शुक्रवार, 26 नवंबर 2010

क्या इमानदारी क़ी परिभाषा भी बदल गई है ?

चोरों का सरदार ! फिर भी सिंह इमानदार ?
उन्हें हम आज भी लुटेरा कह कर याद करते हैं. गज़नी-नादिर शाह -दुर्रानी- कम्पनी बहादुर और न जाने क्या क्या ? वे तो लूटने आए थे और लूट कर चल दिए ! मगर ये तो अपने हैं और हमीं ने इन्हें चुना है अपना रहनुमां - भला ये कहाँ जाएंगे ?
चोर सिपाही का खेल जारी है. चोरों का सरदार अपनी सरपरस्ती में पहले तो चोरी और सेंध मारी को सरंजाम तक पहुंचता है और जब कुछ सतर्क श्वान अपनी घ्राण शक्ति का मुज़ाहेरा कर चोर-चोर का शोर मचाते हैं तो 'सरदार साहेब' बड़ी मासूमियत से चंद 'उच्चक्कों'  को पकड़ कर 'सख्त कार्रवाही' की ठंडी तफ्शीश की सी.बी.आई. दौड़ा देते हैं - चोर की  दिल्ली की बदनाम  गलियों में तलाश  जारी है और चोरों का राजा चीन के मैदानों में खेल रहा है. चंद खबरी खूब चिल्लाते हैं 'मेरा  मुंसिफ ही मेरा कातिल है -क्या मेरे हक़ में फैसला देगा.'  बाकी के बड़े बड़े 'खबरी' चोरों के राजा के टुकड़े खा कर अपना  श्वान धर्म निभा रहे हैं -'दुम' हिला कर.
बापू के भारत में लूट की परिभाषाएं ही बदल गईं हैं - सेंधमारी अब चोरी हो गई है और डाका महज़ घोटाले का कम्बल ओढ़े सरे बाज़ार इठला रहा है !   लुटेरे अब   'सफ़ेद पोश लीडर ' के रूप में   हमारे भारत भाग्य विधाता बने दिल्ली के मयूर सिंहासन पर शोभाएमान हैं.
चोरों का सरदार ! सिंह फिर भी अमानदार ?
क्या इमानदारी क़ी परिभाषा भी बदल गई है ?

रविवार, 21 नवंबर 2010

तोहमतें आंएगी नादिरशाह पर , आप दिल्ली रोज ही लूटा करें !!





तोहमतें आंएगी नादिरशाह  पर , 
आप दिल्ली रोज ही लूटा करें  !!
          एल.आर.गान्धी 

