गुरुवार, 3 मार्च 2011

गांधीजी के आदर्श........चांटे...

गांधीजी के आदर्श........चांटे... 
          
        एल. आर. गाँधी.


थप्पड़  -चांटा- झापड़ या फिर मलेच्छ भाषा में बोले तो slap ! हमारे सफेदपोश गाँधीवादी रहनुमाओं ने यूँ तो गांधीजी के सभी आदर्शों को ताक़ पर रख छोड़ा है ,मगर एक आदर्श इन्हें खूब याद है - वह है 'यदि कोई आपके गाल पर एक थप्पड़ मारे तो दूसरा  गाल आगे  कर  दो' ताकि मारने वाले के दिल में कोई हसरत न रह जाए ! मगर गांधीजी ने 'तीसरे' थप्पड़ पर मौनव्रत धार लिया और हमारे सेकुलर हुक्मरान इन दिनों 'भारी दुविधा' में हैं .यह दुविधा न तो तीसरे थप्पड़ की है और न ही उस थप्पड़' की जिस के बारे में गांधीजी ने 'आदर्श' स्थापित किया था.
यह तो बहुत ही विचित्र 'चांटा' है ,जिसे हमारे सर्वोच्च न्यायालय ने 'केंद्र सरकार' के बेशरम गालों पर बड़े आक्रोश से जड़ दिया है . आज तो हद ही हो गई एक ही दिन में दो चांटे और वह भी बड़ी शिद्दत से !
पहला चांटा था सर्वोच्च न्यायालय द्वारा  C.V.C. P.J.Thomas की  नियुक्ति  को  निरस्त करना. मनमोहन सरकार अभी तक थोमस की नियुक्ति को जायज़ सिद्ध करने के जुगाड़ में थी. मगर थोमस द्वारा यह कहना की जब लोक सभा दागी  सांसदों से भरी पड़ी है तो  वे इस्तीफा क्यों दे - एक अधिकारी जिस पर देश में हो रहे घोटालों की जांच पड़ताल का दायित्व हो वही ऐसा  'बेहया' तर्क दे- न्यायालय को नागवार गुज़रा !
अभी हमारे 'चोरों के सरदार- मगर फिर भी इमानदार !' पहले चांटे को सहला ही रहे थे की सर्वोच्च न्यायालय ने दूसरा झापड़ रसीद कर दिया ! यह था तीन एन्फोर्समेंट डरेक्टोरेट अधिकारिओं का स्थानान्तरण रद्द करना . इन्हें हसन अली के स्विस बैंकों में जमां काले धन की जांच पर लगाया गया था , मगर बीच में ही हटा दिया गया. न्यायपालिका ने  केंद्र सरकार के इस कदम का सख्त नोटिस लिया और केंद्र से पूछा की 'कौन है यह हसन अली' जिसने देश के अरबों रूपए स्विस बैंकों में छुपा रखे हैं और जिस पर ५०,००० करोड़ का आय कर बकाया है ? फिर भी केंद्र सरकार कोई कार्यवाही  नहीं कर रही ?
वैसे तो आज कल सेकुलर गालों पर निरंतर चांटों की बरसात  हो ही  रही है . अब गिनती कौन करे ! हमारे गाँधी वादी -हिन्दू विरोधी- अल्पसंख्यक - सखा सेकुलर शैतान पिछले ९ साल से देश वासियों को समझाते आ रहे हैं की गोधरा काण्ड ' हिंदूवादी' संगठनों का किया धरा था - बेचारे मुसलमान तो यूँ ही मारे गए- ट्रेन में आग अपने आप लगी और बेचारे  मुसलमानों को यूँ ही बदनाम किया जा रहा है. लालू जी ने कमीशन बिठा कर भी 'सिद्ध' कर दिया की कार सेवक अपनी आग में ही जल मरे ! अब नयायालय ने अपने ही  ३१ मुस्लिम आतंकियों को बोगी में आग लगाने और ५६  कार सेवकों को  जिन्दा जलाने के जुर्म में सजा सुनाई तो हमारे 'भगवा आतंक' के भोंपू पल्निअप्प्म चिदम्बरम जी की धोती ढीली हुई जा रहे है. गोधरा फैसले पर कोई प्रतिक्रिया भी देते नहीं बन रही. 
२ जी स्पेक्ट्रम में भी जब कोर्ट का slap आया तो राजा को गद्दी से रुखसत किया हमारे सिंह साहेब ने . अब S - Band घोटाले में शायद  सर्वोच्च न्यायालय के झापड़ का इंतज़ार है. 
पंजाबी की एक कहावत है ' दो पईयाँ बिस्सर गईयाँ - सदके मेरी गल्लां दे !!!!!!