गुरुवार, 21 अप्रैल 2016

बेचारी मुफलिस राजकुमारी

 बेचारी मुफलिस राजकुमारी

       एल  आर  गांधी

राज परिवार की एक मात्र राजकुमारी  किराए के सरकारी मकान में मुफलिसी की जिंदगी गुज़ारने को मज़बूर है , हो भी क्यों न ! एक गरीब देश के हाकिम देश की गरीबी मिटाने  में मशगूल रहे , अपने बच्चों के लिए कहाँ वक्त था उन्हें 'बापू' की माफिक ! प्योर गांधी वादी जो ठहरे।
सरकार ने परिवार की कुर्बनिओं को 'गौर ' से देखते हुए 'राजकुमारी को राजधानी के  लुटियन जोन में एक सरकारी बांग्ला महज़ २,७६५ स्क्वेअर मीटर में सिमटा अलाट कर दिया और किराया ५३,४२१ रुपैया। मगर मुफलिस राजकुमारी मात्र  ८८८८ रूपए ही दे पाई।
आखिर बेचारी राजकुमारी ने उस वक्त के  पी एम अटल बिहारी वाजपाई को 'गुहार ' लगाई की इतनी भारी भरकम किराए की रकम अदायगी उसके 'बूते' की नहीं है।  वाजपई जी ने 'परिवार ' की कुर्बानियों पर गौर फ़रमाया और ज़िंदा शहीद बिट्टा जी ,पंजाब में आतंकवाद से लोहा लेने वाले गिल साहेब और कांग्रेस भक्त अश्वनी की भांति राजकुमारी जी का किराया भी उनकी मांग और हैसियत के अनुसार कम  कर दिया। वाजपेई जी ने भी नेहरू परिवार की 'कुर्बानियों ' के आगे 'नेताजी सुभाष चन्द्र बॉस बोस  और आज़ाद हिन्द फौज को कोई तवज़्ज़ो नहीं दी !
वैसे आज राजकुमारी के सरकारी बंगले का   मार्किट रेट  ८१,८६५ /- प्रति माह  है।
जिस प्रकार अंग्रेज़ों की समर राजधानी हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला थी उसी प्रकार नेहरू परिवार की राजकुमारी ने भी अपने लिए शिमला के निकट समर हॉलिडे 'आशियाना ' निर्माण के लिए २००७ में महज़ ४७ लाख रूपए में १ एकड़ (4.२५ बीघा ) का प्लाट ख़रीदा , जिसकी कीमत ५ साल पूर्व सवा चार करोड़ थी।  मगर राजकुमारी अपने इस समर आशियाने से संतुष्ट नहीं  .... उनको इसका डिज़ाइन पसंद ही नहीं आ रहा।  इसे बार -बार बनाया और गिराया जा रहा है  ....... अल्लाह करे जल्द ही राजकुमारी के सपनो का समर महल  बन कर तैयार हो जाए और नेहरू परिवार की 'लाड़ली' किराए के कलंक से गर्मियों में ही सही निज़ात पा सकें !