लुटना हमारा 'राष्ट्रिय व्यसन' है - हम लुट्ने को तैयार  बैठे हैं बस लूटने वाला चाहिए -इतिहास गवाह है ?
मुहम्मद गज्नी ने हमें १९ बार लूटा -नादिर शाह ने  दिल्ली के बादशाह मुहम्मद शाह रंगिला से हिन्दुस्तान से लूटी  हुइ दौलत में से २५ लाख रुपये की मांग की और एवज़ में हीरे-मोति जडित मायूर सिंहासन और कोहेनूर हीरा  ले उडा . अह्मद्शाह दुरानी उर्फ अहमद शाह अब्दाली ने भी ८ हमले किए ...इन्सानियत का खून बहाया और लूटा भी. अब हमारे मिडिया के महारथी इस गलत फहमी में न रहें कि उस जमाने में 'खबरी 'कहाँ थे ? सिर्फ वे ही आज के 'राजा' के बिचौलिए हैं. उस वक्त की लूट में शोलापुरी बेगम और मुग्लानी बेगम ने शाह की दिल्ली लूट में 'खबरी' की भूमिका ब्खूबी निभाई और इनाम भी पाया. इन् खाब्रियों की निशान्देही पर शाह ने अमिर खान और कम्रुदीन खान की औरन्ग्ज़ेब के समय से हिन्दुस्तानियों से लूटी गइ ७० साल की कमाइ पर हाथ साफ कर दिया.शाह ने ३० करोड की लूट की जिसे २८००० हाथी, ऊँट , बैल गाड़ियो-छकड़ों आदि पर लाद अफगानिस्तान  ले गया.२०० ऊंटों पर तो दिल्ली दरबार से निकाह कर लाइ गइ बेगमात का ही समान था. मज़हब के नाम पर ७वि सदि से हिन्दुस्तान को लूटा गया और इस्लाम के नाम पर अनगिनत  काफिरों  (हिन्दुओ) की हत्या कर दी गइ और यह सिलसिला आज भी बदस्तूर जारि है. लूटा तो अन्ग्रेज़ों ने भी मगर आधुनिक भारत में वैज्ञानिक प्रगती में उनकी रेल ,डाकघर और शिक्षा की देन भी है,जिस से देश एक जुट हो कर आजादी के संघर्ष में कूद गया. 
आजादी के बाद भी लुट्ने का यह राष्ट्रिय 'व्यसन'  पूर्वतय जारी है.  पाक ने हमारे कश्मीर की  ३५% भूमि पर कब्जा कर लिया और सरकार ने पाक को देय ५० करोड रुपये पर रोक  लगा दी.  हमारे या फिर पाक के 'बापू'  की जिद के आगे सरकार हार गइ और ५० करोड पाक को दे कर हमने एक स्थाई  शत्रु पाल लिया( आज यह रकम १२ अरब ५० करोड़ बनती है)..... .आजाद भारत के पहले 'लुटेरे' होने का गौरव मिला- कृष्ण मेनन को जब जीप घोटाले में ८० लाख की लूट हुइ आज यह रकम २ अरब रुपये बनती है. और इसे अब तक देश का सबसे बड़ा घोटाला होने का श्रेय प्राप्त है. . तब भी संसद में हंगामा हुआ . मगर विपक्ष की आवाज में उतना दम नहीं था. नेहरु जी देश को अपने बाप दादा की जागीर मानते थे- कृष्ण मेनन को सजा तो क्या उल्टा देश का रक्षा मन्त्री बन डाला. नतिजा ? चीन से हमे शर्मनाक हार झेलनी पडी और हजारों मील हमारी भूमि आज भी चीन के कब्ज़े में है.एक भ्रष्ट मित्र की ब्दौलत नेहरु त्रासद अंत को प्राप्त हुए.
पिछ्ले ५ दशक से हमारे सत्ताधारी 'धृत राष्ट्र ' नेहरु जी की 'लुटो-लुटाओ' राष्ट्रिय नीति का अनुसरण करते आ रहे हैं . इन्दिरा जी ने पाक को दो फाड तो किया मगर उसकी कीमत आज की पीढी को अदा करनी पड रही है. देश की अर्थव्यवस्था तो चौपट हुइ सो हुइ मगर करोड़ों बंगला देशी भारत में घुस आए सो अलग . एक नया दुश्मन हमारे जी का जन्जाल और बन गया है. नेहरु जी के 'राज्दौत्र' राजीव जी को आखिर ज्ञान प्राप्त हुआ कि केन्द्र से 'पाँच वर्षीय योजनाओ के लिए भेजा गया रुपया आम आदमी तक पहुंचते  पहुंचते  मात्र १०-१५ पैसे ही रह जाता है.बाकी के पैसे तो 'भ्रष्ट तन्त्र' की जेब में ही पहुँच जाते हैं. बोफ़र काण्ड पर राजीव को हार का मुंह देखना पडा, मगर बोफ़र का दलाल कत्रोची आज भी कानून के लम्बे पर बंधे हाथों से दूर है. सुख राम के संचार घोटाले पर पर्देदारी का ही परिणाम है की आज ' राजा' का संचार घोटाला १,७६,६४५ करोड की उचाईयाँ  छू रहा है और नेहरु की पादुकाओं  में विराजमान मनमोहन जी - गान्धी जैसा मौन व्रत धारण किए बैठे हैं. देखो !  सर्वोच् न्यायालय सिंह साहेब का मौन व्रत तुड्वा पाता है या .......                
 देश का ६६००० अरब रुपया स्विस बैंकों में पहुँच गया. घोटालों की माँ २ जी  स्पेक्ट्रम १,७६,६४५ करोड गटक गइ. घोटालों का बाप योजना कार्यान्वन असफलता से अतिरिक्त खर्च १,१६,७२४ करोड की उचाईया छू रहा है और जवाब देही किसी की भी नहीं  ? खेल 

