ! यह तो मानसिक कुष्ठरोग के लक्षण जैसा लगता है. अधिकाँश मुस्लिम संगठनों ने अन्ना के भ्रष्टाचार विरोधी अभियान का समर्थन किया है मगर बुखारी साहेब को राम लीला मैदान से भारत माता की जय और वन्दे मातरम के उद्दघोश से बुखार चढ़ गया और लगे गुर्राने ... और किरण बेदी भी फटा फट पहुँच गई मानाने .  बुखारी साहेब का मानना है कि भारत माता और वन्दे मातरम इस्लाम विरोधी है...इस्लाम में तो जन्म देने वाली माँ की पूजा में भी विश्वास नहीं किया जाता. 
यह अंध विश्वास नहीं तो और क्या है कि छठी शताब्दी की इस्लामिक मान्यताओं  को २१वी  सदी में भी ढ़ोया जा रहा है. पैगम्बर मुहम्मद  वर्षो बाद जब अपनी माँ कि कब्र पर गए तो एक चेले ने पूछा - क्या अपनी माँ के लिए अल्लाह से प्रार्थना नहीं करेंगे ? तो मुहम्मद ने फ़रमाया 'नहीं' वह तो काफ़िर थी . महात्मा गाँधी ने अलामा इक़बाल के 'सारे जहाँ से अच्छा गीत को इतनी बार गुण गुनाया कि उसे आज़ादी का तराना बना डाला. मगर इक़बाल को जब पाकिस्तान के कीड़े ने काटा तो उसने अपने इस गीत को ही बदल डाला . हिंदी हैं हम वतन है हिन्दोस्तान हमारा  को बदल कर ' मुस्लिम हैं हम वतन है सारा जहाँ हमारा. बना दिया. मगर गाँधी को फिर भी होश नहीं आया और लगे रहे इन शैतानों को खुश करने में. वही काम आज अन्ना के सिपहसलार कर रहे हैं. अरे जो राष्ट्र को नहीं मानता उसे राष्ट्र की समस्याओं से  क्या लेना देना.ऐसे मानसिक कुष्ठ साम्प्रदायिक लोगों को साथ लगाने से तो राष्ट्र को प्यार करने वाले भारत माँ के रणबांकुरों को साथ लेकर चलना बेहतर है. जागरूक मुसलमान भ्रष्टाचार की पीड़ा को समझता है और वह अन्ना के साथ है. किरण जी यदि बुखारी साहेब को किसी प्रकार अन्ना के मंच पर ले भी आई तो अन्ना  के उस अहद का क्या होगा जिसमे किसी राजनेता को  मंच से दूर रखने का...... बुखारी साहेब तो खुद को मुसलमानों के राजनेता कहते हैं. ऐसे सख्श को मंच पर लाना तो राष्ट्रवादी मुसलमानों का अपमान है. क्या बुखारी को मंच पर देख कर भारत माता की जय जय कार या वन्देमातरम  का राष्ट्र गीत  नहीं गाएगी जनता.? क्या राष्ट्र भक्ति साम्प्रदायिकता है  ?        
हाथी घोड़ा पालकी जय कन्हैया लाल की

जन्माष्टमी -मंगलकामनाएं

श्री कृषण जन्माष्टमी पर आप सब को मंगलकामनाएं !
सेस गनेस महेस दिनेस , सुरेसहु जाहि निरंतर गान्वैं !
जाहि अनादि अनंत अखंड , अच्छेद अभेद सुवेद बतावें !!
नारद से सुक्व्यास रटे , पचिहारे तऊ पुनिपार न पावैं !
ताहि अहीर की छोहरियाँ,छछिया भरि छाछ पै नाच नचावैं !!

रसखान .....

