शुक्रवार, 1 जुलाई 2016

पर कटे परिंदे -पंजाब विजीलैंस

पर कटे परिंदे -पंजाब विजीलैंस 


    एल आर गांधी 

पर कटे परिंदे - कुछ ऐसा ही हाल है  ....... पंजाब के विजीलैंस विभाग का !
अरसा पहले जब कांग्रेस की सरकार थी और कैप्टन साहेब मुख्य मंत्री के सिंहासन पर आरूढ़ थे , तब यका -यक बाबूओं पर मेहरबान हो  गए  .... अफसरों की भांति बाबूओं पर कार्यवाही से पूर्व विजीलैंस के लिए सम्बंधित विभाग की  सहमति अनिवार्य कर दी  .... चोर -चोर चचेरे भाई ! अकालियों ने भी यह बंदिश जारी रखी। 
एक ओर मोदी जी ने ' न खाऊंगा , न खाने दूंगा ' का नारा दिया , मगर अकालियों ने कांग्रेसिओं के ' खूब खाओ और खाने दो ' की निति को अपनाया। 
हमारा वास्ता बदकिस्मती से करप्ट कार्पोरेशन आफ पटियाला शाही से पड़ गया  .... एक बाबू से काम पड़ा तो जनाब ने ' न्यौछावर ' मांग ली  . हमने  समझाया भई हमने तो ३५ साल की सेवा में इस मुई न्यौछावर का नाम भी नहीं लिया ! बाबू बोले - यहाँ का तो यही चलन है  और वह भी नीचे से ऊपर तक  ..... हमारे भीतर का वाच -डॉग मचल गया  ..... बाबू को विजीलैंस को पकड़वा दिया और वह भी रंगे हाथों ! हैरानगी तो तब हुई जब कार्पोरेशन  के सारे कर्मचारी अपने भ्रष्ट भाई को पुलिस से छुड़ाने बाहर आ गए और विजीलैंस की जीप को घेर लिया   ... हम तो किसी भांति दुम दबा कर भागे। 
भ्रष्ट बाबू का  चालान कोर्ट में पेश करने से पहले विजीलैंस ने कमिश्नर कार्पोरेशन से सहमति मांगी तो 'यूनियन 'के दबाव में कोर्ट की बजाये कार्पोरेशन की 'कमेटी ' से न्याय करवाने  फैसला किया गया। बेचारे पर -कटे विजीलैंस वाले ताकते रह गए !
सोचने की बात तो यह है  ...... क्या करप्ट कार्पोरेशन के पास कमेटी गठित करने के लिए महज़ चार 'बेदाग़ ' अफसर हैं ?