शनिवार, 9 मई 2015

भारत के स्वाभिमान के प्रतीक सोमनाथ मंदिर

१२ ज्योतिर्लिंगा में से सोमनाथ का स्थान प्रथम है  …अन्य ज्योतिर्लिंगा हैं  … मल्लिकार्जुन,महाकालेश्वर,
 ॐ कालेश्वर ,केदारनाथ ,भीमाशंकर ,विश्वनाथ ,त्रिम्वाकेश्वर ,बैद्यनाथ ,नागेश्वर ,रामेश्वरम व् ग्रिश्नेश्वर  …… सोम (चन्द्रमा ) ने सोमनाथ का निर्माण स्वर्ण से किया था , रावण ने रजत से ,भगवान श्री कृष्ण ने काष्ठ से और राजा भीम देव ने पत्थर से  . भगवान आदिदेव 'शिव' का यह देवालय सतयुग , त्रेता ,द्वापर में उनके भक्तों ने निर्मित किया और कलयुग में सम्राट विक्रमादित्य ने भारत के स्वाभिमान के प्रतीक सोमनाथ मंदिर  का भव्य भवन बनवाया  …। अनादि काल से भारतीय जनमानस भगवान विश्वनाथ में अपने श्रद्धा सुमन के रूम में सोने ,चांदी , हीरे और मुद्रा भेंट स्वरुप चढ़ाता है  … सोमनाथ के ज्योतिर्लिंग को स्वयंभू माना जाता है  … सूर्य के उपासक पारसी भी सोमनाथ को मानते हैं और बहुमूल्य भेटें अर्पित करते हैं  …।
मंदिर की अकूत सम्पदा भी एक कारण रहा जो इस्लामिक जेहादी लुटेरों ने इसे अनेक बार लूटा ! भारत का यह मंदिर विदेशी लुटेरों ने सबसे अधिक बार लूटा और खंडित किया गया  …मगर भारतीयों ने इसे बार -बार भव्य रूप में फिर से निर्मित कर दिया गया  .
सबसे पहले जुनामद ,सिंध के सूबेदार ने मंदिर को लूटा  .
महमूद ग़ज़नी ने ११ मई १०२५ ईस्वी को सोमनाथ मंदिर पर हमला किया और सोमनाथ के बुत को तोड़ दिया और मंदिर से १८ करोड़ की सम्पदा लूट ले गया   … गज़नी ने ४०  बार मंदिर पर हमला किया १०२६ ईस्वी में राजपूत हिन्दुओं ने तीन दिन तक मंदिर की रक्षा की और ५००००  राजपूत वीरगति को प्राप्त हुए।  गज़नी ने पवित्र शिवलिंग को खंडित कर दिया  .... गज़नी को इस्लाम में मूर्ती भंजक की उपाधि से नवाज़ा जाता है  … इस हमले में उसने २० मिलियन दिनार लूटे , जो पहले हमले से ८ गुना अधिक थे  .
मंदिर के १०००० पंडित चमत्कार की आस में खड़े रहे और गज़नी ने सैनिको ने सभी पुजारिओं को क़त्ल कर दिया।
१३वी सदी में अल्लाउदीन ख़िलजी ने अपने जरनैल अलाफ खान को मंदिर पर हमला करने को भेजा  .
१५ सदी में मंदिर पर गुज़रात के गवर्नर महमूद बेगड़ा का कब्ज़ा था और उसने मंदिर में से मूर्ती को निष्कासित कर दिया  .
औरंगज़ेब ने मोहम्मद आज़म को मंदिर  पूरी तरहं ज़मींदोज़ करने के लिए भेजा और उसने ऐसा ही किया।
इस्लामिक जेहादियों  ने जितनी बार मंदिर को तोडा , शिव भक्त भारतियों ने उतनी बार ही इसका पुन्यनिर्माण करवा दिया गया।  १२वी सदी में सम्राट कुमारपत्र ,भावे बृहस्पति ने मंदिर का पुननिर्माण करवाया और १७८३ ईस्वी में साध्वी अळाल्या देवी ने मंदिर का निर्माण करवाया।
भारत की आज़ादी के बाद उप प्रधान मंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल ने देश की इस गौरव मयी धरोहर के पुन्यनिर्माण की योजना बनाई  .... गांधी जी ने तो अपनी सहमति दे दी किन्तु प्रधान मंत्री 'पंडित ' जवाहर लाल नेहरू को मंदिर निर्माण पर सख्त एतराज़ था  . पटेल ने जनता से चंदा एकत्रित कर सोमनाथ ज्योतिर्लिग मूर्ती की भव्य स्थापना करवाई  . ११ मई १९५१ को प्रात : ९. ४६ पर राष्ट्र के राष्ट्रपति महामहिम राजेन्दर प्रसाद जी के कर कमलों से मूर्ती की प्राण प्रतिष्ठा की गई  ....
ग़यासुद्दीन पौत्र 'पंडित ' नेहरू ने समागम से दूरी बनाए रखी !