सम्राट चन्द्रगुप्त के प्रधान मंत्री का निवास शहर के बाहर पर्णकुटी में देख चीन के यात्री फाह्यान ने जब चाणक्य से कारन पूछा तो चाणक्य का उत्तर था- जहाँ प्रधान मंत्री कुटिया में रहता है वहां के निवासी भव्य भवनों में रहते हैं और जिस देश का प्रधान मंत्री राज प्रासादों में रहता है वहां की जनता झोंपड़ों में रहती है ;चाणक्य के अनुसार आदर्श राज्य संस्था वह है जिसकी योजनाये प्रजा को उसके भूमि, धन धन्यादी पाते रहने के मूलाधिकार से वंचित कर देने वाली ना हों . उसे लम्बी चौड़ी योजनाओं के नाम से कर भार से आक्रान्त ना कर डाले. चाणक्य की नीति की उपेक्षा कर आज के स्वार्थी, लोभी और देश द्रोही राज नेताओं ने अपने लिए विशाल महल खड़े कर लिए और देश की ७८% आबादी २०/- से भी कम पर गुज़र बसर करने को मजबूर है.
खाद्य मंत्रीजी की कोप कृपा से आज महंगाई ने सारे रिकार्ड तोड़ दिए हैं : देश के प्रितिनिधियों की हिमाकत तो देखो . गरीब को रोटी २ रुपये और दाल या सब्जी की प्लेट १० रुपये में जब की संसद की कैंटीन में रोटी ५० पैसे और दाल -सब्जी की प्लेट ५/- में मिल रही है. भूखी जनता को सस्ते दामों पर खाद्य पदार्थ मुहैया करवाने की जिमेइवारी है जिस मंत्री की, वह अपने सम्बन्धियो को लाभ पहुचने की चिंता में नित नए नए बयान दाग रहा है और महंगाई नई नई बुलंदियों को छू रही है.
आज़ादी के बाद ऐसे नेताओं की जनविरोधी नीतिओं और निरंतर भ्रष्टाचार के कारण आज देश के ६०० नगरों की १५% आबादी झुग्गी झोपड़ों में में नारकीय जीवन जीने को मजबूर है. इनमें भी सबसे बुरा हाल इस ' चिंदी चोर 'नेता के प्रदेश महाराष्ट्र का है जहाँ २५% लोग झुग्गी झोपड़ों में कीड़े मकौड़ो सा जीवन जीते हैं.इसी प्रकार आंध्र में १४%, प; बंगाल में १०%,यू;पी ; में ९% और ऍम पी व् दिल्ली में ५-५% .मुंबई में १६४ लाख की आबादी में झुग्गी वासिओं की फौज ५४ लाख को पार कर गई है. दिल्ली की १२९ लाख की आबादी में यह संख्या २० लाख है, कोलकत्ता की १३२ लाख की आबादी में १५ लाख ,चेन्नई की ६६ लाख में ८ लाख जबकि नागपुर और फरीदाबाद की क्रमश २१ और ११ लाख की आबादी पर झुग्गी बाशिंदों की संख्या ७ और ५ लाख है. आज़ादी के ६२ साल बाद भी सरकार अभी नित नई नई योजनाये बना कर ' इंदिरा जी के गरीबी हटाओ के नारों' की याद ताज़ा की जा रही है. नई योजना में गरीबी की तरहां ही २०३० तक सभी झोपड़ों को भी हटा दिया जाएगा . ज़ाहिर है पुरानी योजनाओं की तरहां इस नई योजना का पैसा भी भ्रष्ट नेताओं, अफसरों की तिज़ोरिओं की शोभा बढ़ाएगा और फिर स्विस बैंकों में पहुँच जाएगा., जो अब ७० लाख करोड़ है फिर कुछ लाख करोड़ और बढ़ जाएगा. .... अरे जो इस कड़ाके की सर्दी में फुटपाथों पर तड़प रहे हैं उनके नाम कोई योजना के बारे अभी सोचा ही नहीं गया...नयी कमाई की योजना पर अभी काबिना की बैठक बुलाई जाएगी. ...अगली सर्दी का इंतज़ार करिए भई......
अफसोसजनक हालात...
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