बुधवार, 27 जुलाई 2011

सोमालिया का समोसा - नार्वे का आंद्रेस - भारत का दिग्गी !!!!

सोमालिया का समोसा - नार्वे का आंद्रेस - भारत का दिग्गी !!!!

                                    एल.आर.गाँधी. 


विश्व    का   सभ्य   समाज एक ओर सोमालिया की भूख और बिमारियों से त्रस्त जनता की सहायता कर रहा है वहीँ दूसरी ओर सोमालिया के इस्लामिक आतंकी संगठन 'अल शबाब ' ने 'समोसे' पर प्रतिबन्ध लगा दिया है. 
इन इस्लाम के पैरोकार आतंकियों का मानना है की समोसे का तिकोना आकार ईसाई धरम के प्रतीक  से मिलता जुलता है - इस्लाम में किसी दुसरे मज़हब को सहन  करना 'हराम' जो ठहरा ! 
शायद इस्लामिक अतिवादियों की फैलाई मज़हबी कटुता का ही परिणाम हमें ईसाई बहुल नार्वे में दिखाई दिया जब एक धुर दक्षिण पंथी ईसाई युवक ने सत्तारूढ़ दल के ९३ निर्दोष लोगों को मौत के घाट उतार दिया.सत्ताधारी लेबर पार्टी साम्यवादियों ओर मुस्लिम अल्पसंख्यकों  के पुनर्वास की हिमायती है. दक्षिण  पंथी ईसाई इन मुसलमानों को यूरोप  के लिए बहुत बड़ा खतरा मानते हैं .नार्वे के ओटोयो द्वीप में जब यह हादसा हुआ तो मौके पर उपस्थित पुलिस अधिकारी सबसे पहला शिकार हुआ. नार्वे में दूसरे विश्व युद्ध के बाद यह पहला हादसा था जिसमें इतनी संख्या में लोग हताहत हुए. शांतिप्रिय इस द्वीप में  पुलिस वालों को हथियार नहीं दिए जाते ओर न ही कभी इसकी ज़रूरत महसूस की गई. .स्थानीय पुलिस कर्मी महज़   मूक दर्शक  बने  रहने  को मजबूर थे ! 
९/११ के आतंकी हमले के बाद यूरोप व् विश्व के ईसाई समुदाय में इस्लाम के प्रति विचार ओर व्यवहार में भारी अंतर आया है. अधिकाश युर्पीय देशों में इस्लाम की कट्टरवादी मान्यताओं को हेय दृष्टि से देखा जाने लगा है. बहुत से देशों में इस्लामिक प्रतीक नकाब , मीनारों ओर मदरसों पर प्रतिबन्ध लगने लगे हैं. इस्लाम को आतंक का पर्याय माना जाने लगा है. दूसरी और इस्लाम के प्रचारक मौलवी इसे अपने मज़हब की तौहीन के रूप में लेते हुए मुस्लिम समाज में ओर मज़हबी कटुता फैला रहे हैं. यहाँ तक की ९/११ के ग्राउंड जीरो पर मस्जिद उसारने पर अड़े हैं. यूरोपीय समाज इसे इस्लामिक आतंक के विजय चिन्ह के रूप में देखने लगे हैं , जिससे मुसलमान अमेरिका पर हुए आतंकी हमले को अपनी जीत के रूप में दर्ज करने पर उतारू हैं. 
बौध धर्म में दीक्षा लेने के उपरान्त सम्राट अशोक ने भी सत्य अहिंसा को अपना कर अपने राज्य को सुरक्षा विहीन कर दिया था. चारों और सुख शान्ति का साम्राज्य था .. किसी ने सपने में भी नहीं सोचा था की सीमा पार से तलवार के जोर पर मज़हब फ़ैलाने मुहम्मद के सिपाही भारत को लहू लुहान कर देंगे. लाखों निहत्थे भारतीय यहाँ तक की बूढ़े, बच्चे ओर औरतें  तलवार के घाट उतार देये गए ओर जिन्हों ने इस्लाम कबूल लिया उन्हें बख्श दिया गया - 'क्योंकि अल्लाह बहुत मेहरबान है' . हजरों विशाल देवालयों को तोड़ कर मस्जिदें खड़ी की गईं- जाजिया की मार न सह पाने वाले मजलूम हिन्दू मुसलमान हो गए.  यह सिलसिला सदियों से निरंतर जारी है .... १०० मिलियन हिन्दू इस्लाम की भेंट चढ़ गए ... भारत से अलग होने के बाद पाक में हिन्दू 24%  से घटते घटते महज़ डेढ़ प्रतिशत रह गए- अर्थात पाक में ही पिछले 64 साल में 35 मिलियन हिन्दुओं को मिटा दिया या ज़बरन मुस्लमान बना दिया गया .  
अब इस्लामिक आतंक से त्रस्त यदि कोई  भारतीय राष्ट्र भक्त इन सत्य अंहिंसा के मज़हबी पोषक सेकुलर शैतानो के खिलाफ आवाज़ उठाता है तो उसे भगवा आतंक जैसे नामों से अलंकृत किया जाता है. हमारे हुक्मरानों की इस्लामिक आतंक के खिलाफ लड़ाई का भी क्या खूब मंज़र है .... पाक आतंकी कसाब अपने ९ जेहादी हमलावरों के साथ जब देश की व्यवसायिक  राजधानी मुंबई में खून  की होली खेल रहा था तो हमारे पुलिस के आला अफसर ' दिग्गी' मियां से भगवा आतंक से उनकी जान को खतरे पर बतिया रहे थे.      
पृथ्वी राज चौहान ने गौरी को १७ बार छोड़ा ..ओर उसने पहले अवसर में ही.. नहीं बक्शा .. जो कौमें अपनी ऐतिहासिक गलतियों से नहीं सीखती ... इतिहास के गर्त में ..........???????त

