युव राज इन की भी सुध ले लो......... दूर दराज़ गाँव में हरिजन बस्तिओं में नंगे बच्चों को गोदी में उठाये जब आप की मनोहारी सूरत देश के बड़े समाचार पत्रों में या फिर एन दी टी वि जैसे चेन्नलों पर देखता हूँ तो तो मन बाग़ बाग़ हो उठता है. याकीन नहीं होता की महात्मन गाँधी का पुनर्जनम हुई गवा.....यह गुर जरूर दिग्गी भैया ..वाही कांग्रस के चाणक्य ..ने सिखाया होगा. भारत का भावी प्रधान मंत्री तराशने का भागीरथ कार्य उन्हेही सौंपा गया है. दिग्गी भैया से पूछ कर युवराज कभी दिल्ली भ्रमण को भी निकलो .. वेह भी रात को ..यहाँ भी हजारों बच्चे ,बूढ़े ,औरतें सड़क के किनारे फुटपाथ पर पड़ी हैं वेह भी इस कड़क कडाती ठण्ड में .... आप अपनी फोटो देखने को ही सही बड़े अखबार तो देखते ही होंगे. हाई कोर्ट ने दिल्ली सरकार को फटकार लगाई है ..एम् सी डी के उस हलफनामे पर जिसमें इन फुट पाथिओं के लिए ६० लाख में २७ रैनबसेरे बनाने में अपनी मजबूरी जताई ही...दिल्ली में ऐसे १४० रैन बसेरों की दरकार है.
अरे इस लोकतान्त्रिक सरकार से तो वे रजवाड़े ही इन गरीब लोगों के प्रति अधिक संवेदनशील थे जिन्होंने अपने राज्य में सभी साहूकारों को निर्देश दे रखे थे की सर्दी में अपनी हवेली के अहाते में अलाव जलाएं ताकि रात को उस क्षेत्र के बेसहारा गरीब भीषण शीत से राहत पा सकें. हर शहर, कसबे और गाँव में रैनबसेरे और धरम शालाए उन रजवाड़ों की ही देन हैं. और एक आप की यह दिल्ली सरकार है जो इन रैनबसेरों को उजाड़ने में व्यस्त है...ताकि खेलों के लिए इसे सुन्दर बनाया जा सके ....अरे फुटपाथों पर हजारों लोग इस ठंडी में कांपते हुए जब विदेशी मेहमान देखेंगे तो क्या सोचेंगे.!
इनके लिए ना सही अपनी नाक की खातिर ही सही इन्हें खेलो तक ही सही रैनबसेरों में छुपा दो. ....युवराज इनकी भी सुध लो ...गरीबों की दुआएं ले लो...राम भली करेंगे ....
इनको 'युवराज' कहके क्यों लोकतंत्र को गाली दे रहे हैं? किस युग में जीना चाह्ते हैं आप? पता नहीं वंशवाद की इस भोंदू उपज को भारत कैसे सह पायेगा? क्या हमारे युवाओं का तेज इतना गिर गया है कि वे अब सारी सुविधाओं में पले-बढ़े किन्तु फिर भी मूर्ख रहे बैगड़ैल सन्तानों को अपना पथप्रदर्शक और नेता मान लेंगे?
जवाब देंहटाएंसिंह साहेब व्यंग को ठीक से पढ़िए और समझिये - युवराज को अदर्श कौन मानता है ?
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