बुधवार, 18 मई 2016

जो है सो है

जो है सो है

एल आर गांधी

सुबह की सैर को तैयार हुए थे  !  ... यका यक जिंदगी की शाम ने दस्तक दे दी ! ज़ुबान ने दिमाग़ का साथ छोड़ दिया  ..... दिमाग ने दूध बोलने को कहा  .... मगर जुबां ने बगावत कर दी  ..... मस्ता सी गयी और 'ढूढ ' बोलने लगी दूध को ! जब से जिंदगी को जीने का सलीका आया है  .... तभी से मौत की उंगली पकड़ कर चलने की ज़िद दिलो -दिमाग़ पर तारी है  .... जो है सो है में जीवन के  परमानन्द की अनुभूति होने लगी है।  कबीर जी ने ठीक ही तो कहा था  ...जिस मरने से जग डरे , मेरे चित्त आनंद ! मरने से ही पाइए , पूर्ण परमानन्द !
फ़ौरन टैक्सी की और पी जी आई के ट्रामा सेंटर पहुँच गए , अपनों के यत्नो के आगे मौत को अपनी  ऊँगली छुड़ा कर मेरी ऊँगली पकड़ने का विचार छोड़ना पड़ा  .... ट्रामा सेंटर में सभी लोग शायद मौत जैसी सच्चाई के इतने निकट नहीं थे  .... अधिकाँश मरीज़ मौत से भी बदतर जीने को जीवन मान बैठे थे  ... जमीन पर लेटे  स्ट्रेचर की जदोजहद में थे  .... स्ट्रेचर वाले पूरे जतन से उसे वार्ड तक कब्जाए रखने में मशगूल थे  ... सबसे दयनीय स्थिति ईश्वर तुल्य जूनियर डाकटरों की थी  .... सभी उन्हें अपने और अंतिम क्षण के बीच का फरिश्ता मान बैठे थे।
टेस्टों से एक सच्चाई खुल कर सामने आ खड़ी हुई।  सभी के दिमाग में घमंड की माफिक रक्त प्रवाहित हो रहा है  .... सभी की नसों में खून के थक्के जमते हैं और पिंघल जाते हैं  .... कभी कभी यह थक्का बस पिंघलता नहीं   ... घम्मंडी हो जाता है  .... जब फूटता है तो 'स्ट्रोक ' बन कर सुबह की सैर को  शाम का स्ट्रेचर बना डालता है।
मौत की उंगली पकड़ कर चलने वाले, ' जो है सो है ' के शाश्वत सत्य के साथ मर कर भी  जीते हैं !

गुरुवार, 5 मई 2016

बाबा की ललाट कान्ति क्रीम

बाबा की ललाट कान्ति क्रीम 

एल आर गांधी 


दन्त कान्ति दन्त मंजन पर शोध के बाद ,बाबा अब ललाट कांति की शोध की ओर अग्रसर हैं  ... इस शोध के लिए उन्हें एक ऐसे ललाट की दरकार थी जिसे 'देश' का सबसे काला मुखारविंद होने का सौभाग्य प्राप्त हो  ... ऐसा मुख् जो अपने कुकर्मों से भी अंदर तक कलुषित हो  .....
पुराने मित्र का उद्द्घोष पढ़ा  .... यदि सोनिया बेईमान है तो देश में कोई ईमानदार नहीं ! बाबा शीघ्र से पेशतर दिल्ली  पहुँच गए  .... पुराने मित्र लालू जी की शान में खूब कसीदे पढ़े  और पोटली में से अपना नया प्रॉडक्ट पतंजलि ललाट निखार क्रीम अपने कर कमलों से मर्दन की  .... और साथ ही उद्द्घोष किया कि मुख कितना ही काला हो कर्मों से या दुष्कर्मों से !   एक दम पाक -साफ़ हो जाएगा  ... मोदी जी के 'शरीफ ' की माफिक !
बाबा जी पक्के इवेंट मैनेजर बन गए हैं  .... बहुत देख लिया  !  काला - धन , काला -धन का प्रलाप करके  .... चारों ओर काले चेहरे बढ़ते ही जा रहे हैं  ... काली -केतली की माफिक  .... और सभी काले चेहरे उजले होने की फिराक में हैं  ... बाबा भी निकल पड़े काले -धन से कलियाए  काले चेहरों को चमकाने  .... काली भैंसों के चारे से अपना मुंह काला किये घूम रहे लालू से बेहतर 'रोल- मॉडल ' और  कहाँ  मिलेगा !
बाबा की क्रीम से ताजा ताजा मुंह चमकाए  ...लालू जी ने भी मोदी जी को सलाह दे डाली  ..... करनी है तो बाबाओं के काले धन की जांच करो  .... बेकार में सोनिया जी की सफ़ेद साड़ी दाग-दार करने पर तुले हैं।  

मंगलवार, 3 मई 2016

चारा -बेचारा

चारा -बेचारा

एल आर गांधी

स्व : खुशवंत सिंह जी ने भी क्या खूब कहा था  ..... यह सफेद  राबड़ी भी उन्हीं काली भैंसों के दूध से बनी है ,जिनका चारा लालू जी खा गए ! ९०० करोड़ का चारा गटक गए  ..... अंदर गए ! मगर क़ानून के लम्बे हाथ बौने पड़ गए।  आज बिहार के सिकुलर समाज की खूब हजामत बना रहे हैं।
बिहार की न्याय व्यवस्था के भविष्य  .... ला कालेज के दीक्षांत समारोह के में जनाब 'मुख्यातिथि ' थे। लगे हाथों सिंगोरा गांधी को ईमानदारी का 'भारत रत्न ' भी दे डाला ! बोले ! सोनिया बेईमान तो देश में नहीं कोई ईमानदार ! सिंगोरा जी की चका -चक सफेद साडी और लालू जी की ' राबड़ी ' में दाग़ ?  .... नो वे ! केजरी की खांसी और कन्हैया की आज़ादी : गवाह हैं।
ईमानदारी -आज़ादी -देश द्रोह - राष्ट्र ध्वज  पर एक नई इबारत लिखी जा रही है  ..... ईमानदार वह जो भिखारी वोटरों के वोट बटोर ले  ....   बैगरज हैज़ नो चॉइस ! देश की बर्बादी का नारा बुद्धि जीवियों की आज़ादी हो गया। सुरक्षा में सेंध मारी अब देश द्रोह नहीं ! देश द्रोही अगस्ता  चॉपर की ऊंचाइयां   माप रहे हैं।
भिखारियों को लुभाने के लिए एक्सपर्ट नीतिकारों की सेवाएं खरीदी जा रही हैं। ... लोक तंत्र बाज़ारू रंडी की माफिक सज -धज कर सत्ता के दलालों में घिरा है  .... सफेद साड़ी का ज़माना है  .... बापू की धोती से बू आती है  .... महात्मा गांधी   .... सँगोरा गांधी हो गया है  ..... ऊंची उड़ान को अगस्ता चॉपर खड़ा है !