सोमवार, 22 अगस्त 2011

भ्रष्टाचार की दहीं हांडी


भ्रष्टाचार  की  दहीं  हांडी 
     एल. आर. गाँधी 

मुसलमानों ने रमजान की नमाज़ अन्ना को समर्पित कर भ्रष्टाचार के खिलाफ अज़ान दी तो श्री कृषण जन्माष्टमी के पावन पर्व पर भ्रष्टाचार   की  दहीं  हांडी को फोड़ कर कृषण भक्तों ने अन्ना के आन्दोलन से एकजुटता प्रकट कर दी. अन्ना के आन्दोलन पर हमारे काले अंग्रेजों की प्रारंभिक प्रतिक्रिया भी कुछ कुछ अपने मानसिक आकाओं गोरे अंग्रेजों के समान ही थी. जब गाँधी जी ने दांडी मार्च के माध्यम से अंग्रेजों के नमक कानून के विरुद्ध आन्दोलन किया तो वायसराय हिंद लार्ड इरविन ने भी लन्दन में अपने आकाओं को लिखा था  कि गाँधी के दांडी मार्च से उनकी नींद में कोई खलल नहीं पड़ने वाला.मगर गाँधी जी के दांडी मार्च को जब अभूत पूर्व जन समर्थन मिला तो गोरे अँगरेज़  'गोल मेज़ 'कांफ्रेंस को मजबूर हो गए.   कुछ ऐसी ही प्रतिक्रिया हमारे आज के काले अंग्रेजों की है. कांग्रेस के राजकुमार तो अन्ना आन्दोलन पर किसी प्रशन का उत्तर देना भी  मुनासिब नहीं समझाते, प्रधानमंत्री संसद की प्रभुसत्ता का राग अलाप रहे हैं. 
ज्यों ज्यों अन्ना के साथ जनसमर्थन बढ़ रहा है .. हमारे काले अंग्रेजों को अन्ना का भूत भरमाने लगा है. किसी 'गोल मेज़' का जुगाड़ शुरू हो गया है. साथ ही अपनी बची खुची साख बचाने के भी जतन हो रहे हैं. शर्त रखी गई है कि अन्ना अकेले बात करें -कोई   केजरीवाल -शांतिभूषण -किरण बेदी नहीं चाहिए. अब अन्ना भी ठहरे गाँधी के चेले ... बापू तो गोल मेज़ कांफ्रेंस में अपनी बकरी भी साथ ले कर गए थे ..साथियों को छोड़ने कि तो बात ही छोडो.       
दांडी मार्च से पहले गांधीजी ने २मार्च  १९३० को वायसराय को एक नोटिस दिया जिसमें नमक पर कर भारत की गरीब जनता  के ज़ख्मो पर नमक लगाने के समान बताया. बापू ने गोरे अँगरेज़ को बताया कि उनकी मासिक आय २१००० /- अर्थात ७००/- रोजाना है जबकि भारत के प्रति व्यक्ति औसत आय २ आना से भी कमतर है. अर्थात आम आदमी और वायसराय की आय में ५००० गुना अंतर है. आज़ादी के ६४ सालों में देश पर राज कर रहे काले अंग्रेजों ने देश को इस कदर लूटा है कि आम आदमी की हालत गोरे अंग्रेजों के वक्त से भी बदतर हो गई है. आज गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाली ८० % जनता की औसत आय प्रति दिन २०/- के करीब है. जबकि देश के राष्ट्रपति पर प्रति दिन ५.१४ लाख रूपए और प्रधानमंत्री पर ३.३८ लाख रूपए खर्च होते हैं और यह खर्च औसत भारतीय से १६९०० गुना अधिक है. केन्द्रीय मंत्री मंडल पर रोज़ २५ लाख खर्च होते हैं. 
राष्ट्रिय लूट  खसूट अर्थात भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के लिए जनता द्वारा चुने गए सांसद पिछले ४२ साल से लोक पाल बिल पर माथा पच्ची कर रहे हैं - अब भी हमारे मोहन प्यारे फरमा रहे हैं कि कोई कानून बनाना सांसदों का विशेषाधिकार है- कोई अन्ना शन्ना इस विशेषाधिकार का चीर हरण नहीं कर सकता. अरे पिछले ६४ 
 वर्ष से आप देश की भूखी नंगी रियाया का जो चीर हरण कर रहे हो , उसका क्या. काठ की हांड़ी आखिर कब तक चूल्हे पर टिकेगी. जनता के सबर  के पैमाने को अन्ना की हुंकार ने छलका दिया है.
तुमसे   पहले   जो   यहाँ   तख़्त   नशीं   था ..
उसको भी अपने खुदा होने पर इतना ही यकीं था .... 

शनिवार, 20 अगस्त 2011

मिश्र का तानाशाह हुस्निमुबारक.... भारत की भ्रष्ट परिवारवादी राजशाही..


