बुधवार, 23 दिसंबर 2015

इसकी टोपी उसके सर

इसकी टोपी उसके सर

     एल आर गांधी

सब चिट्टी टोपी का कमाल है  .....  पहनते ही इंसान केज़रीवाल बन जाता है। .. तीन बरस पहले जब 'सभ्य ' दिल्ली सड़कों पर थी  ..... निर्भया -निर्भया  चिल्ला रही थी  ..... मोमबत्तीयां सर्द हवा में भी  बुझने का नाम नहीं ले रहीं थी  , ऐसे में हमारे कज़री लाल भीड़ में चिट्टी टोपियां बांटने में मशगूल थे  . तीन बरस बीत गए और निर्भया का क्रूर गुनहगार बीस को छूट जाएगा  ..... केज़री ने क्रूर मुहम्मद अफ़रोज़ को गले से लगा लिया है  .... अपने कारनामे के इनाम स्वरूप मियाँ जी को दस हज़ार रूपए और एक सिलाई मशीन से नवाज़ा है। .. यही नहीं उसे सेटल भी करेंगे ताकि उसे अपने कारनामें सरंजाम देने के लिए चलती बसों में न भटकना पड़े  .... खाली वक्त में रोज़गार भी अता किया है  .... मशीन से 'आप' की टोपिआँ सिलने का।
निर्भया के माँ -बाप खून के आंसू रो रहे हैं  ..... इन्साफ की दरकार है उन्हें उस  मोमबती-गैंग से  .... दिल्ली की सल्तनत से  .... लोकसभा -राज्य सभा में पानी पी पी कर चिल्लाने वाले छोटे -बड़े सांसदों से  .... पर उन्हें तो फ़िक्र है अपनी 'माँ ' और उसके दुलारे 'राज कुमार' की , कहीं हेराल्ड की कालिख कांग्रेस की राजमाता और राजकुमार को दागदार न कर दे !  .... किसी साडी गैंग ने निर्भया के कातिल को माकूल सज़ा के हक़ में आवाज़ नहीं उठाई  .... बस एक जां -बाज़ स्वामी खड़ा है  ... ७५ बरस का नौजवान !आपिये तो :
अखिलाक की मौत पर मातमज़दा यू पी की दौड़ लगाने वाले ,गजेन्द्र को पेड़ पर फंदा लगा मरते देख 'मुस्कुराने 'वाले ,शकूर बस्ती काण्ड पर बवाल मचाने वाले, 'केज़री' के 'किस  फॉर लव' के जश्न में मशगूल हैं 

पाक के क्रूर क़ानून

पाक के क्रूर क़ानून
 ईश निंदा -रिद्दाह

एल आर गांधी


पाक में गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के पूर्व अध्यक्ष मस्तान सिंह को २५ अन्य सिक्खो सहित  ब्लासफेमी अर्थात ईश निंदा के क़ानून के तहत ग्रिफ्तार किया गया है  ... गुरूद्वारे पर हमला और पाक मुर्दाबाद के नारे लगाने का भी आरोप है  ..... पाक में १९८७ से  अब तक अपनी तरहां का यह दूसरा केस है जिसमें इस्लाम से इतर किसी धर्म की ईश निंदा पर मामला दर्ज़ हुआ है  .... वरना तो १९१४ तक दर्ज़ हुए  १३००  केसों में  अधिकतर गैर -मुस्लिम ही इस का शिकार हुए हैं  ... ईश निंदा में क़ुरआन या मुहम्मद के  अनादर  को गुनाह माना  जाता है। १९९० तक ६२ लोग इस क़ानून का शिकार हुए और ५० तो कोर्ट की कार्यवाही के दौरान ही इस्लामिक कट्टरपंथीओं द्वारा मार दिए गए.
पाक के फौजी राष्ट्रपति जिया उल हक़ ने १९८०-८६ में इस कानून को और सख्त बनाया ताकि अल्पसंख्यकों के मन में भय पैदा किया जाए और डर के साए में जीते जीते वे इस्लाम कबूल कर लें।
अपने मन्तव् में वे कामयाब भी हुए  ..... १९४७ में अल्पसंख्यक २५ % थे ,जो अब महज़ ३% रह गए और सबसे अधिक अत्याचार के शिकार 'हिन्दू' २४% से घट  कर महज़ १% रह गए।
यूँ तो ईश निंदा कानून किसी भी धर्म के अनादर पर लागू है मगर इस्लाम में तो किसी दुसरे मज़हब को मानने वाला गुनहगार है  ...ऐसे लोगों पर अपोस्टसी अर्थात रिद्दाह या इर्तिदाद लागू होती है  ...कोई इस्लाम को त्याग दे या फिर इस्लाम में आ कर छोड़ जाए या फिर मूर्ती पूजा करे तो वह सज़ा का पात्र है  ..... पाकिस्तान में हज़ारों मंदिर और असंख्य मूर्तिया तोड़ी गई मगर कोई ईश निंदा में नहीं पकड़ा गया  ... एक शायर ने कहा है  .....
शेख नें मस्जिद बना ,मिस्मार बुतखाना किया
पहले तो कुछ सूरत भी थी ,अब  साफ़ वीराना किया 

हद हो गई यह तो

हद हो गई यह तो !
एल आर गांधी
पूर्व विदेश सैर मंत्री मियाँ सलमान खुर्शीद ने ट्वीट किया कि 'सोनिया गांधी ' पूरे देश की माँ है .... सर्वोच्च न्यायालय के एक अन्य वकील साहेब ने अंतत खोज निकाला कि राहुल गांधी का रियल नाम क्या है ' यह है पूरे देश गांधी ! जैसे नेहरूजी ने एक विदेशी मेहमान के समक्ष 'गांधी जी ' के बारे में पूछने पर अनायास ही उनका का असली नाम उजागर करते हुए कहा था ...'.ओह वह ढोंगी बूढा ' !
अपने आकाओं की चापलूसी और वह भी अतिश्योक्ति की पराकाष्टा तक हमारी चिरपरिचित पहचान है। .... इंदिरा इज़ इंडिया ,इण्डिया इज़ इंदिरा। .... तत्कालीन कांग्रेस प्रधान देव कान्त भडुआ का इमरजेंसी उद्द्घोष सर्वविदित है।
१० विकृतिओं के प्रतीक रावण के दस शीश, चाटुकार -भांडों की दृष्टि में ' चार वेद -छह शास्त्रो के ज्ञान - प्रतीक दशानन थे ...... इसी चाटुकारिता के दम्भ से दिग्भ्रमित नेहरू ने १९५५ में और इंदिरा ने १९७१ में खुद को 'भारत रत्न 'के अंतिम अलंकार से अलंकृत कर अपने मुंह मियां मिठू की कहावत को चिरतार्थ कर दिया।
वह दिन दूर नहीं जब सन्नी लियोने को कल कोई देश की 'आम्रपाली -मॉडर्न सुंदरियों' की आदर्श घोषित कर दे।
पप्पू\ को कब उसके चमचे महाभारत का योद्धा 'शिखंडी ' घोषित कर दें .... खुदा जाने !