कांग्रेस का हाथ 'ददुआ ' के साथ !
एल आर गांधी
इंदिरा जी किसी स्कूल -कालेज में नहीं जा पाईं ,शायद नेहरू जी के पास अपनी प्रियदर्शनी को किसी विद्यालय में दाखिला करवाने का 'वक्त ' ही नहीं था - देश की भारी भरकम पञ्च वर्षीय योजनाओं से फुर्सत ही कहाँ थी ?
अपने इस अधूरे सपने को इंदिरा जी ने पूरा करने की ठानी .... साल १९७६ में अपने कर्म क्षेत्र रायबरेली में एक कालेज , अपनी माँ कमला नेहरू जी के नाम पर खुलवाने की 'घोषणा' कर के .... लखनऊ -इलाहाबाद हाइवे -सिविल लाइन के चौराहे पर। कमला नेहरू एजुकेशन सोसाइटी को ५ बीघा भूमि कॉलेज के नाम पर अलाट कर दी गई !
इंदिरा जी गए ! राजीवजी आए। ... और चले गए अब सोनिया जी का जमाना है ..... सोनिया जी को भी यह कसक रही कि वह भी किसी स्कूल-कालेज का दीदार नहीं कर पाई .... २००४ में रायबरेली की एक चुनाव सभा में कांग्रेसी 'हाथ' उठा कर 'सिंह-नाद ' किया ' गांधी परिवार' के सपनों को पूरा किया जाएगा !
वैसे तो वह वायदा ही क्या ... जो वफ़ा हो जाए .... मगर राजमाता के खासमखास कमला नेहरू सोसाइटी के सचिव सुनील देव हवाई घोषणाओं को सीरियसली ले बैठे ... आनन-फानन में अरबों की नेहरू सम्पति को बीच चौराहे नीलाम कर दिया और वह भी 'कुख्यात डाकू ' ददुआ की भौजाई के हाथों , महज़ ९. ३० करोड़ के औने -पौने दामों में।
इसे कहते हैं 'कांग्रेस का हाथ 'ददुआ 'के साथ !
एल आर गांधी
इंदिरा जी किसी स्कूल -कालेज में नहीं जा पाईं ,शायद नेहरू जी के पास अपनी प्रियदर्शनी को किसी विद्यालय में दाखिला करवाने का 'वक्त ' ही नहीं था - देश की भारी भरकम पञ्च वर्षीय योजनाओं से फुर्सत ही कहाँ थी ?
अपने इस अधूरे सपने को इंदिरा जी ने पूरा करने की ठानी .... साल १९७६ में अपने कर्म क्षेत्र रायबरेली में एक कालेज , अपनी माँ कमला नेहरू जी के नाम पर खुलवाने की 'घोषणा' कर के .... लखनऊ -इलाहाबाद हाइवे -सिविल लाइन के चौराहे पर। कमला नेहरू एजुकेशन सोसाइटी को ५ बीघा भूमि कॉलेज के नाम पर अलाट कर दी गई !
इंदिरा जी गए ! राजीवजी आए। ... और चले गए अब सोनिया जी का जमाना है ..... सोनिया जी को भी यह कसक रही कि वह भी किसी स्कूल-कालेज का दीदार नहीं कर पाई .... २००४ में रायबरेली की एक चुनाव सभा में कांग्रेसी 'हाथ' उठा कर 'सिंह-नाद ' किया ' गांधी परिवार' के सपनों को पूरा किया जाएगा !
वैसे तो वह वायदा ही क्या ... जो वफ़ा हो जाए .... मगर राजमाता के खासमखास कमला नेहरू सोसाइटी के सचिव सुनील देव हवाई घोषणाओं को सीरियसली ले बैठे ... आनन-फानन में अरबों की नेहरू सम्पति को बीच चौराहे नीलाम कर दिया और वह भी 'कुख्यात डाकू ' ददुआ की भौजाई के हाथों , महज़ ९. ३० करोड़ के औने -पौने दामों में।
इसे कहते हैं 'कांग्रेस का हाथ 'ददुआ 'के साथ !