मिश्र का तानाशाह हुस्निमुबारक
भारत की भ्रष्ट परिवारवादी राजशाही.. 
         एल.आर.गाँधी 
तीन  दशक  से मिश्र पर एक छत्र निरंकुश तानशाही हकुमत करने वाले  हुस्नी मुबारक आज एक पिंजरे में बंद अपने दो राज कुमारों के साथ अपने विरुद्ध  चल  रही  अदालती  कार्रवाही में अपनी उमर्द्रज़ बुढ़ापे का रोना रो कर दया की भीख मांग रहे हैं. जनता के आक्रोश के आगे अदालत के जज चाह कर भी इस तानाशाह पर दया नहीं कर पाएंगे ! तानाशाह हुस्नी मुबारक मिश्र की जनता के आक्रोश को समय रहते नहीं समझ पाए !  अरब देशों में चल रहे युवा आन्दोलन की हवा भारत जैसे लोकतान्त्रिक देश भी पहुँच जायगी - यहाँ की लोकतान्त्रिक -निरंकुश -परिवारवादी राजशाही अभी तक विशवास नहीं कर पा रही. 
भ्रष्टाचार के विरुद्ध अन्ना का आन्दोलन शहरी मध्यवर्ग से होता हुआ कस्बों और गाँव तक द्रुत गति से बढ़ रहा है. मगर भ्रष्टाचार में आकंठ -डूबा शासक वर्ग अभी तक हुस्नी मुबारक की ही भांति इसे हलके में ले रहा है. सरकार और कांग्रेस की पहली प्रतिक्रिया रामदेव बाबा की भांति ही अन्ना को भी डराने और धमकाने की रही. मगर बात नहीं बनी. अब कांग्रेसी नेत्रित्व की प्रतिक्रिया अन्ना आन्दोलन की उपेक्षा और इसे अपनी मौत मरने को छोड़ देने की  है. कांग्रेस के राज कुमार जो बात बात पर बतियाते नज़र आते थे .... कल एक समारोह में अन्ना के सवाल पर चुप्पी साध गए जैसे बहुत ही महत्त्वहीन मसला हो. राहुल बाबा प्रजा राज्यम पार्टी के चिरंजीवी को कांग्रेस में जमा होने के समारोह में अपने पिता राजिव गाँधी के जयंती अवसर पर मौजूद थे. चिरंजीवी ने कांग्रेस में दाखिल होते ही राज कुमार को देश का भावी प्रधानमंत्री घोषित कर अपनी राजभक्ति का परिचय दिया. एक मंत्री महोदय वीरभद्र सिंह ने तो अन्ना आन्दोलनकारियों को डफलीबाज़  तक कह डाला और इनके जनसमर्थन को भारत की १२१ करोड़ की आबादी में महत्त्वहीन  करार दिया.यह बात  अलग है की वीरभद्र जी को देश की आबादी तक का नहीं था पता ...पूछ पाछ कर बोले... तो भी १२१ मिलियन कह बैठे. 
आज जन - जन यह जान गया है की देश पर पिछले पांच दशक से राज करने वाली पार्टी और परिवार ने इस देश को दोनों हाथों से खूब लूटा है. स्विस बैंकों में भी इनका ही अरबों रूपया जमा है. तभी तो बाबा राम देव के आन्दोलन को आधी रात को पुलसिया कार्रवाही से खदेड़ा और अब अन्ना को धमकाने -लटकाने और थकाने का खेल चल रहा है.अन्ना को एन.जी.ओ  संगठनों का समर्थन प्राप्त है. अब सरकारी सहायता प्राप्त एन.जी.ओ'ज को पटाया जा रहा है.सोनिया जी की किचन केबिनेट की सदस्य अरुणा रे    एक और जनपाल बिल ले कर मैदान में उतरी हैं  ..आन्दोलन को कुंद करने का खेल जारी है. राम लीला मैदान में आन्दोलनकारियों को नल का जल पिला कर बीमार किया जा रहा है... सरकार जानती है की अन्ना के एन.जी.ओ समर्थक केवल बिसलरी का  बोतल बंद पानी ही पचा पाते हैं. सत्ता धारी अभी तक तो आन्दोलन कारी कितने पानी में हैं... इसी चिंतन में व्यस्त हैं.    
सत्ता के नशे में चूर लोकतान्त्रिक-निरंकुश -परिवारवादी भ्रष्ट तंत्र के लोग जनता के आक्रोश को भांपने की समझ गवां बैठे हैं. जनता भ्रष्टाचारी तंत्र से त्रस्त है और अन्ना ने जनता की दुखती रग पर हाथ रक्खा है... समय रहते यदि जनता के आक्रोश को नहीं समझा और शांत किया गया ... तो वह दिन दूर नहीं जब मिश्र के ताना शाह हुस्नी मुबारक की भांति ये लोग भी जनता की अदालत में 'पिंजरे में बंद ' दया की भीख मांग रहे होंगे.  
फर्क है बस किरदारों का 
बाकि खेल पुराना है..

