जब प्रेम करता है तो आदमी अप्रैल (बसंत) होता है ,लेकिन जब शादी करता है तो दिसम्बर (पतझड़) हो जाता है . कुछ ऐसा ही हुआ अधेड़ उम्र के जिन्ना के साथ जब वे १६ साल की पारसी लड़की पर लट्टू ही गए . रति के पिता दिनश पेटिट जिन्ना के मित्र थे . जिन्ना ने पहले तो अंतरजातीय विवाह के बारे में उनके विचार जाने . सकारात्मक उत्तर पाते ही रति का हाथ मांग लिया. जिन्ना पेटिट से मात्र ३ साल छोटे थे . सुनते ही पेटिट आग बबूला हो गए और रति के जिन्ना से मिलने पर कानूनी पाबन्दी लगवा दी. अपनी अठारहवी जन्म संध्या पर जब पेटिट परिवार उसका जन्म दिन मन रहा था, रति जिन्ना के पास भाग गई. पिता रति के इस दुस्साहस से बहुत आहत हुए, रति से नाता तोड़ते हुए उसके 'उठावना' (मृत्यु ) की सूचना अख़बारों में छपवा दी .
अब पिता के दरवाजे रति के लिए बंद हो चुके थे -वह अब जिन्ना के रहमोकरम. जिन्ना ने भी मौका देख अपना सेकुलर मुखौटा उतर दिया और इस्लामी वर्ष के रजब महीने के सातवे दिन ९ अप्रैल को पहले तो उसे इसलाम कबूल करवाया और उसी दिन उस से निकाह कर लिया.रतिजिसने जिन्ना की खातिर घर-बार सब कुछ छोड़ दिया का अंत बहुत त्रासद रहा. अबने जीवन का अंतिम वर्ष उसने जिन्ना से अलग एकांकी और रुग्णावस्था में व्यतीत किये. बम्बई के ताज होटल के एक कमरे में वह एक वर्ष जीवन मृत्यु के बीच जूझती रही. जीवन के इसी पड़ाव पर शायद रति को अपने धरम परिवर्तन की गलती का अहसास हुआ. रति की अंतिम इच्छा थी की उसका मृत्यु के बाद हिन्दू रीती से दाह संस्कार किया जाये .जिन्ना ने फिर भी मुस्लिम रीती के साथ रति को दफनाया- अपनी कोम का रहनुमा बने रहने के लिए उसने यही मुनासिब समझा- एक बार फिर जिन्ना असली चेहरा लोगों के सामने था.
जिन्ना खुद गुजरात के खिज़ा बनिया के वंशज थे. बेटी दीना महज़ साढे नौं साल की थी जब माँ की मृत्यु हो गई और वेह अपने पारसी ननिहाल के यहाँ पली बड़ी हुई . ननिहाल के ही निकटवर्ती एक पारसी युवक नेविल वाडिया से वेह प्रेम कर बैठी .दीना ने जब जिन्ना से अपने प्यार के बारे में बात की तो जिन्ना के भीतर का सेकुलर शैतान फुंकार उठा और कहा की काया तुझ्हे कोई मुस्लमान युवक नहीं मिला. दीना ने भी फौरन जिन्ना को उनके अंतर्जात्य निकाह की याद दिला दी.
अपने आप को सेकुलर दिखनेऔर रति को खुश करने के चक्कर में जिन्ना इसलाम में हराम मांस से बने हैम् सैंड विच और पोर्क सौसिज़ बड़े चाव से खाते मगर अपनी कोम से चोरी चुपके. जिन्ना की पाकिस्तान बाबाने की सनक ने ५ लाख निर्दोष लोगों की जान तो ली ही और ५० लाख लोग घर से बेघर हो गए. अपने अंतिम दिनों में राज यक्ष्मा से पीड़ित जिन्ना को अपनी गलती का एहसास हुआ जब उन्होंने अपने डाक्टर कर्नल इलाहिबख्श से कहा-डाक्टर पाकिस्तान मेरी जिंदगी की सबसे बड़ी भूल थी. 'कहते हैं मरने से पहले शैतान भी कभी झूठ नहीं बोलता
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