खेल में कल्माड़ी जी ७०० करोड के खेल को ७६ हजार करोड तक खेल गए . जांच जारि है मगर जनता को पूरा विश्वास है की आंच किसी पर नहीं अयेगी. आदर्श भ्रष्टाचार के प्रतीक अशोक चवन मुम्बई के सिंहासन से उतरे हैं तो दिल्ली के सिंहासन पर आरूढ़ हो जायेंगे. उनके अनुभव का फायदा अब केन्द्र सरकार उठाएगी .
जब तक कोइ नया घोटाला नहीं होता तब तक मिडिया इन् पुराने घोटालों पर लिपा पोती से अपनी टी. आर.पी  चमकायेगा और मिडिया के 'बिचौलिए' श्रीमान -सूश्रियाँ खाएंगी भी और बतियाएँगी  भी .. इसे कहते हैं बगुला भक्ति !!!!!!     

सोमवार, 15 नवंबर 2010

दोस्ती जब किसी से की जाए 
दुश्मनों की भी राय ली जाए
                       ............. उतिष्ठकौन्तेय

वहाँ 50 हज़ार बेरोज़गार,यहाँ 50 करोड़ निराहार ओबामा चिंताग्रस्त - मगर सिंह साहेब मस्त !!!



वहाँ 50 हज़ार बेरोज़गार,यहाँ 50 करोड़ निराहार
ओबामा चिंताग्रस्त - मगर सिंह साहेब मस्त !!!
एल. आर गान्धी

