लिब्राहन रिपोर्ट सेकुलर मनमोहन सरकार की बाबर को सच्ची शर्धांजलि कहें तो अतिश्योक्ति न होगी. २००५ में मनमोहन बाबर के देस अफगानिस्तान,भारत द्वारा संचालित अफगानिस्तान के नवनिर्माण कार्यों को देखने गए थे और साथ में राजपूत नेता विदेशमंत्री नटवर सिंह और देश के भावी प्रधान मंत्री राहुल बाबा भी थे.अब अफगानिस्तान गए हैं तो बाबर की मज़ार पर तो जाना ही था -अफगानी जिन्ना तो बाबर ही हुए न.अडवाणी की तरहं बोले तो कुछ नहीं पर बाबर से वायदा जरूर किया होगा -तेरे नाम की मस्जिद तोड़ने वालों को छोडेंगे नहीं.एक सेकुलर देश में कैसे कोई एक मसीत को गिरा सकता है, चाहे वो कैसे ही बनी हो. वहीँ पास में एक समाधि भी थी,जिसे मनमोहन और राहुल ने तो उन्देखा किया ही, इराकी तेल पर फिसले नटवर की नज़र भी इस समाधी से फिसल गई. यह समाधी थी धरती के वीर महान राजपूत सम्राट और भारत के अंतिम हिन्दू सम्राट पृथ्वी राज चौहान की.समाधी पर लिखा है ,यहाँ दिल्ली का काफ़र हिन्दू राजा पड़ा है'.९०० साल बाद आज भी अफगान लोग समाधी पर जूते मार कर बोलते हैं 'हिन्दू काफ़िर ने हमारे सुलतान गौरी को मारा था' -ऐसी प्रथा है.अब ऐसे हिन्दू राजा की समधी पर जाएँ भी कैसे- सेकुलर इमेज तार तार न हो जायगा और फिर मुस्लिम वोट बैंक का भी तो सवाल है.
ऐनी मार पई कुर्लाने, तैं की दरद न आया ' ;-बाबर के अत्याचारों से विचलित गुरुनानक देव जी के मुख से यह शब्द बरबस ही निकल पड़े थे. बाबर जिसने लाखों बेगुनाह हिन्दुओं को केवल इस लिए मौत के घाट उतार दिया क्योंकि वे इस्लाम को न मानने वाले काफ़िर थे -सैंकड़ों मंदिर तोड़े क्योंकि इस्लाम में मूर्ति पूजन हराम है. बाबर के ही एक सिपहसलार ने अयोध्या में भगवन राम के जन्मस्थान पर बने मंदिर को तोड़ कर बाबर के नाम की मस्जिद बना दी. सदिओं से हिन्दू अपने आराध्य देव के जन्म स्थान को आजाद करवाने के लिए संघर्ष कर रहे है. सिखों के दसवें गुरु गोबिंद सिंह जी ने भी इसे मुक्त करवाने के लिए मुहीम चलाई थी. १७ साल पहले बाबर की यह ज़बर की निशानी कार सेवकों ने गिरा दी.और हजारों मंदिर तोड़ने कर अल्लाह के बन्दे कहलाने वाले जेहादी मुसलमानों की यकायक भावनाए आहत हो गई. केंद्र की सेकुलर कांग्रस सरकार को मुस्लिम वोट बैंक खिसकता दिखाई देने लगा. झट से कमीशन बिठा दिया.
लिब्रहान रिपोर्ट आ गई, बाबर की मजार पर मनमोहन और राहुल बाबा का किया सजदा साकार हो गया है. और पृथ्वी राज चौहान के वंशज नटवर सिंह गए तेल लेने !.......बाबर...खुश ....हुआ...!
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