रविवार, 23 अक्तूबर 2011

करज़ई का पाक- प्रेम

     करज़ई का पाक- प्रेम
    एल. आर गाँधी  

करज़ई ने साफ़ कर दिया की 'कुरआन' को मानने वाले कभी काफिरों का साथ नहीं देते ! अफगानिस्तानी और पाकिस्तानी भाई भाई हैं और पाकिस्तान के खिलाफ युद्ध की स्थिति में हम अमेरीका और भारत के खिलाफ पाकिस्तान का साथ देंगे. अरबों डालर  खर्च कर और हजारों अमेरिकी सैनिक मरवा कर अफगानिस्तान में करज़ई को सत्ता सौंपी ताकि वहां सेकुलर -गणतंत्र कायम किया जा सके . अमेरीका ने भी भारत के सेकुलर शैतानों की भांति इतिहास से कुछ नहीं सीखा. क्या दुनिया के किसी भी मुस्लिम बहुल मुल्क में लोकतंत्र है ? अमेरिका के बहकावे में आ कर भारत के भौंदुओं ने भी अफगानिस्तान में अरबों रूपए विकास कार्यों में झोंक दिए. चलो अमेरिका तो समृद्ध देश है और इस्लामिक आतंकियों -ओसामा आदि से बदला लेने और अपने एक्सपायर हो रहे असले के प्रदर्शन के लिए अफगानिस्तान के मरुथल को युद्ध भूमि में बदल दिया. मगर भारत जैसे भूखे नंगे देश जिसकी दो तिहाई जनता दो जून के निवाले को मोहताज़ है , के हुक्मरानों की घर फूंक दिवाली पर तरस आता है. 
बंगला देश की आज़ादी के लिए इंदिरा जी ने देश का अरबों रुपया पानी की माफिक बहाया ...ताकि पड़ोस में एक धर्म निरपेक्ष देश उभर सके ... मगर पाकिस्तान से भी ज्यादा खतरनाक बन कर उभरा बांग्लादेश ... आज़ादी के वक्त जहाँ ३४% हिन्दू अल्पसंख्यक थे ... आज महज ७% से भी कम रह गए और करोड़ों बांग्लादेशी भारत में प्रवेश कर गए .. देश की सुरक्षा के लिए एक नई मुसीबत , सो अलग.
आचार्य विष्णुगुप्त चाणक्य ने ठीक ही तो कहा था .... सांप को कितना ही दूध पिला लो ...पैदा तो ज़हर ही होगा. इस्लाम में मुसलमानों को रसूल की सख्त हिदायत है ' कोई भी मुसलमान चाहे वह हमेशां गुनाह क्यों न करता हो , एक काफ़िर से बेहतर होता है , चाहे वह काफ़िर हमेशां पुण्यात्मा भी क्यों न हो ... इस बात को न मानना 'कुफ्र' है ' 
अब अमेरिका और भारत अफगानिस्तान के लिए हजार पुन्य के काम कर लें ...वहां हस्पताल बनाएं , मदरसे उसारें , सडकें बनाएं ..भूख से बेहाल अफगानियों भोजन पहुंचाएं...रहेंगे तो काफ़िर के काफ़िर ... और पाकिस्तान कितनी ही दहशत फैलाए , नुक्सान पहुंचाए .. रहेगा तो 'रसूल' को मानने वाला 'भाई' ही.