गुरुवार, 16 मार्च 2017

राष्ट्र ध्वज फिर से अब्दाली के झंडा शाही के नीचे .... फिर से राष्ट्र ध्वज का अपमान ......

राष्ट्र ध्वज फिर से अब्दाली के झंडा शाही के नीचे  .... 

फिर से राष्ट्र ध्वज का अपमान  ...... 


राष्ट्र ध्वज को फिर से अहमद शाह अब्दाली के झंडा शाही के इस्लामिक निशाँ (पोल) के नीचे फहरा दिया गया है  ..... पांच दशक तक तो राष्ट्र ध्वज इस (पोल) पर ही फैहराता रहा  .... किसी भी अफसर ने राष्ट्र ध्वज कोड के विपरीत हो रही अवमानना की ऒर ध्यान नहीं दिया  .... जब एक पत्रकार द्वारा राष्ट्र ध्वज अवमानना का मुद्दा उठाया तो थोड़ी चूं -चा के बाद ,ध्वज को किला मुबारक की भीतरी ईमारत पर अलग से 'अब्दाली के पोल' से ऊंचा फहरा दिया गया। मगर  सैकुलर शैतानों ने आक्रमणकारी अब्दाली के पोल को  विरासत मान कर वहीँ रहने दिया। 
अब क्यों कि किला मुबारक का विरासती स्वरुप निखारा जा रहा है तो राष्ट्र ध्वज को फिर से एक छोटे पोल पर फहरा कर अब्दाली के पोल के नीचे लगा दिया गया है  

Ministry of home affairs vide its circular dated 19  January 2017 ,directed the concerned authorities throughout the country for the strict compliance of the provisions contained in 'Flag code of India 2002 ,and the prevention of Insult to the National Flag Act 1971 reg.
2.2 .viii) No other flag or bunting should be placed higher than or above or side by side with the National Flag , nor should any object including flowers or garlands or emblem be placed on or above the Flag-mast from which the flag is flown'.

अब्दाली उर्फ़ दुर्रानी कौन था  .....
अफ़ग़ान आक्रांता जिसने भारत पर आठ बार हमला किया  ..... सिखों के पवित्र स्थान 'हरमंदर साहिब ' को  ध्वस्त किया ,हज़ारों सिख जवानों,स्त्रियों ,बूढ़ों व् बच्चों को क़त्ल किया ,जिसे वड्डा घल्लूघारा के नाम से जाना जाता है  ..... हिंदुओं के पवित्र स्थान मथुरा ,वृन्दावन व् गोकुल में सैंकड़ों मंदिरों को तोडा  ... एक हिन्दू के सर पर अपने सैनिकों के लिए ५/ इनाम  रख दिया  ... सिर्फ गोकुल में नागा साधुओं ने अब्दाली की सेना से लोहा लिया और तीन हज़ार सैनिक मार गिराए  ..... दिल्ली की लूट उस वक्त के ३० करोड़ रूपए आंकी जाती है  ..... कीला मुबारक पर चाँद तारा युक्त 'पोल' अब्दाली के झंडा शाही का है जिसे पटियाला रियासत के संस्थापक बाबा आला सिंह की सेवाओं से खुश हो कर अब्दाली ने इनाम दिया था , जिसे किले के प्राचीर पर फैहरा दिया गया  .... और आज भी कायम है  .....


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