शुक्रवार, 25 जनवरी 2013

आतंक के प्यादे और वजीर


आतंक के प्यादे और वजीर 

      एल आर गाँधी 

प्यादे को फांसी और वजीर को महज़ 35 साल और वह  भी अमेरिकन जेल में , बहुत बेइंसाफी है ....हमारे खुर्शीद मियां ने तो साफ़ कर दिया की हेडली भारत का गुनेहगार है ...मुंबई के 26/11 आतंकी हमले में अमेरिकन 6 मरे और भारतीय 160 . हम डेविड कोलमैन हेडली उर्फ़ दाउद  गिलानी को कसाब से कमतर सजा कभी मंज़ूर नहीं करने वाले ...हम उसे सजा देते तो फांसी ही देते ..अमेरिका से हम हेडली को मांगते रहेंगे  ... यह भी कोई बात हुई ...एक मेहमान को पकड़ा और सजा का फरमान सुना डाला  .. न कोई मेहमाननवाज़ी - न आव भगत , न नखरे उठाए और न बिरियानी खिलाई  ...
अतिथि देवोभव ...अमेरिका क्या जाने .. अतिथि की कैसे सेवा की जाती है , तो कोई हम से सीखे ...कसाब मियां पर आठ आठ बावर्ची लगा रखे थे हमने .. चाहे हम अपने घर में भूखे सोते हों मगर महमान पर 55 करोड़ यूँ लुटा दिए जैसे ढोंगी बाबा की लंगोटी ...

राजकुमार के प्रवक्ता अल्वी मीयां ने भी लगभग भीख मांगने के अंदाज़ में हेडली जी की मांग अमेरिका से कर डाली है  ...यूँ तो हम अपने पडोसी पाक से भी अपने दाऊद साहेब और सईद साहेब को मांगते चले आ रहे हैं, मगर हमारा पडोसी खुद ही भिखारी जो ठहरा , हमें क्या देगा ....जब मांगते हैं बहाने बना देता है  कभी कहता है ...हैं ही नहीं ..ढूंढ लो ! हम तो खुद आतंक् पीड़ित हैं .. वगैरा वगैरा ...अब हेडली मियाँ हमारे यहाँ पांच बार आये और हमारे राहुल जी की मेहमान नवाजी से भी नवाजे गए ...अब आप 'राहुल' से राजकुमार का मुगालता न पाल बैठना .. ये आर एस एस और भाजपा के भगवा आतंकी पहले ही राजकुमार पर हमले की फिराक में बैठे हैं। हमारा इशारा मशहूर मियां  महेश भट्ट के सहेबजादे राहुल भट्ट की और है। हैडली जी राहुल भट्ट के मेहमान रहे ...मेहमां जो हमारा होता है वो जान से प्यारा होता है ..सो हेडली जी आए .. एक नहीं .. दो नहीं ..पूरे पांच बार आये  और चले गए और हम आए मेहमान के मंसूबों को  पहचानने में चूक गए .. अब अमेरिका ने पकड़ कर अपने  'मेहमानखाने' में डाल  दिया तो लगे मांगने ... जिन अपनों ने इस मेहमान की खातिरदारी की उनका क्या किया ? कुछ नहीं ...अतिथि देवो भव् ..संस्कार जो ठहरे।   

जब शिंदे जी से हमने पूछा ..मियां हेडली का क्या आचार डालोगे ..पहले जिनको फांसी  पर लटकाने के फरमान सुनाए  हैं पहले उनसे तो निपट लो , बेचारे अफज़ल मियां एक दशक से 'जन्नत के दरवाजे पर दस्तक को बेताब बैठे हैं . शिंदे जी ने झट से फ़रमाया भई हम तो अभी अभी ग्रह मंत्री बने हैं , कसाब को लटका दिया और जैसे ही अफज़ल मिया की फ़ाइल् मेरे पास आएगी उन्हें भी लटका दूंगा ...फिलहाल तो लगता है ..फाईल  ..लटक गई। फिर अपने और पराए आतंकियों को कोई एक आँख से कैसे देख सकता है .. अपने ....अपने जो ठहरे .. 