दुनिया के सबसे समृद्ध राष्ट्र का सबसे शक्ति सम्प्पन राष्ट्रपति दिवाली के अग्ले दिन जब इन्डिया की व्यापारिक राजधानी मुम्बई पहुँचे तो ' आम आदमी ' भी खास पशोपेश में पड गया कि भारत भी दुनिया की दूसरी बड़ी शक्ति के रुप में उभरते देशों की कतार में लग गया है. 'आम आदमी' और भी अचम्भित और हतप्रभ रह गया जब ओबामा ने अपनी भारत फेरी का मंतव्य व्यक्त करते हुए घोषणा की कि वे यहाँ मंदी के दौर से दो चार अमेरिकनों के लिए ५०,००० नौकरियां पैदा करने के उदेश्य से आए हैं. ओबामा अपने साथ अमेरिकन व्यवसाइयों की पूरी फौज ले कर आए थे ताकि भारतीय सरकार और बिग बिजनस हाउसिस से बात चीत कर अमेरिका के लिए इण्डिया में बिग बाज़ार की संभावनाओं को मूर्तरूप दिया जा सके.
बराक ओबामा को विश्व के सबसे अमीर अमेरिकनों की १०% बेरोज़गारी पर इतनी चिंता देख कर -अमेरिका के विश्व का सबसे बड़ा राष्ट्र होने का आधार समझ में आ गया. वह था वहां के राजनेताओं का अपने देश और जनता के प्रति इमानदार होना . उन्हें अपनी १०% बेरोजगार जनता की फ़िक्र है और हमारे नेताओं को देश की ५० करोड़ जनता जिसे दो जून की रोटी भी नहीं मुयस्सर,हर रोज़ १४,६०० बच्चे भूख से अकाल मृत्यु के आगोश में समा जाते हैं. १८.३ लाख बच्चे अपना ५व जन्म दिन नहीं मना पाते. विश्व के ९२.५ करोड़ भूख से बेहाल लोगों में भारत के ४५.६ करोड़ लोग हैं.
२००८ में आर्थिक संकट के बाद अंतर्राष्ट्रीय नेत्रित्व ने अमीरों और उद्योगपतियों को संकट से उबारने के लिए १० अरब डालर से अधिक राशी झोंक दी जबकि गरीबी मिटाने के लिए केवल एक अरब डालर
मुंबई में ओबामा ने ताज होटल में 'ठहर ' कर अपने मित्र पाक को एक सन्देश दिया कि वे इण्डिया के 'ताज में शहीद हुए ' हुए लोगों के साथ पूरी पूरी सहानुभूति व्यक्त करते है. मगर भारत में पाक प्रायोजित आतंक के चलते लाखों भारतीय और सुरक्षा कर्मी जो शहीद हुए उनसे उन्हें कोई सरोकार नहीं- पाक को आतक के खिलाफ लड़ाई में भी उन्होंने अपना 'साथी' घोषित कर दिया. जाहिर है ओबामा हो या बुश सभी अमेरिकियों को केवल और केवल अपने हित ही सर्वोपरि हैं.
मुंबई आगमन पर ओबामा के भारी भरकम जहाज़ को मेन रनवे के स्थान पर स्मालर रनवे पर उतरा गया ताकि वापसी उड़ान पर जहाज़ ऐअर पोर्ट की दिवार के साथ मीलों में फैली झुगी झोंपड- पट्टिओं के ऊपर से हो कर न गुज़रे, और भारत की दुर्दशा पर ओबामा की नज़र न पड़ जाए.इस के साथ् ही स्मलर रनवे के निकट हेलिकप्टर करियर सेवा उपलब्ध थी और ओबामा को मुम्बई भ्रमण के दौरान सडक मार्ग से दूर रखा जा सकता था- सडक मार्ग के दोनो ओर मुम्बई की बद्न्सीबी पसरी पडी है ऊंची अटालिकाओं के बीच जानवरों से भी बद्तर जीवन जी रहे झोपड पट्टि वासियों को देख दुनिया का सर्व सुख सम्म्प्पन 'महाराजा' क्या सोचता कि किन भिखारिओं से कुछ पाने की आस लगा बैठा.
वही मुंबई है जो देश को कुल इनकम टैक्स का ५०% देती है अर्थात यहाँ देश के 'धनकुबेर ' अपनी ऊंची ऊंची अत्ताल्लिकाओं में ऐश करते है. मुंबई की दूसरी सच्चाई यह भी है कि यहाँ की ६० % जनता झुग्गी झोपड़ियों में जानवरों से भी बदतर नारकीय जीवन जीने पर बाध्य है.
दिल्ली आगमन पर हमारे भारत भाग्य विधाताओं को ''अतिथि देवो भव् ' में मुम्बई जैसी दिक्कत नही आइ - क्योंकी कामन वेल्थ ने दिल्ली को पहले ही चका-चक किया हुआ था . खेलों से पहले करीब करीब ३ लाख झुगी वासी निर्वासित कर दिए गए थे और बाकि को बडे बडे साइन बोर्ड़ो के पीछे छुप दिया गया था. ६०००० भिखारिओं में से ५०००० को दिल्ली की गलियों से खदेड दिया गया था. दिल्ली को देख कर कोइ भी 'भारत' को दुनिया की उभर्ती महान्शक्ति का भ्रम आराम से पाल सकता है. इस लिए ओबामा को सडक मार्ग ही नहीं हुमयुं का मकबरा दिखा कर 'सच्चे लोक तन्त्र ' से भी रुबरू करवाया गया . ओबामा को इन्डिया की ऊंची- भव्य -विशाल और 'आदर्श भ्रष्ट तन्त्र की प्रतीक' अत्ताल्लिकाओं के दर्शन खूब करवाए गए मगर असली और बदनसीब भारत के पास भी फट्कने नहीं दिया.
वाह रे गालिब तेरी फाका मस्तियाँ
वो खाना सूखे टुकड भिगो कर शराब में