रविवार, 14 अगस्त 2011

गाँधीवादी अन्ना .............पर कांग्रेसियों की विरासती सोच !!!!

 गाँधीवादी अन्ना .............पर 
कांग्रेसियों की विरासती सोच !!!!
      एल.आर.गाँधी  
      
 ज्यों ज्यों अन्ना के अनशन  का दिन निकट आ रहा है...सत्ताधारी राजनेताओं की बौखलाहट भी बढती जा रही है ..अन्ना  का हश्र भी बाबा के अंजाम तक पहुँचाने की तैयारी भी  जोर शोर से चल रही. आरोप प्रत्यारोपों का महांभारत छिढ़ गया है.... कांग्रेस के एक प्रवक्ता मनीष तिवाड़ी ने अन्ना पर अपने जन्म दिवस पर २.२ लाख की भारी भरकम रकम खर्च करने या करवाने का दोष लगाया और कहा कि  एक  गाँधीवादी को जन्मदिन पर ऐसी फ़िज़ूल खर्ची शोभा नहीं देती..... एक कांग्रेसी नेता कि एक गाँधीवादी को गांधीजी के आदर्शों पर नसीहत ? बहुत अटपटा सा लगता है जब कोई कांग्रेसी गाँधीजी के आदर्शों की दुहाई देता है !!!!!
अन्ना के आन्दोलन के लिए हमारी इस गाँधी-छाप सरकार के पास दिल्ली में कोई उचित स्थान नहीं ? जितना हमारी यह लोगों द्वारा चुनी गई सरकार आज अन्ना से डरी हुई है उतना तो विदेशी अँगरेज़  हकुमत कभी गाँधी से 

नहीं थी घबराई . गांधीजी को अनशन या आन्दोलन के लिए कभी इतने कायदे कानून नहीं थे पढ़ाए गए. अंग्रेजों द्वारा गाँधी जी को जो ट्रेन सुवुधा  मुहैया करवाई गई थी...वह किसी भी स्तर से प्रथम श्रेणी से कमतर न थी... जिस कम्पार्टमेंट में गाँधी सफ़र करते थे, उसमें रेल के तीन डिब्बे -प्रथम श्रेणी सुविधाओं से लैस थे...फिर भी डिब्बों के बाहर 'तीसरा-दर्ज़ा' लिखा रहता !!!!!!..आज गाँधी जी के नोट -छाप कांग्रेसियों को एक अदना से टोपी-धारी अन्ना से 'ग़दर' की बू आ रही है... अन्ना से संविधानिक खतरा खड़ा हो गया है
गाँधी के नाम पर पिछले ६४ वर्षों से सत्ता सुख भोग रहे ये कांग्रेसी ....किस कदर गाँधी-छाप नोटों के दीवाने हो चुके हैं ...यही अयना तो दिखाना चाहते हैं- अन्ना !!! अन्ना पर अपने आन्दोलन के लिए पैसा कहाँ  से आया का आरोप  लगाने वाले शायद यह भूल गए कि गाँधी जी पर प्रति दिन ५०/- खर्च होते थे और यह खर्च उस वक्त के उद्योगपति 'बिडला ' द्वारा किया जाता था . उस वक्त के यह ५०/- आज के २००००/- के बराबर हुए ...इस प्रकार तो अन्ना के जन्म दिन जितना गांधीजी हर हफ्ते उड़ा देते थे.?
बाबा के बाद अब अन्ना के 'ऐशो- आराम' पर होने वाली पाई पाई का हिसाब 'अर्थशास्त्री मनमोहन' सरकार के 'दिग्गी-सिब्बल' लगाने में मशगूल हैं.  सारी सरकारी एजेंसियां भी दिन रात अन्ना की जन्मपत्रियाँ खंगाल रहीं हैं.. अन्ना के जन्म दिन पर किसी अन्ना प्रेमी के २.२ लाख रूपए का भारी भरकम खर्चा ...' तौबा तौबा' ... एक गाँधी वादी और उसके जन्म दिन पर इतनी फ़िज़ूल खर्ची ? 
गाँधी के नाम पर छै दशक से देश पर राज करने वाला नेहरु गाँधी परिवार ... कितना गाँधीवादी है और देश की गरीब जनता के खून पसीने की कितनी दौलत पर अब तक ' हाथ साफ़ ' कर चूका है ... उस पर हमारा सुपारी-पाक  मिडिया भी खामोश  है. नेहरु- गाँधी परिवार का स्विस बैंकों में २.५० बिलियन डालर जमा है. महज़ पिछले तीन साल में कांग्रसी सरकार की राजमाता श्रीमती सोनिया गाँधी की विदेश यात्राओं पर १८५० करोड़ खर्च किये गए - किस 
हैसियत से - एक सांसद हैं - इस लिए ?.... यदि देश के सभी सांसदों पर इतना ही सरकारी खर्चो होने लगे तो .....प्रणब दा.. के हाथ में कटोरा ..थमाना पड़ेगा.    
जैसे विचार सरकार में बैठे कांग्रेसियों के आज गाँधीवादी अन्ना हजारे के बारे में सुनने को मिल रहे हैं कुछ ऐसे ही  विचार हमारे चाचा नेहरु के गांधीजी के बारे में भी थे.... १९५५ में कनाडियन प्रधानमंत्री लेस्टर पियर्सन ने नेहरूजी से भेंट की और उनके गांधीजी के बारे में एक सवाल के जवाब में नेहरु जी ने फ़रमाया ' ओह, वह भयंकर ढोंगी बूढा ! सत्ता के नशे में चूर इन चोर उच्च्क्को का अन्ना को बुरा नहीं मनाना चाहिए ... आखिर विरासत में मिली सोच है जाते जाते ही जाएगी और सत्ता के साथ ही जाएगी !!!!

