शुक्रवार, 21 दिसंबर 2012

दामिनी का दर्द ...विजयंती की चीत्कार सेकुलर शैतानो का मानवा - धिक्कार


 दामिनी का दर्द ...विजयंती की चीत्कार 
सेकुलर शैतानो का मानवा - धिक्कार 
   
        एल  आर  गाँधी      

 दामिनी के छेहों दरिन्दे पकड़ लिए गए और देश का मिडिया लोगों के आक्रोश को पूरे देश में एक 'आन्दोलन'के रूप में आम लोगों की आवाज़ सत्ता में बैठे अंधे बहरे 'दलालों' तक बलात्कार पीड़ित महिलाओं के अंतर्नाद को पहुँचाने का महती कार्य कर रहा है .....सराहनीय प्रयास है।बलात्कार पीड़ित 23 वर्षीय दामिनी हस्पताल में जीवन- मृत्यु का संताप भोग रही है। 
मगर  6 वर्षीय-पहली कक्षा की छात्र  विजयन्ति  मेघवर की पीड़ा पर देश का यही सेकुलर मिडिया आपराधिक मौन धारण किये बैठा है। शायद इस लिए कि अभागी विजयंती पडोसी देश पाकिस्तान की एक हिन्दू अल्पसंख्यक है और हमारा सेकुलर मिडिया पाक में प्रताड़ित हिन्दू बच्चियों पर मुखर हो कर अपने सेकुलर मुखौटे को धुंधला करने का खतरा मोल नहीं ले सकता ..... 
6 वर्षीय विजयंती 3 दिसंबर को पाक के सिंध प्रदेश के गुलाम नबी शाह ,उमरकोट में , अपने घर के निकट खेल रही थी  ... एक जुआघर के डान ,हाशिम मागीर ने उसे अगवा किया और ' अपने गुर्गों के साथ उसका गैंग रेप कर गली में फेंक दिया . उमरकोट के हस्पताल में जब बच्ची को लेकर गए तो कोई डाक्टर नहीं था . फिर 60 किलोमीटर दूर मीरपुर ख़ास हस्पताल में दर्द से कराहती इस हिन्दू बच्ची को जब लेकर गए तो हस्पताल स्टाफ ने इसकी तीमारदारी पर कोई तवज्जो नहीं दी। हैदराबाद  के अस्पताल में भी अभागी बच्ची को कोई राहत  नहीं नसीब हो पायी . इस जघन्य घटना से घुलाम नबी शाह के बाशिंदे आक्रोश में आ गए और सड़कों पर आ गए . आखिर बुधवार को मानवाधिकार संस्था ने संज्ञान लिया और पीपीपी के नवाब्युसुफ़ तालपुर ने मामला संसद में उठाया ....फिर भी एक हिन्दू बच्ची को कोई न्याय मिलेगा ? ...पाक के मज़हबी अवाम और शरियत के अलमबरदार हुक्मरान से आशा करना बेकार है। 
पाक में हिन्दू महिलाओं की दशा पशुओं से भी बदतर है। हररोज़ असंख्य युवा हिन्दू कन्याओं को अगवा कर बलात्कार किया जाता है और फिर इस्लाम कबूल करवा कर किसी मुस्लिम युवक से निकाह के लिए मजबूर किया जाता है। ऐसे  ही एक हिन्दू लड़की 'रिंकल ' को अगवा कर जबरन इस्लाम कबूल करवा कर .निकाह किये जाने की घटना के बाद फरवरी 2012 में 200 हिन्दू पाक में अपना घर बार छोड़ कर भारत पलायन करने को मजबूर हो गए। 
पिछले 65 साल से पाक के हिन्दू ,  पाक के मज़हबी कटटर - पन्थिओ के ज़बर का शिकार हैं . मगर कोई भी मानव अधिकार  संगठन हिन्दुओं पर हो रहे  जुल्मोसितम के खिलाफ मुंह नहीं खोलता ...... अन्य  अल्पसंख्यकों पर भी इस्लामिक ज़बर होता है मगर उसके खिलाफ सारे विश्व में तीव्र प्रतिक्रिया होती   है। पिछले दिनों एक ईसाई  लड़की पर एक मौलवी ने ईश निंदा का इलज़ाम लगा कर फंसा दिया मगर पश्चिमी देशों के ईसाई समुदाय ने जोरदार विरोध दर्ज करवाया .... अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा के दखल के बाद पाक सरकार को ईसाई लड़की को आज़ाद करना पड़ा ..... पाक में आज  ईसाईयों  की आबादी 1.7 % है जबकि हिन्दुओ की महज़ 1.6% रह गई ... जब की 65 वर्ष पूर्व हिन्दुओं की आबादी 20% थी।  आज पाक की आबादी 18 करोड़ के करीब है ... 20% के अनुपात से हिन्दुओं की जनसँख्या कम से कम 3.5 करोड़ होनी चाहिए थी ... मगर महज़ 30 लाख के करीब ही हिन्दू बचे हैं पाक में ....बाकी सब जबरन मुसलमान बना  दिए गए या भगा दिए या फिर  क़त्ल कर दिए गए। विश्व  इतिहास में क्या ऐसा 'मानवाधिकार  उत्पीडन ' कहीं मिलेगा ?
विश्व के मानवाधिकार के  ध्वजारोही और भारत के 'सेकुलर शैतानो ' के पास है कोई उत्तर ...........?????