राजमाता दुःखी है ..... दुःखी है मुए मोदी से ..... मुए ने मेरे फूल से 'लाल' को लाइन में लगा दिया ..... पिछली पांच पीढ़ियों , घियासुदीन से अब तक , किसी तीसमारखाँ में हिम्मत नहीं थी ,राज परिवार के किसी राज कुमार को आम जनता और वह भी गरीब -गुरबों की लाइन में लगा दे।
हमने तो अपने राज में करीब -करीब गरीबी पर विराम लगा दिया था। हमारे योजना आयोग के सर्वे -सर्वा सरदार मोंटेक सिंह जी ने तो अपने ३५ लाख के 'जनाना- मर्दाना ' से फारिग हो कर साफ़ कर दिया था कि ३२/- में शहरी और २६/- में ग्रामीण भर पेट खाता है ..... किसी की क्या मज़ाल कोई उन्हें ग़रीब कह कर अपमानित करे।
यह तो मोदी की सोची समझी साजिश है ! १००० -५०० के नोट यका -यक और वह रात के १२ बजे बंद करके 'बेचारे ' गरीबों को लंबी-लंबी लाइनों में धक्के खाने को मज़बूर कर दिया ! महज़ ३२/- रूपए और २६/- रुप्पली में भर पेट खाने वाला मजदूर आज १०००-५०० के नोटो के लिए लाइन में धक्के खाने को मजबूर है। एक हमारा राज था जब कुछ लोग महज़ १२ रूपए में पेट भर खा कर हज़म करने को 'हाजमोला ' चूसते थे हमारे राज बब्बर मियां ने तो साफ़ - साफ़ अपनी आँखों से देखा था 'मुम्बई' में ! ५/- रूपए में भर पेट खाते हमारे एक एम्.पी ने अपनी आँखों से देखा वह भी शीला की दिल्ली में !
लगता है ५०० - १००० के नोटधारी लोग -बाग़ भी अब भर पेट 'खाने' को तरसते हैं ..... इनका 'दुःख' राजकुमार से देखा नहीं गया ...... बस लग गए लाइन में !