भारतीय लोकतंत्र अब ८७ वां आदर्श- भ्रष्ट तंत्र
एल. आर. गाँधी
देश में भ्रष्टाचार एक रिले -रेस कि माफिक कभी न ख़त्म होने वाली दौड़ का रूप ले गया है. दिल्ली का खेल अभी ख़त्म नहीं हुआ कि 'रेस' देश कि आर्थिक राजधानी मुंबई में चालू हो गई. मुंबई में तो भ्रष्टाचार को 'आदर्श' सोसाईटी का नाम दिया गया और सीमां पर अपने प्राणों की आहुति देने वाले शहीदों के नाम पर करोड़ों के फ़्लैट औने पौने दामों पर सफेदपोश नेता और उच्चाधिकारी हड़प गए. कल्मादिजी ने राहत की साँस ली -उनके पीछे पड़ा मिडिया अब 'आदर्श सोसाईटी' घोटाले पर पिल पड़ा है. मिडिया का भी इन घोटालों को उजागर कर और बीच में ही छोड़ नए घोटालों के पीछे पड़- इनके महत्त्व को न्गंन्य करने में विशेष योगदान रहा है. मिडिया भी व्यवसाए हो कर रह गया - सब कुछ महज़ टी.आर.पी की खातिर ?
१९९१ से २००९ के डेढ़ दशक में लगभग ७३ लाख करोड़ के बड़े घोटालों का अनुमान है. जिनमें स्विस बैंकों में देश का ७१ लाख करोड़ रूपया सबसे बड़ा घोटाला है. उसके बाद है २-जी स्पेक्ट्रम में ६० हजार करोड़ का घोटाला जिसे केंद्रीय मंत्री ए.राजा डी.एम्.के के दलित सांसद ने सरंजाम दिया. प्रधान मंत्री का इन्हें वरद हस्त प्राप्त है- हो भी क्यों न ...राजा की कृपा के बिना सरकार दो दिन की महमान है. सी. बी. आई को लगा रखा है केस को कछवा चाल पर लटकाए रखने को. यह बात अलग है कि सर्वोच्च न्यायालय ने सी.बी.आई को लताड़ लगाई है- साल भर से केस लटकाने पर और राजा को अभी तक मंत्री पद पर बनाए रखने पर ! अब देखो क्या होगा तेरा 'राजा' ? तीसरा घोटाला है - ५० हजार करोड़ - कर चोरी का, पूने के अरब पति हसन अली खान के नाम !!! अब इस से कम तो हम घोटाले को घोटाला ही नहीं मानते
भ्रष्टाचार का वटवृक्ष आज ८७ मीटर ऊंचा बरगद सा फ़ैल गया है यह जितना ऊंचा है उतनी ही इसकी जडें पाताल तक फैली हैं. इस बरगद का बीजारोपण भारत के पहले प्रधान मंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरु जी के करकमलो से ही हुआ था. उनका राज परिवार तो बस इसे आँखें मूँद पानी दिए चला जा रहा है. नेरुजी ने ५ वर्षीया योजनाओं की नीव रखी -बिना सोचे समझे योजनाओं पर केंद्र से धन लुटाया गया - यह किसी ने नहीं देखा कि जिन लोगों के लाभार्थ ये योजनायें बनी गई हैं उन तक इसका लाभ पहुंचा भी है. नेहरु जी के राज पौत्र 'राजीव गाँधी' ने भी माना की इन योजनाओं का महज़ १०-१५ % ही आम आदमी तक पहुँच पाता है.बाकि पैसा तो रास्ते में भ्रष्ट तंत्र ही हड़प जाता है. ६० साल से यह योजना - बध लूट बदस्तूर जारी है.
देश के प्रथम बड़े घोटाले का श्रेय भी हमारे नेहरु जी को ही जाता है. १९४८ का जीप घोटाला जिसमें भारतीय सेनाओं के लिए ८० लाख रूपए की जीपें खरीदी जानी थी . ब्रिटेन में भारतीय हाई कमिश्नर वी. के. कृष्ण मेनन पर जीप सप्लाई में घोटाले का दोष लगा . मेनन साहेब नेहरु जी के खासमखास थे. सज़ा तो क्या मेनन को देश का रक्षा मंत्री पद से नवाज़ा गया. हमारी सेनाएं चीन के हाथो परस्त हुईं और हजारों मील भूमि पर दुश्मन का कब्ज़ा हो गया. जिन लोगों के हाथ में देश को इमानदार प्रजातंत्र के रूप में विकसित करने की जिमेदारी थी उन्होंने ही उनकी नाक के नीचे फलफूल रहे भ्रष्ट - तंत्र से आँखें मूँद लीं और आज हम विश्व के सबसे बड़े भ्रष्ट तंत्र की दौड़ में नई नई बुलंदिओं को छूते जा रहे हैं. वह दिन दूर नहीं जब हम अफगानिस्तान को पछाड़ कर भ्रष्ट राष्ट्र तालिका के शिखर पर होंगे.
अजी एक नम्बर पर होगा...
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