लगता है अमेरिकन जज इस्लामिक आतंकियों को और उनके जेहादी मंसूबों को हमसे पहले समझ गए हैं ...तभी तो हेडली को 35 साल की सजा सुनाते  हुए जज ने बहुत ही गंभीर टिप्पणी की !!
..........'उनके लिए कितनी भी गंभीर सजा देने के बाद भी आतंकियों की फितरत नहीं बदलेगी ' .. शायद अमेरिका ने शरियत की जेहादी इबारत पढ़ भी ली और समझ भी ली ..और हम पढ़ कर भी उसे समझने के बहाने ढूंढ रहे हैं .....'तुमरे रब ने हेडली के आखिरत में तय्यार कर दी है . जन्नत में 72 लौंडियाँ और मोती जैसे गिल्मे और वे अंगूर के बाग़ में गद्दे जहाँ नहरें  रवां होती हैं ..(सूरा . 45.12) फिर कोई इमाम ...किसी कोच्ची की मस्जिद में आतंक के वजीर डेविड कोलमैन हेडली उर्फ़ दाऊद गिलानी के लिए नमाज़ पढ़ेगा ...प्यादे के लिए भी पढ़ी थी ...और हमारे सेकुलर शैतान इसे  एक 'मज़हबी ' मामला कह कर रफा दफा कर देंगे ..... 

गुरुवार, 24 जनवरी 2013

सच्चे शिव सैनिक -नागा साधू


सच्चे शिव सैनिक -नागा  साधू

         एल आर गाँधी 

 एक हाथ में माला दूजे में भाला ...शरीर पर वस्त्र के नाम पर  मात्र  भस्म-विभूति ...जन्म -मरण से मुक्त ये शिव भक्त केवल कुम्भ पर्व पर ही प्रकट होते हैं ...और लाखों करोड़ों दर्शकों की उत्सुकता का केंद्र बिन्दु  भी  . जहाँ दत्तात्रेय की चरण पादुकाएं समझो वहीँ पर इनका निवास ...ये अखंड शिव भक्त निर्जन स्थान पर बने अपने अखाड़ों में निवास करते हैं ...समाज से दूर व् सामाजिक बन्धनों से मुक्त ........ ठीक वैसे ही जैसे देश की रक्षा में मुश्तैद फौजी अपनी छावनियों में निवास करते हैं। 
 
आदि गुरु शंकराचार्य जी ने नागा साधू साम्प्रदाय का गठन सनातन धर्म  की रक्षा के महती प्रयोजन से किया था ...एक सैनिक के रूप में इनके हथियार ... त्रिशूल, तलवार, दंड व् युद्ध उद्दघोष के लिए 'शंख ' जिसे ये अपने आराध्य महाकाल 'दत्तात्रेय ' अर्थात भगवान् शिव के आह्वान हेतु भी प्रयोग में लाते हैं। 
1757 में जब अहमद शाह दुर्रानी ने हिन्दुओं के पवित्र स्थल मथुरा ,वृन्दावन और गोकुल में हिन्दुओं के पूजा स्थल-मंदिरों को तोडा   ब्रिन्दावन में जहाँ तीर्थ यात्री होली के पवित्र अवसर पर पूजा अर्चना में मस्त थे ..अहमद शाह के इस्लामिक जेहाद के ज़हर से भरे अफगान सैनिकों ने हजारों लोगों को मौत के घाट  उतार दिया और मंदिरों को लूटा और मिस्मार कर दिया। चारों  और लाशों के ढेर थे और किसी लाश का सर नहीं दिखाई देता था। शाह ने काफिरों 'हिन्दुओं' के सर पर पांच रूपए इनाम घोषित  किया हुआ था .शमीन सरकार एक प्रत्यक्ष दर्शी के अनुसार ' एक स्थान पर हमने देखा की दो सौ मृत बच्चों का ढेर लगा था और किसी भी बच्चे का सर नहीं था। 
  गोकुल में अपने 'अखाड़े' की रक्षा के लिए हजारों की संख्या में बैरागी पंथ के नागा साधू अहमद शाह के अफगान सैनिकों से भिड़  गए ...घमासान युद्ध हुआ ...अफगान सैनिकों के पास घातक हथियारों के साथ साथ अपने बचाव के लिए शरीर पर ज़राबख्तर 'कवच'और एक हाथ में शमशीर 'तलवार' व् दूसरे में ढाल भी थी ...मगर नागा साधुओं के हाथ में केवल त्रिशूल या तलवार ...और बचाव के लिए नंगे शरीर पर मात्र ' भस्म' . युद्ध में 2000 नागा वीर वीरगति को प्राप्त हुए मगर इतने ही अफगान हमलावर भी हलाक हो गए ...घबरा कर शाह ने अपने सैनिकों को वापिस बुला लिया ... 