गुरुवार, 21 जुलाई 2011

भ्रष्टाचार ...चीन में सजा... भारत में मज़ा

 भ्रष्टाचार ...चीन में सजा... भारत में मज़ा  

               एल. आर गाँधी 

चीन  में  गत   मंगलवार को दो भ्रष्ट राजनेताओं को फाँसी  पर चढ़ा दिया गया - ये थे पूर्व मेयर जो रिश्वत लेने, हेराफेरी और पद के दुर्रपयोग के दोषी पाए गए. १२ मई को मृत्यु दंड की सजा सुनाई गई और महज़ २ महीने नौं दिन के बाद लटका दिया गया.  भ्रष्टाचार के प्रति अपनी ' जीरो   टालरेंस ' निति की बदौलत आज चीन विकास स्तर में भारत से मीलों आगे निकल गया है. ऐसी अनेकों उदाहरण चीन में देखने को मिलती हैं जब भ्रष्टाचार में लिप्त राजनेताओं, कर्मचारियों व् अन्य नागरिकों को सूली पर लटका दिया गया. 
हमारे यहाँ   ऐसी एक भी उदहारण ' ढूँढते रह जाओगे ' सूली तो क्या किसी को मामूली सजा भी हुई हो. आज हम  विश्व   के भ्रष्ट देशों के सिरमौर बन कर उभरे हैं और शीर्ष स्थान तक पहुँचाने  के लिए   चंद  पायदान  की दरकार   है. भ्रष्टाचार के कीर्तिमान   बनाने  में हमारे देश के प्रथम प्रधानमंत्री महा पंडित  श्री श्री जवाहर लाल जी नेहरु का महत्वपूर्ण योगदान रहा है. पंडित जी द्वारा रोपे और सिंचित  किये गए भ्रष्टाचार के  बूटे  आज वट वृक्ष बन उभरे  हैं .पंडित जी के कार्यकाल में पहला घोटाला जीप     घोटाला था जिसे    उनके चहेते कृष्णा मेनन ने सरअंजाम   दिया था.  
आजाद भारत का यह पहला घोटाला था और वह  भी देश की सुरक्षा  से सम्बंधित !   नाम - मात्र के विरोधी  सांसदों   ने यह मामला  जोर शोर से संसद में उठाया... नेहरु जी  बुरा    मान     गए - कृष्णा   मेनन नेहरु जी  के ख़ास राजदार जो ठहरे  ? मेनन को सजा तो क्या ! इनाम सवरूप रक्षा मंत्री बना दिया ! नतीजा  ६२ के युद्ध  में हम चीन के हाथों  पराजित  हुए और हजारों मील अपनी  भूमि से हाथ धो बैठे. नेहरु जी सदमे से उबर न सके और अकाल मृत्यु को प्राप्त हुए. 
