मंगलवार, 19 जून 2012

जनसैलाब का सत्य मेव जयते


जनसैलाब    का  सत्य  मेव   जयते 
   एल.आर.गाँधी   


चीन में दूसरा बच्चा होने के दंड में जुर्माना न भरने के कारन फ़ेन्ग्जियामेइ महिला के गर्भपात का विरोध करने वाले कार्यकर्त्ता चेन गुआन्ग्चेंग को अमेरिका भागना पड़ा ..पहले वह घर में नज़रबंद थे. चीन में १९७९ से एक बच्चा राष्ट्रिय नीति पर सख्ती से अमल किया जा रहा है. जनसँख्या नियंत्रण की इस चीनी नीति के परिणाम अब साफ़ दिखाई देने लगे हैं. चीन एक विश्व शक्ति के रूप में उभर कर विश्व पटल पर अपनी उपस्थिति दर्ज करवा रहा है. 
चीन की इस सफलता से प्रेरित हो भारत के सबसे साक्षर प्रदेश केरल ने भी अपने यहाँ जनसँख्या के सैलाब पर अंकुश लगाने का एक असफल प्रयास किया. सर्वोच्च  न्यायालय के न्यायाधीश की अध्यक्षता में बच्चो और महिलाओं के कल्याण आयोग के अंतर्गत एक समिति बनाई गई. समिति की सिफारिश पर २ बच्चो से अधिक पैदा करने वाले दंपत्ति को सरकारी सुविधाओं से वंचित करने के साथ साथ १०००० रूपए जुर्माना या तीन माह की कैद का प्रावधान सुझाया गया.       
भनक  लगते  ही देश को जन सैलाब की दलदल में धकेलने में संलग्न राष्ट्र विरोधी तकते लामबंद होने लगी . केरल के  विदेशी मिशनरी विरोध में उठ खड़े हुए और इस क़ानून को ईश्वर के काम में दखल कह कर खारिज कर दिया. करें भी क्यों न ...भारत में गरीबों की बढती फौज ही उनके उदेश्य की पूरक है जितनी अधिक गरीब जनता होगी उतनी ही विदेशी सहायता इन मिशनरियों को अधिक से अधिक इसाई धर्मांतरण के लिए मिलेगी .चर्च के दलाल , इसाई मिशनरी लोगों को शादी के बाद अधिक से अधिक बच्चे पैदा करने की शिक्षा और दीक्षा प्राथमिकता से देते हैं. फिर प्रलोभन दे कर इन्हें धर्मांतरण के लिए तैयार करते हैं. भारत को दारुल उलूम से दारुल इस्लाम बनाने के जेहाद में सक्रीय मौलवी कब पीछे रहने वाले हैं....एक मियांजी ने तो ऐलान कर दिया की छटा बच्चा पैदा करने वाले मुस्लिम मियां बीवी को १०००० रूपए इनाम दिया जाएगा . मौलवियों की शह पर मुस्लिम कट्टरपंथी लामबंद होने लगे... तो देश के  जन्म-मृत्यु मंत्री मियां गुलाम नबी आज़ाद को सेकुलर सिंहासन डोलता दिखाई देने लगा. केरल के ४३% अल्पसंख्यकों को कैसे नराज़ किया जा सकता है. फ़ौरन पहली उड़ान से केरल पहुंचे और उमान  चाँदी को झाड पिलाई और हुकम दिया की  परिवार नियोजन के नए कानून को पैदा होने से पहले ही मौत की नींद सुला दिया जाए. देश जनसँख्या के सैलाब में डूबता है तो डूबे....हमारे बाप का क्या जाता है. 
तुष्टिकरण और सत्तालोलुप इन राजनेताओं की कृपा से शीघ्र ही हम जनसँख्या में चीन को पीछे छोड़ जाएंगे . २०२५ आते आते सर्वाधिक जनसँख्या में हम नंबर एक होंगे....वैसे अब भी हम सघन जन-संख्या के हिसाब से चीन से कही आगे हैं. चीन के पास विश्व की ६.४ % भूमि के पीछे १९.५२ % आबादी है, जबकि हमारी पास १७.२६% आबादी के पीछे मात्र २.१ % भूमि है . इस परकार हमारी मातृभूमि  पर चीन से २.५ गुना अधिक लोगों  को अनाज मुहैया करवाने  का बोझ है.
हमारे यहाँ १५ पल में एक बच्चा जलजनित रोग से मर जाता है., आधी से अधिक जनता को शौच सुविधा प्राप्त नहीं , आधी से अधिक आबादी भूखे पेट सोती है. ६३.८० करोड़ जनता के पास पानी-शौच की सुविधा नहीं....फिर भी हमारा लोकतंत्र भ्रूण हत्या रोकने के अभियान  में खुद को गौरान्वित  महसूस करता है ,जबकि चीन दूसरा  बच्चा पैदा करने वाले नागरिकों को कठोर दंड देने से नहीं हिचकता. प्रति वर्ष हमारे यहाँ ३५ मिलियन बच्चे अपना पांचवा जन्म दिन नहीं देख पाते...क्या यह भ्रूण हत्या से बड़ा पाप नहीं ? अंतर यह है की भ्रूण हत्या के लिए  हम अपने नागरिकों को दोषी मानते है और प्रति वर्ष ३५ मिलियन  बच्चों की मौत की जिमेवारी लेने को कोई तैयार नहीं ! ज़ाहिर है इन बच्चों की 'हत्या' के ज़िम्मेदार इस देश के सत्तालोलुप राजनेता हैं और कोई नहीं.!      
यह पाखंडियों का देश है. इलाज़ के लिए २५० रूपए  न होने से एक बच्चा मर जाता है.....यह बताने के लिए आमिर खान ५ लाख रूपए हर मिनट की फीस लेता है. .. सत्य  मेव जयते ....                                  

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