रविवार, 7 अगस्त 2016

कुत्ते ..... तेरा खून ....... !

कुत्ते  ..... तेरा खून  ....... !

    एल आर गाँधी

कुक्कुर को 'इंसान ' का सबसे विश्वसनीय और बफादार मित्र जानवर के रूप में जाना जाता है। युधिष्टर जब अपने श्वान के साथ सदेह वैकुण्ठ के द्वार पर पहुंचे , तो धर्मराज स्वयं उनके स्वागत के लिए स्वर्गद्वार पर उपस्थित थे  ..... युधिष्टर का भव्य स्वागत किया गया ,किन्तु जब श्वान के प्रवेश की बात आयी तो धर्मराज ने उसके प्रवेश पर ऐतराज़ ज़ाहिर करते हुए कहा कि एक पशु को वैकुण्ठ धाम में प्रवेश की आज्ञा कदापि नहीं दी  जा सकती !  ..... युधिष्टर ने धर्मराज की इस सोच का घोर प्रतिकार करते हुए स्वयं भी वैकुण्ठ धाम में न जाने का निर्णय लिया ! धर्मराज को युधिष्टर के 'श्वान ' को प्रवेश की अनुमति देनी पड़ी !
ऐसे ही जब अमेरिका  के राष्ट्रपति बुश भारत आये तो उनके साथ उनके अंगरक्षक 'डॉग सक़्वेड ' भी थे  .... पांच सितारा होटलज़ में कुत्तों के प्रवेश पर रोक है। ...   तब अमेरिकन सुरक्षा अधिकारियों ने इन्हें 'कुत्ता ' कहने पर भी ऐतराज़ किया  और कहा कि इनका रैंक सुरक्षा अधिकारियों के बराबर है !  उन्हें बाकायदा  होटल के विशेष कमरों में ठहराया गया।
विश्व के अधिकाँश देशों में श्वान को कानूनन संरक्षण प्राप्त है  ..... मगर हमारे पडोसी देश 'पाकिस्तान 'में कुते तो क्या इंसानों को भी यह नहीं प्राप्त ! पाक में गत दिनों ७०० कुत्ते ज़हर की गोलियां खिला कर बेमौत मार दिए गए ! चंद पशु प्रेमी संस्थाओं ने इस 'क्रूरता ' के विरुद्ध रोष जताया  ....... ये पशु प्रेमी न जाने उस वक्त कहाँ दुम दबा कर छुप जाते हैं   , जब बकर ईद को सारे देश में 'घर -घर ' बकरों और अनगिनत अन्य जानवरों को मज़हबी 'हलाल ' के नाम पर तड़पा -तड़पा कर मारा जाता है   ..... शैतानों को भला 'इंसानियत ' से क्या मतलब ?