सोमवार, 1 अगस्त 2011

स्विस चोरों की क्वात्रोचिगिरी

स्विस चोरों की क्वात्रोचिगिरी 

        एल.आर.गाँधी 

क्या स्विस बैंक खातों का हश्र भी बोफोर जैसा  होगा  ? जिस प्रकार बोफोर काण्ड के खलनायक क्वात्रोची चाचा  को बचाया और भगाया  गया - आखिर में पूरी बेशर्मी  से उसे   ७ .३  मिलियन  डालर  बैंक से  निकालने  की भी आज़ादी  दे  दी  गई  . ठीक  उसी  प्रकार  स्विस बैंको  में  देश  की  अकूत  धन  दौलत  लूट   कर  जमा  करवाने  वाले प्रभाव शाली लोगों को यह कला धन इधर- उधर करने का मौका दिया जा रहा है. स्विस बैंक एसोसियेशन  की माने तो  पिछले तीन साल में १५ लाख  डालर की कमी  आयी है. 
अब  तो कांग्रेस  की महारानी  और राजकुमार  भी स्विट्ज़रलैंड हो  आए  हैं . स्विट्ज़रलैंड से नेहरु परिवार का पुराना नाता है. नेहरूजी की धर्मपत्नी को जब राजयक्ष्मा ने आ  घेरा  तो  नेहरूजी ने उन्हें  इलाज़ के लिए स्विट्ज़रलैंड भेज दिया और वहीँ  पर उन्होंने अपनी अंतिम सांस ली. प्रसिद्ध  कानूनविद  रामजेठमलानी  ने   आरोप  लगाया    है कि  नेहरु परिवार  का स्विस  बैंकों  में   २ .५०  बिलियन  डालर जमा  है.और फिर किसी पालतू 'दिग्गी' ने इस आरोप का प्रतिकार या खंडन भी  तो नहीं किया.इस तथ्य  की पुष्टि स्विस मैगज़ीन   स्केविज़र    इल्लियुस्त्रेती ने  भी की थी.. मैगज़ीन  ने रहस्योद्घाटन किया था कि राहुल गाँधी स्विस बैंकों से लाभार्थी हैं और उनके खाते में उनकी  माँ के अधिकृत २ बिलियन डालर हैं.  इन खातों के खाता नंबर एक 'घडी' में छिपे हैं. 'लगता है समय  के काल चक्कर ने अपना भ्रष्ट चक्र पूरा कर लिया है. ' देश को दोनों हाथों से लूटने वाले अब लूट के धन को छुपाते फिर रहे हैं.    
एक ओर चीन और रूस ने अपनी जनता से वायदा किया है कि देश के धन को हर हाल में वापिस लाया जायेगा और चीन ने तो इन लुटेरो को फंसी का कानून भी पास कर दिया .... मगर हमारे चोरों के सरदार और फिर भी ईमानदार शायद सोच रहे हैं कि देश की सी .बी.आई क्वात्रोची चाचा कि भांति इन स्विस चोरों को भी बचा लेगी. क्वात्रोची तो विदेशी था -भगा दिया ... मगर  अपने ये देशी-विदेशी राज पाठ छोड़ कर कहाँ भागेंगे ...बाबा राम देव को तो सरकारी दमन चक्र में फंसा लिया. मगर सर्वोच्च न्यायलय का क्या जिसने इन शाही चोरों को सलाखों के पीछे पहुँचाने की ठान रक्खी है. और देश के गरीब  और भूखे जब इन शाही चोरों को पहचान कर सजा देंगे और वोट की चोट से गुमनामी के गट्टर में फेंक देंगे तब 'सरदार और सी.बी.आई. भी कुछ नहीं कर पायेंगे 