दूसरा भ्रष्टाचार भी  नेहरु जी की ही  देन  था जब पंजाब  के वृष्ट  नागरिक  व् राजनेता  नेहरु जी   से मिले   और ततकालीन    मुख्यमंत्री  परताप सिंह कैरो की लूट  खसूट  की  शिकायत की. नेहरु जी ने कैरो के खिलाफ कार्रवाही तो क्या करनी थी उल्टा 'जुमला' दे  मारा   ' अरे  भई   कैरो यह लूट  का पैसा कोई बाहर तो नहीं  ले गया - देश में ही लगा रहा है. भ्रष्टाचार के प्रति 'सब चलता है' की इस  नीति के चलते और नेहरु जी की नादानी के परिणाम स्वरुप   आज , स्विस  बैंकों  में भ्रष्टाचार से लूटा गया - भारत का   काला धन १५०० बिलियन  डालर को पार कर गया है. 
बाबा राम देव जी ने जब भारत के विदेशी बैंकों में पड़े पैसे को राष्ट्रिय  सम्पति घोषित करने और काला धन विदेशी बैंको में जमा करवाने वालों के खिलाफ मृत्यु दंड की मांग में राम लीला मैदान में लाखों समर्थकों के साथ अहिंसक व् शांतमयी     धरना   दिया तो हमारी सेकुलर शैतानों की सर्कार ने आन्दोलनकारियों    को पीट   पीट कर भगाया और भगा भगा कर पीटा. जाहिर है सरकार में बैठे राजनेता नहीं चाहते  कि लोग स्विस बैंको में पड़े पैसे पर हो हल्ला करे क्योंकि अधिकाँश पैसा पिछले ६४ साल से सत्ता सुख भोग रहे राजनेताओं और उनके कुनबे का है. उल्टा आन्दोलनकारी समाजसेवकों को झूठे मामलों में प्रताड़ित करने का खेल खेला जा रहा है. मिडिया को इन समाजसेवकों के खिलाफ प्रचार के लिए करोड़ों रूपए की 'विज्ञापन  सुपारी' दी जा रही है. ताकि आम लोगो में भ्रम फैलाया जाए. एक सर्वे के अनुसार देश की ५४ % जनता भ्रष्टाचार के प्रति संवेदनहीन है. एक ही परिवार और पार्टी की सरकार की पिछले ६४ साल में देश 
को भ्रष्टाचार के गर्त में धकेलने कि यह सबसे बड़ी साजिश है. 
तोहमतें आयेंगी नादिरशाह पर - आप दिल्ली रोज़ ही लूटा करो .
नेहरु का बोया भ्रष्ट बीज  आज मनमोहन के सर पर वट वृक्ष बना इतरा रहा है - महज़ ६८ करोड़ के बोफोर्स घोटाले पर केंद्र की सरकार औंधे मूंह गिरी थी .. आज १.७६ लाख करोड़ के २जी घोटाले पर देश में शमशान सी ख़ामोशी है. क्योंकि ऐसे महां घोटाले तो  अब  रोज़ रोज़ उजागर हो रहे हैं.  चोरों का सरदार सिंह फिर भी ईमानदार है ? न्यायालयों की सक्रियता के चलते अनेक मंत्री और संत्री तिहार जेल में बंद हैं. सिलसिला अगर यूँ ही जारी रहा तो एक दिन मंत्री मंडल की बैठक भी तिहार जेल में होगी और हमारे चोरों के सरदार और फिर भी ईमानदार प्रधानमंत्री को भी     ' ति...    हा ...   र ...  '       तो जाना ही पड़े.... गा ..........??????????

