बापू के नक़्शे कदम पर ....
एल आर गांधी
सत्ता के गलियारों में एक बार फिर से 'बापू ' का भूत मंडरा रहा है। । अबकी 'यह भूत ' कांग्रेसियों की खबर लेने पर तुला है। इसने भी गांधी टोपी धारण कर रक्खी है … मगर झाड़ू वाली और साथ में लिख दिया है … आम आदमी … अब तो आम आदमी के अनुयायी 'अरविन्द ' में बापू की जवानी ढूंढने लगे हैं … कहते हैं … बापू की जवानी की फोटू देख लो … हूँ ब हूँ केज़रीवाल लगते हैं . फोटू एक सी हो न हो , मगर दोनों के बारे में कांग्रेसियों की धारणा अवश्य एक सी है …
एल आर गांधी
सत्ता के गलियारों में एक बार फिर से 'बापू ' का भूत मंडरा रहा है। । अबकी 'यह भूत ' कांग्रेसियों की खबर लेने पर तुला है। इसने भी गांधी टोपी धारण कर रक्खी है … मगर झाड़ू वाली और साथ में लिख दिया है … आम आदमी … अब तो आम आदमी के अनुयायी 'अरविन्द ' में बापू की जवानी ढूंढने लगे हैं … कहते हैं … बापू की जवानी की फोटू देख लो … हूँ ब हूँ केज़रीवाल लगते हैं . फोटू एक सी हो न हो , मगर दोनों के बारे में कांग्रेसियों की धारणा अवश्य एक सी है …
जिस प्रकार राजनीतिक मज़बूरियों के चलते कांग्रेसी 'केजरीवाल 'के पीछे खड़े हैं … और उन्हें पाखंडी ,ढोंगी ,झूठा जैसे अनेक अलंकारों से सम्बोधित करते हैं … वैसे ही गांधी जी को 'बापू 'मानने और उनकी शिक्षाओं पर चलने की कस्में खाने वाले भी, उनको सम्बोधित करते रहे हैं … एक विदेशी मेहमान ने जब नेहरूजी से 'बापू' के बारे में प्रशन किया तो यका यक उनके मुंह पर दिल की बात आ गई । ' ओह दैट हिपोक्रेट ओल्ड मैन ' अर्थात ओह वह ढोंगी बूढा !
वैसे भी केज़रीवाल खुद को गांधीजी का आधुनिक अनुयायी कहते हैं … बहुत सी समानताएं भी हैं … अंतर सिर्फ मिडिया का है . आज मिडिया वाच डॉग की सी घ्राण शक्ति लिए केज़रीवाल के पीछे पीछे चल रहा है … गांधी जी को यह दिक्कत नहीं थी।
सादगी का ढोंग तो 'बापू' भी करते थे मगर मिडिया ने कभी कोई किन्तु परन्तु नहीं किया , बेचारे केजरीवाल दो हफ्ते में दो बार घर से बे- घर हो गए … बापू बिरला सेठ के महलों में रह का भी लंगोटी वाले बाबा कहलाए । भले वक्तों में बापू पर बिरला सेठ के ५० रूपए रोज़ खर्च हो जाते थे . आम आदमी की औकात २ आने रोज़ की थी . अंग्रेज़ों ने 'बापू' को भारत भ्रमण के लिए रेल के तीन कम्पार्टमेंट दे रक्खे थे , जिनमें प्रथम दर्ज़े की सभी सुख सुविधाएं उपलब्ध थीं ,सिर्फ डिब्बों के बाहर तीसरा दर्ज़ा की प्लेट चस्पा थी . खुद केज़रीवाल भले ही अपनी वैगनार में घूम रहे हों , उनके मंत्री तो लग्ज़री कारों का लुत्फ़ उठा ही रहे हैं न।
बापू भी बहुत कसमें खाते थे … कसम खाई की पाकिस्तान उनकी लाश पर बनेगा … मगर कसम पूरी करने के लिए गोडसे को सूली पर झूलना पड़ा। . कसम केज़रीवाल जी ने भी खाई , सफ़ेद पॉश काले अंग्रेज़ों की मदद न लेने की … तोड़ दी … झूल रहे हैं बेचारे 'बापू ' के आठ रत्न … बापू के बन्दे केज़रीवाल पर आरोप लगाते हैं कि वे तानाशाह और ज़िद्दी हैं। बापू भी कम ज़िद्दी और तानाशाह न थे .... सुभाष जी को कांग्रेस अध्यक्ष चुने जाने पर भी गांधीजी की ज़िद्द के चलते पद छोड़ना पड़ा। बहुमत पटेल के साथ था , गांधीजी की ज़िद नेहरू के साथ थी । मुस्लिम प्रेम के चलते 'बापू' ने पकिस्तान को 55 करोड़ देने की ज़िद पूरी की … केज़रीवाल जी का मुस्लिम प्रेम किसी से छुपा नहीं
अंतर सिर्फ इतना है । गांधी जी के ढोंग और ज़िद से गोरे अँगरेज़ पशेमान थे और केज़रीवाल से काले अँगरेज़।
schchai byan ki hai bndhu
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