मंगलवार, 22 जनवरी 2013

श्री साहेब जी


श्री साहेब जी 

एल आर गाँधी 

'श्री' भारतीय सभ्यता का बहुत ही पौराणिक आदर सूचक शब्द   है ...श्री शब्द का प्रयोग किसी बहुत ही आदरणीय महापुरुष के नाम के पूर्व प्रयोग किया जाता  है . इसके अतिरिक्त 'श्री' अलंकार को देवी ,लक्ष्मी, विष्णु व् श्री गणेश -समृद्धि और विघ्न हरने वाले विघ्नेश्वर आदि के लिए भी प्रयोग में लाया जाता है ......मगर हमारे परम ज्ञानी गृह मंत्री श्री श्री सुशिल कुमार जी शिंदे साहेब ने आतंक के पर्याय अजमल कसाब के नाम के आगे 'श्री' शब्द का प्रयोग कर साफ़ कर दिया कि उनके विशाल हृदय में  आतंकवादियों के लिए कितना सम्मान है। 
अब शिंदे साहेब ने हाफिज सईद को 'साहेब' के सम्मानजनक शब्द से संम्बोधित कर 'अपनी सेकुलर सरकार' की आतंक के खिलाफ नियत और निति पर मोहर लगा दी है। और इसके साथ ही आर एस एस व् भारतीय जनता पार्टी को आतंकी संगठन घोषित कर 'सईद साहेब ' से वाहवाही भी लूट ली। सईद को साहेब कह कर मुंबई आतंकी हमले के सूत्रधार को एक निहायत ही आदरणीय शख्स बना दिया गया है . अंग्रेजों को गुलाम भारतीय 'साहेब' के आदरसूचक शब्द से बुलाते थे . इसके अतिरिक्त भारतीय एक पवित्र स्थान या व्यक्ति के लिए भी 'साहेब' शब्द का प्रयोग करते हैं जैसे 'हरमंदिर साहेब' गुरुग्रंथ साहेब , साहेबजादे ....
ओसामा बिन लादेन को 'जी ' के अलंकार से संबोधित करने वाले , 150 साल पुराणी राष्ट्रिय कांग्रेस के , महासचिव श्री श्री दिग्विजय सिंह साहेब ...शिंदे उर्फ़  शर्मिंदे साहेब के पक्ष में ताल ठोक  कर खड़े या अड़े नज़र आ रहे हैं ... खड़े  भी क्यों न ...भगवा आतंक के प्रलाप में कोई तो साथी मिला ....
कबीर जी ने ठीक ही तो कहा है .....
शब्द सम्हारो बोलिए, शब्द के हाथ न पाँव 
एक शब्द औषध करे , एक शब्द करे घाव    

शनिवार, 5 जनवरी 2013

पद्मिनी को भुला दिया .... दामिनी को भी भूल जाएंगे



पद्मिनी को भुला दिया  ..
                                 दामिनी को भी भूल जाएंगे 