मंगलवार, 19 जुलाई 2011

बाबा का राम बाण

बाबा का राम बाण 

एल.आर. गाँधी  


दशकों  से राम लीला मैदान में - राम लीला का अंत दशहरे को, बुराई के प्रतीक रावण दहन से होता आया है..... मगर इस बार सत्ता के नशे में मदमस्त 'सेकुलर शैतानों ' ने राम लीला मैदान को 'रावण लीला' का अखाडा  बना डाला और सत्य- अहिंसा की रामसेना को रात के अँधेरे में खदेड़ कर दशानन विजय का बिगुल बजा दिया. बाबा राम देव के अभियान को पलीता लगाने के लिए सरकारी खजाने का मुंह खोल दिया और महज़ पांच दिन में मिडिया के वाच डाग्ज़ को १७०० करोड़ के विज्ञापन  टुकड़े डाल दिए- और हमारे मिडिया के दलालों ने भी खूब बाबा की खबर ली. 
मगर बाबा का राम बाण तो चल गया ..... राम लीला मैदान की सरकारी शैतानियत सारे देश ने ही नहीं सारे विश्व ने देखि ..और असर भी विश्व व्यापी हुआ. भारत की जनता में यह साफ़ साफ़  सन्देश गया कि देश पर राज करने वाले ये काले अँगरेज़ अव्वल दर्जे के चोर -डाकू हैं. विदेशी बैंकों में पड़ा अधिकाँश काला धन इन्हीं राजनेताओं का है  , जिसे वे किसी भी कीमत पर ज़ाहिर  नहीं होने देंगे . बाबा के राम बाण से घायल तो ये शैतान भी हुए ही हैं .. तभी तो राजमाता- राजकुमार अपने दशानन भेदियों सहित ८ जून को निजी विमान से स्विसत्ज्र्लैंड भागे ... अपना काला धन ठिकाने लगाने को !!!!  मज़े की बात तो यह है कि अपने आप को देश के वाच डाग ... भेदी कुत्ते कहने वाला मिडिया भी मुंह में विज्ञापन की मोटी सुपारी दबाए चुप चाप बैठा है.. किसी ने माँ- बेटे से सवाल नहीं किया कि वे चुप चाप स्विस्द्जर्लैंड कौन से ज़रूरी काम से गए थे...   
बाबा का राम बाण तो बहुत दूर तक काम कर गया .... स्विस सरकार और स्विस बैंक बाबा के राम बाण से बेहाल हैं .. स्विस मिडिया का मानना है की बाबा फैक्टर स्विस अर्थ व्यवस्था पर बहुत भारी  पड़ा है .. स्विस बैंको की जमा राशी में यका यक १५ लाख करोड़  डालर की कमी आई है. यदि यही हाल रहा तो स्विस बैंको का काला गोरख धंधा चौपट हो जाएगा. इन बैंको का  ५२ %  कारोबार हमारे चोरों के पैसे से ही चलता है. 
भारत के बाद स्विस बैंकों में सबसे अधिक काला धन चीन और रूस का है. बाबा की मुहीम ने वहां भी अपना असर दिखाया है ...अरब देशों के जनांदोलन से  चीन और रूस के हुक्मरान पहले ही बहुत चिंतित हैं .. चीन ने क़ानून बना कर  स्विस सरकार से स्विस बैंकों में चीनियों के काले धन का विवरण मंगवा लिया है, और काले धन पर कानून में मृत्यु दंड का बदलाव भी कर रहा है.  दूसरी ओर रूस में एक समाजिक कार्यकर्त्ता बदिमीर ईलिनोईच द्वारा चलाया जा रहा आन्दोलन जोर पकड़ता जा रहा है. रूस की सरकार ने जनता को आश्वासन दिया है कि देश का सारा काला धन दो माह में वापिस मंगवा लिया जाएगा.     
नेट पर भी सरकार के खिलाफ ज़बरदस्त आन्दोलन चल रहा है .. फिर भी हमारे ये काले अँगरेज़ खुश फहमी में मस्त हैं कि ... खाए जाओ खाए जाओ .. किहने भेद खोलना ऐ.. आपे रौला पाए जाओ .. भुखेयाँ नूँ लमियाँ कहानिया सुनाए जाओ.  मगर ये भूल गए की राम बाण से रावण नहीं बच पाया ये किस खेत की मूली हैं. 

