शनिवार, 6 जुलाई 2013

श्रीनगर या शरिया नगर

                                          लाल चौक में कैलंडर शाप ..केवल इस्लामिक तस्वीरें
                                          
श्रीनगर का प्रसिद्ध लाल चौक   
                                                                            
                                                                श्रीनगर या शरिया नगर 
                       
                                                                       एल आर गाँधी                                             
                                                                     
                                  अख़बारों में श्रीनगर के लाल चौक की बहुत शौहरत  सुनी थी . बड़े बड़े आधुनिक शोरूम
कहीं से यह लगता ही नहीं था कि यह वही चौक है जहाँ चौक के बीचोबीच स्थित मीनार पर राष्ट्र ध्वज लहराने पर पकिस्तान परस्त जेहादी फसाद बरपा कर देते हैं ..हर साल मीनार पर पकिस्तान का झंडा फहराया जाता है ...सैलानी सभी कडवी -हकीकतों से बेखबर कश्मीरी साजो सामान की खरीद-फरोख्त में मशगूल थे . तभी हमारी नज़र एक कैलंडर शाप पर पड़ी ...फरक साफ़ हो गया ...देश भर  में आप किसी भी ऐसी शाप पर देखेंगे कि सभी धर्मों से बाबस्ता तस्वीरें  मिल जाएंगी जिनमें हिन्दू देवी देवताओं ,मुस्लिम मीनारों-कलमा ,सिख गुरुओं व् इसाई गाड इत्यादि .... मगर इस शाप पर केवल इस्लामिक कैलंडर थे यहाँ तक किसी सूफी पीर -फकीर की भी तस्वीर नहीं दिखाई दी.
ऐसे ही एक धार्मिक पुस्तकों की दूकान पर केवल इस्लामिक शरिया से बाबस्ता किताबें थीं ...जाहिर  है ... जहाँ दार -उल -इस्लाम है वहां दार- उल- हरब का क्या काम  ?
श्री नगर एयर पोर्ट पर 'नमाजियो के लिए ख़ास तौर पर नमाज़ एरिया '  !   कश्मीरियो पर तारी दारुल इस्लाम, जहाँ काफिरों की कोई वुक्कत नहीं ,सोच को ही दर्शाता है .
फिर भी श्री नगर में एक दूकान अभी तक मौजूद है जहाँ वैष्णव भोजन के तलबगारों की कतार लगी रहती है .. बाज़ार का नाम ही कृष्णा ढाबा पड़  गया है .कृष्णा वैष्णव भोजनालय के साथ ही ४  - ५ और वैष्णव ढाबे भी हैं , मगर कृष्णा ढाबे के लज़ीज़ शाकाहारी  खाने का जवाब नहीं .
केंद्र सरकार की अथाह  माली सहायता के सदके श्रीनगर की  सडकें ,बाज़ार और बागान बहुत आकर्षक हैं मगर  ऐतिहासिक  डल झील पर लगा सरकारी पैसा कहीं दिखाई नहीं देता ...डल झील के किनारों पर अवैध कब्जों  ने झील को एक गंदे छप्पड़ में तब्दील कर के रख दिया है . झील के बीचो बीच कायम बाज़ारों और चलती  फिरती शिकारा -शाप्ज़ ने झील को एक ऐसे बाज़ार में बदल दिया है जिसकी सफाई लगभग नामुमकिन है . बाकी कसर सैलानियों के लिए बने हॉउस -बोट्ज़  ने पूरी कर दी है ...सैकड़ों हॉउस-बोट्ज़ का मानव   निर्मित कचरा भी ज़ाहिर है झील के गर्भ में ही समता है  ...झील के सैलानियों पर अनगिनत कश्मीरियों की रोज़ी रोटी चलती है ..इस लिए सरकार भी बेबस नज़र आती है .
सड़कों पर दौड़ते थ्रीव्हीलर्ज़ और अन्य वाहनों को देख कर लगता है कि श्री नगर में ट्रैफिक रूल्ज़ नाम की कोई चीज़ नहीं कोई भी वाहन रेड लाईट पर नहीं रुकता ..सब आज़ाद है .लाल चौक के बीचोबीच फेहड़ी वालों की हकुमत है ..निजाम तो बस मूक दर्शक है.

   
      


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