क़ानून के हाथ कितने लम्बे कितने बेबस
एल आर गाँधी
आखिर आसा राम उर्फ़ बापू को नाबालिग लड़की के यौन शोषण के दोष में पुलिस ने सलाखों के पीछे पहुंचा ही दिया …. सत्ता में बैठे सेकुलर शैतान बड़ी शान से इतरा और फरमा रहे हैं …. देश के कानून के आगे सब बरोबर हैं … चाहे कोई कितना भी बड़ा धर्माचार्य क्यों न हो ….
शायद दिल्ली के सेकुलर नवाबों की राजमाता और उनके पप्पू राजकुमार अपनी ही नाक के नीचे बैठे उस शाही इमाम को भूल गए जो शान से जमा मस्जिद से ऐलान ए आम ओ ख़ास करता है कि वह इस देश की किसी भी अदालत में कभी पेश नहीं होगा …
इमाम साहेब पर भी नाबालिग बच्चों को मदरसों से बंधक बना कर बंधुआ मजदूरों के रूप में 'सप्लाई ' करने के इलावा दर्ज़नों आपराधिक मामले देश की अदालतों में धूल फांक रहे हैं . इमाम साहेब को अदालत ने अनगिनत बार 'भगोड़ा ' घोषित भी किया , मगर किसी भी कानून के कितने ही लम्बे हाथ उनकी गर्दन तक नहीं पहुँच पाए …हर बार पुलिस अधिकारी अदालत में अपनी एक ही बेबसी का बखान करते दिखाई देते हैं की इमाम साहेब को पकड़ा तो दिल्ली में 'दंगे' हो जाएंगे … आखिर जनवरी २००४ में तो कोर्ट को यह सख्त टिपण्णी तक करनी पड़ी ' रिकार्ड को देख कर यह कहा जा सकता है कि कमिश्नर रैंक तक का अधिकारी भी इमाम बुखारी के खिलाफ कोर्ट के वारंट तामील नहीं करवा सकता …।
वक्फ बोर्ड सभी मुस्लिम धर्म स्थलों की एक मात्र प्रबंधक संस्था है … जामा मस्जिद भी वक्फ बोर्ड की प्रापर्टी है … मगर इमाम बुखारी जो कि वक्फ बोर्ड के पेड़ कारिन्दा थे , अब मालिक बने बैठे हैं । १९७६ में तो अब्दुल्ला बुखारी ने वक्फ बोर्ड से अपनी पगार १३०/- से बढ़ा कर ८४०/- करने की दरख्वास्त दी थी । मल्कियत के इस झगडे का एक फायदा भी है। गत ३५ साल से जामा मस्जिद का बिजली का बिल नहीं भरा गया … बढ़ते बढ़ते जो अब सवा चार करोड़ रूपए को पार कर गया . महज़ १० रूपए के बकाए पर गरीबों के कनेक्शन काटने वाली सेकुलर सरकार को यहाँ लगता है 'सांप सूंघ ' गया ।