गुरुवार, 29 अप्रैल 2010

सूखे टुकड़े और शराब

महंगाई पर नेताओं के घडियाली आंसू -गरीब महंगाई से त्रस्त है - बच्चे दो जून के निवाले के लिए तरस रहे हैं - माँओं की आँखों से खून के आंसू बरस रहे हैं और नेता लोग भी चिल्ला रहे हैं ...थक हार कर बिअर से नहा रहे हैं.
कुछ एसा ही नजारा था ; जब राष्ट्रीय जनता दल के अध्यक्ष दिल्ली में महंगाई पर अपने पुराने मित्रों के खिलाफ मोर्चा लगाए बैठे थे, तो बिहार में उनके एक विधायक भी भूख हड़ताल पर बैठ गए . महंगाई के विरुद्ध प्रदर्शन चल रहा था और किराए के वर्कर और समर्थक नेताजी की जय जय कार और मुई महंगाई की मार पर गले फाड़ फाड़ कर रोष व्यक्त कर रहे थे. मोर्च ख़त्म होते ही भाई लोग अपने असले पर आ गए और लगे नेताजी की बख्शी बिअर से गला तर करने -टुन्न होते ही नेताजी के सामने ही बिअर स्नान शुरू हो गया. चेनल वालों ने जब नेताजी से पूछा भई यह क्या है.. तो नेता जी खिसियानी बिल्ली की भांति खम्भा नोचते दीखे.
किस प्रकार ये गरीब लोग इन भ्रष्ट नेताओं के झांसे में आ कर चंद पलों की झूठी मौज मस्ती की खातिर इनके फेके टुकड़ों और शराब के नशे में अपनी ही गरीबी को मज़ाक बना देते हैं.
कुछ एसा ही हाल पंजाब कांग्रेस के सफेद पोशो का दिखाई दिया. एक अखबार ने भंडा फोड़ किया की लुधियाना में सरकारी गोदामों में शराब की पेटिय भरी पड़ीं हैं और गेहूं की बोरिया खुले आसमान के नीचे सड रहीं है. कान्ग्रेसिओं ने आव देखा न ताव झट से उच्सतरिया जांच की मांग कर डाली. अब राज खुला तो सचाई सामने आ गई. दरअसल साल २००६-०७ में लुधियाना के इन सरकारी गोदामों को कांग्रेस की कप्तान सरकार ने जम्मू और दिल्ली के शराब व्यापारिओं को ३ साल के लिए लीज़ पर दे दिया था. अब ३१ मार्च के बाद लीज़ की अवधि ख़त्म हुई और अकाली सरकार ने लीज़ समाप्त की है. पंजाब देश का धान का कटोरा है. यहाँ का किसान तपती धुप में अपना खून पसीना एक कर हर वर्ष अधिक से अधिक धान की पैदावार करता है. समुचित भण्डारण की व्यवस्था न होने के कारन लाखो टन अनाज सड-गल जाता है और हमारे नेताओं को 'शराब 'की फ़िक्र जियादा सता रही है. बिहार में महंगाई के नाम पर शराब से नहाया जा रहा है और पंजाब में अनाज के स्थान पर शराब को संजोया जा रहा है.
देश के ७७% गरीब २०/- प्रति दिन पर गुज़र करने को मजबूर हैं उनके पास दो जून की रोटी जुटाने को भई पैसे नहीं. दूसरी ओए लाखों टन अनाज खुले आसमान के नीचे सड रहा है. किसको परवाह है इस सब की.
गरीब लोग रोटी के सूखे टुकड़े खा रहे हैं और नेता लोग अपनी जय जय कर के लिए उन्हें बिअर से नहा रहे हैं.
बतौर ग़ालिब:
वाह रे ग़ालिब तेरी फाकामास्तियाँ
वो खाना सूखे टुकड़े भिगो कर शराब में ........