बुधवार, 27 जुलाई 2011

सोमालिया का समोसा - नार्वे का आंद्रेस - भारत का दिग्गी !!!!

सोमालिया का समोसा - नार्वे का आंद्रेस - भारत का दिग्गी !!!!

                                    एल.आर.गाँधी. 


विश्व    का   सभ्य   समाज एक ओर सोमालिया की भूख और बिमारियों से त्रस्त जनता की सहायता कर रहा है वहीँ दूसरी ओर सोमालिया के इस्लामिक आतंकी संगठन 'अल शबाब ' ने 'समोसे' पर प्रतिबन्ध लगा दिया है. 
इन इस्लाम के पैरोकार आतंकियों का मानना है की समोसे का तिकोना आकार ईसाई धरम के प्रतीक  से मिलता जुलता है - इस्लाम में किसी दुसरे मज़हब को सहन  करना 'हराम' जो ठहरा ! 
शायद इस्लामिक अतिवादियों की फैलाई मज़हबी कटुता का ही परिणाम हमें ईसाई बहुल नार्वे में दिखाई दिया जब एक धुर दक्षिण पंथी ईसाई युवक ने सत्तारूढ़ दल के ९३ निर्दोष लोगों को मौत के घाट उतार दिया.सत्ताधारी लेबर पार्टी साम्यवादियों ओर मुस्लिम अल्पसंख्यकों  के पुनर्वास की हिमायती है. दक्षिण  पंथी ईसाई इन मुसलमानों को यूरोप  के लिए बहुत बड़ा खतरा मानते हैं .नार्वे के ओटोयो द्वीप में जब यह हादसा हुआ तो मौके पर उपस्थित पुलिस अधिकारी सबसे पहला शिकार हुआ. नार्वे में दूसरे विश्व युद्ध के बाद यह पहला हादसा था जिसमें इतनी संख्या में लोग हताहत हुए. शांतिप्रिय इस द्वीप में  पुलिस वालों को हथियार नहीं दिए जाते ओर न ही कभी इसकी ज़रूरत महसूस की गई. .स्थानीय पुलिस कर्मी महज़   मूक दर्शक  बने  रहने  को मजबूर थे ! 
९/११ के आतंकी हमले के बाद यूरोप व् विश्व के ईसाई समुदाय में इस्लाम के प्रति विचार ओर व्यवहार में भारी अंतर आया है. अधिकाश युर्पीय देशों में इस्लाम की कट्टरवादी मान्यताओं को हेय दृष्टि से देखा जाने लगा है. बहुत से देशों में इस्लामिक प्रतीक नकाब , मीनारों ओर मदरसों पर प्रतिबन्ध लगने लगे हैं. इस्लाम को आतंक का पर्याय माना जाने लगा है. दूसरी और इस्लाम के प्रचारक मौलवी इसे अपने मज़हब की तौहीन के रूप में लेते हुए मुस्लिम समाज में ओर मज़हबी कटुता फैला रहे हैं. यहाँ तक की ९/११ के ग्राउंड जीरो पर मस्जिद उसारने पर अड़े हैं. यूरोपीय समाज इसे इस्लामिक आतंक के विजय चिन्ह के रूप में देखने लगे हैं , जिससे मुसलमान अमेरिका पर हुए आतंकी हमले को अपनी जीत के रूप में दर्ज करने पर उतारू हैं. 
बौध धर्म में दीक्षा लेने के उपरान्त सम्राट अशोक ने भी सत्य अहिंसा को अपना कर अपने राज्य को सुरक्षा विहीन कर दिया था. चारों और सुख शान्ति का साम्राज्य था .. किसी ने सपने में भी नहीं सोचा था की सीमा पार से तलवार के जोर पर मज़हब फ़ैलाने मुहम्मद के सिपाही भारत को लहू लुहान कर देंगे. लाखों निहत्थे भारतीय यहाँ तक की बूढ़े, बच्चे ओर औरतें  तलवार के घाट उतार देये गए ओर जिन्हों ने इस्लाम कबूल लिया उन्हें बख्श दिया गया - 'क्योंकि अल्लाह बहुत मेहरबान है' . हजरों विशाल देवालयों को तोड़ कर मस्जिदें खड़ी की गईं- जाजिया की मार न सह पाने वाले मजलूम हिन्दू मुसलमान हो गए.  यह सिलसिला सदियों से निरंतर जारी है .... १०० मिलियन हिन्दू इस्लाम की भेंट चढ़ गए ... भारत से अलग होने के बाद पाक में हिन्दू 24%  से घटते घटते महज़ डेढ़ प्रतिशत रह गए- अर्थात पाक में ही पिछले 64 साल में 35 मिलियन हिन्दुओं को मिटा दिया या ज़बरन मुस्लमान बना दिया गया .  
अब इस्लामिक आतंक से त्रस्त यदि कोई  भारतीय राष्ट्र भक्त इन सत्य अंहिंसा के मज़हबी पोषक सेकुलर शैतानो के खिलाफ आवाज़ उठाता है तो उसे भगवा आतंक जैसे नामों से अलंकृत किया जाता है. हमारे हुक्मरानों की इस्लामिक आतंक के खिलाफ लड़ाई का भी क्या खूब मंज़र है .... पाक आतंकी कसाब अपने ९ जेहादी हमलावरों के साथ जब देश की व्यवसायिक  राजधानी मुंबई में खून  की होली खेल रहा था तो हमारे पुलिस के आला अफसर ' दिग्गी' मियां से भगवा आतंक से उनकी जान को खतरे पर बतिया रहे थे.      
पृथ्वी राज चौहान ने गौरी को १७ बार छोड़ा ..ओर उसने पहले अवसर में ही.. नहीं बक्शा .. जो कौमें अपनी ऐतिहासिक गलतियों से नहीं सीखती ... इतिहास के गर्त में ..........???????त