रविवार, 17 जुलाई 2011

आतंक की राजनीति .....

आतंक की राजनीति .....

  एल. आर. गाँधी 

मुम्बई पर फिर से आतंकी हमला हुआ और हमारे हुक्मरान २६/११ हमले के वक्त  जारी अपनी गीदड़ भभकियों को भूल गए....... फिर से ऐसा हमला हुआ तो हम आर पार की लड़ाई लडेंगे ? उल्टा हमारे 'राजकुमार ' फरमा रहे हैं कि ऐसे हमले रोके नहीं जा सकते . सुरक्षा एजेंसियों को शाबाशी भी  दे  डाली  और कहा  कि बस  एक  प्रतिशत  ही   रह गए हैं आतंकी हमले. 'राजकुमार' के गुरूजी 'दिग्गी मियां' तो और भी दो कदम आगे बढ़ गए और बोले कि पाकिस्तान के मुकाबले तो हमारे यहाँ आतंक बहुत मामूली है- लगे हाथ आर. एस.एस व् हिन्दू संगठनों पर भी उंगली तान दी. इसे कहते हैं आतंक की राजनीति .... लोग मरते हैं,  मरते रहे.... वोट बैंक फलता फूलता रहे ! 
हमारा पडोसी हमारे खिलाफ ' परोक्ष युद्ध ' छेड़े हुए है.. और हम अमन के कबूतर उड़ा रहे हैं. वे देश की वाणिज्य राजधानी पर 'हमला ' कर हमारी अर्थ व्यवस्था को तहसनहस करने की फिराक में है और हम वार्ता का राग अलाप रहे हैं. पाक हमारे विरुद्ध मुसलसल जेहाद छेड़े हुए है. इस्लामिक स्टेट का मुख्य उदेश्य ' शरियत के अनुसार तब तक जेहाद जारी रखना है , जब तक निजाम ए मुस्तफा कायम न हो जाए. अर्थात इस्लाम का राज्य कायम हो जाए ! पश्चमी देशों ने इस तथ्य को भली भांति समझ लिया और 'जेहादी तत्वों' पर सख्त निगरानी की नीति अपना ली. अमेरीका पर ९/११ के बाद दूसरा जिहादी हमला सफल नहीं हो पाया. 
जापान विश्व का एक मात्र देश है जहाँ '   कोई जेहादी परिंदा  पर भी नहीं मार सकता   '  जापानियों को पूरा विशवास है ! जापान ने 'जेहादियों ' पर अपने देश में पूरण प्ररिबंध लगा रक्खा है. जापान में इस्लाम के प्रचार प्रसार पर कड़ा प्रतिबन्ध है.जापान में अब किसी मुसलमान को स्थाई रूप से रहने की इज़ाज़त नहीं दी जाती. जापान में मात्र २ लाख मुसलमान हैं जिन्हें नागरिकता दी गई है और वे जापानी भाषा में ही अपने मज़हबी कार्य करते हैं. इनमें भी अधिकाश विदेशी कंपनियों के कर्मचारी है. किन्तु आज कोई भी कंपनी किसी मुसलमान को यदि जापान भेजती है तो उसे इज़ाज़त नहीं दी जाती यहाँ कोई इस्लामी मदरसा नहीं खोला जा सकता. कारन ! जापानी मानते हैं की मुसलमान कट्टरवाद के पर्याय हैं. जापान में 'पर्सनल ला ' जैसा कोई शगूफा नहीं. यदि कोई जापानी महिला किसी मुसलमान से शादी कर ले तो उसका सामाजिक बहिष्कार किया जाता है. 
टोकियो विश्व विद्यालय के विदेश अध्ययन के अध्यक्ष कोमिको यागी के अनुसार ...जापानियों की यह मान्यता है कि इस्लाम संकीर्ण सोच का मज़हब है. 
इसे कहते हैं ' आतंक के खिलाफ जीरो टालरेंस ' हमारे यहाँ सब इसका उल्टा है. मुसलमानों के लिए 'शरिया' के अनुसार अलग से ' पर्सनल ला' हैं. मदरसों को खुले दिल से सरकारी सहायता दी जाती है   जहाँ ' जेहाद 'का पाठ पढाया जाता है. यदि कोई आतंकी मुसलमान पकड़ा जाता है तो हमारे दिग्गी मियां जैसे सेकुलर शैतान 'भगवा आतंक ' का राग अलापने लगते हैं .. वैसे भी हमारे 'सिंह साहेब' तो देश की सभी सुख सुविधाओं  पर मुसलमानों का पहला हक़ मानते हैं.... मुंबई के ७/१३ के हमले के बाद तो ऐसा प्रतीत होता है कि हमारी नपुंसक सरकार ने आतंकी तत्वों के आगे हथियार ही डाल दिए हैं.  जब पिछले पकडे गए सजा याफ्ता आतंकियों को सजा / फांसी पर चढाने की हिम्मत नहीं तब ये सेकुलर शैतान सरकार और आतंकी पकड़ कर क्या उनका अचार डालेगी ?  

