बुधवार, 5 अक्तूबर 2016

कज़री का सर्जिकल अप्रेसन

कज़री का सर्जिकल अप्रेसन

    एल आर गाँधी

नीम की दातुन से कड़वी हुई जीभ को राहत पहुंचाने के चक्कर में ,दातुन  दो फाड़ कर जीभ खुरच रहा था ,कि चोखी लामा की जानी पहचानी आवाज में 'राम -राम ' बाबू सुनाई दिया।
बाबू जीभ ही खुरचते रहोगे कि कभी आज की सुर्खी भी देखोगे ? हमने दातुन फेंक कर प्रश्नचिन्ह   ? नज़रों से चोखी को निहारा ! चोखी ने भी टीवी चेनल पर बतियाते 'मीम अफ़ज़ल ' की माफिक फ़रमाया   .... बाबू ! मेरे यार ने भी मोदी से पूछ ही लिया 'सर्जिकल ऑपरेशन ' का सबूत दो ! ..... आज तक मनमोहन जी ने भी तो हज़ारों सबूत दिए हैं  ...एक आप भी दे दो  .... हो   जाओ पाक -साफ़ !
कजरी को ' बाबू' हम बचपन से जानते हैं  ...... एक बार तो अपने 'अब्बू' से पूछ बैठे : अब्बू हमारा सर्जिकल फादर कौन है ? अब्बू भी ठहरे एक नंबर के मसखरे ! बोले बेटा ! .... इसका जवाब तो सिर्फ तुम्हारी 'अम्मी ' के पास है  .... तुम ही पूछ लो  .....  मेरी तो हिम्मत नहीं ! मैं तो सुहाग रात को  भी बाहर ही खड़ा  रहा ! सुई बालान के सभी लौंडे अंदर जा और आ रहे थे।  चांदनी दिवाली को तुम आ गए  .... तब भी मैं तो बाहर ही खड़ा था ,जब नर्स ने सर्जरी रूम से निकलते ही ऊंची आवाज़ में कहा  'मियां जी ' बधाई हो ! लफंगा हुआ है ! हमने नादान शौहर की मानिंद नर्स से शर्माते हुए पुछा  .... सिस्टर ! यह 'लफंगा '? नर्स ने तपाक से जवाब दिया ! मियां छमाही बच्चे को यहाँ यही कहते हैं  ..... न मालूम किसका है ?
और हाँ ! मेरी अंगूठी निगल गया  ... मूयां ! मैंने तो शहद चटाया ! इतनी लंबी ज़ुबान ? ...शहद के साथ 'अंगूठी ' भी निगल गया !नार्मल बच्चे तो पैदा होते ही रोते हैं और यह लफंगा 'खांस ' रहा था  ...लगता है पैदायशी 'राज यक्ष्मा ' का रोगी है और हाँ जीभ भी कुछ ज़्यादां ही लंबी है !