गुरुवार, 21 जुलाई 2011

भ्रष्टाचार ...चीन में सजा... भारत में मज़ा

 भ्रष्टाचार ...चीन में सजा... भारत में मज़ा  

               एल. आर गाँधी 

चीन  में  गत   मंगलवार को दो भ्रष्ट राजनेताओं को फाँसी  पर चढ़ा दिया गया - ये थे पूर्व मेयर जो रिश्वत लेने, हेराफेरी और पद के दुर्रपयोग के दोषी पाए गए. १२ मई को मृत्यु दंड की सजा सुनाई गई और महज़ २ महीने नौं दिन के बाद लटका दिया गया.  भ्रष्टाचार के प्रति अपनी ' जीरो   टालरेंस ' निति की बदौलत आज चीन विकास स्तर में भारत से मीलों आगे निकल गया है. ऐसी अनेकों उदाहरण चीन में देखने को मिलती हैं जब भ्रष्टाचार में लिप्त राजनेताओं, कर्मचारियों व् अन्य नागरिकों को सूली पर लटका दिया गया. 
हमारे यहाँ   ऐसी एक भी उदहारण ' ढूँढते रह जाओगे ' सूली तो क्या किसी को मामूली सजा भी हुई हो. आज हम  विश्व   के भ्रष्ट देशों के सिरमौर बन कर उभरे हैं और शीर्ष स्थान तक पहुँचाने  के लिए   चंद  पायदान  की दरकार   है. भ्रष्टाचार के कीर्तिमान   बनाने  में हमारे देश के प्रथम प्रधानमंत्री महा पंडित  श्री श्री जवाहर लाल जी नेहरु का महत्वपूर्ण योगदान रहा है. पंडित जी द्वारा रोपे और सिंचित  किये गए भ्रष्टाचार के  बूटे  आज वट वृक्ष बन उभरे  हैं .पंडित जी के कार्यकाल में पहला घोटाला जीप     घोटाला था जिसे    उनके चहेते कृष्णा मेनन ने सरअंजाम   दिया था.  
आजाद भारत का यह पहला घोटाला था और वह  भी देश की सुरक्षा  से सम्बंधित !   नाम - मात्र के विरोधी  सांसदों   ने यह मामला  जोर शोर से संसद में उठाया... नेहरु जी  बुरा    मान     गए - कृष्णा   मेनन नेहरु जी  के ख़ास राजदार जो ठहरे  ? मेनन को सजा तो क्या ! इनाम सवरूप रक्षा मंत्री बना दिया ! नतीजा  ६२ के युद्ध  में हम चीन के हाथों  पराजित  हुए और हजारों मील अपनी  भूमि से हाथ धो बैठे. नेहरु जी सदमे से उबर न सके और अकाल मृत्यु को प्राप्त हुए. 
