गुरुवार, 27 मार्च 2014

वंशवाद के लिए 'अरिष्ट' लक्षण

वंशवाद के लिए 'अरिष्ट' लक्षण 

     एल आर गांधी


आखिर सर्वोच्च न्यायालय को कहना ही पड़ा कि पिछले ६५ वर्ष में विदेशी बैंकों में पड़ा देश  का काला धन वापिस लाने के लिए कुछ नहीं किया ,इसके साथ ही सरकार की विशेष जांच दल गठित करने की न्यायालय के २०११ का  आदेश निरस्त करने की अपील भी रद्द का दी।  कोर्ट ने सख्त टिप्प्णी में कहा कि विदेशी बैंको में पड़ा काला  धन यदि वापिस आता है तो इससे देश की अर्थ व्यवस्था में सुधार होगा  …
एक टी वी चेनल को इंटरविउ में वरिष्ट वकील जेठमलानी ने कहा था कि जिस दिन विदेशी बैंको में पड़े देश के शीर्ष नेताओं के धन का भांडा  फूटेगा उसी दिन राजमाता- युवराज परिवार सहित देश छोड़ कर भाग जाएंगे और कांग्रेस का भोग पड़  जाएगा।
अब राजमाता की देवरानी सावजनिक मंच से आरोप लगा रहीं हैं कि जेठ जी से शादी के वक्त 'वे' इटली से एक 'टका ' भी नहीं लाइ थी , अब भला विश्व की छठी सबसे  अमीर महिला कैसे बन गयी  … राजपरिवार की ढाल दिग्गी मियां भी चुप हैं।
स्विस बैंकों में पड़े राजपरिवार की काली कमाई को सुरक्षा कवच तो, चार वर्ष पहले बंगाली बाबू ही ओढाः गए थे , जब स्विस साकार से एक इकरार किया गया कि वहाँ के बैंकों में पड़े भारतियों के काले धन के पुराने खातो को छोड़ कर सिर्र्फ नए खातो बारे जानकारी दी जाए  … इस इकरार से कुछ दिन पूर्व 'राजपरिवार अपने प्यादों के साथ ' गुप्त विदेश यात्रा पर गया और सभी 'काले-खाते 'सुरक्षित स्थानांतरित कर दिए  … राजकुमार का जन्म दिन भी 'वहीँ' मनाया गया  .... बंगाली बाबू को बड़े पारितोषिक से 'सम्मानित' कर क़र्ज़ उतार दिया   गया  …
सर्वोच्च न्यायालय का यह आदेश चुनाव में 'रेंगती' वंशवादी पार्टी के लिए 'अरिष्ट ' लक्षण का  घोतक है