                        एल आर गाँधी 


केरल में कोच्ची की एक मस्जिद में 23 नवम्बर को , आतंकी अजमल कसाब जिसे 21 नवम्बर को फांसी पर लटका दिया गया था , के लिए नमाज़ पढ़ी गई। मस्जिद की प्रबंधक समिति ने कसाब के लिए नमाज़ पढने वाले इमाम को उसके पद से हटा दिया। ज़ाहिर है इमाम की इस करतूत को मस्जिद के प्रबंधकों ने राष्ट्र विरोधी माना और उसको इमाम के पद से हटा दिया। मगर केरल की कांग्रेस सरकार ने इस देशद्रोही इमाम के खिलाफ कोई कार्रवाही करना उचित नहीं समझा ..... करें भी कैसे . केंद्र की और राज्य की सेकुलर सरकारें तो आस्तीन में सांप पालने में वैसे ही माहिर हैं 
अभी अभी पिछले दिनों हमारे गृह मंत्री शिंदे जी महाराज ने तो मुंबई पर आतंकी हमले के  'आका ' हाफिज सईद को 'श्री ' के अलंकार के साथ संबोधित कर अपनी चिर परिचित सेकुलर मानसिकता का परिचय दे ही दिया। हर मुस्लिम नाम के आगे श्री और पीछे जी लगाना कभी नहीं भूलते हमारे ये 'सेकुलर' हुक्मरान ..... भूलें भी कैसे ....वोट बैंक की दरकार जो है। हमारे दिग्गी मिया ने तो हद ही कर दी जब दुनिया के दुर्दांत आतंकी ओसामा बिन लादेन को देश  के परम आदरणीय शब्द 'जी' से संबोधित तो किया ही और साथ ही अमेरिका द्वारा ओसामा को इस्लामिक रिवायत से  दफन न कर समुद्र में जल समाधि देने पर अपना 'आक्रोश' जताया . 
ऐसी ही कुछ राजनैतिक मजबूरिओं के चलते ही हमारे सेकुलर हुक्मरान 'मियाँ अफज़ल गुरु ' को फांसी पर लटकाने से टालते आ रहे हैं। 
दिल्ली के ' दामनी' गैंग रेप काण्ड ने पूरे देश को झकझो कर रख दिया ... देश की राजधानी की सड़कों पर कैसे 'मौत के दरिन्दे' दनदनाते फिर रहे हैं ... फिरें भी क्यों न , जब देश के जनतंत्र के मंदिर 'संसद'पर हमला करने वाले अफज़ल को 11 साल में उसके अंजाम तक नहीं पहुचाया गया। महिला होते हुए राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने 5 ब्लात्कारियों  की मौत की सजा माफ़ कर दी। दामिनी काण्ड से आक्रोशित  जनता के हजूम ने देश के भ्रष्ट राज् नेताओ की नींद उड़ा दी .... मिडिया ने लोगों को 'दामिनी की शहादत को न भुलाने की 'कसमें ' दिलाई और .........दिल्ली की शीला , मोहन ,सोनिया ने भी लोगों से अनगिनत 'वायदे' कर डाले ....कहते हैं की जनता की याददाश्त बहुत कमज़ोर होती है .. और वह नेता ही क्या जिसका वायदा वफ़ा हो जाए।  दशक पूर्व दो शैतान बिल्ला - रंगा ने संजय चोपड़ा और गीता चोपड़ा बहन भाई को फिरौती के लिए अगवा किया और मार दिया  ... दिल्ली की सड़कों पर सरकार के खिलाफ ऐसा ही जन आक्रोश उमड़ा  था  .... लोग भी भूल गए और उस वक्त भी राज् नेताओं ने ढेर सारे  वायदे किये थे ... कहाँ वफा हुए ... अपहरण-फिरौती - बलात्कार ...बदस्तूर ज़ारी हैं और बढ़ते ही जा रहे हैं .
कहते हैं !  जो कौमें इतिहास से कुछ सबक नहीं लेतीं ...वे इतिहास के पन्नों में ही दफन हो जाती हैं। पद्मिनी के इतिहास को हमने भुला दिया  .. दामिनी को भी भूल जाएंगे  ...  अला उ दीन खीलजी 
से अपनी 'आबरू ' की रक्षा के लिए चितौड़ की महारानी ने अपनी तमाम चितौड़ -वीरांगनाओं सहित 'जौहर' को चुना .... पद्मिनी के रूप पर  पागल अला उ दीन जब महल में दाखिल हुआ तो देख कर अवाक रह गया .... राज महल की सभी राजपूत वीरांगनाओं के जिस्म 'जौहर' की ज्वाला में धू -धू जल रहे थे। अला उ दीन ने चितौड  के सभी 'काफिरों ' के सर कलम करने का हुकम दिया ...60000 निह्हथे - निर्दोष हिन्दुओं को मौत के घाट  उतार दिया गया। और हमारे ये सेकुलर शैतान खिल्ज़ीओं , बाबरों  और औरंगजेबों की मजारों पर सजदे करते  नहीं थकते।