देसी आतंकी विदेशी आतंकी- हमाम में सब नंगे...
एल.आर गाँधी
जहाँ तक जेहादी आतंकिओं का दूसरे देशों में निर्यात पर राजनीति का सम्बन्ध है तो अब ज़ग ज़ाहिर हो गया कि हमाम में भारत और पकिस्तान दोनों नंगे हैं.
पाक इस्लामिक जेहाद को एक हथियार के रूप में देखता है तो भारत अपने जेहादियों को भोले- बेचारे- गुमराह अल्प्संखियक जिनका इस देश के सरमाए पर पहला अधिकार है --मानता है. कल तक हमारे चिद्दी जी पाक को डोजियर दर डोजियर दे रहे थे और विश्व समुदाय को समझाने में लगे थे कि पाक जेहादी आतंकियों की फैक्ट्री भी है और निर्यातक भी. विश्व समुदाय भी जब से खुद शिकार हुआ है - इस तथ्य को मानने लगा है. वाशिंगटन टाईम्ज़ के एडिटर एट लार्ज आर्नौड़ दी बोर्क्ग्रेव ने जब खुलासा किया की पाक के ११००० मदरसों में ५ लाख तालीम याफ्ता तालिबान में से हर साल १० हजार जेहादी निकलते हैं. अब हमारे भारत महान में तो ऐसे ३.५ लाख मदरसे हैं , जहाँ तालिबान को मुल्लाओं द्वारा पढ़ाया जाता है कि ' कुरआन के मुहब्बत के पैगाम ' को सारे जहाँ में कैसे फैलाना है और इस पैगाम में 'जेहाद' का असली मतलब क्या है.
अफ़्रीकी देश सुमालिया की राजधानी मोगादिशु में एक घर में बम्ब ब्लास्ट से अल-शबाब नामक अंतरराष्ट्रया आतंकी संगठन के १० आतंकी मारे गए . इनमे ७ विदेशी जेहादी थे . इन विदेशी जेहादियों में भारत के २ आतंकी भी थे. इस के अतिरिक्त पाक के ३ अफगान का १ और अल्जीरिया का १ आतंकी भी था. अल शबाब सोमालिया का बहुत ही खतरनाक आतंकी संगठन है जो अपने जेहादियों को अफगानिस्तान और कश्मीर की आज़ादी के लिए जेहाद को उकसाता है. सोमालिया में इनका फरमान चलता है. मर्दों को दाहड़ी रखने और औरतों को बिना मर्द को साथ लिए घर से निकलने पर पाबन्दी नासिर है. यह संगठन विश्व में 'शरियत ' का निजाम कायम करने के लिए युवकों को तैयार करता है.
पाक और भारत के हुकमरान आतंकवाद का मिलकर मुकाबला करने की महज़ बात ही करते हैं जब कि दोनों देशों के आतंकी कब से मिलजुल कर 'जेहाद' को सारे विश्व में 'शरियत ' के पैगाम फ़ैलाने के औज़ार के रूप में उठाए एकजुट होते जा रहे है. बेचारे चिद्दी जी को तो यह भी नहीं मालूम होगा की हमारे ये सोमालियाई 'जेहादी' ३.५.लाख में से किस फैक्ट्री का माल हैं.
क्या अंदाज़ है !! खूब !!
जवाब देंहटाएंरक्षाबंधन की ह्र्दयंगत शुभ कामनाएं !
समय हो तो अवश्य पढ़ें :
यानी जब तक जिएंगे यहीं रहेंगे !http://hamzabaan.blogspot.com/2010/08/blog-post_23.html