शनिवार, 14 फ़रवरी 2015

छोटे शहर के परिंदे

छोटे शहर के परिंदे

एल आर गांधी

शाही शहर की शाही बारांदरी सूनी पड़ी  थी और वह भी १४ फरवरी को  … आज तो वहीँ से फूल तोड़ कर अपने लव बर्डज़ को मुफ्त मुफ्त में इम्प्रेस करने का दिन था  …वेलन्ताइन डे  .... अपनी नित्य की संध्या -सैर पर नज़रें किसी प्रेमी जोड़े को ढून्ढ ही रहीं थी  …कि एक पुलसिया विसल के साथ दरोगा जी की गर्जना सुनाई दी  … ओए चलो ! पेड़ की ओट में बैठे दो प्रेमी सरपट द्रुत गति से पिछले गेट से खिसक लिए   अब इन बेअदब खाकी वालों को कौन समझाए !
बाग़ में जाने के आदाब हुआ करते हैं
किसी भंवरे को न फूलों से उड़ाया जाए
पटियाला पैग और महाराजा भूपेंद्र सिंह की तीन सौ पहंसठ रानिओं के लिए तो मशहूर है हमारा शाही शहर
 … महाराज के ही पूर्वज राजेंदर सिंह ने बारादरी बाग़ बनवाया था  .... उन्होंने तो यहीं पर पहाड़ी बाग़ में विदेश से मंगवा कर स्नान मुद्रा में एक नग्न सुंदरी का बुत भी  स्थापित किया था -बाथिंग ब्यूटी  .... सौंदर्य के दुश्मन आतंकियों ने बम से उड़ा दिया।
वही काम आज खाकी वर्दी वाले कर रहे हैं  .... कहते हैं ऊपर से  आडर  हैं  …… अरे ऊपर वाले  क्या बिना 'प्यार 'के ही पैदा हो गए थे !
किसी तितली को फूलों से गिरा कर देखो
आंधिओं तूने दरख्तों को गिराया होगा    !
यही काम खाकी ने किसी मेट्रो में किया होता तो मिडिया के वाच डॉग्स न  जाने कितने ऊपर और नीचे वालों
की 'खबर' ले  लेते  . .... कहते हैं छोटे शहरों में धारा १९६ हटा दी गई है  …छोटे शहर के परिंदों -----लव-बर्डज़
को पंख फैला कर उड़ने की इज़ाज़त नहीं।