बुधवार, 6 जुलाई 2011

ऐश्वर्य के प्रतीक ईश्वर के असहाय भक्त !!!!



ऐश्वर्य के प्रतीक ईश्वर के असहाय भक्त !!!!

        एल.आर.गाँधी

पदमनाभ स्वामी मंदिर की अकूत धनसंपदा के बारे में जब से नए नए रहस्योद्घाटन  हुए जा रहे हैं.---धीरे धीरे यह भी स्पष्ट होता जा रहा है कि हिन्दुओं के इश्वर यदि ऐश्वर्य के प्रतीक हैं तो भक्त भिखारी   का .....हो भी क्यों न ..केवल भिखारी  ही ईश्वर की कल्पना में जीवन पर्यंत ऐश्वर्य के प्रतीक की उपासना -भक्ति में कष्टमय जीवन जी सकता है , 
पदमनाभ स्वामी मंदिर ने आज तक विश्व के सबसे कुबेर धर्मस्थल तिरुपति बाला जी को पीछे  छोड़ दिया है. पदमनाभ स्वामी मंदिर ट्रावन्कोर के  प्राचीन राजशाही परिवार का मंदिर है और मंदिर का प्रबंधन भी राज परिवार के हाथ में है. अपनी अकूत धनराशी को सरकार की नज़रों से छिपाने के लिए हो सकता है ,राज परिवार ने मंदिर को कवच की भांति इस्तेमाल किया हो. 
यह हिन्दुओं की ईश्वर के प्रति आगाध आस्था का ही परिणाम है कि हिन्दुओं के धरम स्थल विश्व भर में ऐश्वर्य और भव्यता के प्रतीक के रूप में जाने जाते रहे हैं. आस्थावान धन - कुबेर हिन्दुओं ने ईश्वर के ऐश्वर्य को इन भव्य मंदिरों के रूप में निर्मित किया और ब्राह्मणों  को पूजा अर्चना के लिए सौंम्प दिया और धीरे धीरे ये पुजारी ही इन विशाल देवालयों के देवता स्वरुप मालिक बन बैठे. मंदिरों के दान पात्र से अपनी विलासता की सामग्री जुटाने लगे. हिन्दू समाज या धरम के  कल्याण- प्रसार  से इन्हें कुछ लेना देना न था. सदियों से इन देवालयों की आड़ में यह पुजारी वर्ग आस्थावान हिन्दू समाज का शोषण और इमोशनल अत्याचार करता आ रहा है. 

