जे जे अस्पताल में एक साल से सड रही कसाब के ९ साथिओं के शवों में असहनीय दुर्गन्ध पैदा हो गई है. अस्पताल के शव कक्ष में तैनात कर्मचारी दिन रात इन शवों को संजोने में व्यस्त हैं. जब तक कोर्ट से कोई आदेश नहीं आ जाता इन शवों को दफन भी नहीं किया जा सकता. शव कक्ष का तापमान ६ डिग्री से कम बनाये रखने के इलावा जब इन्हें कक्ष के भीतर जाना पड़ता है, टो इनकी जान पे बन आती है. भयंकर दुर्गन्ध के कारन सर चकरा जाता है और बेहोशी छ जाती है कोर्ट में हो रही देरी का संताप अस्पताल के ये कर्मचारी भोग रहे हैं.सड रहे शवों से पैदा हुई दुर्गन्ध के कारन किसी संक्रामक बीमारी का भैय अलग सत्ता रहा है.
कसब केस की सुनवाई कर रहे जज साहेब के सब्र का बाँध एक साल बाद ही सही आखिर टूट ही गया. जब कसाब के वकील अब्बास कासमी ने कसब और उसके ९ साथी जेहादीयों के हाथों
मरे गए पीड़ितों के सम्बन्धियो की गवाहियो के हलफनामे कबूल करने में आना कानी की. कासमी के कारन ही यह केस एक साल से लटक रहा है. कोर्ट में झूठ बोलने और नित नई अड़ंगेबाजी करने के इलज़ाम में जज साहेब ने कासमी को केस से बे दखल कार दिया.
मुंबई हमले से पहले कसब और उसके ९ साथिओं को उनके पाकिस्तानी आकाओं ने कुरआन का जेहादी पाठ पढाया था जैसा की कासब ने भी अपने एक बयां में माना है, कि उसे जन्नत का ख्वाब दिखाया गया था - अर्थात 'जो मुस्लमान इस्लाम के लिए जेहाद में मारा जाता है वेह सदा के लिए मृगनयनी अप्सराओं के साथ जन्नत में आंनंद भोगता है. अब कासब को जन्नत कब मिलेगी यह तो नहीं मालूम, पर उसके ९ साथी बंद ताबूतों में दोज़क कि दुर्गन्ध ज़रूर फैला रहे हैं और मरने के बाद भी कासमी जैसे जाहिल वकीलों की हरकतों के कारन जे जे अस्पताल के शव कक्ष में तैनात कर्मचारिओं का जीवन भी नरकतुल्य बना छोड़ा है.
कसब केस का जल्द निपटारा तभी संभव है यदि केस की सुनवाई जे जे अस्पताल के शव कक्ष में ९ जेहादिओं की जन्नत के बीच की जय. बकौल ग़ालिब 'हमको मालूम है जन्नत की हकीकत लेकिन, दिल के बहलाने को ग़ालिब ये ख्याल अच्छा है.
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