शुक्रवार, 8 नवंबर 2013

जनसंहार की साक्षी - द ब्लड टैलीग्राम

जनसंहार की साक्षी -द  ब्लड टैलीग्राम 

    एल आर गांधी


द ब्लड टैलीग्राम  ....जिस वक्त पडोसी देश बांग्लादेश की आज़ादी के  जश्न में हिन्दोस्तान के अवाम दीवाली मना रहे थे  .... बांग्लादेश के हिन्दू खून के आंसू रो  रहे थे  …इस कटु सत्य पर से पर्दा गैरी जे बास ने अपनी हाल ही में प्रकाशित ' पुस्तक द ब्लड टैलीग्राम ' में उठाया है।
बॉस ने अपनी इस पुस्तक में ' ब्लड टैलीगाम ' पर से पर्दा उठाया है  … यह टैलीग्राम उस वक्त के पूर्वी पाकिस्तान में नियुक्त अमेरिका के कौंसल जनरल आर्कर  ब्लड ने अपनी सरकार को भेजी थी  … टैलीग्राम में विस्तार से बताया गया कि किस प्रकार पकिस्तान की सेना पूर्वी पकिस्तान के हिंदुओं को चुन -चुन का मौत के घाट  उतार रही  है  … ब्लड ने लिखा कि इस प्रकार हिंदुओं की हत्याएं नितांत तर्क हीन हैं  जिनकी पूर्वी पाकिस्तान  में आबादी १० मिलियन एवं १३ % है  …। टैलीग्राम पर ब्लड के साथ कौंसुलेट के २० स्टाफ मेम्बर्स ने भी दस्तखत किये ताकि अमेरिकी सरकार इस कत्लोगारत पर तुरंत अंकुश लगाये  ।  अमेरिकी राष्टपति निक्सन ने इस टैलीग्राम पर कोई ध्यान नहीं दिया
मानवाधिकारों के अलम्बरदार अमेरिका की आपराधिक ख़ामोशी पर आर्कर ब्लड बहुत हैरान थे  । यह शीत युद्ध का दौर था  … भारत रूस के पाले  में था और पकिस्तान अमेरिका का सहयोगी  … इस लिए अमेरिका ने अपने सहयोगी के इस कुकृत्य पर मौन रहना ही मुनासिब समझा  .
मगर सबसे विचलित करने वाला आचरण तो भारतीय सैकुलर सरकार का था जो सबकुछ जानते बूझते हुए भी  'सियार ' जैसा रोल निभा रही थी  । भारत के सैकुलर शैतानों ने इसे 'बंगाली जनसंहार  'का  नाम दिया  … उन्हें डर था कि देश की मुख्य विपक्षी पार्टी जनसंघ के हाथ कहीं 'मुद्दा ' न लग जाये। ....
लेखक के अनुसार ईस्ट पाकिस्तान में १९७१ में ११ मिलियन हिन्दू थे   .... इतने बड़े पैमाने पर हिंदुओं का जन संहार और असहाय हिन्दू औरतों से बलात्कार किया गया कि ८ मिलियन  अर्थात ७०% ने भाग कर जान बचाई या पाकिस्तानी सेना और इस्लामिक कट्टरपंथिओं के हाथों मारे  गए   .... २०वी सदी  का यह सबसे बड़ा जनसंहार था जिसमें ३० लाख हिन्दू मार डाले गए  .
ईस्ट पाकिस्तान अब बांग्लादेश  में निरंतर घटती हिन्दू जनसँख्या भी इस जनसंहार की साक्षी है।  १९४१ में इस क्षेत्र में २८% हिन्दू आबादी थी  जो १९५१ आते आते २२% रह गई  … बांग्लादेश बनने  के बाद १९७४ में १३% पर  सिमट गई  .. २००१ में तो महज़ ९. ६ % रह गई  … यही रुझान जारी रहा तो पकिस्तान की भांति बांग्लादेश में भी 'हिन्दू' इतिहास की बात हो जाएंगे  … और  हमारे सैकुलर शैतान अपने इन पड़ोसियों को बिरियानी खिलाने में मशगूल रहेंगे  …