दूसरा भ्रष्टाचार भी  नेहरु जी की ही  देन  था जब पंजाब  के वृष्ट  नागरिक  व् राजनेता  नेहरु जी   से मिले   और ततकालीन    मुख्यमंत्री  परताप सिंह कैरो की लूट  खसूट  की  शिकायत की. नेहरु जी ने कैरो के खिलाफ कार्रवाही तो क्या करनी थी उल्टा 'जुमला' दे  मारा   ' अरे  भई   कैरो यह लूट  का पैसा कोई बाहर तो नहीं  ले गया - देश में ही लगा रहा है. भ्रष्टाचार के प्रति 'सब चलता है' की इस  नीति के चलते और नेहरु जी की नादानी के परिणाम स्वरुप   आज , स्विस  बैंकों  में भ्रष्टाचार से लूटा गया - भारत का   काला धन १५०० बिलियन  डालर को पार कर गया है. 
बाबा राम देव जी ने जब भारत के विदेशी बैंकों में पड़े पैसे को राष्ट्रिय  सम्पति घोषित करने और काला धन विदेशी बैंको में जमा करवाने वालों के खिलाफ मृत्यु दंड की मांग में राम लीला मैदान में लाखों समर्थकों के साथ अहिंसक व् शांतमयी     धरना   दिया तो हमारी सेकुलर शैतानों की सर्कार ने आन्दोलनकारियों    को पीट   पीट कर भगाया और भगा भगा कर पीटा. जाहिर है सरकार में बैठे राजनेता नहीं चाहते  कि लोग स्विस बैंको में पड़े पैसे पर हो हल्ला करे क्योंकि अधिकाँश पैसा पिछले ६४ साल से सत्ता सुख भोग रहे राजनेताओं और उनके कुनबे का है. उल्टा आन्दोलनकारी समाजसेवकों को झूठे मामलों में प्रताड़ित करने का खेल खेला जा रहा है. मिडिया को इन समाजसेवकों के खिलाफ प्रचार के लिए करोड़ों रूपए की 'विज्ञापन  सुपारी' दी जा रही है. ताकि आम लोगो में भ्रम फैलाया जाए. एक सर्वे के अनुसार देश की ५४ % जनता भ्रष्टाचार के प्रति संवेदनहीन है. एक ही परिवार और पार्टी की सरकार की पिछले ६४ साल में देश 
को भ्रष्टाचार के गर्त में धकेलने कि यह सबसे बड़ी साजिश है. 
तोहमतें आयेंगी नादिरशाह पर - आप दिल्ली रोज़ ही लूटा करो .
नेहरु का बोया भ्रष्ट बीज  आज मनमोहन के सर पर वट वृक्ष बना इतरा रहा है - महज़ ६८ करोड़ के बोफोर्स घोटाले पर केंद्र की सरकार औंधे मूंह गिरी थी .. आज १.७६ लाख करोड़ के २जी घोटाले पर देश में शमशान सी ख़ामोशी है. क्योंकि ऐसे महां घोटाले तो  अब  रोज़ रोज़ उजागर हो रहे हैं.  चोरों का सरदार सिंह फिर भी ईमानदार है ? न्यायालयों की सक्रियता के चलते अनेक मंत्री और संत्री तिहार जेल में बंद हैं. सिलसिला अगर यूँ ही जारी रहा तो एक दिन मंत्री मंडल की बैठक भी तिहार जेल में होगी और हमारे चोरों के सरदार और फिर भी ईमानदार प्रधानमंत्री को भी     ' ति...    हा ...   र ...  '       तो जाना ही पड़े.... गा ..........??????????