शनिवार, 21 मार्च 2015

भारतीय नव वर्ष .... ईरानी नवरोज़ मुबारक

भारतीय नव वर्ष  .... ईरानी नवरोज़ मुबारक

                एल आर गांधी

२१ मार्च २०१५ अर्थात चैत्र शुक्ल प्रतिपदा २०७२ 'भारतीय नववर्ष ' है  ....... फेसबुक -गूगल पर बहुत से भारतीय जिन्हें अपने भारतीय होने पर गर्व है और साथ ही अपनी गौरवमयी प्राचीन संस्कृति पर , नव वर्ष की मंगल कामनाएं भारतियों के साथ सांझी कीं और प्रथम नवरात्रे के मांगलिक  अवसर पर माँ शैलपुत्री की पूजा की  ……  पर अधिकाँश भारतीय अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत  बिसरा बैठे हैं   ..........
तभी तो गूगल पर सबसे अधिक 'सर्च ' करने वालों के इतने महत्वपूर्ण पर्व को 'गूगल ' ने ही भुला दिया  ....... गूगल ने ईरान के नव  वर्ष ' नवरोज़'  पर सभी को फूलों के रंगों से लबरेज़ 'नवरोज़ मुबारक '  सन्देश तो दिया ही और साथ ही इस पर्व का विस्तार से महत्त्व का भी बखान किया।   इस दिन के साथ ही पर्शियन कलेंडर की शुरुआत होती है और साथ ही बसंत ऋतु के फूल लहलहाते हैं  .... हिंदुस्तानी बसंत क्या जाने ! वहां तो इन दिनों वे बेचारे पसीना पोंछ रहे  होते हैं  …।
जो लोग अपनी विरासत गँवा बैठे  …   पसीना ही तो पोंछेंगे 

शनिवार, 14 मार्च 2015

बुद्धं शरणम् गच्छामि - राहुल शरणम् गच्छामि

बुद्ध राजपाठ छोड़ छाड़ कर शांति की तलाश में अज्ञातवास को चले गए थे ताकि दुखी मानवता के दुखों के निवारण हेतु चिंतन किया जाए   …आज एक और राज कुमार अज्ञात वासी हो गया फर्क महज़ इतना है कि बुद्ध राजपाठ  छोड़ कर गए थे और हमारे राज कुमार इस लिए गए हैं कि राजपाठ 'छूट ' गया  . बुद्ध मानवता के संताप के निवारण  संकल्प के साथ गए थे और राजकुमार राजपरिवार की डूबती नैया के लिए किसी ' तिनके ' की तलाश  में।
बुद्ध छठी शताब्दी में हुए  … तब न तो मिडिया था और न ही वी वी आई पी सिक्योरिटी  …फिर ज़ेड प्लस सक्योर्टी प्राप्त देश का भावी भविष्य कैसे अलोप हो गया  …पुलिस का चिंतित होना स्वाभिक था।  सो एक दरोगा जी राजकुमार को ढूंढते -ढूंढते पहुँच गए उनके कार्यालय , पूछने लगे 'गुमशुदा ' शख्स का हुलिया   .... आँखों का रंग  … बाल -बदरंग  …। दरबारी बुरा मान गए  …राजकुमार की निजता में तांक -झाँक करने की ऐसी जुर्रत और वह भी एक अदद दारोगा की।
बुद्धं शरणम् गच्छामि - राहुल शरणम् गच्छामि