पद्मिनी को भुला दिया ..
दामिनी को भी भूल जाएंगे
एल आर गाँधी
केरल में कोच्ची की एक मस्जिद में 23 नवम्बर को , आतंकी अजमल कसाब जिसे 21 नवम्बर को फांसी पर लटका दिया गया था , के लिए नमाज़ पढ़ी गई। मस्जिद की प्रबंधक समिति ने कसाब के लिए नमाज़ पढने वाले इमाम को उसके पद से हटा दिया। ज़ाहिर है इमाम की इस करतूत को मस्जिद के प्रबंधकों ने राष्ट्र विरोधी माना और उसको इमाम के पद से हटा दिया। मगर केरल की कांग्रेस सरकार ने इस देशद्रोही इमाम के खिलाफ कोई कार्रवाही करना उचित नहीं समझा ..... करें भी कैसे . केंद्र की और राज्य की सेकुलर सरकारें तो आस्तीन में सांप पालने में वैसे ही माहिर हैं
अभी अभी पिछले दिनों हमारे गृह मंत्री शिंदे जी महाराज ने तो मुंबई पर आतंकी हमले के 'आका ' हाफिज सईद को 'श्री ' के अलंकार के साथ संबोधित कर अपनी चिर परिचित सेकुलर मानसिकता का परिचय दे ही दिया। हर मुस्लिम नाम के आगे श्री और पीछे जी लगाना कभी नहीं भूलते हमारे ये 'सेकुलर' हुक्मरान ..... भूलें भी कैसे ....वोट बैंक की दरकार जो है। हमारे दिग्गी मिया ने तो हद ही कर दी जब दुनिया के दुर्दांत आतंकी ओसामा बिन लादेन को देश के परम आदरणीय शब्द 'जी' से संबोधित तो किया ही और साथ ही अमेरिका द्वारा ओसामा को इस्लामिक रिवायत से दफन न कर समुद्र में जल समाधि देने पर अपना 'आक्रोश' जताया .
ऐसी ही कुछ राजनैतिक मजबूरिओं के चलते ही हमारे सेकुलर हुक्मरान 'मियाँ अफज़ल गुरु ' को फांसी पर लटकाने से टालते आ रहे हैं।
दिल्ली के ' दामनी' गैंग रेप काण्ड ने पूरे देश को झकझो कर रख दिया ... देश की राजधानी की सड़कों पर कैसे 'मौत के दरिन्दे' दनदनाते फिर रहे हैं ... फिरें भी क्यों न , जब देश के जनतंत्र के मंदिर 'संसद'पर हमला करने वाले अफज़ल को 11 साल में उसके अंजाम तक नहीं पहुचाया गया। महिला होते हुए राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने 5 ब्लात्कारियों की मौत की सजा माफ़ कर दी। दामिनी काण्ड से आक्रोशित जनता के हजूम ने देश के भ्रष्ट राज् नेताओ की नींद उड़ा दी .... मिडिया ने लोगों को 'दामिनी की शहादत को न भुलाने की 'कसमें ' दिलाई और .........दिल्ली की शीला , मोहन ,सोनिया ने भी लोगों से अनगिनत 'वायदे' कर डाले ....कहते हैं की जनता की याददाश्त बहुत कमज़ोर होती है .. और वह नेता ही क्या जिसका वायदा वफ़ा हो जाए। दशक पूर्व दो शैतान बिल्ला - रंगा ने संजय चोपड़ा और गीता चोपड़ा बहन भाई को फिरौती के लिए अगवा किया और मार दिया ... दिल्ली की सड़कों पर सरकार के खिलाफ ऐसा ही जन आक्रोश उमड़ा था .... लोग भी भूल गए और उस वक्त भी राज् नेताओं ने ढेर सारे वायदे किये थे ... कहाँ वफा हुए ... अपहरण-फिरौती - बलात्कार ...बदस्तूर ज़ारी हैं और बढ़ते ही जा रहे हैं .
कहते हैं ! जो कौमें इतिहास से कुछ सबक नहीं लेतीं ...वे इतिहास के पन्नों में ही दफन हो जाती हैं। पद्मिनी के इतिहास को हमने भुला दिया .. दामिनी को भी भूल जाएंगे ... अला उ दीन खीलजी
से अपनी 'आबरू ' की रक्षा के लिए चितौड़ की महारानी ने अपनी तमाम चितौड़ -वीरांगनाओं सहित 'जौहर' को चुना .... पद्मिनी के रूप पर पागल अला उ दीन जब महल में दाखिल हुआ तो देख कर अवाक रह गया .... राज महल की सभी राजपूत वीरांगनाओं के जिस्म 'जौहर' की ज्वाला में धू -धू जल रहे थे। अला उ दीन ने चितौड के सभी 'काफिरों ' के सर कलम करने का हुकम दिया ...60000 निह्हथे - निर्दोष हिन्दुओं को मौत के घाट उतार दिया गया। और हमारे ये सेकुलर शैतान खिल्ज़ीओं , बाबरों और औरंगजेबों की मजारों पर सजदे करते नहीं थकते।
जिन्दा कौमें ही कुछ याद रह सकती हैं.
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