इस्लाम के आगमन काल से ये भव्य देव स्थल  इस्लामिक ज़ेहादिओं के निशाने पर रहे हैं. गौरी,अब्दाली, खिलज़ी जैसे सैंकड़ों मुस्लिम आक्रान्ताओं ने मंदिरों को लूटा और मिस्मार किया. फिर भी हिन्दुओं की आस्था में कोई कमी नहीं देखने को मिली - मगर किसी धर्माचार्य ने इन देवालयों की धन संपदा को इनकी और हिन्दू समाज की हिफाज़त के लिए सदुपयोग की नहीं सोची. मुस्लिम मज़हब के रहनुमा इस लूट के धन को मज़हब को फ़ैलाने और मज़बूत करने पर खर्च करते . चर्च ने तो अपनी सेना और शस्त्रागार तक बना रखे थे. इस्लाम और चर्च की दो तरफ़ा मार सह रहा हिन्दू धर्म और समाज आज भी इन धर्म के ठेकेदार मठाधीशों  के आगे बेबस है. इतिहास गवाह है कि हमारे इन धर्म के ठेकेदारों ने कभी भी अपने धर्म और समाज की रक्षा और कल्याण के लिए कुछ नहीं किया. 
अहमदशाह अब्दाली ने जब सिखों के 'मक्का'  हरमंदिर साहेब को मिस्मार करने के लिए हमला किया तो २२ सिंह हरि-मंदिर की रक्षा करते हुए शहीद हो गए. हिन्दुओं के हजारों मंदिर मुगलों  द्वारा लूटे और गिराए  गए, मगर किसी भी मठाधीश या पांडे ने अपने देव स्थान की रक्षा करते  हुए जान   नहीं दी.  अब्दाली ने हिन्दुओं के पवित्र  धरम स्थल मथुरा -वृन्दावन और गोकुल के पवित्र  मंदिरों को ही नहीं तोडा बल्कि एक हिन्दू के सिर की कीमत ५/- रूपए लगा दी . अफगान सैनिकों ने मासूम हिन्दू बच्चों के सरों के ढेर लगा दिए . मथुरा के पांडे मंदिरों को छोड़ भाग खड़े हुए. सिर्फ नांगा साधुओं ने अफगान सैनिको का सामना किया और बहुत से सैनिक मार गिराए . 
आन्ध्र और केरल की सेकुलर सरकारों के अधीन मंदिरों की कमाई - ईसाई और मुसलमानों के धार्मिक कार्यों पर खर्च की जाती है. यदि यह मंदिर भी सरकार के आधीन आ गया तो इसकी अकूत दौलत भी ये सेकुलर शैतान वोट बैंक की बलि चढ़ा देंगे. प्रमुख साधू संतो और हिन्दू संगठनों को मंदिरों की इस सम्पदा को हिन्दू धर्म के उत्थान और हिन्दू समाज के उपेक्षित वर्ग के कल्याण के लिए खर्च करने की व्यवस्था निश्चित करनी चाहिए.